एक बहुत विशाल जंगल था। उस जंगल में खूब सारे जानवर और पशु पक्षी साथ-साथ रहते थे। सब जानवर एक दूसरे से अच्छे से पेश आते थे। उसी जंगल में एक प्यारी सी चिड़िया भी रहती थी। वह चिड़िया बहुत समझदार थी। चिड़िया कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटती थी। वह बहुत ज्यादा मिलनसार थी। वह बहुत दानशील भी थी।
अपने स्वभाव के चलते वह जंगल के सारे पशु पक्षियों की प्रिय बन गई थी। उसे हर एक जानवर पसंद करता था। वह जब भी किसी से मिलती तो वह सभी से हंसकर ही बात किया करती थी। वह किसी की भी चुगली नहीं करती थी।
उसी जंगल में एक कौआ भी रहा करता था। वह स्वभाव से बहुत अजीब था। वह आए दिन किसी ना किसी जानवर से छेड़खानी करता रहता था। सभी जानवर उससे बहुत परेशान रहते थे। उसने सभी जानवरों के नाक में दम कर दिया था। वह बहुत से जानवरों के घर उजाड़ देता था। बहुत बार ऐसा भी होता जब वह पक्षियों के अंडे भी तोड़ देता था।
उसके इस बर्ताव से सभी जानवर परेशान तो बहुत थे पर वह कुछ भी नहीं कर सकते थे। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी उस चिड़िया का व्यवहार कौवे के लिए समान रहा। वह कौवे को कुछ भी नहीं कहती थी। वह कौवे से हंसकर ही बात किया करती थी। यहां तक कि उसने कौवे को अपने ही पेड़ पर रहने के लिए स्थान भी दिया।
एक दिन चिड़िया को यह आभास हो गया था कि बारिश का मौसम कभी भी दस्तक दे सकता है। यह पता चलते ही उसने पूरे जंगल के पशु और पक्षियों को यह कहकर चेता दिया था कि सभी बारिश का मौसम शुरू होने से पहले अपने पक्के घर तैयार कर ले।
सभी पशु पक्षियों ने चिड़िया की बात मानी और जल्दी ही सभी के पक्के घर बनकर तैयार हो गए थे। बस एक कौवा ही था जिसने अपना घर तैयार नहीं किया था। उसे चिड़िया की बात निरर्थक लगी। उसने सोचा कि वह अपना घर नहीं बनाएगा और जरूरत पड़ने पर वह चिड़िया के घोंसले में शरण ले लेगा।
एक दिन आखिरकार वही हुआ जो चिड़िया ने कहा था। जंगल में बहुत तेज बारिश हुई। आँधी तूफान ने बहुत क़हर मचाया। लेकिन जानवरों को कोई भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई क्योंकि सभी ने पहले से ही पक्के घर तैयार कर रखे थे। बस एक कौवा था जिसने घर तैयार नहीं किया था।
वह कौवा जाना तो चाहता था चिड़िया के घोंसले में, लेकिन घमंड के मारे गया नहीं। वह लगातार भीगे जा रहा था। बेचारी चिड़िया को दया आ गई। उसने कौवे से उसके घोंसले में शरण लेने के लिए कहा। लेकिन कौवे ने चिड़िया की एक भी ना सुनी। चिड़िया ने तीन-चार बार लगातार यही बात कौवे से कही।
लेकिन कौवा अपनी जिद पर अड़ा रहा। पास के एक पेड़ पर मैना भी रहती थी। वह यह सारा दृश्य देख रही थी। कौवे के इस प्रकार के स्वभाव को देखते हुए मैना को बोलना ही पड़ा, “अरे प्यारी चिड़िया। तुम क्यों इस कौवे पर अपना कीमती समय बर्बाद कर रही हो। इसके आगे बात करना मतलब भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है।” बस उस दिन से “भैंस के आगे बीन बजाना प्रचलित हो गया।
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