भूतों की कहानी-3 “भूत वाला पेड़”

Photo of author
Ekta Ranga

बहुत समय पहले की बात है। उस समय हमारे देश में अंग्रेजों का राज हुआ करता था। बंगाल जैसे राज्य में एक गाँव हुआ करता था जिसका नाम था चंद्रपुर। चंद्रपुर बहुत ही सुंदर गाँव था। उस गाँव में धनराज नाम का एक साहुकार रहा करता था। वह बहुत ही दानशील और दयावान था। वह अपनी पत्नी मैत्रेयी के साथ बड़े ही आनंद के साथ रहता था। लोग उसकी बहुत ज्यादा इज्जत करते थे। शादी के कुछ समय बाद ही मैत्रेयी और धनराज को एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। वह बालक बहुत ही ज्यादा प्यारा था। उस बच्चे का नाम सुजॉय रखा गया। सुजॉय अपने माता-पिता की आंख का तारा बन गया था।

अब धीरे-धीरे सुजॉय बड़ा हो रहा था। बड़े होने के साथ उसमें परिपक्वता और समझदारी भी आ रही थी। क्योंकि धनराज के सभी दोस्तों के बच्चे कॉलेज में दाखिला लेने के लिहाज से विदेश जाते थे इसलिए धनराज ने सोचा कि वह भी सुजॉय को बाहर विदेश पढ़ने भेजेगा। सुजॉय को गाँव की एक बात से सख्त चिढ़ थी और वह था लोगों का अंधविश्वास। अंधविश्वास के चलते बहुत बुरे काम होते थे चंद्रपुर में। सुजॉय ने सोच लिया था कि वह चंद्रपुर से अंधविश्वास को एक दिन खत्म करके रहेगा। जब उसको कॉलेज भेजने का समय आया तब वह विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई करने चला गया।

थोड़े समय बाद में सुजॉय डॉक्टर बनकर अपने घर लौटा। उसके घर लौटते ही चारों ओर खुशियों का माहौल छा गया। उसके पिता ने पूरे चंद्रपुर में मिठाई बांटी। धनराज और मैत्रेयी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा कि उनका बेटा अब डॉक्टर बन गया था। वह दोनों खुश होते क्यों नहीं। दरअसल उनका बेटा चंद्रपुर का इकलौता डॉक्टर जो बन गया था। सुजॉय अपने गाँव में अशिक्षा को मिटाकर शिक्षा का दीपक प्रज्वलित करना चाहता था।

उसका बस अब यही एकमात्र उद्देश्य था। वह गाँव में जाकर लोगों को शिक्षित करना चाहता था। लेकिन गाँव वाले थे जो उसकी बात को समझते ही नहीं थे। वह सोचते थे कि सुजॉय उनका मज़ाक़ उड़ा रहा है। कि वह उनकी भावना को चोट पहुंचा रहा है। सुजॉय को गाँव वालों की मूर्खता भरी बातों से खीझ उठती थी। उसने अपने पिता से भी इस बारे में चर्चा की। उसके पिता ने भी यही कहा कि उसे अंधविश्वास जैसी चीज को समझदारी से हराना होगा। उसने भी अपने पिता का कहना मानते हुए कुछ अच्छी तरकीब सोचनी शुरू कर दी।

एक दिन उनके गाँव में कुछ अजीब घटा। हुआ यूं कि गाँव में किसी ने देखा कि एक तोता उड़ते हुए एक जमीन पर आया और एक बड़े बेर के आकार का बीज़ धरती पर गिरा दिया। पास में खड़े एक चूहे ने उस काले रंग के बीज़ को धरती में गाड़ दिया। थोड़े दिनों बाद में उस जमीन पर एक बड़ा सा पेड़ उग आया।

उस पेड़ का रंग पूरा हरा होने की बजाय हल्का काला था। वह पेड़ हर दिन बड़ा होता जा रहा था। लोगों ने जब यह देखा कि वह पेड़ लगातार बड़ा हुआ जा रहा था तो वह सभी बहुत ज्यादा डर गए थे। उन्होंने सोचा कि एक पेड़ इतना जल्दी कैसे बड़ा हो सकता है। उन सभी ने सोचा कि उस पेड़ पर शायद किसी आत्मा का वास था इसलिए वह पेड़ इतना बड़ा हो रहा था। उनका शक तब थोड़ा सा ज्यादा मजबूत हो गया जब एक लड़का उस पेड़ के नीचे खेलते हुए मर गया।

