एक बार की बात है जब गौतम बुद्ध और मलुक्यपुत्र बैठकर आपस में किसी बात पर चर्चा कर रहे थे। उनकी चर्चा बहुत सी बातों पर चल रही थी। अचानक मलुक्यपुत्र को बैठे बैठे एक बात याद आ गई जो बहुत दिनों से उसके दिमाग में चल रही थी। उसने अपने मन की जिज्ञासा बुद्ध के सामने रख दी।
उसने कहा, “गुरुजी, एक सवाल और है जो मेरे मन में किसी तूफान की तरह बार बार आता है और फिर थोड़े समय पश्चात वह तूफान अपने आप शांत हो जाता है। मेरी इस समस्या का निवारण कीजिए।” बुद्ध ने कहा, “हाँ, कहो ना, मलुक्यपुत्र। पूछो तुम क्या पूछना चाहते हो।” मलुक्यपुत्र ने कहा, “मैं यह पूछना चाहता था कि मृत्यु के बाद क्या होता है? मतलब हम मृत्यु उपरांत कहां जाते हैं? यह बात बहुत दिनों से मेरे दिमाग को परेशान कर रही है।
बुद्ध ने कहा, “तुम चिंता मत करो, मलुक्यपुत्र। मैं तुम्हारी जिज्ञासा को शांत कर दूँगा। बस तुम्हें मेरे प्रश्नों का जवाब देना होगा।” वह बोला, “धन्यवाद, गुरुजी। जी, मैं आपके प्रश्नों का जवाब अच्छे से दूंगा।” बुद्ध बोले, “अच्छा ठीक है। चलो, अब तुम यह बताओ कि अगर कोई इंसान अपने काम के चलते कहीं जा रहा हो और बीच रास्ते में ही कोई दूसरा इंसान उसे विष भरा तीर मार दे तो सबसे पहले क्या करना चाहिए? क्या उस मुश्किल घड़ी में उस इंसान को बचाने का प्रयास करना चाहिए या फिर यह पता लगाना चाहिए कि वह तीर दरअसल किसने और किस उद्देश्य से मारा था।
मलुक्यपुत्र ने कहा, “बेशक ऐसी घड़ी में उस इंसान की जान बचाने के बारे में सबसे पहले सोचना चाहिए। क्योंकि अगर हम यह सोचेंगे कि किस व्यक्ति ने उसे तीर मारा है तो ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति अपनी जान भी गवा सकता है।” बुद्ध बोले, “तुमनें एकदम सही कहा कि अगर हम उस व्यक्ति की सही समय पर जान नहीं बचा सकते हैं तो फिर सब कुछ व्यर्थ है।
ठीक उसी प्रकार अगर हम अपने जीवन में चल रहे दुखों का निवारण ना करके अगर यह सोचेंगे कि हमारी मृत्यु के उपरांत हमारा क्या होता है तो यह हमारी सबसे बड़ी गलती है। हमें जीवित रहते हुए इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि हम समस्त प्रकार के दुखों को दूर करते हुए कैसे जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए।” विचारों का तूफान जो इतने समय तक मलुक्यपुत्र के मन में चल रहा था वह तूफान अब शांत हो चुका था।
गौतम बुद्ध की अन्य सर्वश्रेष्ठ कहानियां | यहाँ से पढ़ें |