गौतम बुद्ध (कहानी-8) बुद्ध की शिक्षा से हुआ गाँव का उद्धार

गौतम बुद्ध हर जगह जाकर ज्ञान का प्रचार प्रसार करते थे। उनके इन्हीं ज्ञान भरी बातों से एक युवक बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ था। उस युवक की एक बहुत बड़ी परेशानी थी। परेशानी यह थी कि वह उसके परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह उच्च शिक्षा हासिल करे। उसके रिश्तेदार और गाँव वाले भी यही चाहते थे कि वह ज्यादा पढ़ाई ना करे। पर उसके मन में शिक्षा को लेकर एक अलग प्रकार का जुनून था।

वह इस बात पर विश्वास करता था कि उच्च शिक्षा हासिल करके आप हर प्रकार की बाधाओं को पार कर सकते हो। लेकिन उसके इस सपने को पूरा करने में उसके घर वाले ही बाधा डाल रहे थे। एक दिन जब उसे पता चला कि उसके गाँव में गौतम बुद्ध आए हुए हैं तो वह बिना देरी किए हुए उनके पास पहुंचा। गौतम बुद्ध के पास जाकर उसने कहा, “गुरुजी, एक बहुत बड़ी दुविधा है।

दरअसल मैं उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता हूं। और दूसरी तरफ मेरे घरवाले हैं जो यह उच्च शिक्षा को लेकर पक्ष में नहीं है। वह चाहते हैं कि मैं केवल खेतीबाड़ी का ही काम संभालूं। पर मुझे ऐसा नहीं करना है। कृपया मुझे उचित मार्गदर्शन दीजिए।” बुद्ध ने कहा, “ठीक है, वत्स। मैं तुम्हारे गाँव जाकर लोगों को शिक्षा के बारे में उचित मार्गदर्शन दूंगा।” वह युवक बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि अब उसका उचित शिक्षा का सपना साकार होने वाला है।

बुद्ध उस युवक के साथ गाँव पहुंचे। जैसे ही गाँव वालों को पता चला कि बुद्ध गाँव पधारे है वह सभी दौड़े हुए बुद्ध के पास चले आए। बुद्ध ने कुछ ही दिनों के लिए उस गाँव में रुकने का सोचा। अब हर दिन खूब सारे लोग बुद्ध के प्रवचन सुनने आते थे। ऐसे में बुद्ध ने सोचा कि क्यों ना गाँव वालों को शिक्षा जैसे विषय पर उचित ज्ञान दिया जाए। लोगों का आना जाना बना रहता था।

एक दिन एक महिला भी बुद्ध के पास आई। उसके हाथ में पांच साल का बच्चा भी था। बुद्ध ने उस महिला से पूछा, “कहो देवी तुम क्या कहना चाहती हो?” महिला अपने बच्चे को दिखाती हुई बोली, “गुरुजी, कोई लोग कहते हैं कि बच्चे को शिक्षा दिलवाना अति आवश्यक है। तो क्या मैं यह जान सकती हूं कि मुझे मेरे बच्चे को किस उम्र से शिक्षा दिलवानी चाहिए? और क्या बच्चे को शिक्षा दिलवाना उचित होता है।

“बुद्ध बोले, “देवी, शिक्षा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। इसके अभाव में आप अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। और रही बात बच्चे को शिक्षा देने की तो वह एक साल से ही देनी शुरू कर देनी चाहिए। ऐसे में धीरे-धीरे बच्चे के बुद्धि का निरंतर विकास होता रहता है।” महिला के दिमाग में बुद्ध की शिक्षा गहराई तक उतर गई। उस दिन के बाद से वह अपने बेटे को शिक्षा प्राप्ति हेतु विद्यालय भेजने लगी।

फिर एक दिन ऐसा आया कि गाँव में खूब तेज बारिश आई। क्योंकि उस युवक को जल संरक्षण की तकनीक पता थी इसलिए उसने जल का भरपूर संरक्षण किया। उसने जल संरक्षण की तकनीक गाँव वालों को भी समझाने की कोशिश की लेकिन गाँव वालों ने उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया।

लेकिन वह युवक अपने काम को लेकर अडिग रहा। अब एक पूरा साल बीत गया और नया साल आ गया था। नए साल के गर्मी के मौसम में खूब गर्मी पड़ी। गाँव वालों को खेती के लिए पानी की किल्लत पड़ गई। क्योंकि उस युवक ने जल का अच्छे से संरक्षण कर रखा था इसलिए पानी की कमी नहीं झेलनी पड़ी। उस युवक की सहायता से गाँव वालों ने गहरे गड्ढे खोदे तो उनमें से भरपूर पानी निकला। उस पानी की सहायता से किसानों ने खेतीबाड़ी की। अब सभी गाँववालों को शिक्षा का असली महत्व समझ आ गया था।

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