चंपकवन नाम का एक बड़ा सा जंगल हुआ करता था। उस वन में खूब सारे जानवर और पक्षी रहा करते थे। वहां के जानवर बिना कोई परेशानी जंगल में रहा करते थे। सारे पशु-पक्षी प्रेम और सौहार्द के साथ रहा करते थे। उस जंगल में सभी जानवर एक दूसरे को बहुत सहयोग करते थे। उस जंगल में कोई भोला जानवर रहता था तो कोई बुरा जानवर रहता था। उन भोले जानवरों में हिरण जैसे जानवर थे। तो बुरे जानवरों में बाघ और शेर जैसे जानवर रहा करते थे। बुरे जानवर अक्सर अच्छे जानवरों को तंग किया करते थे।
बुरे जानवर पूरे जंगल में अपना आतंक फैलाया रखते थे। अच्छे जानवरों के बीच ऐसे बुरे जानवरों का खौफ था। एक दिन एक हिरण बहुत प्यासा था। वह अपनी प्यास मिटाने के खातिर तालाब के पास आया। फिर वह जैसे ही पानी पीने लगा उसे लगा कि कोई जानवर उसके पीछे खड़ा है। लेकिन जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वहां कोई नहीं था। लेकिन जब उसे फिर से किसी के कदमों की आहट सुनाई दी तो उसने फिर से पीछे मुड़कर देखा। इस बार उसने देखा कि सामने एक बाघ खड़ा था। बाघ ने जल्दी से हिरण पर हमला किया और हिरण वही ऐन मौके पर मर गया। आखिरकार बाघ ने अपना शिकार कर लिया।
अब ऐसा हर रोज होने लगा था। ऐसा होने पर जानवरों के मन में और भी अधिक डर बैठ गया। उन्हें लगने लगा कि अब सभी जानवर एक एक करके मारे जाएंगे। बाघ हर दिन तालाब के पास आता और वहां पर आकर हर रोज हिरण का शिकार कर लेता। अब हिरणों को बाघ से डर लगने लगा। अब जब भी बाघ तालाब के पास आता तो सारे हिरण पहले से ही डरकर कहीं और भाग जाते थे। बाघ को गुस्सा आता था कि वह अब हिरणों को मारने में असमर्थ क्यों हो रहा है। बाघ ने सोचा कि अब कोई बड़ी योजना बनानी होगी जिससे कि वह हिरणों का आसानी से शिकार कर सके।
इस बार बाघ ने बहुत बड़ी योजना रची। उसने देखा कि जंगल में खूब सारी लाल मिट्टी पड़ी थी। बाघ ने उस मिट्टी को उठाया और थोड़ी सी मिट्टी अपने शरीर पर लगा ली। जैसे ही उसने वह मिट्टी अपने शरीर पर लगाई उसका शरीर भूरा हो गया। फिर उसने सारी मिट्टी अपने शरीर पर डाल ली। शरीर पर मिट्टी डलने से वह खुद मिट्टी जैसा ही दिखने लगा। तभी उसने देखा कि एक चिड़िया उसपर आकर आराम से बैठ भी गई। जब बाघ ने मिट्टी से अपना चेहरा निकाला तो चिड़िया उसे देखकर डर गई और वह फुर्र से उड़ गई। अब बाघ को समझ आ गया था कि उसे क्या करना था।
अगले दिन बाघ अपने शिकार की प्रतीक्षा में अपने आप को मिट्टी से ढककर बैठ गया। हिरणों को यह भनक तक नहीं थी कि बाघ उस मिट्टी के नीचे छुपकर बैठा था। हिरण बिना बाघ के डर के पानी पीने तालाब के पास पहुंचे। मिट्टी के नीचे दबा हुआ बाघ अपने शिकार पर घात लगाए बैठा था। उसकी नजर फुर्ती से एक मोटे ताजे हिरण पर गई। जब सभी हिरण पानी पीने में व्यस्त थे तो बाघ ने झटपट उस भरे हुए शरीर वाले हिरण पर छलांग लगाई। बाघ को देखकर हिरणों में अफरा-तफरी मच गई। आखिरकार बेचारा हिरण मारा गया। बाघ उसे खा गया। सभी हिरण दूर जाकर जोर जोर से रोने लगे। उनका एक और साथी आज बाघ के भेंट चढ़ गया था।
उन सभी हिरणों को एक साही ने रोते हुए देख लिया था। वह उनके पास गया और बोला, “मित्रों, मुझे पता है कि आज तुम लोगों के साथ कितना बुरा हुआ है। तुम लोगों ने आज अपने एक सच्चे मित्र को खो दिया है। पर तुम सब विलाप मत करो। मैंने उस बाघ को देखा कि वह कैसे मिट्टी के नीचे दबा हुआ बैठा था और कैसे उसने तुम लोगों पर हमला किया। वह तुम सभी का कितने समय से शिकार करता आ रहा है। लेकिन अब समय आ गया है कि उसको सबक सिखाया जाए।” सभी हिरणों ने पूछा कि उस बाघ कैसे सबक सिखायेंगे? वह बाघ तो बहुत ही ताकतवर है। तब साही ने कहा कि वह अपने दूसरे दोस्तों के साथ मिलकर उस बाघ को हरा देगा।
फिर अगले दिन वह साही अपने अन्य दोस्तों के साथ उसी जगह पर आया जहां पर वह बाघ मिट्टी में दबकर छुपता था। वह सभी साही मिट्टी खोदकर उसके नीचे दब गए। फिर थोड़ी देर बाद वह बाघ वहां पहुंचा। आज जैसे ही वह बाघ मिट्टी को अपने पूरे शरीर पर डालकर मिट्टी के नीचे छुपने लगा ठीक उसी समय साही की फौज ने बाघ पर हमला बोल दिया। हमले से बाघ छटपटाने लगा। हमला इतना तेज था कि बाघ की कुछ ही समय में मौत हो गई। जैसे ही उस बाघ की मौत हुई, सभी हिरण जश्न मानते हुए वहां पहुंचे। वह सभी बहुत हैरान थे कि कैसे एक छोटे से दिखने वाले जीव ने एक विशालकाय बाघ को हरा दिया।
इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में बल होता है। सोच और समझदारी से किया गया काम हमेशा सफल होता है।
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