आगरा कौन सा रास्ता जाता है?
अकबर को हर तरह के शौक थे। उसने हर तरह के शौक पाल रखे थे। घुड़सवारी और तलवारबाजी से लेकर शिकार जैसे शौक थे अकबर को। एक बार अकबर ऐसे ही अपने सैनिकों के साथ एक शिकार पर निकला हुआ था। वह शिकार की तलाश में एक बहुत बड़े जंगल में पहुंच गया। उस जंगल में वह शिकार को इधर-उधर ढूंढने लगा। आखिरकार उसने शिकार कर ही लिया। क्योंकि अब शाम का समय होने को था इसलिए सभी को जल्दी महल लौटने की चिंता सताने लगी।
लेकिन जंगल का रास्ता तो मानो ऐसा हो चला था जैसे मानो कोई भूलभुलैया हो। अकबर के सैनिक घंटों तक जंगल से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढते रहे लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। खाने-पीने का सामान खत्म हो चला था। अब अकबर और उसके सैनिकों की चिंता और भी ज्यादा गहराती जा रही थी। अकबर ने सभी को आदेश दिया कि अब आगे चलते जाने में ही सार है। फिर सभी सैनिक अकबर के साथ आगे बढ़ते गए।
लेकिन अभी भी उनको रास्ता नहीं मिल पा रहा था। जंगल में उनको कोई दूसरा इंसान भी नजर नहीं आ रहा था जिससे वह वहां से बाहर निकलने का रास्ता पूछ सके। दोपहर का पहिया जल्दी जल्दी शाम की तरफ बढ़े जा रहा था। अकबर और उसके सैनिक चिंता में डूबे जंगल में ही कहीं बैठ गए। अचानक सभी ने किसी की कदमों की आहट को महसूस किया। अब जाकर उनके चैन में चैन आया। आखिरकार एक बच्चा उसी रास्ते से ही गुजर रहा था।
वह बेहद निडर दिख रहा था। उस बच्चे को ऐसे बेखौफ देखकर अकबर ने सोचा कि क्यों ना आगरा जाने वाला रास्ता उसी से ही पूछ लिया जाए। फिर अकबर ने उस बच्चे को आवाज लगाई और पूछा कि, “क्या तुम बता सकते हो कि आगरा जाने वाला रास्ता कौन सा है? हम तुमसे इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि हम रास्ता भटक चुके हैं।” जैसे ही अकबर ने अपनी बात खत्म की वह बच्चा जोर से हंसने लगा। उसे ऐसे हंसता देख अकबर का गुस्सा बढ़ गया।
अकबर उस बच्चे को जोर से डांटते हुए बोला, “तुम्हें शर्म नहीं आती कि कोई तुमसे बड़ा व्यक्ति तुमसे कुछ महत्वपूर्ण चीज पूछ रहा है। तुम हमारा उत्तर देने की बजाए हंसे जा रहे हो। क्या तुम्हें दंड लेना अच्छा लगेगा। अगर तुम्हारा उत्तर “नहीं” है तो फिर तुम मुझे आगरा जाने वाला सही मार्ग बताओ।” उस बच्चे ने उत्तर दिया, “महाराज, मुझे हंसी इसलिए आई क्योंकि आपने मुझसे पूछा कि आगरा जाने वाला रास्ता कहाँ को जाता है। आप खुद सोचकर देखिए कि क्या कोई रास्ता कभी चल सकता है? आगरा पहुंचने के लिए तो आपको ही मशक्कत करनी पड़ेगी महाराज।”
इतने छोटे बच्चे का तर्क-वितर्क करने का बेहतरीन अंदाज देखकर अकबर और उसके सैनिक हैरान रह गए। अकबर को उसका शानदार अंदाज भा गया था। अकबर ने इस बार शांत स्वभाव के साथ पूछा कि, “अच्छा बच्चे, पहले तुम यह बताओ कि तुम्हारा नाम क्या है? और दूसरी बात यह बताओ कि हम आगरा किस रास्ते से होकर जाए?” उस बच्चे ने एक बड़ी सी मुस्कान के साथ बताया कि उसका नाम महेश दास है।
उस बच्चे ने यह भी बताया कि कौनसा रास्ता आगरा की ओर जाएगा। जैसे ही बच्चे ने सही मार्ग बताया, अकबर ने उस बच्चे को गले लगाया और उसे धन्यवाद दिया। फिर अकबर और सभी सैनिक खुशी खुशी आगरा के लिए निकल गए। क्या आप सभी को पता है कि आखिर यह बच्चा महेश दास आखिर कौन था? यही वह शूरवीर बालक था जो आगे चलकर इतिहास में पूरे विश्व में बीरबल के नाम से विख्यात हो गया।
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