एक शहर में वीरू नाम का एक दर्जी रहा करता था। वह हर किसी के कपड़े सिला करता था। लोगों को उसके हाथों के सिले हुए कपड़े बहुत पसंद आते थे। शहर के बहुत से लोग उसी से ही अपने कपड़े सिलवाने आते थे। वीरू की दुकान एक बड़े से तालाब के पास हुआ करती थी। वह तालाब दिखने में बहुत खुबसूरत था।
लोग जब भी दर्जी को कपड़े देने आते थे तो वह उस तालाब के पास थोड़ी देर तक बैठकर जाते थे। एक दिन एक महावत अपने हाथी को तालाब पर नहलाने लाया। वह हाथी दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर था। उस हाथी ने जैसे ही तालाब देखा, वह पानी में कूद गया।
वह हाथी बड़े ही मजे से तालाब में उछल कूद करके नहा रहा था। उसे पानी में नहाना बहुत अच्छा लग रहा था। फिर जैसे ही वह हाथी नहाकर तालाब से बाहर निकला, उसे जोर से भूख लगने लगी। वह जोरों से अपना सिर हिलाने लगा। हाथी को भूखा देख महावत ने सोचा कि क्यों ना हाथी को केले खिला दिए जाए।
उसने केले की दुकान देखने के लिए अपनी नजरें दौड़ाई। लेकिन केले की दुकान कहीं नहीं दिखी। फिर उस महावत की नजर दर्जी की दुकान पर गई। उसने देखा कि दुकान पर दर्जनभर केले पड़े थे। महावत दर्जी के पास गया और उससे अनुरोध किया कि वह केले हाथी को खिला दे। महावत के कहने पर दर्जी ने वह केले हाथी को खिला दिए। हाथी दर्जी से बहुत खुश हुआ।
अब वह हाथी हर हफ्ते में कम से कम दो बार दर्जी की दुकान आ जाता था। वह हाथी जब भी दुकान आता था तो दर्जी उसके लिए केले तैयार रखता था। एक दिन दर्जी ने अपनी पत्नी से झगड़ा कर लिया। दर्जी का पूरा का पूरा मूड खराब हो गया। वह अपनी दुकान तो पहुंचा, पर उसका मन आज कपड़े सिलने में नहीं लग रहा था। थोड़ी ही देर बाद दर्जी की दुकान पर वह हाथी आया। उसने केले खाने के हिसाब से अपनी सूंड को हिलाया।
उसके ऐसा करने पर भी जब दर्जी ने हाथी को केले नहीं दिए तो हाथी जोर से चिंघाड़ा। हाथी के यूं चिंघाड़ने से दर्जी को गुस्सा आ गया। उसने आव देखा ना ताव, बस झट से हाथी की सूंड में कपड़े सिलने वाली सूई चुभो दी। बेचारे हाथी को दर्जी का ऐसा रूप देखकर बहुत दुख हुआ। उसे सुंड में बहुत तेज दर्द हुआ। पर इस बात से दर्जी पर कोई असर नहीं हुआ।
हाथी ने सोचा कि उस दर्जी को मजा चखाना होगा। अब अगली बार फिर से हाथी दर्जी की दुकान आया। जब इस बार भी दर्जी ने हाथी की सूंड में सुई चुभोनी चाही, तो हाथी ने अपनी सूंड में भरा हुआ सारा कीचड़ दर्जी पर उछाल दिया। कीचड़ से सारी दुकान खराब हो गई। दर्जी को समझ आ गया था कि हाथी ने उसपर कीचड़ क्यों फेंका था। हाथी ने दर्जी को सिखा दिया कि जैसे को तैसा ही मिलना चाहिए।
इस कहानी से मिलने वाली सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें गलती से भी किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। जब हम किसी के साथ बुरा व्यवहार करते हैं तो बदले में हमें भी वही झेलना पड़ता है।
अन्य नैतिक कहानियां (बच्चों के लिए) | यहाँ से पढ़ें |