वीर शिवाजी की प्रेरणादायक कहानियां (Shivaji Maharaj Stories in Hindi)

कहानी (1)

वीर शिवाजी को भला कौन नहीं जानता? हम सभी इस नाम से अच्छे से परिचित हैं। उनका शाशन बहुत गौरवपूर्ण रहा। उनके राज में सारा काम अच्छे से होता था। उनके शासन में भेदभाव नहीं होता था। सभी लोग मिल जुलकर रहा करते थे। एक समय की बात है जब वीर शिवाजी के सैनिक गाँव का हालचाल देखने के लिए वहां गए। वहां पर पहुंचने पर पता चला कि गाँव के ही मुखिया ने बहुत बड़ा पाप किया था।

दरअसल गाँव वालों ने सैनिकों को बताया कि मुखिया ने गाँव की एक जवान विधवा औरत की इज्जत खराब कर दी। जैसे ही सैनिकों को यह बात पता चली वह सीधे मुखिया के घर गए और वहां से मुखिया को गिरफ्तार करके शिवाजी के पास ले गए। महल आकर सैनिकों ने सारी घटना शिवाजी को बताई। पूरी बात जानकर शिवाजी आगबबूला हो उठे। उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

गाँव का मुखिया शिवाजी का यह रूप देखकर बहुत ज्यादा डर गया। वह झट से शिवाजी के पैरों में गिरकर अपनी जान की भीख मांगने लगा। शिवाजी ने उसे जोर से धक्का देकर जमीन पर पटक दिया। शिवाजी ने उसे दहाड़ती आवाज में कहा कि बोलो तुम्हें इस घोर अपराध के लिए क्या सजा दी जाए। वह मुखिया अभी भी अपने लिए भीख मांग रहा था।

फिर शिवाजी ने अपने सिपाहियों से कहा कि, “मैं महिलाओं की बहुत ज्यादा इज्जत करता हूं। वह एक माँ और बहन के रूप में बखूबी से जिम्मेदारी निभाती है। क्योंकि यह पापी ने एक पवित्र मन की नारी की भावनाओं के साथ खेला है इसलिए इस आदमी के हाथ और पैर काट दिए जाए। ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा अपराध करने से पहले सौ बार सोचे। वाकई में वीर शिवाजी का इंसाफ बहुत सच्चा था।

कहानी (2)

शिवाजी के जीवन से ही जुड़ा एक और प्रसंग बहुत रोचक है। वीर शिवाजी की बहादुरी की चर्चा दूर दूर तक फैली हुई थी। सभी लोग उनकी वीरता के चर्चा करते हुए थकते नहीं थे। पुणे का नचनी गाँव अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। एक बार की बात है जब गाँव में आए दिन किसी जानवर या फिर इंसान का शिकार हो जाता था।

लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या हो रहा था। लोग आए दिन खौफ में ही जी रहे थे। उन सब ने सोचा कि अब इस समस्या के बारे में शिवाजी से ही राय लेनी पड़ेगी। सभी गाँव वाले शिवाजी के पास यह शिकायत लेकर पहुंचे। शिवाजी ने उन सभी गाँव वालों की बात को गौर से सुना और अपने सिपाहियों को गाँव में होने वाले शिकार की सच्चाई का पता लगाने के लिए भेजा।

थोड़े दिन बाद सिपाहियों को पता चला कि वह बाघ था जो सभी का शिकार कर रहा था। वीर शिवाजी ने खुद हिम्मत की और गाँव में बाघ को मारने पहुँच गए। जैसे ही बाघ उन सभी के सामने आया तो सिपाही और सैनिक तो डर के मारे पीछे हट गए पर शिवाजी वहीं डट कर खड़े रहे। आखिरकार शिवाजी ने बाघ को मार गिराया। जैसे ही बाघ मारा गया सभी गाँव वाले खुशी से झूम उठे और सभी ने वीर शिवाजी का नारा लगाया। सभी ने यह स्वीकार कर लिया कि वीर शिवाजी बहुत बहादुर थे।

कहानी (3)

एक बार की बात है जब वीर शिवाजी को जंगल में घूमने के इच्छा हुई। इच्छा होते ही वह जंगल की ओर निकल पड़े। क्योंकि शिवाजी को शिकार करना बहुत अच्छा लगता था इसलिए शिवाजी ने अपनी बंदूक निकाली और शिकार ढूंढने लगे। वह लगातार घोड़े पर बैठे शिकार की तलाश में थे कि तभी अचानक एक पत्थर उछलता आया और शिवाजी के सिर पर जा लगा। पत्थर की वजह से छोटी खरोंच भी आ गई थी।

शिवाजी यह देख गुस्से से तिलमिला उठे। वह यह देखने लगे कि आखिर यह पत्थर किसने फेंका था। उन्होंने हर तरफ नज़रे घुमाकर देखी पर उन्हें कोई भी नजर नहीं आया। तभी अचानक झाड़ियों के पीछे से किसी के कदमों की आवाज आई। जैसे ही शिवाजी ने झाड़ियों के पास जाकर देखा तो पाया कि एक बुढ़ी महिला अपने हाथ जोड़े खड़ी थी।

उस महिला को डरा हुआ देख शिवाजी ने उस महिला से पूछा कि, “आप ऐसे डरी हुई क्यों खड़ी हैं?” इस प्रश्न पर महिला ने उत्तर दिया कि, “महाराज, मैंने ही वह पत्थर पेड़ पर फेंका था जो कि ग़लती से आप पर आ गिरा। दरअसल मुझे बाजार में बेचने के लिए आम तोड़ने थे। जब मुझसे आम नहीं टूटे तो मैंने पत्थर का सहारा लिया। आप कृपया करके मुझे माफ़ कर दीजिए ना।” उस बुढ़ी महिला को ऐसे हाथ जोड़े हुए देख वीर शिवाजी को खुद पर आत्मग्लानि महसूस हुई।

उन्हें लगा यह मेरे से कितनी बुजुर्ग है और यह इस तरह से मेरे सामने सिर झुकाए खड़ी है। फिर शिवाजी ने उस पेड़ के बारे में भी सोचा जो कि पत्थर लगने पर भी बड़ी ही विनम्रता के साथ खड़ा था। वीर शिवाजी ने महिला को माफ़ कर दिया और बदले में सोने के सिक्के भी भेंट कर दिए। वीर शिवाजी का यह प्रेरक प्रसंग हमें सिखाता है कि हमें जीवन में सदा बना रहना चाहिए।

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