गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ हर रोज भिक्षा लेने और भ्रमण करने जाते थे। ठीक इसी प्रकार एक दिन वह अपने अनेक शिष्यों के साथ भ्रमण के लिए निकले हुए थे। भ्रमण के साथ ही साथ उन सभी को एक गाँव में उपदेश देने भी जाना था। वह सभी एक जंगल के रास्ते से होकर गाँव जा रहे थे।
जंगल के उस रास्ते में सभी ने देखा कि वहां हर थोड़ी देर बाद एक गड्ढा खुदा हुआ था। सभी शिष्यों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि आखिर एक ही मार्ग पर इतने गड्ढे खुदे हुए होने का क्या तात्पर्य है? वह सभी इतने गड्ढे खुदे हुए देखकर परेशान से हो गए। बुद्ध ने अपने अनुयायियों के माथे पर चिंता की लकीरें देखकर पूछा, “क्या हुआ मेरे शिष्यों? तुम सभी किस बात की चिंता में डूब गए।” शिष्य बोलें, “कुछ खास बात नहीं है गुरुजी।
दरअसल हम सभी यही सोच रहे हैं कि आखिर किस इंसान ने इतने सारे गड्ढे एक ही रास्ते पर खोद दिए? आखिर इस चीज के पीछे कारण क्या है?” बुद्ध ने जवाब दिया, “बात समझने में बहुत आसान है। दरअसल कोई व्यक्ति यहां पर पानी ढूंढने में लगा होगा। और जब उसे कहीं पानी नहीं दिखा तो उसने गड्ढा खोदा होगा। जब एक गड्ढा खोदने पर भी पानी नहीं निकला तो उसने ऐसे ही खूब सारे गड्ढे खोद दिए।
लेकिन उस इंसान ने यह नहीं सोचा कि उसे खूब सारे गड्ढे खोदने से क्या फायदा मिला। वही इंसान अगर एक ही जगह पर गहरा गड्ढा खोदता तो शायद वहां पर खूब पानी निकल आता। उस इंसान ने खूब परिश्रम किया परंतु उसने धैर्य बिल्कुल भी नहीं रखा। इसलिए कहते हैं कि इंसान को अपने जीवन में धैर्य बनाकर रखने की बहुत जरूरत है।” सभी शिष्य बुद्ध की बात से सहमत हो गए।
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