जब यही बात गाँव के सरपंच को पता चली तो उसने पूछा कि वह पेड़ किसने वहां पर लगाया था। तो एक लड़के ने कहा कि उस पेड़ को वहां लगाने वाला एक तोता था। जब सुजॉय को यह बात पता चली तो उसने कहा कि, “इस घटना के पीछे कोई भूत नहीं बल्कि एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। और बात रही उस लड़के की मौत की तो वह लड़का उस पेड़ की वजह से नहीं बल्कि दिल का दौरा आने से मरा था। मैंने लड़के के मृत शरीर की अच्छे से जांच की तो मुझे पता चला कि उसको हृदयाघात आ गया था।”

लेकिन किसी ने भी सुजॉय की बात नहीं सुनी। और गाँव के सरपंच ने यह फरमान सुना दिया कि उस श्रापित पेड़ को काट दिया जाए। सुजॉय ने सभी से बहुत विनती की कि उस पेड़ को ना काटा जाए लेकिन लोगों पर उसकी बात का कोई असर नहीं पड़ा। लकड़हारे को बुलाकर पेड़ कटवाने की कोशिश की गई, लेकिन इसका कोई नतीज़ा नहीं निकला। बल्कि वह पेड़ सीधा तना हुआ आत्मविश्वास के साथ खड़ा रहा।

फिर सरपंच ने हुक्म दिया कि हाथी को बुलाकर पेड़ को गिराया जाए। लेकिन हाथी भी वह पेड़ नहीं गिरा सका। अब तो लोग पेड़ से बहुत ज्यादा डर गए। उन सभी ने यह स्वीकार कर लिया कि उस पेड़ पर किसी प्रेत का साया है। लेकिन सुजॉय को इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था। उसने असल कारण को जानने के लिए दिन रात एक कर दिए। एक दिन खूब तेज बारिश हुई। बहुत से पेड़ उखड़ गए। वह भूत वाला पेड़ उखड़ा तो नहीं लेकिन उसकी जड़ें जरूर खराब हो गई थी।

सुजॉय लगातार एक हफ्ते तक पेड़ का निरीक्षण करता रहा। फिर उसे पेड़ बढ़ने का असल कारण समझ में आ गया। उसने यह भी तरकीब सोच ली कि उसे गाँव वालों को पेड़ के बारे में कैसे जानकारी देनी है। फिर वह गाँव के सरपंच के पास गया। फिर उसने सरपंच के सामने तरकीब पेश की। सरपंच को तरकीब पसंद आई। फिर उसने कहा कि, “मैं चाहता हूं कि सभी लोग उस पेड़ के पास चले।” सभी लोग उस पेड़ के पास चले गए। सुजॉय ने पेड़ के आस-पास नमक फेंक दिया और गाँव वालों से कहा, “अब तीन दिन बाद आकर यह निरीक्षण लेना कि यह पेड़ घटा कि नहीं घटा।”

सुजॉय के कहने पर सभी गाँव वाले तीन दिन बाद उस पेड़ के पास आए तो उन सभी ने देखा कि वह पेड़ आधा मुरझा चुका था। पेड़ की ऊंचाई भी बढ़ने की जगह घट चुकी थी। उन सभी को बहुत आश्चर्य हुआ। फिर गाँव वालों ने दो हफ्तों के अंदर यह देखा कि वह पेड़ लगातार घटते घटते पूरा खत्म हो गया। सभी लोगों ने सुजॉय को किसी देवता के समान मान लिया। उन सभी को अब सुजॉय की बातों पर विश्वास हो गया था।

वह सारे काम अब सुजॉय को पूछकर करने लगे थे। सुजॉय ने अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल पेड़ को खत्म करने में लगाया था। उसने अपने कॉलेज के दिनों में यह पढ़ा था कि नमक डालने से पेड़ की जड़ें बहुत कमजोर हो जाती है। बस फिर क्या था उसने पेड़ के आसपास खूब सारा नमक डाला और परिणामस्वरूप वह पेड़ अपने आप खत्म हो गया। उस पेड़ पर कोई भूत प्रेत का साया नहीं था।

ऐसे ही अन्य भूतों की कहानीयहाँ से पढ़ें

Leave a Reply