एक बड़े नगर में एक बहुत नामी और धनवान सेठ रहा करता था। उस सेठ के नाम की चर्चा हर कोई जगह थी। सेठ के हीरो का कारोबार देश के साथ विदेशों में भी खूब फल फूल रहा था। वह सेठ बहुत नामी सेठ था। क्योंकि वह कारोबार को कुशलतापूर्वक तरीके से चलाता था इसलिए लोग उसके दिमाग की तारीफ किया करते थे। लेकिन लोगों को एक बात का तो पता ही नहीं था।
लोग इस बात से अनजान थे कि उसके सफल कारोबार के पीछे उसके बेटे का हाथ था। उसका बेटा बहुत समझदार था। उसके सारे कारोबार उसका बेटा चला रहा था। असल में वह सेठ मुर्ख था। वह इतना बेवकूफ़ था कि उसको हीरो की असली परख ही नहीं थी। पर फिर भी वह सेठ अपने आपको बहुत ज्ञानी मानता था। उसका स्वभाव बड़ा जिद्दी था। बहुत बार ऐसा भी होता जब वह अपने बेटे की बात को अनदेखा कर देता था।
एक दिन उस सेठ की अपने बेटे से किसी बात पर लड़ाई हो गई। उसका बेटा उससे नाराज हो गया और अपने दोस्त के साथ जाकर एक बगीचे में बैठ गया। सेठ के बेटे का दोस्त उसके पिता की सच्चाई को जानता था। उसने सेठ के बेटे से उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने सारी बात अपने दोस्त को बता दी।
सेठ के बेटे के दोस्त ने उसे सांत्वना देते हुए बोला कि, “मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पिता की प्रसिद्धि का राज तुम हो। तुम्हारे पिता को सच झूठ के बीच का फर्क समझ में ही नहीं आता। आज तुम्हारे बिना वह वह कुछ भी नहीं है। उन दोनों दोस्तों की बातें पास ही बैठा एक भिखारी सुन रहा था। उसने सेठ के बेटे की बातों को भांप लिया।
एक दिन वह सेठ हर दिन की तरह अपने हीरे की दुकान पर बैठा था। कि तभी अचानक एक ग्राहक उसकी दुकान पर आया। सेठ ने पूछा कि, “आइए, बैठिए। बताइए आपको क्या दिखाऊँ? उस आदमी ने कहा, “सेठ जी, मैं यहां जेवरात देखने नहीं आया हूं। मैं तो यहां कुछ लेन देन के बदले में आया हूं।” तभी उस आदमी ने एक पोटली खोली और कहने लगा, “सेठ जी, मैं अपने परदादा के समय के यह कीमती हीरे लाया हूं।
आप इन्हें रख लीजिए ना। मेरी बेटी बहुत बीमार है। उसके इलाज के लिए मुझे मुझे पैसों की जरूरत है। आप कृपा करके यह हीरे ले लीजिए और मुझे पैसों की गठरी दे दीजिए ना।” जैसे ही सेठ ने जगमगाते हीरे देखे वह उनपर मोहित हो गया। वह वजन में भारी भी थे। सेठ को वह हीरे बहुत कीमती लगे। उसने उस आदमी को पैसों की गठरी पकड़ा दी और हीरे अपने पास रख लिए। पैसे लेते ही वह आदमी वहां से चला गया।
कुछ समय पश्चात जब सेठ का बेटा दुकान पर आया तो उसे भी हीरों की कहानी पता चली। जब सेठ के बेटे ने वह हीरे हाथ में लेकर देखें तो उसने अपना सिर पीट लिया। दरअसल वह हीरे असली नहीं नकली थे। इस वारदात को अंजाम देने वाला कोई और नहीं बल्कि वह भिखारी ही था। उस भिखारी ने सेठ को ठग लिया था।
इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी पर भी आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें अपने जीवन में हर काम समझदारी के साथ करना चाहिए।
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