एकता में बल है, कहानी

एक बहुत बड़ा जंगल था। उस जंगल में अनेकों जानवर रहा करते थे। सभी जानवर बड़े ही खुश मिजाज स्वभाव के थे। वह सब साथ मिलकर रहने में बहुत खुश थे। जंगल में सब अच्छा चल रहा था। पर एक दिन उस जंगल में एक बाघ घुस आया। पूरे जंगल में वह शायद एक ही बाघ था। वह अपने आप को सबसे अलग रखना चाहता था। उसे कोई भी जानवर पसंद नहीं था। वह हर जानवर को डराता था और उन्हें खा जाता था।

जंगल के जानवर उससे बहुत भयभीत रहने लगे थे। आए दिन वह कोई ना कोई जानवर को खा जाता था। पूरा जंगल खौफ के साए में जीने लगा था। धीरे-धीरे जंगल में जानवरों की कमी होने लगी। इसी बात की चिंता को लेकर जंगल के मुखिया बंदर ने एक बड़ी सभा बुलाई। उस बंदर ने सभा से कहा कि अब समय आ गया है जब सब साथ मिलकर उस बाघ को हराने की सोचे। सभी ने बंदर की बात स्वीकार कर ली।

अब सारे जानवर मिलकर उस बाघ को हराने की तरकीब सोचने लगे। पर उन जानवरों को कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी। फिर एक दिन कुछ अनोखा हुआ। जंगल में नीलगाय घास चर ही रही थी कि अचानक उसका पैर फिसल गया और वह एक खड्डे में जा गिरी। फिर काफी मशक्कत के बाद जब वह बाहर निकली तो उसने अपने आप को लाल रंग में सना हुआ पाया। एक बार के लिए तो वह नीलगाय भी अपने रंग को देखकर डर गई।

लेकिन उसने कैसे तैसे करके अपने आप को संभाल लिया। संयोग से हुआ यूं कि वह बाघ भी उसी जगह से गुजर रहा था जहां वह नीलगाय खड़ी थी। जैसे ही बाघ ने उसे देखा तो वह डर के मारे भाग खड़ा हुआ। नीलगाय को बड़ा अचंभा हुआ कि वह खूंखार बाघ उससे डरकर भाग कैसे गया? फिर उसे समझ में आया कि यह सब तो उस लाल रंग का कमाल था। नीलगाय को समझ आ गया था कि सब मिलकर बाघ को कैसे हरा सकते थे।

नीलगाय सीधे ही बंदर के पास गई और उसने सारा किस्सा बंदर को सुना दिया। नीलगाय ने उस बाघ को हराने की तरकीब भी बता दी। बंदर को नीलगाय का विचार बहुत पसंद आया। फिर एक दिन मुखिया बंदर ने बाघ को तेज आवाज में ललकारा।

उस बाघ ने भी गुर्राते हुए तेज आवाज में कहा कि, “क्या है पागल बंदर? मुझे क्यों पुकार रहा है? तुझे मरने का शौक आ गया है तो बता।” उस बंदर ने कहा, “मुझे मरने का शौक नहीं आया है बल्कि तेरे इस जंगल से निकलने का वक्त जरूर आ गया है।” इस बात पर बाघ जोर से हंसने लगा। बंदर ने मौके का फायदा उठाते हुए खूब सारे जानवरों को आवाज लगाई। बंदर के पुकारते ही खूब सारे जानवर वहां आ गए।

सभी जानवर लाल रंग में रंगे हुए थे। इतने सारे जानवरों को एक साथ देखकर उस शेर को पसीने आने लगे। उसने ऐसे लाल जानवरों की फौज कभी भी नहीं देखी थी। बाघ सोचने लगा कि यह कौन से जानवर हैं। फिर थोड़े ही मिनट बाद में वह बाघ मूर्छित हो गया और डर के मारे उसके प्राण निकल गए। उस बाघ के मरते ही पूरे जंगल में जैसे खुशी की लहर फैल गई। उन जानवरों को यह आभास हो गया कि एकता में कितना ज्यादा दम होता है।

इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर एकता के साथ रहे तो हम बड़े से बड़ा काम भी हासिल कर सकते हैं। जंगल के जानवरों ने भी एकता दिखाई और उस खूंखार बाघ को हमेशा के लिए हरा दिया।

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