एक गाँव में आंचल नाम की बहुत सुंदर लड़की रहा करती थी। वह बहुत सुंदर थी। लोग उसकी सुंदरता की तारीफ करते हुए नहीं थकते थे। उसको अपनी सुंदरता पर बड़ा अभिमान था। उसको बहुत अच्छा लगता था जब हर कोई उसे सुंदर बोलता था। उसका परिवार छोटा सा था। वह अपनी मां और एक छोटे भाई के साथ रहती थी।
उसकी मां उसे बहुत प्यार करती थी। उसके पिता नहीं थे इस दुनिया में। इसी कारण वह अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती थी। बहुत बार तो वह अकेले ही बैठे रोया करती थी। उसे लगता था कि वह अपने पापा के बिना बिल्कुल अधूरी है। लेकिन फिर वह अपने दिल को समझा लिया करती थी कि वह अकेली नहीं है। उसके पास उसकी मां और भाई है उसे प्यार करने के लिए।
आंचल की एक बात बहुत बुरी थी। दरअसल उसे जागते हुए सपने लेने की बुरी आदत पड़ी गई थी। वह अपना अधिकतम समय सपने सोचने में ही बिता देती थी। वह हमेशा सोचा करती थी कि एक दिन उसके पास इतने ज्यादा पैसे होंगे कि वह दुनिया की हर एक चीज खरीदने में सक्षम होगी। जब यह सब बात वह अपनी मां को कहती तो उसकी मां हमेशा उसे डांटती।
उसकी मां उसे समझाते हुए कहती कि, “बेटा, हमें दिन में कभी भी सपने नहीं लेने चाहिए। जो जागते हुए मेहनत करने की बजाए केवल सपने लेता है वह इंसान कभी भी प्रगति नहीं करता। ऐसा व्यक्ति जीवन में सिर्फ पछतावा करता है।” आंचल को अपनी मां की यह बात बहुत अजीब लगती थी। वह सोचा करती थी कि उसकी मां उसे सपने लेने के लिए क्यों रोकती है। सपने लेना कोई गलत बात थोड़ी ना होती है।
आंचल के पापा का दूध का व्यापार था। उसके घर का खर्च दूध बेचकर चलता था। जब तक आंचल के पापा जिंदा थे, दूध का व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था। लेकिन जैसे ही आंचल के पापा का निधन हुआ, व्यापार थोड़ा धीरा चलने लगा। इसी बात से आंचल की मां थोड़ा चिंता में रहा करती थी। लेकिन दूसरे ही पल वह सोचा करती थी कि अगर वह चिंता में रही तो फिर वह अपने बच्चों को कैसे पालेगी। इसलिए आंचल की मां ने चिंता करनी छोड़ दी थी। एक दिन आंचल की गायों ने खूब सारा दूध दिया। ज्यादा दूध होने की वजह से आंचल की मां ने कहा कि वह दूध शहर में जाकर भी बेच आए।
आंचल बहुत ज्यादा खुश हो उठी। अब जैसे ही वह शहर के लिए रवाना हुई उसने सपने देखने शुरू कर दिए। वह दूध का बड़ा घड़ा अपने सिर पर रखकर ले जा रही थी। अब शहर की ओर चलते हुए वह लगातार ख्याल बुने जा रही थी। उसने सोचा कि आज वह शहर जाकर जब दूध बेचेगी तो वह खूब सारा पैसा कमाएगी। जब उसके पास खूब सारे रुपए आएंगे तो वह उन रुपयों से खूब सारा घी खरीदेगी। घी खरीदने के बाद वह शहर में जाकर घी बेचेगी।
खूब सारा घी बेचने के बाद में जो रुपए उसे मिलेंगे उन रुपयों से वो एक घर खरीदेगी। घर खरीदने के बाद में वह उस घर को किराए पर देगी। जब महंगे घर के किराए से उसको ज्यादा मुनाफा होने लगेगा तब वह खुद के लिए और अपने परिवार के लिए ज़रूरत के सारे सामान खरीदेगी। उसके बाद घर में सारे ऐशो आराम के सामान आ जाएंगे। फिर एक दिन ऐसा भी आएगा जब वह बड़े ही शानो-शौकत से हवाई जहाज में बैठेगी।
आचंल लगातार यह सब सोचते हुए चल रही थी। वह अपने ख्यालों की ही दुनिया में खोई हुई थी। उसे यह तक पता नहीं चल रहा था कि आगे सड़क पर क्या है। वह एक के बाद एक ख्याल बुनते ही जा रही थी। चलते चलते उसे यह तक पता नहीं चला कि सड़क पर एक बहुत बड़ा पत्थर था। उसको पता ही नहीं चला और वह एक बड़े से पत्थर से टकरा गई। पत्थर से टकराने की वजह से दूध का घड़ा उसके सिर से गिर पड़ा। घड़ा गिरते ही फूट गया।
आंचल ने जैसे तैसे करके अपने आप को संभाला। जब घड़ा फूट गया तब जाकर वह अपने ख्यालों की दुनिया से निकली। ज़मीन पर दूध को बिखरे देखकर वह फूट फूटकर रोने लगी। उसे अब कहीं जाकर अपनी गलती का एहसास हो गया था। उस दिन से उसने कसम खाई कि अब वह आगे से कभी भी ख्याली पुलाव नहीं पकाएगी।
इस कहानी से मिलने वाली सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी ख्याली पुलाव नहीं पकाने चाहिए। जब हम मेहनत करने की बजाए केवल दिमाग में ख्याल बुनते रहते हैं तो इससे हमारा ही नुकसान होता है।
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