गौतम बुद्ध (कहानी 5) सुख की नींद

एक बार की बात है जब गौतम बुद्ध हर बार की ही तरह सोने को अपने कक्ष की ओर जा रहे थे। वह जैसे ही कक्ष के अंदर आए, उनके पीछे-पीछे उनका शिष्य भी आ गया। बुद्ध अपने सेज पर आकर लेट गए। आलबक नाम का शिष्य भी आकर सेज के पास बैठ गया और बुद्ध के पांव दबाने लगा।

बुद्ध ने कहा, “क्या हुआ आलबक? तुम अभी तक सोए नहीं क्या?” शिष्य आलबक ने कहा, “नहीं, मुझे नींद नहीं आ रही है, भंते! एक प्रश्न मेरे दिमाग में लगातार घूमें जा रहा है। और यही प्रश्न मुझे सोने ही नहीं दे रहा।” बुद्ध ने कहा, “ऐसा कौनसा प्रश्न है जो तुम्हें सोने से रोक रहा है?” शिष्य ने कहा, “क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं?” बुद्ध ने कहा, “हाँ, बिल्कुल। मन में किसी भी प्रकार का कोई संशय मत रखो।” फिर आलबक ने उत्सुक आवाज में पूछा, “गुरुजी, क्या कल रात आपको बहुत अच्छी नींद आई?” बुद्ध बोले, “हाँ, आलबक। कल रात को मैंने बहुत मीठी नींद ली थी।

लेकिन तुम मुझे यह क्यों पूछ रहे हो?” आलबक बोला, “आप यह कैसे कह सकते हैं भंते कि कल आप चैन की नींद सोए। मेरा मन जानता है कि कल रात को कितनी ठंड थी। कल रात हड्डी कंपाने वाली ठंड थी। मुझे सोने में बहुत कष्ट हुआ था।” बुद्ध ने जवाब दिया, “हाँ, हो सकता है कुमार कि तुम्हें नींद लेने में कष्ट हुआ हो। लेकिन मुझे किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई।” अब आलबक हैरान हो गया। उसने सोचा कि बुद्ध को आराम से कैसे नींद आ गई? जबकि सभी शिष्यों को नींद लेने में बहुत कष्ट हुआ था।

आलबक ने फिर से एक सवाल किया, “भंते, आप मुझे एक बात बताओ कि आपको चैन की नींद कैसे आ गई? इसका राज क्या है?” बुद्ध ने कहा, “बात एकदम सरल सी है। मैं तुम्हें एक उदाहरण के तौर पर यह बात समझाता हूं। चलो, मुझे एक बात समझाओ कि अगर कोई इंसान किसी महल का राजकुमार हो और उसके महल में हर प्रकार की सुख सुविधाएं हो। जैसे कि उसके पास सोने के लिए स्वर्ण का एक सेज हो।

उस सेज पर मुलायम मखमली गिद्दा हो। हवा खिलाने के लिए आगे पीछे दास और दासियां हो। तो क्या उस राजकुमार को सुख की नींद आएगी?” शिष्य ने जवाब दिया, “हाँ, बिल्कुल आएगी। बल्कि ऐसी स्थिति में तो और भी अच्छे से नींद आएगी। आखिर उस राजकुमार के पास सारी प्रकार की सुख सुविधाएं जो हैं।” बुद्ध ने कहा, “ठीक है, चलो मैंने तुम्हारी बात मान ली।

लेकिन मुझे इस बात का जवाब दो कि अगर उस राजकुमार को कोई भी तरह की शारीरिक या मानसिक पीड़ा हो। या फिर उसका तन और मन लोभ और लालच से ग्रस्त हो तो क्या ऐसे स्थिति में उसे चैन की नींद आ जाएगी?” आलबक बोला, “नहीं, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि अगर उसे कोई मानसिक या शारीरिक बीमारी है तो वह तन और मन से परेशान रहेगा। और अगर उसे किसी भी प्रकार का लोभ है तो उसका दिमाग दिन रात उसी चीज का ही स्मरण करेगा।

बुद्ध ने कहा, “कुमार, तुमनें मेरे प्रश्न का एकदम सटीक उत्तर दिया। तो अब तुम मुझे बताओ कि मुझे चैन की नींद कैसे आई।” शिष्य ने कहा, “गुरुजी, अब मुझे सब अच्छे से समझ आ गया है। जिस इंसान के दिमाग में मोह माया का कोई पर्दा नहीं है, वही इंसान दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी है। चैन की नींद लेने के लिए आपको सबसे ज्यादा किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो वह है मानसिक शांति की। जब आपका मन और चित्त दोनों ही शांत है तब स्वाभाविक रूप से आपको नींद भी सुखपूर्वक आएगी।” बुद्ध ने आलबक को प्रश्न का सही जवाब देने के लिए शाबाशी दी। अब आलबक का दिमाग पूर्ण रूप से शांत हो गया था।

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