नैतिक कहानी-38 “झूठे लड़के की कहानी”

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Ekta Ranga

बंशीपुर नाम का एक गांव था। उस गांव में राहुल नाम का लड़का रहता था। वह लड़का पढ़ने लिखने में बिल्कुल भी होशियार नहीं था। वह हर दिन यही सोचा करता था कि कैसे ज्यादा से ज्यादा शैतानी की जाए। राहुल के माता पिता भी राहुल की हरकतों से बहुत ज्यादा परेशान आ गए थे। राहुल बहुत ज्यादा शैतानी करता था। उसके माता पिता हर दिन इसी चिंता में घिरे रहते कि वह कब अपने जीवन के प्रति गंभीर होगा। लेकिन राहुल को किसी भी बात की चिंता नहीं थी। वह हर पल बेफ्रिक होकर रहता था।

उसके पिता एक गड़रिया थे। उसके पिता के पास खुद की गायें और भेड़े थी। राहुल के पिता राहुल को गाय और भेड़ चराने के लिए हर दिन भेजा करते थे। उसके पिता सोचते थे कि अगर यह पढ़ लिखकर कोई बड़ा इंसान नहीं बना तो कम से कम ढंग का गड़रिया तो बन जाएगा। लेकिन राहुल बहुत ही आलसी किस्म का लड़का था। उसे तो गाय और भेड़ चराना भी अच्छा नहीं लगता था। एक दिन जब दोपहर के वक्त वह सो रहा था तब उसके पिता ने उसे उठाया और कहा, “बेटा, ऐसे सोने से काम नहीं चलेगा। तुम गाय और भेड़ों को घास चराने ले जाओ।” राहुल ने मुश्किल से इस काम के लिए हां कहा।

आज जब वह गाय और भेड़ों को चराने जंगल पहुंचा तो उसके दिमाग में एक खुराफात आई। उसने अपनी गाय और भेड़ों को खुले मैदान में चरने के लिए छोड़ दिया। थोड़ी ही देर बाद राहुल जोर से चिल्लाया, “अरे, सुनो, कोई है। कृपया करके मुझे बचा लो, नहीं तो मुझे यह भेड़िया खा जाएगा।” राहुल की आवाज बहुत ज्यादा तेज हो गई। आस पास में जो भी लोग खड़े थे वह सभी राहुल के पास आ पहुंचे। उन सभी लोगों के हाथ में एक डंडा भी था।

सभी ने घबराए हुए पूछा कि भेड़िया कहां है। तो राहुल ने उत्तर दिया, “कौन सा भेड़िया? मैं तो आप सभी के साथ मजाक कर रहा था। यहां कोई भेड़िया नहीं आया है। आप यहां से जा सकते हैं।” राहुल खिलखिलाकर हंस रहा था। जो कोई भी लोग उसे बचाने आए थे उन सभी ने उसे जोर से डांट लगाते हुए कहा, “आज तो तुमने हमारी भावनाओं के साथ खेला है। लेकिन अगर अगली बार ऐसा कुछ हुआ तो हम तुम्हें माफ नहीं करेंगे।”

राहुल ने ऐसा एक बार ही नहीं किया बल्कि उसने पुरानी बात दुबारा कितनी ही बार दोहरा दी। उसके ऐसे व्यवहार के चलते लोगों ने उसपर विश्वास करना बंद कर दिया। फिर एक दिन कुछ बहुत ही भयानक हुआ। हर दिन की तरह राहुल आज फिर से अपनी गाय और भेड़ों को चराने के लिए लेकर गया। राहुल कई देर तक तो अपनी ही दुनिया में खोया हुआ बांसुरी बजाता गया।

लेकिन थोड़े ही समय बाद उसने फिर से शरारत भरी हरकत करने की सोची। इससे पहले की वह कुछ करता, उसने देखा कि एक बड़ा सा शेर उसकी ओर भागा आ रहा था। शेर को वहां उपस्थित देखकर राहुल के होश उड़ गए। वह घबराकर तेज आवाज में बोला, “अरे कोई है। कृपया करके मुझे बचा लो। आज मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं। शेर सही में मेरे सामने आ गया है।”

राहुल बहुत तेज चिल्लाया, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी। सभी ने यही सोचा कि राहुल हर बार की ही तरह इस बार भी झूठ बोल रहा है। शेर को अपनी ओर आते देख राहुल फुर्ती से पेड़ पर चढ़ा। जब वह जल्दबाजी में चढ़ रहा था तो इस चक्कर में उसके घुटने बुरी तरह से छिल गए।

जैसे तैसे करके उसने अपनी जान शेर से बचाई। इसी बीच वह शेर राहुल की दो भेड़ और एक गाय को मारकर खा गया। राहुल को इस बात से बहुत दुख हुआ कि उसके एक झूठ की वजह से आज तीन जिंदगियां खत्म हो गई। इस घटना के बाद से राहुल ने शरारत करनी छोड़ दी। अब वह अपने जीवन को गंभीरता के साथ जीने लगा।

इस कहानी से मिलने वाली सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। जो लोग झूठ बोलते हैं उनके साथ बहुत बुरा होता है। जीवन में हमेशा सत्य बोलना चाहिए।

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