रेलवे स्टेशन का नाम सुनकर हमारा मन हिलोरे मारने लगता है। रेलवे स्टेशन हमारे लिए यात्रा करने का एक सबसे अच्छा माध्यम है। इससे हमारी कई सारी यादें जुड़ी हुई होती है। हमें रेल में बिताए बचपन के दिन याद आ जाते हैं। रेल की यात्रा करने से हमें नए नए अनुभव मिलते हैं।
रेल की यात्रा हमें एक अलग प्रकार का अनुभव देती है। रेलवे स्टेशन से जुड़े हमें कई किस्से और कहानियां सुनने को मिल जाते हैं। यह सभी किस्से और कहानियां अलग अलग तरह के होते हैं। तो आज हम जानेंगे कि कैसे एक रेलवे स्टेशन कई सालों तक एक भूतिया लड़की के चक्कर में बंद रहा। तो आइए हम यह कहानी पढ़ना शुरू करते हैं।
रेलवे स्टेशन चाहे भले कोई भी राज्य का हो हमेशा अनोखा ही होता है। रेलवे स्टेशन एक ऐसी जगह होती है जहां पर आकर लोग रेल के माध्यम से सफर करके अपने गंतव्य पहुंचते हैं। रेलवे स्टेशन पर आपको यात्रियों की भीड़ दिखती है। कुली और स्टेशन पर सामान बेचने वाले आपको भागदौड़ करते हुए दिख जाएंगे।
इस तरह का नजारा देखना स्टेशन पर आम है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई रेलवे स्टेशन पर लोगों की चहल पहल के अलावा कोई भूत भी रह सकता है? जी, हाँ, ऐसा ही एक किस्सा बेगुनकोडोर गांव के रेलवे स्टेशन में हो चुका है। यह गाँव भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पुरुलिया जिले में स्थित है। यह बहुत ही सुंदर गाँव है। लेकिन बेगुनकोडोर गांव का रेलवे स्टेशन कुछ ऐसा ही है।
संथाल की रानी को बहुत सी चीजों का शौक था। इसी शौक के चलते ही रानी ने स्टेशन भी तैयार करवाया था। यह स्टेशन बंगाल में बनवाया गया था। रानी का नाम श्रीमति लाचन कुमारी था। रानी ने साल 1960 में यह स्टेशन तैयार करवाया था। कुछ समय तक तो इस स्टेशन पर सब कुछ सामान्य रहा था। लेकिन जैसे ही कुछ समय बीता वहाँ अजीबोगरीब घटनाएं होने लगी। कहते हैं कि 1967 में एक रेलवे कर्मचारी ने यह दावा किया कि उसने स्टेशन पर किसी को घूमते हुए देखा था।
वह एक लड़की का भूत था। बाद में यह अफवाह लोगों में आग की तरह फैली। बाद में बहुत से लोग यह दावा करने लगे कि उन सभी ने वहां भूत को कई बार देखा। एक दिन तो वहां बहुत ही अजीब घटना हुई। कहते हैं कि एक दिन रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी देने वाला मास्टर और उसका परिवार रेलवे स्टेशन पास रेलवे क्वार्टर में रहस्यमयी तरीके से मरा हुआ मिला। उसके बाद से हर जगह हडकंप मच गया कि बेगुनकोडोर गांव के रेलवे स्टेशन पर भूतों का डेरा है।
उन्हीं दिनों में लोगों ने यह तक दावा किया था कि उन सभी ने एक ऐसी लड़की का भूत देखा जो कि बहुत तेजी से भागता था। जब भी ट्रेन पटरी पर चलती थी तो उस लड़की का भूत भी पीछे-पीछे तेजी से भागता था। उस लड़की की गति ट्रेन से भी ज्यादा होती थी। वह किसी पागल लड़की की तरह लगती थी। सफेद कपड़े और खुले बालों के साथ वह अजीब दिखती थी।
कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि वहां पर लड़की का नहीं बल्कि एक सफेद साड़ी पहने महिला का भूत निवास करता था। सब के अपने अपने किस्से और कहानियां थी। ऐसी अफवाहें उड़ी कि वह लड़की कभी जोर जोर से हंसती तो कभी पटरी पर आकर तेजी से नाचने लग जाती थी। ऐसी घटनाओं के चलते लोगों ने धीरे-धीरे उस स्टेशन से दूरी बना ली। लोगों को लगता था कि वह स्टेशन वाली लड़की उन्हें भी मार डालेगी। जब भी ट्रेन स्टेशन से होकर गुज़रती तो लोग अपनी खिड़की बंद कर लिया करते थे। लोगों का वहां आना जाना लगभग बंद हो गया था। धीरे-धीरे वह रेलवे स्टेशन वीरान बन गया था।
लोगों के मन में उस स्टेशन को लेकर हद से ज्यादा डर बैठ गया था। लोग सुबह तो उस स्टेशन पर थोड़ा बहुत आना जाना कर लेते थे। लेकिन जब बात आती थी रात की तो रात को वह स्टेशन किसी उजड़े खंडहर की तरह ही लगता था। फिर एक दिन यह ऐलान किया गया कि अब स्टेशन बंद किया जाएगा। बहुत सालों तक वह स्टेशन बंद ही रहा। लोगों के लिए वह कौतूहल का विषय बन गया था।
वह स्टेशन करीब करीब 42 साल तक सुना पड़ा रहा था। जब कई साल गुजर गए तो लोगों को यह लगने लगा कि स्टेशन पर पहले जैसी चहल पहल होनी चाहिए। इसलिए लोगों ने उस स्टेशन पर थोड़ा आना जाना शुरू किया। 2009 में बेगुनकोडोर गांव के लोग इस बात पर जोर देने लगे कि सरकार को यह स्टेशन दोबारा खुलवाना चाहिए। उस समय ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री थी। लोगों की बात मानते हुए ममता बनर्जी ने उस स्टेशन को दोबारा सुचारू रूप से शरू करवाया। वहां फिर से लोगों की आवाजाही होने लगी। लेकिन आज भी हालात यह बने हुए हैं कि रात को वहां जाने से सब घबराते हैं। लोगों को लगता है कि क्या पता वह लड़की फिर से स्टेशन पर आकर उन्हें अपना शिकार बना ले।
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