आनंदवन नाम का एक बहुत बड़ा जंगल था। उस जंगल में खूब हरियाली थी। उस जंगल में खूब सारे जानवर रहा करते थे। उन सभी जानवरों में खूब संपत थी। उन जानवरों में एक कबूतर का झुंड भी रहा करता था। उस झुंड में खूब सारे कबूतर एक साथ रहा करते थे।
उन कबूतरों के बीच आपस में बहुत प्रेम था। कबूतरों के उस झुंड में एक बूढ़ा कबूतर भी था जो कि उस झुंड का सरदार था। सारे कबूतर उस सरदार से पूछकर अपना सारा काम किया करते थे। वह बूढ़ा कबूतर बहुत ज्यादा समझदार था। उस बूढ़े कबूतर की सलाह हर कोई लिया करता था।
क्योंकि उस बूढ़े कबूतर की उम्र ज्यादा हो गई थी इसलिए वह दाना पानी के लिए बहुत अधिक लंबी दूरी तय नहीं कर सकता था। इसी वजह से वह अपने कबूतर दोस्तों से कहता कि उसे दाना पानी यही ला दिया करो। सभी कबूतर उसे दाना पानी लाकर दिया करते थे।
अभी कुछ दिनों से एक बहेलिया अक्सर जंगल में आ रहा था। वह इतने दिनों से कबूतर के उस झुंड पर नजर बनाए रखा था। वह बहेलिया सोचा करता था कि काश यह सभी कबूतर अगर उसके चंगुल में फंस जाए तो उसे बहुत ज्यादा मुनाफा होगा। इसी लालच के चलते ही वह कबूतर को पकड़ने की अलग अलग योजनाएं बनाया करता था। लेकिन उसको समझ में नहीं आता था कि उसकी कौन सी योजना सफल होगी।
फिर एक दिन उस बहेलिए के दिमाग में एक गज़ब की योजना आई।योजना के अनुसार वह एक दिन जंगल आया। वह जंगल खाली हाथ नहीं आया था बल्कि वह अपने साथ एक बड़ा जाल भी लाया था। उस जाल को उसने उस पेड़ के नीचे बिछाया जहां पर सभी कबूतर रहा करते थे। क्योंकि उस समय सभी कबूतर दाना पानी लाने के लिए कहीं गए हुए थे इसलिए उसने उस समय जाल बिछाने की समझदारी दिखाई।
उसने जाल बिछाकर उसपर गेहूं के दाने बिखेर दिए। उसने सोचा कि अच्छा हुआ जो कबूतर यहां नहीं है। अब उन सभी को पकड़ने में आसानी होगी। लेकिन उस बहेलिए को यह नहीं पता था कि कबूतरों का सरदार उसे पेड़ के ऊपर बैठे चुपके से देख रहा था। उस बूढ़े कबूतर को यह समझ आ गया था कि वह बहेलिया कबूतरों को पकड़ने के खातिर जाल बिछा रहा था।
फिर जैसे ही वह बहेलिया दूसरा शिकार करने के लिए गया, वह बूढ़ा कबूतर बाहर निकल कर आ गया। वह अपने सभी कबूतर दोस्तों के लौटने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद वह सभी वहां आ गए। उन सभी ने अपने सरदार को दाना पानी दिया। फिर उन सभी की नजर उस जाल पर पड़ी जिसमें गेहूं के दाने बिछे हुए पड़े थे।
जैसे ही उन्होंने इतने सारे दाने एक साथ देखे उनके मन में हुआ कि क्यों ना वह उन दानों को चुग ले। उन सभी ने दाने चुगने के लिए अपने पंख फैलाए। पर कबूतर के सरदार ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। उसने कबूतरों को समझाया कि वह ऐसा नहीं करें। ऐसा करने पर वह सभी उस शिकारी के चंगुल में फंस जाएंगे। लेकिन कबूतरों ने उसकी एक भी ना सुनी। उन सभी को लगा शायद सरदार को कोई गलतफहमी हुई है।
वह सरदार की बात को अनसुना करके नीचे चले गए। उन सभी कबूतरों में से केवल एक ही कबूतर ऐसा था जिसने अपने सरदार की बात सुनी थी। वह अपने सरदार के पास ही बैठा रहा। फिर जैसे ही वह कबूतर दाना चुगने लगे कि उसी समय बहेलिया दौड़ता हुआ आया।
बहेलिए को देखकर कबूतर डर गए और वह उड़ने लगे। लेकिन वह उड़ नहीं पाए क्योंकि उन सभी के पंजे जाल में फंस चुके थे। अब कबूतरों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं बचा था। उन सभी को बहुत दुख हुआ कि उन्होंने कबूतर सरदार की बात नहीं सुनी थी। उन सभी ने सोचा कि आज उनका आखिरी दिन था। उन सभी ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर उस बहेलिए ने जाल समेटा और कबूतरों को लेकर रवाना हो गया।
जैसे ही वह बहेलिया थोड़ी दूर गया उसने देखा कि चूहों की सेना उसकी तरह दौड़ी आ रही थी। चूहे जल्दी से बहेलिए के जाल पर चढ़ गए। इतने सारे चूहों को देखकर वह डर गया और वहां से भाग खड़ा हुआ। बहेलिए के जाते ही चूहों ने पूरे जाल को कुतर दिया। ऐसा होते ही पूरे कबूतर आजाद हो गए। आजाद होते ही वह सीधे ही अपने सरदार के पास गए। उन सभी ने सरदार से माफ़ी मांगी। उन सभी ने यह भी पूछा कि इतने सारे चूहे एक साथ कैसे आए।
इस सवाल पर सरदार ने कहा कि, “तुम सभी मेरी बात को अनसुना करके दाना चुगने चले गए थे। लेकिन एक ही कबूतर मेरी बात मानकर मेरे पास रहा। मैंने उस कबूतर को फौरन चूहों की सेना के पास जाने के लिए कहा। यह कबूतर चूहों की सेना के पास गया और उन्हें सारी बात बता दी।
पूरी बात जानकर चूहे शीघ्र अतिशीघ्र उस बहेलिए तक आ पहुंचे। और उन सभी चूहों ने उस जाल को कुतर दिया। और फिर तुम सभी आजाद हो गए। अब सारे कबूतर खुद पर शर्मिंदा थे। उन्होंने यह स्वीकार किया कि बड़ों की बात नहीं मानने से बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
कहानी की सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनों से बड़ों की बात को हमेशा मानना चाहिए। हमारे बड़े हमसे दो गुना ज्यादा समझदार होते हैं। हमारे बड़ों को सब चीज की अच्छे से परख होती है। इसलिए हर काम उनके कहे अनुसार करना चाहिए।
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