एक बड़ा सा जंगल था। उस जंगल में हर पल जानवर और पक्षियों की चहल पहल बनी रहती थी। बहुत ही सुंदर वन था वह। हर कोई पक्षी और पशु उस वन में आने को आतुर रहता था। उसी वन में एक विशाल बरगद का पेड़ भी था। उसी बरगद के पेड़ पर एक बाज और एक कौवा रहा करता था। वह बाज बहुत ज्यादा फुर्तीला और सुंदर था। उस बाज को इधर-उधर उड़ान भरना बहुत ज्यादा पसंद था। कौवा भी उसी बरगद के पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बाज को हर दिन ऊंची उड़ान भरते देखता था।
कौवा बाज को ऐसे उड़ान भरते देख सोचा करता था कि काश वह भी ऊंचाई पर उड़ान भर सकता। यही नही वह बाज को बड़ी ही फुर्तीले अंदाज में शिकार करते भी देखता था। बाज ऊंचाई से जमीन पर आता और झट से अपने पंजे में शिकार को पकड़कर ले जाता। एक दिन वह कौवा बाज को शिकार करते हुए देख रहा था कि अचानक एक उल्लू भी कौवे के पास आकर बैठ गया।
कौवे को आकाश में टकटकी लगाए देखकर उल्लू ने पूछा, “क्या हुआ भाई तुम आकाश में टकटकी लगाए क्या देख रहे हो?” तो कौवे ने बाज की ओर इशारा कर दिया। उल्लू ने पूछा, “क्या तुम भी बाज की तरह उड़कर शिकार करना चाहते हो?” कौवा बोला, “हाँ, मैं यही चाहता हूं।” उल्लू बोला, “अगर तुम ऐसा सोचते हो तो तुम ऐसा नहीं कर सकते। हम किसी की भी नकल नहीं कर सकते हैं। सभी में अपनी अपनी खूबियां हैं।”
कौवे ने सोचा कि वह उल्लू उसे क्यों ज्ञान दे रहा था। कौवे को इतना आत्मविश्वास था कि वह भी बाज की तरह फुर्ती से शिकार कर सकता है। जब उल्लू ने देखा कि वह कौवा उसको अनसुना कर रहा है तब उल्लू ज्यादा देर बरगद के पेड़ पर ना रूककर फुर्र से उड़ चला। जब कौवे ने देखा कि उल्लू उड़ चला है तब जाकर उसने चैन की साँस ली। उसने खुद से कहा, “कितना ज्यादा ज्ञान दे रहा था वह उल्लू। बढ़िया हुआ कि वह यहां से चला गया।”
एक दिन सुबह के समय जंगल में खरगोश की एक टोली दाखिल हुई। इतने सारे खरगोश को एकसाथ में देखकर बहुत से जानवरों का मन ललचा गया। बाज भी उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। कौवे की नज़र भी उस टोली पर पड़ी। बाज उन खरगोशों पर घात लगाए बैठा था।
फिर कुछ समय बाद जब जंगल में शांति छा गई तब बाज ने आकाश में उड़ान भरी। बाज ने बहुत अधिक ऊंचाई से देखा कि एक प्यारा सा खरगोश अपने मांद से निकला। बाज ने बिना देरी करते हुए खरगोश पर झपटा मारा। अब खरगोश बाज की गिरफ्त में था और जल्दी ही बाज ने शिकार भी कर लिया। कौवा बाज पर लगातार नजर बनाए रखे हुए था। उसे बाज के शिकार करने का तरीका अच्छे से समझ में आ चुका था।
अगले दिन कौवा भी खरगोश का शिकार करने के लिए तैयार था। वह तो जागते हुए सपने ले रहा था कि कैसे वह खरगोश का शिकार करेगा और कैसे वह उसका नर्म नर्म मांस खाएगा। वह खरगोश के आने का इंतजार कर रहा था। फिर जैसे ही खरगोश अपनी मांद से बाहर निकल कर आया वह कौवा फुर्ती से बाज की भांति उड़ा। वह आकाश में बड़ी ही तेजी से उड़ रहा था।
उड़ता हुआ वह जमीन की ओर आने को था। कि तभी उसने देखा कि वह खरगोश पेड़ के पीछे की ओर चला गया। क्योंकि कौवा बड़ी ही तेजी से नीचे की ओर आ रहा था इसलिए वह अपना संतुलन खो बैठा। उसे बाज की तरह पलटी मारनी नहीं आती थी इसलिए वह जोर से पेड़ से टकराया और जमीन पर गिर पड़ा। उसे बहुत तेज चोट लगी। उसकी सारी हड्डी पसलियाँ टूट गई। क्योंकि उसे चोट बहुत गहरी लगी थी इसलिए उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी की नकल नहीं करनी चाहिए। हम जब दूसरों की नकल करते हैं तो इसमें घाटा हमारा ही होता है। हम जैसे हैं हमें वैसा ही रहना चाहिए।
अन्य नैतिक कहानियां (बच्चों के लिए) | यहाँ से पढ़ें |