एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। उस जंगल में अनेकों प्रकार के पशु और पक्षी निवास किया करते थे। वहां सभी जानवर एकता के साथ रहते थे। कोई भी एक दूसरे से जलन नहीं किया करता था। लेकिन उसी जंगल में दो सियार भाई भी रहते थे जो कि बहुत चालाक थे। उन दोनों को जंगल के राजा शेर से बहुत ज्यादा ईर्ष्या थी।
वह हर पल यही सोचते कि कैसे वह शेर को हराकर खुद जंगल का राजा बन जाए। लेकिन शेर को हरा पाना बहुत मुश्किल था। आज तक उस शेर को कोई भी नहीं हरा पाया था। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना जंगल का राजा बनने की बजाए शेर का मंत्री ही बना जाए। पर उन दोनों को शेर के सामने जाने से डर भी लग रहा था। उन्होंने शेर से मुलाकात करने की कई बार तरकीब सोची। लेकिन वह हर बार विफल रहे।
लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे उन दोनों भाइयों की किस्मत बदलने वाली थी। हुआ यूं कि एक दिन वह दोनों अतिरिक्त प्यास के चलते एक नदी पर पानी पीने पहुंचे। वह पानी पी ही रहे थे कि अचानक उनको एक अजीबोगरीब जानवर की आवाज सुनाई दी। उन्होंने जब पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वहां कोई नहीं था।
लेकिन थोड़ी ही देर बाद में वहां फिर से आवाज आई। इस बार जब उन्होंने फिर से पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि सामने से एक जंगली भैंसा आ रहा है। उन दोनों ने भैंसे की ऐसी आवाज पहली बार ही सुनी थी। वह दोनों भाई डर के मारे फुर्ती से झाड़ियों के पीछे जाकर छुप गए। वह जंगली भैंसा पानी पीने के लिए नदी के पास पहुंचा और पानी पीने लगा।
फिर उन दोनों भाइयों ने देखा कि पीछे से शेर भी पानी पीने नदी की ओर बढ़ रहा था। लेकिन शेर ने जैसे ही उस जंगली भैंसे की आवाज सुनी वह डर के मारे वहां से भाग खड़ा हुआ। क्योंकि वह भैंसा आम जंगली भैंसों से थोड़ा और भारी था इसलिए शेर को लगा कि वह उसे हरा देगा। शेर को ऐसे डर में देख उन दोनों सियार को लगा कि शेर को भैंस के खिलाफ भड़काने का यह सही समय है।
वह दोनों शेर के पास गए और बोले, “महाराज आज हमनें आपको नदी की तरफ जाते हुए देखा।” शेर बोला, “तुम दोनों पहेलियां मत बुझाओ और साफ साफ बताओ कि तुम कहना क्या चाहते हो?” दोनों बोले, “जी, महाराज वो हमनें आपको नदी की ओर जाते तो देखा ही था। साथ ही साथ यह भी देखा कि आप उस भैंस को देखकर पीछे हट गए।
महाराज आपको ऐसा नहीं करना था। क्योंकि अब वह भैंसा अपने आप को जंगल का राजा मान बैठेगा।” शेर ने दहाड़ते हुए कहा, “तुम दोनों की इतनी हिम्मत कि तुम मेरे से जुबान लड़ा रहे हो। क्या तुम नहीं जानते कि तुम जंगल के राजा से बात कर रहे हो?” दोनों बोले, “हम यह अच्छे से जानते हैं महाराज।
लेकिन आप एक बार उसके सामने जाकर उसे फटकार तो लगाइए। आगे से वह इतने आवाज में बोलना का साहस नहीं करेगा।” शेर को उन दोनों की बात कहीं ना कहीं सही लगी। इसलिए वह जंगली भैंसे से मिलने उसके घर पहुंचा। वहां पहुंचकर उस शेर ने देखा कि वह भैंसा डकारा नहीं। बल्कि उसने प्रेम से शेर से बात की। शेर का गुस्सा भी अब शांत हो गया था। धीरे-धीरे उन दोनों में दोस्ती बढ़ गई।
जब यह बात सियारों को पता चली तो उन दोनों के गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने सोचा कि अब तो शेर पक्का ही भैंसे को अपना मंत्री नियुक्त कर लेगा। अब उन दोनों ने शेर और भैंस को लड़वाने की सोची। एक दिन वह दोनों पहले शेर के पास गए। शेर के पास जाकर उन्होंने कहा कि, “महाराज हम आपसे कोई जरूरी बात करने आए हैं।
शेर बोला, “हाँ, बोलो तुम क्या कहना चाहते हो। पर कोई निरर्थक बात मत बताना। जैसे कि तुम पहले बता चुके हो।” सियार बोला, “महाराज, कल हम जब अपने घर की ओर जा रहे थे तो हमनें सुना कि वह भैंसा आपको मारने की योजना बना रहा है। हमें यह भी पता चला कि वह आपको मारकर जंगल का राजा बनना चाहता है।” शेर बोला, “तुम मुझसे झूठ बोलने का प्रयास कर रहे हो।
“सियार बोला, “नहीं महाराज हम आपसे झूठ बोलने का प्रयास क्यों करेंगे। हम एकदम सच कह रहे हैं। आप एक बार उसके पास जाकर तो देखिए।” शेर ने कहा, “अगर मुझे यह लगा कि तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो तो मैं तुम दोनों को मार डालूंगा।” सियार ने कहा, “ठीक है महाराज। अगर आपको लगा कि हम झूठ बोल रहे हैं तो आप हमें मौके पर ही मार डालना।” शेर ने कहा कि कल वह फैसला करेगा कि कौन झूठा है और कौन सच्चा।
शाम के समय दोनों सियार भैंसे के पास गए और उससे भी वही बात कही जो कि उन्होंने शेर को कही थी। भैंसे ने तो सियार की बातों का विश्वास भी कर लिया। अगली सुबह भैंसा शेर का इंतजार कर रहा था। वह गुस्से से लाल पीला हो रखा था। जैसे ही उसने देखा कि शेर वहां पहुंच चुका है उसने फुर्ती से शेर पर हमला कर दिया।
शेर को भी भयंकर गुस्सा आ रखा था। जैसे हो उस शेर ने उस भैंसे को गुस्से में देखा तो शेर यह मान गया कि दोनों सियार भाई सच बोल रहे थे। शेर ने आव देखा ना ताव और फुर्ती से भैंसे पर आक्रमण कर दिया। उन दोनों के बीच भारी मुठभेड़ हुई। और अंत में भैंसा मारा गया। अब सियार भाइयों का मंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों की कही बातों में नहीं आना चाहिए। अगर आज भैंसा सियार भाइयों की बात नहीं सुनता तो उसकी जान बच सकती थी।
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