दिवाली पर कविताएं (Poems On Diwali In Hindi): रोशनी के पर्व दिवाली पर कविता पढ़ें

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दिवाली पर कविताएं (Poems On Diwali In Hindi)- दिवाली खुशियों और रोशनी का पर्व है। दिवाली का पर्व हमें बाहरी अंधकार के साथ-साथ हमारे मन के अंधकार को भी दूर कर खुशियों की रोशनी भरने का संदेश देता है। दिवाली की रात जिस प्रकार घरों में जलते दीपक धरती पर छाये अमावस्या के काले अंधेरे को रोशनी में बदल देते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें भी अपने मन के अंधकार को मिटाने के लिए अपने मन के भीतर उम्मीद का एक दीपक हमेशा जलाकर रखना चाहिए। दिवाली पर दीपक और रोशनी का वर्णन बड़े-बड़े कवियों ने अपनी कविताओं में बड़ी ही खूबसूरती से किया है।

दिवाली पर कविताएं (Poems On Diwali In Hindi)

इसलिए दिवाली के खास मौके पर parikshapoint.com आपके लिए उन कवियों की दिवाली पर कविता (Diwali Poem In Hindi) लेकर आया है। कविता पढ़ने में रुचि रखने वाले लोग इस पेज पर दी गई दीपावली पर कविता हिंदी में (Poem Of Diwali In Hindi) पढ़ सकते हैं। दिवाली के अवसर पर आप अपने स्कूल या कॉलेज में दीपावली पर कविताएं (Poems For Diwali In Hindi) सुना सकते हैं और अपने मित्रों को सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हैं। आपको बता दें कि नीचे दी गई Diwali Par Kavitayen देश के प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गईं हैं। इन कवियों ने अपनी Diwali Par Kavita में दिवाली का वर्णन अपने-अपने अंदाज़ में किया है। हिंदी में दिवाली पर कविता (Hindi Diwali Poem) पढ़ने के लिए नीचे देखें।

दिवाली पर कविता हिंदी में
(Diwali Poem In Hindi)

दिवाली पर कविता

कविता 1

आज देश के ऊपर कैसी
काली रातें आई हैं!
मातम की घनघोर घटाएँ
कैसी जमकर छाई हैं!

लेकिन दृढ़ विश्वास मुझे है
वह भी रातें आएँगी,
जब यह भारतभूमि हमारी
दीपावली मनाएगी!

शत-शत दीप इकट्ठे होंगे
अपनी-अपनी चमक लिए,
अपने-अपने त्याग, तपस्या,
श्रम, संयम की दमक लिए।

अपनी ज्वाला प्रभा परीक्षित
सब दीपक दिखलाएँगे,
सब अपनी प्रतिभा पर पुलकित
लौ को उच्च उठाएँगे।

तब, सब मेरे आस-पास की
दुनिया के सो जाने पर,
भय, आशा, अभिलाषा रंजित
स्वप्नों में खो जाने पर,

जो मेरे पढ़ने-लिखने के
कमरे में जलता दीपक,
उसको होना नहीं पड़ेगा
लज्जित, लांच्छित, नतमस्तक।

क्योंकि इसीके उजियाले में
बैठ लिखे हैं मैंने गान,
जिनको सुख-दुख में गाएगी
भारत की भावी संतान!

– कवि का दीपक / हरिवंशराय बच्चन

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कविता 2

image 8

जगमग-जगमग करते दीपक
लगते कितने मनहर प्यारे,
मानों आज उतर आये हैं
अम्बर से धरती पर तारे !

दीपों का त्योहार मनुज के
अतंर-तम को दूर करेगा,
दीपों का त्योहार मनुज के
नयनों में फिर स्नेह भरेगा!

धन आपस में बाँट-बूट कर
एक नया नाता जोड़ेंगे,
और उमंगों की फुलझड़ियाँ
घर-घर में सुख से छोड़ेंगे !

दीपावलि का स्वागत करने
आओ हम भी दीप जलाएँ,
दीपावलि का स्वागत करने
आओ हम भी नाचे गाएँ !

– दीपावली / महेन्द्र भटनागर

कविता 3

दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है
दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है
जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद
जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है

– रोशनी और ख़ुशबू / शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

कविता 4

आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम

शुभ दीपावली / शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

कविता 5

image 7

धूम धड़ाका बजे पटाखा
भड़ाम से बोला बम फटा था।
सर्र-सर्र से चक्करी चलती
फर्र-फर्र फुलझड़ी फर्राटा।
सूँ-सूँ करके साँप जो निकला
ऐसे लगा, मानो जादू चला था।
फटाक-फटाक चली जो गोली
ऐसा भी पिस्तौल बना था।
ऐसी ग़ज़ब की हुई दिवाली
किलकारी का शोर मचा था।
हुर्रे-हुर्रे, का शोर मचाकर
बच्चों का टोला झूम रहा था।
जगमग हो गई दुनिया सारी
ख़ुशियों का पहिया घूम रहा था।

– गजब की दिवाली / दीनदयाल शर्मा

दीपक पर कविता

कविता 6

image 9

मूक जीवन के अँधेरे में, प्रखर अपलक
जल रहा है यह तुम्हारी आश का दीपक !
ज्योति में जिसके नयी ही आज लाली है
स्नेह में डूबी हुई मानों दिवाली है !

