पूरी दुनिया में अनेकों प्रकार की भूत की घटनाएँ हमें अक्सर सुनने को मिल जाती है। हर कहानी के अलग अलग किस्से होते हैं। दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो पूरी दुनिया में असाधारण गतिविधियों के चलते बहुत ज्यादा मशहूर है। अमेरिका से लेकर इंग्लैंड तक ऐसे कई देश है जो अपनी भूतों की कहानियों के चलते लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने रहते हैं। भारत भी ऐसी ही भूतों की कहानियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। हमारे ही देश में ऐसे कई स्थान है जो भूतों का निवास स्थान माना जाता है। ऐसी ही भारत की एक कहानी है जो बेहद डरावनी है।
इस पोस्ट में बात हो रही है भानगढ़ किले की। जी हाँ, भानगढ़ किला पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा बदनाम है। इसकी बदनामी की वजह वह प्रेत आत्माएं हैं जो आज भी भानगढ़ किले में घूमती है। लोगों में इन आत्माओं का इतना ज्यादा खौफ है कि कोई भी इस किले के आसपास मंडराना तक नहीं चाहता। लोग सोचते हैं कि अगर वह इस किले में गए तो हो सकता है कि भूत उन्हें भी खत्म कर दे। कोई भी इस किले के आसपास अपना घर नहीं बनवाना चाहता है।
सभी लोग किले की आस-पास की धरती को श्रापित मानते हैं। यहां तक की जो इक्का दुक्का लोग पहले यहां रहा भी करते थे उन सभी ने उन घरों को छोड़ दिया। वह सोचते थे कि अगर वह किले के आस-पास रहे तो भूत उनके शरीर पर कब्ज़ा कर लेंगे। इसलिए वह सभी घर वीरान बन गए। वह घर अब खंडहर के रूप में तब्दील हो गए हैं। भानगढ़ का किला डरावनी कहानियों के लिए जाना जाता है। सभी लोगों का मानना है कि शाम होने के बाद इस किले में खतरनाक आत्माएं भटकती है। शाम होने के बाद इस महल के आसपास किसी की भी घूमने की हिम्मत नहीं होती।
इस किले के पीछे कई रहस्यमयी कहानियां छुपी है। लेकिन दो कहानियां बहुत ज्यादा प्रचलित है। एक कहानी यह कहती है कि एक समय इसी जगह पर बाला नाथ का एक तपस्वी रहा करता था। वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। कहते हैं कि उसे सिद्धि प्राप्त थी। एक दिन आमेर के राजा भगवत दास भानगढ़ में आए। राजा को वह जगह बहुत ज्यादा पसंद आई। राजा ने निर्णय लिया कि वह भानगढ़ में ही किला तैयार करवाएगा।
लेकिन आस-पास रहने वाले लोगों ने राजा को कहा कि वह बाला नाथ की आज्ञा लेकर ही किला तैयार करवाएं। राजा ने बाला नाथ की आज्ञा ली और किले को तैयार करवाना शुरू किया। पर बाला नाथ ने किला तैयार करवाने से राजा को यह सख्त हिदायत दी थी कि किले को उसके तपस्या स्थान से बिल्कुल भी ऊंचा नहीं बनवाया जाए। सूरज की रोशनी से ही उसका तपस्या स्थान बहुत सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है।
अगर किला तपस्या स्थान से ऊंचा बना तो वह सूरज की रोशनी प्राप्त नहीं कर पाएगा। राजा ने अपने कारीगरों को यह कहा कि किला तपस्या स्थान से बिल्कुल भी ऊंचा नहीं जाना चाहिए। कारीगरों ने कुछ दिन तक इस बात को अमल किया। लेकिन थोड़े ही दिन बाद किले की दीवार तपस्या स्थान से ज्यादा बड़ी बन गई। जैसे ही दीवार ऊंची बनी तपस्वी ने राजा को श्राप दे दिया कि, “मेरे कहने के बावजूद भी दीवार ऊंची बनाई गई। यह मेरा बहुत बड़ा अपमान है। मैं इस जगह को श्राप देता हूं कि यह जगह कभी भी फल फूल नहीं पाएगी।”
दूसरी प्रसिद्ध कहानी कुछ और ही बयां करती है। कहते हैं कि भानगढ़ किले में एक बहुत ही सुंदर राजकुमारी रहा करती थी। उस राजकुमारी की खूबसूरती की चर्चा दूर दूर तक फैली हुई थी। राजकुमारी का नाम रत्नावती था। हर कोई राजकुमारी से शादी करने की इच्छा रखता था। लेकिन राजकुमारी ने किसी से भी शादी नहीं की। राजकुमारी हर किसी के शादी का प्रस्ताव ठुकरा देती थी। लेकिन एक दिन कुछ अनोखा हुआ।
हर दिन की तरह राजकुमारी अपनी सहेलियों ले साथ बाजार घूमने गई हुई थी। राजकुमारी कुछ सामान खरीद ही रही थी कि अचानक एक तांत्रिक की नजर राजकुमारी पर पड़ गई। उस तांत्रिक को रत्नावती बहुत पसंद आई। वह राजकुमारी पर मोहित हो गया। जब से तांत्रिक ने राजकुमारी को देखा तब से उसने राजकुमारी को अपना बनाने की योजना बनानी शुरू कर दी। वह हर पल रत्नावती के ख़्यालों में डूबा रहता।
एक दिन उसे पता चला कि राजकुमारी चमेली के तेल से मालिश करवाती है। फिर क्या था तांत्रिक ने चमेली का तेल खरीदा और उस तेल पर टोना टोटका कर दिया। वह सोच रहा था कि जैसे ही राजकुमारी अपने शरीर पर यह तेल लगाएगी ठीक उसी समय वह उसके प्यार में पड़ जाएगी। उसने चतुराई से वह तेल राजकुमारी के महल में भिजवा दिया।
लेकिन उस तांत्रिक को यह पता नहीं था कि राजकुमारी को भी तंत्र विद्या की जानकारी थी। जैसे ही राजकुमारी को भनक पड़ी कि चमेली के तेल पर टोना टोटका हो रखा है उसने उसी समय वह तेल की शीशी जमीन पर गिरा दी। फिर उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि किसी भी हाल में दोषी को गिरफ्तार कर लिया जाए।
सैनिकों ने तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया और राजकुमारी के सामने पेश कर दिया। राजकुमारी ने आदेश दिया कि उस दोषी तांत्रिक को फांसी पर लटका दिया जाए। मरने से पहले उस तांत्रिक ने श्राप दिया कि यह भव्य किला खंडहर में तब्दील हो जाएगा। यहां पर रहने वाला एक एक व्यक्ति मारा जाएगा। हर कोई इस जगह पर आने से घबराएगा।
बस उसी दिन से भानगढ़ किले को तांत्रिक का श्राप लग गया था। कहते हैं कि किले पर आज भी बहुत सी आत्माएं भटकती है। वहां पर शाम होने के बाद कोई भी नहीं जाना चाहता है। कहते हैं कि उस तांत्रिक के श्राप के चलते वहां पर राजकुमारी की आत्मा आज भी भटकती है। कहते हैं कि जो कोई भी वहां रात को रुकता है वो सुबह तक मरा हुआ पाया जाता है। लोगों को किले में रोने की आवाजें आती है। कभी-कभी घुँघरू भी बजते हुए सुने जाते हैं। अब यह हकीकत है या फिर फ़साना यह तो कुदरत को ही पता है। लेकिन कुछ तो गलत है भानगढ़ किले में जो सभी को वहां आने से रोकता है।
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