अकबर-बीरबल (कहानी-4) सबसे बड़ा मनहूस कौन?

सबसे बड़ा मनहूस कौन?

अकबर और बीरबल के किस्से हमेशा से अनोखे रहे हैं। एक ऐसा किस्सा भी है जिसमें अंधविश्वास के चलते अकबर ने गलत निर्णय ले लिया था। एक बार ऐसा हुआ कि बादशाह अकबर अपने कमरे में लेटे हुए आराम कर रहे थे। अचानक ही लेटे लेटे अकबर को प्यास लग गई।

अकबर को प्यास तो लगी थी पर आलस के चलते अकबर अपने बिस्तर से नहीं उठा। उसको बहुत ज्यादा प्यास लग रही थी। अकबर ने अपने सेवकों को आवाज लगाई पर शायद उस समय कोई भी सेवक अकबर के आस-पास नहीं था। अकबर के कमरे के पास में ही कचरा उठाने वाला एक आदमी खड़ा था।

उससे अकबर की यह हालत देखी नहीं गई। उसने मटकी में से पानी लिया और पानी लेकर वह अकबर के कमरे में चला गया। जब कचरा उठाने वाला अकबर को पानी देने लगा तो मानो एक बार तो जैसे अकबर ने पानी लेने से इंकार कर दिया।

लेकिन जब वह आदमी लगातार पानी की गिलास लिए खड़ा रहा तो आखिरकार अकबर पानी पीने के लिए मान ही गया। जैसे ही अकबर ने पानी की गिलास खत्म की उसी समय अकबर के मंत्री अकबर के कमरे में उपस्थित हो गए। जब मंत्रियों ने देखा कि कचरा उठाने वाला अकबर के कमरे में खड़ा था तो उन सभी ने उसे वहां से जाने को कहा।

जब वह आदमी अकबर के कमरे से चला गया तब उन्होंने अपनी कोई गुप्त बातें अकबर को बताई। फिर बाद में वह सब कमरे से बाहर चले गए। थोड़ी समय बाद ही अकबर का पेट अचानक से ही बहुत तेज दर्द होने लगा। रात होते होते वह असहनीय हो गया। अकबर की हालत बिगड़ती जा रही थी। बहुत सारे हाकिमों को बुलाया गया। सभी ने अकबर को देखा। पर किसी के भी समझ में नहीं आया कि आखिर बादशाह को हुआ क्या था। फिर एक जने ने बादशाह को बताया कि उसपर किसी बुरे इंसान का साया पड़ा था।

अकबर सोच में पड़ गया कि उसपर किस व्यक्ति का बुरा साया पड़ गया। फिर काफी सोच विचार के बाद उसे याद आया कि उसने कचरा उठाने वाले के हाथों से पानी पिया था। उसने उस व्यक्ति को अपने महल बुलवाया और उसे खूब डांट फटकार लगाई। उस व्यक्ति ने बहुत मिन्नतें मांगी पर शायद अकबर पर कोई असर नहीं हुआ।

उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया, “सैनिकों इस व्यक्ति को यहां से ले जाकर जेल में डाल दो। इसे हम सजा ए मौत सुनाते हैं।” बेचारा वह आदमी अपनी जान के लिए गिड़गिड़ाता रहा। पर अकबर अपनी बात से टस से मस तक नहीं हुआ। अगले दिन बीरबल किसी अन्य राज्य का भ्रमण करके महल पहुंचा।

महल में पहुंचते ही उसे कल की घटना के बारे में पता चला। पूरी बात पता करके वह उस आदमी के पास गया। उस आदमी ने कहा, “महाराज, मैंने तो बादशाह को केवल पानी पिलाया था। मुझे नहीं पता था कि वह इतने बीमार पड़ जाएंगे। मेरा कोई कसूर नहीं है। कृपया करके मुझे बचा लीजिए। बीरबल ने कहा, “आप चिंता मत कीजिए। मैं आपसे वादा करता हूं कि आपको कुछ नहीं होगा।” फिर बीरबल दरबार की ओर प्रस्थान कर गया।

दरबार में पहुंचकर बीरबल ने अकबर से पूछा कि अकबर किस वजह से बीमार पड़ गए। तो अकबर का जवाब आया कि वह कचरा उठाने वाले मनहूस आदमी की वजह से बीमार पड़ गए। उस मनहूस आदमी के हाथों से मैंने पानी पिया और मैं बीमार पड़ गया।

बीरबल ने कहा, “पर शहंशाह कोई इंसान केवल किसी की छाया पड़ने से कैसे बीमार हो सकता है?” ऐसा कहते ही बीरबल जोरों से हंसने लगा। अकबर को इस बात पर बहुत गुस्सा आया। फिर बीरबल ने कहा कि, “बादशाह अगर आप चाहें तो मैं उससे भी बड़े मनहूस व्यक्ति से आपकी मुलाकात करवा सकता हूं।

अगर आप मुझे उससे मिलवाने की आज्ञा दे तो।” अकबर ने कहा, “अच्छा, कौन है ऐसा मनहूस व्यक्ति? जरा मुझे भी उससे मिलवाओ।” बीरबल ने झट से उत्तर दिया, “वह सबसे बड़ा मनहूस व्यक्ति तो ठीक मेरे सामने खड़ा है।” अकबर ने पूछा, “कौन है वो व्यक्ति? यहां तो केवल मैं ही खड़ा हूं।” फिर बीरबल ने कहा, “हाँ, आप एकदम सही सोच रहे हो।”

दरअसल आप सबसे बड़े मनहूस इसलिए हुए क्योंकि आपकी प्यास बुझाने के चक्कर में एक व्यक्ति को सजा ए मौत सुनाई गई। प्यास आपकी थी। आप भी पानी लेने जा सकते थे। लेकिन आप गए नहीं। आपकी स्थिति देखकर उस आदमी को दया आ गई और उसने आपको पानी पिला दिया। और आप हो जो कि उसको मौत की सज़ा सुना दी।” यह सुनते ही अकबर का सिर शर्म के मारे झुक गया। और उसी वक्त अकबर ने उस व्यक्ति को आजाद कर दिया।

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