एक जंगल था जो बहुत बड़ा था। उस जंगल में अनेकों पशु पक्षी रहते थे। लेकिन किसी भी जानवर में आपसी सौहार्द नहीं था। सभी जानवर जंगल के राजा शेर के पास शांति और प्रेम की भीख मांगने जाते थे। लेकिन कोई भी हल नहीं निकल पाता था। कोई भी जानवर एक दूसरे के साथ बैठना बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था।
उन्हीं जानवरों में एक ऐसा जानवर भी था जो जंगल में शांति चाहता था। वह जानवर मुर्गा था। वह मुर्गा बहुत ही ज्यादा समझदार था। उस मुर्गे की आवाज से सारे जंगल के पशु पक्षी उठ जाते थे। वह मुर्गा जंगल के सभी जानवरों का हित चाहता था।
उस मुर्गे की बहुत अच्छी आदतें थी। वह मुर्गा पूरे जंगल में सबसे पहले उठता था। फिर वह मुर्गा नहा धोकर अपने खाने की तलाश में निकलता था। जंगल के सारे जानवर उसकी आदतों को खूब सराहते थे। वह सभी मुर्गे की आदतों से बहुत प्रभावित थे।
एक दिन हर दिन की ही तरह वह मुर्गा अपना भोजन लेकर शाम को जंगल लौटा। वह नीम के पेड़ पर आकर बैठ गया। पेड़ पर बैठते ही वह गुनगुनाने लग गया। तभी वहां पर अचानक एक लोमड़ी शिकार ढूँढते हुए आई। उसे कोई अच्छा शिकार नहीं मिल रहा था आज।
वह थकी हारी लोमड़ी नीम के पेड़ के नीचे आकर बैठ गई। फिर उस लोमड़ी ने अपनी नज़रे पेड़ के ऊपर दौड़ाई तो उसने देखा कि वह मुर्गा पेड़ पर बैठा आराम से गुनगुना रहा था। उसे ऐसे खुश देखकर लोमड़ी को उससे ईर्ष्या हुई। लोमड़ी ने सोचा कि कितना मोटा तगड़ा है यह मुर्गा।
इसके शरीर को देखकर लगता है कि इसे कोई भी रूप से भोजन की कमी नहीं है। फिर पेड़ के नीचे बैठे बैठे लोमड़ी के मन में लालच जाग गया। उसने सोचा कि क्यों ना इस तगड़े मुर्गे को खा लिया जाए। पर लोमड़ी ने सोचा कि वह मुर्गा उसकी पकड़ में कैसे आएगा। लोमड़ी मुर्गे का शिकार करने की योजना बनाने लगी।
थोड़ी देर तक सोच विचार करने के बाद उसके दिमाग में एक योजना आई। योजना के अनुसार उसने मुर्गे से कहा, “अरे ओ मुर्गे भाई! कहो तुम कैसे हो?” मुर्गे ने कहा, “मैं एकदम अच्छा हूं। मुझे क्या हुआ होगा।” फिर लोमड़ी ने पूछा, “मैं लगातार कई देर से यह देख रही हूं कि तुम गुनगुना रहे हो। क्या कोई खास बात है?” मुर्गा बोला, “नहीं, कोई खास बात नहीं है। दरअसल जब भी मैं मन से खुश होता हूं तो मैं अक्सर गुनगुनाता हूं।” फिर लोमड़ी बोली, “तो अब मैं जो तुम्हें खबर सुनाने वाला हूं उसे सुनकर तुम और भी ज्यादा गुनगुनाओगे।” मुर्गा खुश होते हुए बोला, “ऐसी क्या बात है। जरा मुझे भी बताओ।”
लोमड़ी ने कहा, “मैंने सुना है कि तुम कुछ खास करना चाहते हो। क्या यह सही है।” मुर्गा बोला, “हाँ, यह एकदम सही है। मैं चाहता हूं कि पूरे जंगल के जानवर आपस में मिलजुलकर रहे। सभी एक दूसरे से प्रेमपूर्वक व्यवहार करे।” इस बात पर लोमड़ी बोली, “तुम्हारी मुराद तो पूरी हुई।
दरअसल जंगल के राजा शेर ने यह ऐलान किया है कि आज से जंगल के सारे जानवर आपस में मिलकर रहेंगे। अब कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होगा। और ना ही कोई किसी को नुकसान पहुंचाएगा।” तभी मुर्गे ने उछलकर कहा, “अच्छा, तो आखिरकार राजा ने यह ऐलान कर ही दिया। शायद शेर राजा इस बात से बहुत ज्यादा खुश है इसलिए वह इधर हम दोनों से मिलने आ रहे हैं।
“जैसे ही लोमड़ी ने सुना कि शेर उनकी तरफ आ रहा है तो उसने एक मिनट भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह दुम दबाकर भाग निकली। मुर्गे को खुद पर गर्व हो रहा था कि उसने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके खुद की जान बचा ली थी। दरअसल पीछे से कोई शेर नहीं आया था। मुर्गे को पता था कि वह लोमड़ी उसे खाने के लिए आई थी। बस इसलिए मुर्गे ने यह अच्छी चाल चली।
इस कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें मुश्किल समय में कभी भी घबराना नहीं चाहिए। हमें मुश्किल समय में समझदारी से काम लेना चाहिए।
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