अकबर-बीरबल (कहानी-3) जब बीरबल बच्चा बन गया

जब बीरबल बच्चा बन गया

अकबर और बीरबल के बीच बहुत बार हास्यास्पद संवाद होता था। ऐसा ही एक हास्यास्पद संवाद दोनों के बीच हुआ जिसमें बीरबल को बच्चा बनना पड़ा। दरअसल एक बार ऐसा हुआ कि अकबर के सभी मंत्रीगण राजदरबार में शामिल हो गए थे। परंतु केवल बीरबल ही बचे थे जो अभी तक दरबार में नहीं पहुंचे थे। बीरबल को दरबार में अनुपस्थित देख अकबर को भयंकर गुस्सा आने लगा।

अकबर ने सभी मंत्रियों से बीरबल के नहीं आने का कारण पूछा तो मंत्रियों ने यही जवाब दिया कि उनको भी नहीं पता कि बीरबल अभी तक क्यों आए। थोड़ी देर बाद जैसे ही बीरबल दरबार में पहुंचे तो अकबर ने दहाड़ती आवाज में कहा, “बीरबल, यह क्या समय है दरबार में आने का।” बीरबल ने बोला, “शहंशाह, मैंने जानबूझकर देरी नहीं की है। देरी के पीछे कोई कारण है।

“अकबर ने कहा, “तुम झूठ मत बोलो मुझसे। तुमनें जानबूझकर देरी की और अब कह रहे हो कि मैं तुम्हें माफ़ कर दूं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा। मैं तुम्हें इसकी सजा देना चाहता हूं।” बीरबल बोला, “मैं आपको मना नहीं कर रहा हूं बादशाह कि आप मुझे सजा मत दो। पर मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं। अगर आप मेरी बात सुनना चाहे तो।” अकबर ने कहा, “हालांकि मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहता। पर फिर भी तुम अपनी बात रखो। बात में भी दम होना चाहिए।

“बीरबल बोला, “अच्छा तो मैं यह बताना चाहता हूं कि मेरे देरी की वजह मेरे खुद के बच्चे हैं। आज जब मैं तैयार होकर महल के लिए निकलने लगा तो मेरे बच्चों ने मुझे रोक लिया। वह कहने लगे कि हम आपको तब तक नहीं जाने देंगे जब तक आप हमारे साथ खेलेंगे नहीं।

अब मैं क्या करता? मुझे रहे सहे बच्चों के साथ खेलना ही पड़ा। इसी वजह से आने में देरी हो गई।” अकबर को बीरबल की बात झुठ लगी। उसने कहा, “बीरबल, मैं यह बात मानने से इंकार करता हूं कि बच्चों की वजह से तुम्हारे लेट हो गई। बच्चों को तो मनाना बहुत आसान है। तुम उनको किसी चीज का प्रलोभन देकर मना सकते थे। पर तुमनें ऐसा किया नहीं।

“बीरबल ने कहा, “अगर आप इस बात को मानने से इंकार करते हो तो मुझे एक मौका दीजिए। मैं आपके सामने कुछ चंद पल के लिए बच्चा बनना चाहता हूं।” अकबर ने इस बात के लिए हामी भर दी। फिर अगले ही क्षण बीरबल एक छोटा बच्चा बन गया। फिर वह अकबर की गोद में आकर बैठ गया और अकबर की दाढ़ी को छेड़ने लगा।

अकबर को थोड़ा बहुत अटपटा तो लगा पर वह कुछ भी नहीं बोला। फिर बीरबल अकबर से जिद करने लगा कि उसको गन्ना खाना है। उसके लिए गन्ना मंगवाओ। अकबर ने उसकी जिद पूरी कर दी। अकबर के सैनिक बीरबल के लिए गन्ना ले आए। जैसे ही बीरबल के हाथों में गन्ना आया बीरबल ने गन्ना फेंक दिया। अकबर ने बीरबल से कहा कि तुमनें गन्ना क्यों फेंका? इस बात पर बीरबल जोर जोर से रोने लगा और बोला कि मुझे गन्ना कटा हुआ चाहिए था।

फिर अकबर ने सैनिकों से गन्ने को टुकड़ों में काटकर लाने को कहा। ऐसा ही हुआ। लेकिन बीरबल ने गन्ने के टुकड़ों को भी जमीन पर फेंक दिया। अकबर को इस बात पर गुस्सा आ गया। वह तेज आवाज में बीरबल से बोले, “तुमनें गन्ने के टुकड़ों को जमीन पर क्यों फेंका?” अकबर के गुस्से को देखकर बीरबल तेज तेज रोने का नाटक करने लगा। अकबर ने सोचा कि ऐसे तो मैं हार जाऊँगा।

फिर वह शांत स्वभाव में बोले, “अच्छा ठीक है। अब तुम बताओ कि तुम क्यों रो रहे हो?” बीरबल ने कहा कि उन्हें इन्हीं गन्ने के टुकड़ों को जोड़कर दोबारा यही गन्ना चाहिए। जैसे ही बीरबल ने यह बात कही, अकबर अपना सिर पकड़कर बैठ गया। बीरबल ने रोने की आवाज और तेज कर दी। आखिरकार अकबर को कहना पड़ा, “बीरबल, तुम बच्चे से दोबारा बड़े बन जाओ। मैं अपनी हार स्वीकार करता हूं। सही में बच्चों को समझाना मुश्किल काम है।” बीरबल अब मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

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