नैतिक कहानी 15 लालची पत्नी की कहानी

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Ekta Ranga

नंदपुर गाँव में एक दंपति रहता था। पति का नाम सोमनाथ था। और पत्नी का नाम विद्या था। उन दोनों पति पत्नी का एक लड़का था। उस लड़के का नाम मोहन था। मोहन अपने माता पिता की इकलौती संतान था। वह बहुत ही ईमानदार लड़का था। सोमनाथ और विद्या की आंखों का तारा था मोहन। मोहन मेहनती और दयालु स्वभाव का था। धीरे-धीरे मोहन बड़ा हो रहा था। जैसे-जैसे वह बड़ा हो रहा था उसके लिए खूब सारे रिश्ते आने शुरू हो गए थे।

एक दिन मोहन के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया। लड़की जमींदार की बेटी थी। उस लड़की का नाम उर्मिला था। मोहन के माता-पिता को यह रिश्ता बहुत पसंद आया। उन्होंने मोहन की शादी उर्मिला से करवा दी। मोहन को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी पत्नी एक लालची औरत थी। शादी के बाद उसने ऐसी कई हरकतें की जिससे मोहन को पता चल गया कि वह हर बात में लालच को महत्व देती है। लेकिन बेचारा मोहन करता तो भी क्या करता। आखिर उर्मिला उसकी पत्नी जो थी।

एक दिन की बात है जब मोहन तालाब के पास बैठा किसी गहरे विचार में डूबा हुआ था। वह अपने दिमाग में भविष्य को लेकर बहुत सी योजनाएं बना रहा था। तभी उसको किसी के सिसकने की आवाज सुनाई दी। उसने आस-पास नज़रे दौड़ाई तो पाया वहां कोई नहीं था। फिर कुछ मिनट तक उसको कोई आवाज नहीं सुनाई दी।

लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसने फिर से सिसकने की आवाज सुनी। इस बार वह तालाब के दूसरे किनारे पर गया। वहां उसने देखा कि एक सुनहरी मछली ज़मीन पर गिरी हुई तड़प रही थी। उसने मछली से जब रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि, “एक मछुआरा मछलियां पकड़ने आया था।

वह अपने साथ खूब सारी मछलियां पकड़कर ले गया था। उन मछलियों में से में भी थी। सौभाग्य से में उस मछुआरे की टोकरी से गिर गई। मेरा भाग्य अच्छा था कि मैं बच गई। लेकिन गिरने की वजह मुझे काफी चोट भी आ गई। पता नहीं मैं अब बचूंगी या नहीं। मेरे छोटे छोटे बच्चे मेरा इंतजार कर रहे होंगे।”

ऐसा कहते ही वह फिर से रोने लगी। मोहन बहुत ज्यादा दयालु था। उसे मछली पर दया आ गई। क्योंकि मोहन एक अच्छा वैद्य था इसलिए वह उस मछली को उपचार हेतु अपने घर ले गया। उसने मछली का अच्छे से उपचार किया और उसे दुबारा तालाब में छोड़ने के लिए ले गया। जैसे ही मोहन ने उस मछली को तालाब में छोड़ा वह बहुत ज्यादा खुश हुई।

उसने मोहन को आशीर्वाद दिया और पूछा, “तुम बहुत ही अच्छे और उदार दिल वाले हो। तुमनें मेरी जान बचाई। मैं तुम्हारी सेवा और ईमानदारी से बहुत खुश हुई। मैं जादुई मछली हूं।अब तुम मेरे से कोई वरदान मांगो।” मोहन लगातार उस मछली को टकटकी लगाए देखता रहा।

फिर उसने मछली से कहा कि, “फिलहाल तो मेरे दिमाग में कोई वरदान नहीं आ रहा है।” इस बात पर मछली बोली, “ठीक है। तुम अपने घर जाओ और सोचो कि तुम क्या वरदान मांगना चाहते हो। अब तुम कल यहां दोबारा आना और मुझे बताना कि आखिर तुम क्या वरदान मांगना चाहते हो। मैं तुमसे खुश हूं और तुम्हें वरदान देना चाहती हूं।” मोहन ने कहा कि वह कल सोचकर वरदान मांगेगा।

वह अपने घर गया और उसने सारी बात अपनी पत्नी को बता दी। जादुई मछली की बात सुनते ही उसके मन में लालच जाग उठा। उसने अपने पति से कहा कि मछली से वरदान मांगना कि हमें एक नया और बड़ा घर चाहिए। मोहन अगली सुबह मछली के पास गया और उससे खुद के लिए नए और बड़े घर का वरदान मांगा।

मछली ने तथास्तु कहा। जब मोहन दोबारा घर गया तो उसने देखा कि उसका घर नया बन चुका था। उसे और उसकी पत्नी को बहुत खुशी हुई। कुछ दिन तक उन दोनों ने नए घर का आनंद लिया। फिर थोड़े दिन बाद मोहन की पत्नी को और लालच आया।

इस बार उसने अपने पति से कहा कि वह उस मछली से घर के हिसाब से सारी सुविधाएं मांगे। मोहन ने ऐसा ही किया। मछली के वरदान से उनके घर में सारी सुख सुविधाएं हो गई। फिर थोड़े दिन तक सुख सुविधाओं का आनंद उठाने के बाद उर्मिला के मन में आया कि वह अब इस घर को महल में बदलते हुए देखना चाहती है। और वह खुद को महारानी के रूप में देखना चाहती है।

मोहन अपनी पत्नी की इस बड़ी आकांक्षा को लेकर मछली के पास गया। मछली ने मोहन के घर को महल में बदल दिया। अब मोहन की पत्नी भी महारानी बन गई थी। फिर कई दिन महारानी के रूप में सभी राजसी सुविधाओं का आनंद उठाने के बाद उर्मिला के मन में और अधिक लालच आ गया। उसने अपने पति से कहा कि, “जाओ उस मछली से जाकर कहो कि उर्मिला समस्त ब्रह्मांड की रानी बनना चाहती है।

“जैसे ही मोहन ने यह बात सुनी उसे अपनी पत्नी पर गुस्सा आ गया। उसने उर्मिला से कहा, “अरे, ओ, लालची औरत। तुम्हारा लालच तो दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। मैं तो मछली से यह वरदान नहीं मांगूंगा। अगर तुम्हें मंगाना है तो तुम जाओ मछली के पास।” उर्मिला ने अपने पति का विरोध किया। और कहा कि उसके पति को मछली से यह वरदान मांगना होगा। नहीं तो वह अपनी जान दे देगी।

मोहन को अपनी पत्नी की जिद के आगे हार माननी पड़ी। उसने जब मछली से कहा कि उसकी पूरे ब्रह्मांड की महारानी बनना चाहती है। तब मछली ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। लेकिन मोहन ने कहा कि उसकी पत्नी इस बात के लिए जिद कर रही है। अगर उसकी जिद पूरी नहीं हुई तो वह अपनी जान दे देगी।

मछली ने इस बात पर ज्यादा कुछ नहीं बोला और मोहन को तथास्तु बोल दिया। मोहन भी थोड़े दुखी मन के साथ घर पहुंचा। जब वह वहां पहुंचा तो उसने देखा कि वहां राजमहल की जगह उसका पुराना घर खड़ा था। उसकी लालची पत्नी लगातार रोए जा रही थी। लेकिन मोहन बहुत खुश था कि उसकी पत्नी को लालच का सबक मिल गया था।

इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। क्योंकि लालच का फल हमेशा बुरा होता है।

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