भूतों की कहानी-7 “कुलधरा गाँव की कहानी”

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Ekta Ranga

राजस्थान अपनी शानो शौकत के लिए जाना जाता है। राजस्थान का इतिहास बहुत ही शानदार रहा है। यहां आपको खूब सारे किले, हवेलियां देखने को मिल जाएगी। राजस्थान की शान बढ़ाते हैं जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, उदयपुर, कोटा, जयपुर और अजमेर जैसे नगर। राजस्थान के खाने का स्वाद ही कुछ निराला होता है।

सभी दुनिया के लोग राजस्थान में खाने का आनंद लेने आते हैं। राजस्थान की मिट्टी में कुछ अपनापन सा छुपा है। यह धरती सभी सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। विदेशी पर्यटकों को राजस्थान के धोरे भी खूब पसंद आते हैं। राजस्थान के तीज त्यौहार भी सभी को खूब आकर्षित करते हैं। राजस्थान की धरती ने महाराणा प्राप्त और राणा सांगा जैसे वीर योद्धाओं को भी जन्म दिया। यह धरती इन वीर योद्धाओं के साहस की गाथा गाती है।

राजस्थान की जितनी ज्यादा तारीफ़ की जाए उतनी ही कम है। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान जैसा राज्य हवेली और खानपान के अलावा अपने अनोखे किस्से कहानियों के लिए भी जाना जाता है। क्या आपको पता है कि राजस्थान में कई ऐसी भी जगहें हैं जो भूतों के निवास के लिए जानी जाती है।

इनमें सबसे ज्यादा मशहूर जगहें हैं भानगढ़ का किला और कुलधरा का गांव। हमनें पिछली पोस्ट में भानगढ़ के किले का इतिहास जाना। आज की इस पोस्ट में हम कुलधरा के श्रापित गाँव के बारे में जानेंगे। यह गाँव भूतों की वजह से बहुत बदनाम है। तो आइए आज हम कुलधरा के श्रापित गाँव के बारे में जानकारी जुटाते हैं।

भानगढ़ के किले के बाद अगर कोई दूसरा भूतिया गांव है तो वह है कुलधरा। आज कुलधरा लोगों के लिए कौतूहल का एक विषय है। दूर दूर से लोग इस जगह को देखने आते हैं। कुलधरा गाँव की कहानी बहुत अनोखी है। एक समय ऐसा भी था जब यह गाँव सबसे ज्यादा समृद्ध हुआ करता था।

अब आप सोच रहे होंगे कि एक समृद्ध गाँव कैसे खंडहर में तबदील हो गया। इसके पीछे कई कहानियां और किस्से हैं। लोगों का कहना है कि एक बहुत समय पहले कुलधरा गाँव में एक आदमी घूमता हुआ पहुंचा था। उसका नाम कधान था। वह पालीवाल ब्राह्मण जाति से संबंध रखता था। सबसे पहले वह ही इस गाँव में आकर बसा था। उसके बाद धीरे-धीरे पालीवाल जाति के अन्य ब्राह्मण भी यहां आकर बसने लगे।

अब बात यहां आती है कि इतने रचने बसने के बाद आखिर क्यों यह गाँव श्रापित हो गया? दरअसल इस गाँव की समृद्धि दूर दूर तक फैली हुई थी। लोग सोचते थे कि आखिर यह गाँव इतना वैभवशाली कैसे है। उस समय इस गाँव के समीप ही सरस्वती नदी भी बहती थी। सन 1800 तक तो इस गाँव में सब कुछ अच्छा चल रहा था।

लेकिन लगता है कि उस समय इस गाँव की खुशियों को शायद किसी की नजर लग गई थी। हुआ यूं कि गाँव का जो मुखिया था उसकी बेटी बहुत ज्यादा रूपवती थी। उसकी सुंदरता की खबर जैसलमेर के राज्य मंत्री तक भी पहुंच गई। मंत्री का नाम सलीम सिंह था। सलीम सिंह बहुत ही बुरा व्यक्ति था। वह गाँव के लोगों से अतरिक्त कर वसूली करता था। अतरिक्त कर वसूली के चलते लोग उससे परेशान रहने लगे थे। लेकिन इस बार बात हद से ज्यादा बढ़ गई थी। इस बार उसने गाँव की बेटी पर ही बुरी नजर रख ली थी।

इस बार उसने गाँव के लोगों को यह धमकी दी कि अगर गाँव वालों ने उसकी शादी मुखिया की बेटी से नहीं करवाया तो वह सभी के जीवन को उजाड़ देगा। जैसे ही यह खबर मुखिया तक पहुंची तो वह आग के समान गुस्से में तपने लगा। उसने कहा कि वह मरना पसंद करेगा लेकिन अपनी बेटी को उस दरिंदें के हाथों नहीं सौंपेगा। गाँव वाले भी अपने मुखिया की बात से सहमत थे। अब सलीम सिंह तो जिद पर ही अड़ गया था कि उसे मुखिया की बेटी से ही शादी करनी है।

सलीम सिंह की ऐसी जोर जबरदस्ती देखकर गाँव वालों ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने तय किया कि वह इस बसे बसाए गाँव को त्याग देंगे। आखिरकार उन सभी गाँव वालों ने अपने सामान बांधे और उस गाँव को छोड़कर रवाना हो गए। क्योंकि उस समय आधी रात थी इसलिए किसी को यह पता तक नहीं चल चला कि सभी लोग गाँव छोड़कर चले गए थे।

गाँव छोड़ने से पहले लोगों ने गाँव को यह श्राप दे दिया था कि आज के बाद से कुलधरा गाँव में कोई भी नहीं रह पाएगा। जो कोई भी इस गाँव में बसना चाहेगा उसका विनाश हो जाएगा। उस रात को गाँव से तकरीबन 5 हजार से भी ज्यादा लोग रातों रात गाँव से गायब हो गए थे। उस दिन के बाद से वह गाँव एक श्रापित गाँव के रूप में देखा जाने लगा। आज भी वह गाँव वीरान पड़ा है। उस गाँव में कोई भी रहने नहीं आता है। किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि वह अपना घर कुलधरा गाँव में बना सके।

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