अकबर-बीरबल (कहानी-1) संसार में सबसे बड़ी चीज़

संसार में सबसे बड़ी चीज़

एक बार की बात है जब अकबर और उसके सभी मंत्री सभा लगाकर बैठे हुए बातचीत कर रहे थे। उस बैठक में अकबर के सभी मंत्रियों की मौजूदगी थी। पर एक ही मंत्री की कमी थी और वो था बीरबल। उस बैठक से बीरबल गायब था क्योंकि वह किसी काम के चलते बाहर गया हुआ था।

इसी बात का फायदा उठाते हुए उन मंत्रियों ने अकबर के आगे अपने दिल की बात रखी। सभी मंत्रियों की एक ही शिकायत थी, “बादशाह, आप हमेशा ही बीरबल पर विश्वास करते हो। बीरबल से ही हर तरह की राय लेते हो। लेकिन जब हम कुछ आपको बताते हैं तो आप हमारा विश्वास नहीं करते हो। आप हम में से किसी की भी राय लेना पसंद नहीं करते हो। इस बात का हमें बहुत अफसोस होता है। आप हमारे साथ ऐसा क्यों करते हो।

हम भी तो आपके मंत्रीगण हैं।” अकबर ने जैसे ही उन सभी के मुंह से यह बात सुनी तो वह खुद भी सोच में पड़ गए। लेकिन अकबर तो ऐसे स्वभाव के थे कि वह किसी भी इंसान से बीरबल की बुराई नहीं सुनना चाहते थे। अकबर को उन मंत्रियों की बात रास नहीं आई। पर आखिर वह सब भी तो अकबर के मंत्री ही थे। अकबर किसी भी मंत्री को खोना नहीं चाहते थे।

अकबर ने जवाब दिया, “आप सभी की बात का समाधान है मेरे पास।” सभी ने पूछा वह क्या समाधान है। इस बात पर अकबर बोले, “मुझे आप सभी से एक प्रश्न पूछना है। शर्त यह है कि आप सभी यह पूरी कोशिश करे कि वह प्रश्न एकदम सही हो। अगर मैंने किसी का भी प्रश्न का उत्तर गलत पाया तो फिर सजा मिलनी तय है।

गलत उत्तर देने वाले को फांसी पर लटका दिया जाएगा। बोलो, सभी को मेरी यह शर्त मंजूर है?” सभी मंत्रीगण एक बार के लिए तो झिझके लेकिन फिर हिम्मत जुटाते हुए शर्त के लिए हामी भर दी। फिर अकबर ने कहा, “अच्छा, तो जब सभी ने शर्त स्वीकार कर ली है तो अब बारी है प्रश्न पूछने की। तो मेरा प्रश्न यह है कि इस समस्त संसार में सबसे दौलतमंद और बड़ी चीज क्या हो सकती है?” प्रश्न सुनते ही मंत्रियों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।

वह सीचने लगे कि इस बात का उत्तर क्या दिया जाए। जब किसी ने भी उत्तर नहीं दिया तो अकबर ने कहा, “क्या हुआ सभी को? अभी तो सब बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। अचानक ही क्या हो सभी को। आप सभी ने ही मेरे शर्त को सहर्ष स्वीकार किया। अचानक सब चुप क्यों हो गए? मुझे मेरे सवाल का जवाब चाहिए।” जब प्रश्न के लिए कोई सटीक उत्तर नहीं मिला तो उन सभी मंत्रियों में से एक जने ने कहा, “बादशाह, आपके इस प्रश्न ने हमारे दिमाग को थोड़ा उलझा दिया है।

आप अगर मेहरबानी करे तो क्या हम इस प्रश्न का जवाब थोड़े दिनों बाद देने की मोहलत मिल सकती है?” इसपर अकबर ने कहा, “हालांकि मुझे मेरे प्रश्न का जवाब अभी के अभी चाहिए था। किंतु अगर आप सब इतनी मनुहार लगा ही रहे हो तो ठीक है। मैं आप सभी को थोड़े दिनों की मोहलत देता हूं।

अगर आप कोई भी इस अवधि तक मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दे पाए तो आप सभी को पता है कि आप सभी का क्या हश्र होगा।” जैसे ही मंत्रीगण को सवाल सोचने की लंबी अवधि मिली तब जाकर उन सभी के चैन में चैन आया। वह बाहर आकर एक दूसरे से इस प्रश्न के ऊपर चर्चा करने लगे।

एक ने कहा, “आप सभी को यह नहीं लगता कि इस दुनिया में अगर कोई क़ीमती चीज है तो वह है भूख। जब किसी को भूख लगती है तो महान से महान लोगों की भी हालत खराब हो जाती है।” फिर दूसरे ही मंत्रीगण ने कहा, “नहीं, भूख दुनिया की बड़ी चीज नहीं होती है। अगर इस दुनिया में कोई बड़ी चीज है तो वह है ईश्वर। ईश्वर से बड़ा कोई नहीं होता।” उन दोनों की बात वहां पर खड़ा तीसरा मंत्री सुन रहा था।

उसने जवाब दिया, “तुम दोनों के ही प्रश्न गलत है। ना तो भगवान को हम चीज कहकर बुला सकते हैं। और ना ही भूख ऐसी कोई चीज है जिसे हम दुनिया की सबसे बड़ी और कीमती चीज कहकर पुकार सके। तुम दोनों ही गलत हो। अच्छा हुआ तुमनें अकबर के सामने यह उत्तर नहीं दिए। नहीं तो आज तुम्हारी शामत आ जाती।” अब सब मंत्री इसी गहरी सोच में पड़ गए कि आखिर इस प्रश्न का जवाब क्या हो सकता है।

दिन पर दिन बीते जा रहे थे। पर किसी को भी प्रश्न का सही उत्तर नहीं सूझ रहा था। फिर एक दिन सभी मंत्रियों ने एक तरकीब निकाली। उन सभी ने सोचा कि क्यों ना वह सभी बीरबल के पास अपनी समस्या का समाधान लेकर जाए। ऐसा ही हुआ। वह सभी बीरबल के पास समस्या लेकर पहुंचे। समस्या सुनते ही बीरबल ने एक तरकीब ढूँढ निकाली। बीरबल ने कहा, “अब मैं जैसा कहूं वैसा ही करना। तुम सभी जने मेरे घर के सामने उपस्थित रहना।

अगले दिन सभी मंत्री बीरबल के घर के आगे पहुंच गए। वहां पर उन्होंने देखा कि एक पालकी खड़ी थी। उन सभी को लगा कि वहां पर पालकी क्यों खड़ी थी। तभी बीरबल ने उन सभी मंत्रियों को एक काम सौंपा। बीरबल ने पहले दो मंत्रियों से कहा कि वह उनकी पालकी पकड़े जिसमें वह बैठेंगे।

फिर बीरबल ने तीसरे मंत्री को अपना हुक्का पकड़ने का आदेश दिया। चौथे ने बीरबल के जूते पकड़ने का काम किया। फिर वह चारों ही बीरबल को अकबर के महल ले गए। महल पहुंचते ही बीरबल सबसे पहले अकबर के पास गए और बोले, “क्या आपको पता है शहंशाह कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज किसी की गरज करना है।

जब आपको किसी की जरूरत पड़ती है तो आप किसी की भी गरज कर लेते हैं।” अकबर ने उन चारों मंत्रियों को गौर से देखा और बीरबल से कहा, “अच्छा, तो आखिर इन सभी मंत्रियों को तुम्हारी गरज पड़ ही गई।” उन सभी मंत्रियों को अपनी की हुई गलती पर शर्म आ गई।

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