नैतिक कहानी-29 “चतुर खरगोश”

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Ekta Ranga

चंपकवन नाम का एक विशाल जंगल था। वह जंगल दूर दूर तक विख्यात था। वह सकारात्मक तौर पर मशहूर नहीं था। बल्कि वह नकारात्मक तौर पर मशहूर था। इसके पीछे एक बड़ा कारण भी था। दरअसल उस जंगल का राजा शेर था। उस शेर से जंगल के सभी जानवर बहुत ज्यादा परेशान आ गए थे।

वह शेर बहुत ज्यादा क्रूर था। वह शेर जंगल के बहुत सारे जानवरों को खा जाता था। सभी जानवर उससे बहुत डरे हुए रहते थे। उनको हर पल यही भय लगा रहता था कि कही अगली बारी उनकी तो नहीं है। इसी भय के चलते वह चैन से सो तक नहीं पाते थे।

चंपकवन हमेशा से ही ऐसा नहीं था। इस गांव में खुशहाली भी हुआ करती थी। जब तक शेर ने वन में दाखिला नहीं लिया था तब तक सभी जानवर हंसी खुशी से अपना जीवन बिताया करते थे। लेकिन जैसे ही शेर इस वन में आया वैसे ही इस वन में चारों ओर दुख फैल गया। शेर हर दिन में बहुत सारे जानवर खा जाता था। उसे हर दिन ताजा मांस चाहिए था।

धीरे धीरे जब वन में जानवरो की कमी होने लगी तब जानवरों को लगा कि तब उन्हें लगने लगा कि उन्हें अब डर के जीने की बजाए बेखौफ होकर जीना चाहिए। इसी के चलते उन सभी ने एक तरकीब सोची। सभी ने शेर को यह संदेशा भिजवाया कि अब अगर वह एक एक करके जानवरों को खाएंगे तभी उनके लिए सही रहेगा। इसलिए हर दिन एक जानवर शेर की गुफा में भेजा जाएगा। ताकि शेर को भी अपना खाना मिल जाएगा और जानवर भी अपने अंतिम दिन आराम से काट सकेंगे।

आखिरकार ऐसा ही हुआ। अब हर दिन शेर के लिए एक नया जानवर उसकी गुफा तक पहुंच जाता था। शेर को इस बात पर बहुत खुशी होती थी। उसे इस बात की संतुष्टि थी कि अब उसे शिकार करने के लिए बिल्कुल भी मेहनत की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब उसे बिना मेहनत के ही ताजा मांस खाने को मिलेगा।

हर दिन एक निर्दोष और मासूम जानवर की बलि चढ़ जाती थी। जानवरों को बहुत दुख होता था, पर वह बेचारे भी मजबूर थे। वह करते तो भी क्या करते। एक दिन बारी आई एक प्यारे से सुंदर खरगोश की। जानवरों का मन यह सोच सोचकर दुखी हो रहा था कि अब इतने भोले और प्यारे खरगोश को मरना पड़ेगा। हालांकि खरगोश भी इस बात से बहुत ज्यादा डरा हुआ था। लेकिन वह खरगोश साथ ही साथ निडर भी था।

उस खरगोश ने सोचा कि क्यों ना एक अच्छी तरकीब निकालकर उस शेर को हमेशा के लिए हरा दिया जाए। वह अपने दिमाग में एक अच्छी तरकीब सोचने लगा। आखिरकार उसे एक अच्छी तरकीब मिल ही गई। अब वह निडर होकर शेर की गुफा की ओर बढ़ गया। उधर शेर बहुत देर से अपने शिकार के आने का इंतजार कर रहा था। जब बहुत ज्यादा देर हो गई तब शेर तिलमिलाने लगा। आखिरकार बहुत देर बाद खरगोश शेर की गुफा में पहुंचा।

जैसे ही शेर ने खरगोश को देखा वह गुर्राता हुआ बोला, “तो आज जानवरों ने इतना पिद्दी जानवर मेरे लिए भेजा है और वह भी इतना लेट। उन जानवरों की इतनी हिम्मत कि वह मुझसे गद्दारी कर सके। इसी गद्दारी की वजह से अब सारे जानवरों को मरना पड़ेगा।” खरगोश बोला, “महाराज, आप क्रोधित मत होइए। इसमें उन बेचारे जानवरों का कोई दोष नहीं है। मैं मानता हूं कि मैं लेट हो गया हूं। लेकिन क्या आपको पता है कि मेरे लेट होने का कारण क्या है?” शेर ने कहा, “हां, बोलो, कि इसके पीछे क्या कारण था?”

खरगोश बोला, “महाराज, आज जब मैं आपकी गुफा की तरफ आ रहा था तब मुझे एक बहुत बड़ा शेर रास्ते में मिला। वह शेर बहुत खतरनाक था। उस शेर की गर्जना बहुत तेज थी। वह दिखने में आपसे भी ज्यादा खतरनाक था। वह मुझे बोल रहा था कि वह आपको जल्दी ही मार डालेगा। वह मुझसे आपकी गुफा का पता पूछ रहा था।

लेकिन मैंने उसे आपका पता नहीं बताया। आखिर आप हमारे राजा जो हो। महाराज, वह शेर जल्द से जल्द इस जंगल का राजा बनने का सपना संजो रहा है।” शेर ने कहा, “लेकिन मैं उस मूर्ख शेर की मंशा पूरी नहीं होने दूंगा। लगता है उस पागल शेर को ठिकाने लगाना ही पड़ेगा। तुम मुझे बताओ कि वह कहां रहता है?” खरगोश बोला, “महाराज, मैं आपको उस शेर के पास ले चलूंगा। लेकिन आप उस शेर से थोड़ा सावधान ही रहना।” फिर वह शेर और खरगोश उस खतरनाक शेर से मिलने के लिए चल पड़े।

लंबे समय तक चलने के बाद खरगोश ने शेर को रूकने के लिए इशारा किया। शेर ने पूछा, “क्या वह शेर आसपास है?” इस बात पर खरगोश बोला, “हां, वह शेर इस कुंए के अंदर रहता है। वह इतना शातिर है कि वह आपको मूर्ख बनाने के लिए आपकी नकल निकालेगा। लेकिन आप उसकी बात को नजरअंदाज कर देना। और जल्दी ही उसे चकमा देकर मार देना।” शेर ने खरगोश की बात मान ली। शेर ने फुर्ती से कुंए में झांका। शेर को जब कुंए में अपना प्रतिबिंब दिखा तो उसने कहा, “अरे, सुन ओ पागल, शेर। तुझे क्या लगता है कि तू यहां का राजा बन जाएगा।

मैं तेरी मंशा कभी भी पूरी नहीं होने दूंगा। मैं बड़े बड़े जानवरों को मात दे चुका हूं। तो फिर तू कौन सी बड़ी चीज आ गया।” जब शेर की आवाज गूंजती हुई कुंए से आई तो शेर ने फिर से कहा, “तू मेरा उपहास उड़ा रहा है। अब मैं तुझे एक पल के लिए भी जिंदा नहीं देख सकता।” ऐसा कहते ही शेर ने कुंए में छलांग लगा दी। कुंए का पानी गहरा था इसलिए शेर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जैसे ही जंगल के जानवरों को शेर के मरने की खबर मिली सभी खुशी से झूम उठे।

इस कहानी से मिलने वाली सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम चतुराई और बुद्धि से सारा काम करे तो हम बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी पार कर लेते हैं। हमें जीवन में अपने सारे कठिन काम चतुराई के साथ करने चाहिए।

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