एक बड़ा सा जंगल हुआ करता था। उस जंगल में हर तरह के जानवर रहा करते थे। उसी जंगल में कालिया नाम का एक नाग भी रहता था। वह नाग बहुत दुष्ट था। वह सांप हर दिन कोई ना कोई जानवर का शिकार कर लिया करता था। कभी वह चिड़िया के अंडों को खा जाता था। तो कभी वह छोटे मोटे कीड़े मकोड़ो को खा जाता था।
बेचारे मासूम जानवरों को हमेशा यह डर लगा रहता था कि क्या पता कि कल को सांप उनको भी खा जाए। जब वह नाग सभी को डरा हुआ देखता था तो उसे बहुत अच्छा लगता था। उसे इस बात को जानकर खुद पर गर्व होता था कि सब उससे डरते हैं। कालिया की दुष्टता दिन -ब -दिन बढ़ती ही जा रही थी।
कालिया की शैतानी के चलते जानवर हमेशा चिंता में ही घिरे रहते थे। वह भगवान से हमेशा उसके अंत की कामना किया करते थे। कालिया जानवरों और उनके अंडे को खा खाकर शरीर में मोटा हो रहा था। वह इतना मोटा हो रहा था कि उससे हिलना – डुलना भी धीरे धीरे कम हो गया था।
अब वह इस हद तक मोटा हो गया था कि वह अपने द्वारा बनाए गए बिल में भी घुस पाने में अक्षम हो गया था। उसने एक नया बिल बनाने की सोची। लेकिन जब उसने नया बिल खोदना शुरू किया तो थोड़ी ही देर में उसके हाथ पांव फूलने लगे। उसे लगा कि अब वह कैसे बिल में जाएगा। जब बिल में घुसने बिल्कुल ही असंभव हो गया तो उसने सोचा कि अब आशियाना बदलने में ही भलाई है।
कालिया एक नए घर की खोज में निकल पड़ा। वह अपने बिल से कई दूर तक आ चुका था, लेकिन उसे कहीं भी कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहां पर वह आराम से रह सके। फिर थोड़ी और दूर चलते हुए उसे बरगद के पेड़ में एक बड़ा छेद दिखाई दिया। वह पेड़ के पास गया और छेद को निहारने लगा।
सांप ने छेद के अंदर घुसने की कोशिश की तो सांप ने पाया कि वह आराम से छेद के अंदर घुस गया। उसे बहुत प्रसन्नता हुई कि उसे एक नया ठिकाना मिल गया है। लेकिन उसकी सारी खुशियां उस वक्त गायब हो गई जब उसने देखा कि बड़ी बड़ी चींटियां उसी छेद के पास आ रही थी। वह चींटियों का बड़ा झुंड था। सांप की आंखों के आगे देखते ही देखते सारी चींटिया उस छेद में चली गई।
अब सांप को वह जगह बहुत पसंद आ गई थी। उसने चींटियों को ललकारते हुए कहा, “मुझे पता है कि यह तुम्हारा घर है। लेकिन मैं इतने समय से अपने लिए नया घर ढूंढ रहा हूं। और यह घर मुझे बहुत ज्यादा पसंद आ गया है। तो मैं तुम सभी से इतना ही कहना चाहता हूं कि तुम सब अपने लिए कोई अलग घर ढूंढ लो। आज से मैं यहां पर रहूंगा। तुम सभी यहां से जा सकती हो।” सांप की इस बात पर चींटियों ने कोई जवाब नहीं दिया। जब अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो कालिया को बहुत गुस्सा आया। उसे लगा कि चींटियां उसका अनादर कर रही है। उसने फिर से वही बात दोहराई, लेकिन इस बार भी उसे कोई जवाब नहीं मिला।
उत्तर नहीं मिलने पर सांप को बहुत ज्यादा गुस्सा आया। इस बार उसने हुंकार भरते हुए कहा, “अगर तुम बाहर नहीं आओगे तो मैं तुम सभी को खत्म कर दूंगा।” फिर सांप जल्दी से चींटियों की बांबी में घुस गया। वह जैसे ही अंदर घुसा, चींटियों ने उसपर हमला कर दिया।
चींटियों ने उसके शरीर को कसकर जकड़ लिया। उन्होंने कालिया सांप के शरीर को हर जगह से काट डाला। सांप ने अपने फन से उन सभी पर प्रहार करने की कोशिश की। लेकिन वह नाकामयाब रहा। सांप चींटियों से मिले दर्द को ज्यादा देर तक सह नहीं सका। अंत में हुआ यह कि कालिया नाग ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। आखिरकार उस दुष्ट नाग का अंत हो गया। उसका अभिमान चकनाचूर हो गया।
इस कहानी से मिलने वाली सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जब हम जरूरत से ज्यादा घमंड करते हैं तो यह हमारे लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।