एक राजा का बहुत बड़ा महल था। उस महल में राजा रानी के अलावा राजा के बच्चे और खूब सारे नौकर चाकर रहा करते थे। उस महल की रानी को पेड़ पौधों और हरियाली से बहुत प्यार था। इसलिए रानी ने महल के ठीक बाहर एक बड़ा सा बगीचा बनवाया। उस बगीचे में खूब सारे पेड़ पौधें लगवाए। इतनी सारी हरियाली देखकर हर किसी का मन झूम उठता था। सभी को हरियाली बहुत पसंद आती थी। बहुत सारे पक्षी भी बगीचे की हरियाली से आकर्षित होते थे।
ऐसे कई पक्षियों के जोड़े थे जो कि बगीचे के पेड़ों पर निवास करते थे। ऐसा ही एक जोड़ा था दो कौवों का। नर कौवा अपनी मादा कौवा पत्नी के साथ एक विशाल नीम के पेड़ के ऊपर निवास करता था। वह दोनों बड़े ही आनंद के साथ अपना जीवन का गुजारा कर रहे थे।
उनको किसी भी बात की कोई परेशानी नहीं थी। वह दोनों सुबह जल्दी उठते और दैनिक कार्य करने के बाद वह दाना पानी ढूंढने के लिए उड़ जाते। उनको कोई तरह की परेशानी ना होते हुए भी एक परेशानी थी। दरअसल जिस पेड़ पर वह दोनों रहते थे उसी पेड़ के नीचे एक अजगर ने अपना बिल बना रखा था।
वह अजगर उस बिल में रहता था। वह अजगर बहुत से पक्षियों को तंग करता था। पक्षी उसकी इस तरह की हरकतों से बहुत परेशान थे। वह बहुत से पक्षियों के अंडों को खा जाता था। पक्षियों को समझ में नहीं आ रहा था कि उस अजगर को कैसे मात दी जाए।
काफी समय बाद उस कौवे के जीवन में तब खुशियां आई जब उसकी पत्नी गर्भवती हो गई। उसकी पत्नी और उसकी खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा। वह मादा कौवा जोर जोर से गाकर खुशी का इजहार करने लगी। लेकिन उसके पति ने उसे ऐसे करने से रोक दिया।
उसके पति ने कहा कि ऐसा करने से अजगर को पता चल जाएगा कि तुम गर्भवती हो और फिर वह तुम्हारे अंडों की फ़िराक़ में रहेगा। लेकिन अजगर बहुत शातिर किस्म का जानवर था। उसने आखिरकार उन दोनों की बातों को सुन लिया। अब वह इंतजार कर रहा था कि कब मादा कौवा अंडा देगी और कब वह उन अंडों को खा जाएगा।
अब इंतजार खत्म होने वाला था और मादा कौवा अपने बच्चों को जन्म देने वाली थी। एक दिन इंतजार खत्म हुआ और बच्चों ने जन्म ले लिया। पर मादा कौवे को डर था कि कहीं अजगर उनके बच्चों को खा ना जाए। लेकिन पति ने समझाया कि अजगर यह नहीं जानता कि तुमनें बच्चों को जन्म दिया है।
इसलिए तुम बेफिक्र रहो। फिर वह बच्चों को घोंसले में छोड़कर खाना लेने चले गए। वह वापिस आए तो उन्होंने देखा कि उनके बच्चे वहां से गायब थे। उन्होंने वहीं पास में एक चील उड़ती देखी तो उन दोनों ने सोचा कि शायद उनके बच्चे उस चील के भेंट चढ़ गए। वह दोनों बहुत दुखी हुए लेकिन फिर उन्होंने धीरज धारण कर लिया।
थोड़े महीनों बाद में वह मादा कौवा फिर से गर्भवती हुई। इस बार भी उन दोनों ने अपने बच्चों को भाग्य भरोसे छोड़ दिया था। इस बार भी जब वह खाना लेने के लिए बाहर गए और वापिस लौटे तो उनके बच्चे फिर से गायब थे। लेकिन इस बार उनके आस-पास कोई ना था। तभी एक चींटी पेड़ के ऊपर चढ़ी और कौवे से बोली कि, “तुम्हारे बच्चों को वह अजगर ऊपर आ कर खा गया।” दोनों कौवों को गहरा सदमा लगा। इस बार कौवे ने उस अजगर को मज़ा चखाने की सोची।
कौवे को पता था कि महल की रानी तालाब में नहाने सुबह-सुबह आती है। बस इसी पल का इंतजार था कौवे को। आज रानी जैसे ही नहाने आई तो उसने रानी का सोने का हार तुरंत ही उठा लिया। इससे पहले कि रानी उसे देखती उसने वह हार अजगर के बिल में छुपा दिया।
रानी ने अपनी दासियों को आदेश दिया कि सैनिकों को फौरन हार ढूंढने भेजो। रानी के सैनिक सोने का हार ढूंढने लगे। उन्होंने इधर उधर नजर दौड़ाई पर आस-पास कोई नजर नहीं आया। हार ढूँढते ढूँढते सैनिकों का दम निकले जा रहा था। तभी वह कौवा सैनिकों के पास आया और कहने लगा, “सैनिकों अगर तुम सभी रानी का हार ढूंढने में लगे हो तो मैं तुम्हें इसके बारे में बता सकता हूं।
दरअसल बिल में रहने वाले अजगर ने रानी का हार चुराया है। अगर यकीन नहीं होता हो तो एक बार बिल की तलाशी ले लो।” सैनिकों ने कौवे की बात मानते हुए जब तलाशी ली तो सचमुच उन्हें हार अजगर के बिल में ही मिला। सजा के तौर पर उन्होंने अजगर को दो टुकड़ों में भी काट डाला। अब जाकर कौवे को शांति मिली। आखिरकार जैसे को तैसा मिल गया।
इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमें किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए। अगर हम अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को दुख पहुँचाते हैं तो ऐसे हम अपने लिए ही गड्ढा खोदते हैं।