दीखता कोमल सुगन्धित फूल-सा नव-तन,
चूम जाता है जिसे आ बार-बार पवन !
याद-सा जलता रहे नूतन सबेरे तक,
यह तुम्हारे प्यार के विश्वास का दीपक !

– दीपक / महेन्द्र भटनागर

दीप जलाओ कविता

कविता 7

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

– आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी

कविता 8

आई है दीपावली, बाँटो खुशियाँ प्यार।
दीपक से दीपक जला, दूर करो अँधियार॥1॥

लौटे आज अवधपुरी, राम काट वनवास।
झूम उठी नगरी सकल, मन में भर उल्लास॥2॥

द्वारे रंगोली बनी, मन में भरे उमंग।
गणपति घर ले आइये, लक्ष्मी जी के संग॥3॥

रिद्धि सिद्धि को साथ ले, घर में करो प्रवेश।
बाट तिहारी जोहते, लक्ष्मी और गणेश॥4॥

बरसों से है चल रही, अम्बर ये ही रीत।
होय बुराई पर सदा, अच्छाई की जीत॥5॥

रावण सम भाई नहीं, देखो सकल जहान।
जिसने बहना के लिए, दे दी अपनी जान॥6॥

अवधपुरी में आज तो, छाई अजब बहार।
बैठी है सारी प्रजा, आँख बिछाये द्वार॥7॥

नाचो गाओ खूब री, सखी मंगलाचार।
आज अवध में हो रहा, पुनः राम अवतार॥8॥

आज जला सबने दिये, सजा लिए हैं द्वार।
ताकि राम के पाँव में, चुभे न कोई ख़ार॥9॥

अपनी ताक़त पे कभी, करना नहीं गुमान।
अंहकार बन छीन ले, ये तो सबके प्राण॥10॥

छोड़ पटाखे मत करो, पर्यावरण ख़राब।
अगली पीढ़ी को सखा, देना हमें जवाब॥11॥

– दीपावली दोहे / अभिषेक कुमार अम्बर

बच्चों के लिए दिवाली पर कविताएं

कविता 9

हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!

राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!

– जगमग जगमग / सोहनलाल द्विवेदी

कविता 10

दीपों का त्यौहार दिवाली
आओ दीप जलाएँ,
भीतर के अंधियारे को हम
मिलकर दूर भगाएँ।

छत्त पर लटक रहे हों जाले
इनको दूर हटाएँ,
रंग-रोगन से सारे घर को
सुन्दर सा चमकाएँ।

अनार, पटाखे, बम-फुलझडी,
चकरी खूब चलाएँ,
हलवा-पूड़ी, भजिया-मठी
कूद-कूद कर खाएँ।

सुन्दर-सुन्दर पहन के कपड़े
घर-घर मिलने जाएँ,
इक दूजे में खुशियाँ बाँटे,
अपने सब बन जाएँ।

– दीपों का त्यौहार / दीनदयाल शर्मा

कविता 11

दीप-दि‍वाली अखण्ड, जलता रहे प्रचण्ड
घर-घर हो प्रकाश, दीप वह जलायेंगे।

जगमग दीप जले, अंधकार पाँव चले
ऐसा ही जला के दीप , तम को हटायेंगे।

ला के प्रकाश, तन मन को सजायेंगे
आओ ‘रतनम’, मेरे संग-संग चले आओ।

आप और हम मिल, दिवाली मनायेंगे।

– मनोहर लाल ‘रत्नम्’

कविता 12

बरस रही है मां लक्ष्मी की कृपा,
हो रही है सुख और समृद्धि की वर्षा।

मिट जाएगा हर कोने का अंधियारा,
जब दीपो से जगमग होगा जग सारा।

भगवान श्री राम अयोध्या पधार रहे है,
फूलों की वर्षा हो रही है।

सब जन हर्षा रहे है,
हो गया है सब दुखों का नाश।

सब लोग मंगल गान गा रहे है,
फूल, पत्ती, पेड़-पौधे, फसलें लहरा रहे है।

सब लोगों के मुख पर मुस्कान है,
यही तो दीपावली त्योहार की पहचान है।

– नरेंद्र वर्मा

कविता 13

हैं रोशनी का यह त्यौहार,
लाये हर चेहरा पर मुस्कान
सुख और समृध्दि की बहार,
समेट लो सारी खुशियां
अपनों का प्यार और साथ,
इस पवन अवसर पर
आप सब को दिवाली की शुभकामनाएं!

साभार- कविता कोश

parikshapoint.com की तरफ से आप सभी को “दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं” (Happy Diwali)।

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