छोटे बच्चों को अक्सर कहानियां सुननी बहुत पसंद होती है। बच्चों को कहानियां भी अलग अलग तरह की पढ़नी पसंद आती है। बच्चे कभी परियों की कहानियां पढ़ते हैं तो कभी वह अकबर बीरबल की कहानियां पढ़नी पसंद करते हैं। बहुत से बच्चे जादुई और भूतिया कहानियां पढ़नी पसंद करते हैं। सभी बच्चों की अलग अलग पसंद होती है। इन्हीं कहानियों में एक ऐसे महान शख्सियत की भी कहानी है जो अपने ज़माने का बेहद प्रसिद्ध कवि हुआ करता था। वह एक महान साम्राज्य का कवि हुआ करता था। वह कुशाग्र बुद्धि वाला कवि था। यह किरदार इतना प्रसिद्ध हुआ कि इसके ऊपर कई फ़िल्में और धारावाहिक भी बन गए।
तेनालीराम की कहानियां
हम इसी कवि पर चर्चा जारी रखते हैं। अब तक तो आपने शायद यह अंदाजा लगा लिया होगा कि आखिर हम किसकी बात कर रहे हैं। हम यहां पर बात कर रहे हैं भारत के ही महान कवि तेनालीराम की। जो हैसियत एक समय बीरबल की हुआ करती थी वही हैसियत एक समय पर तेनालीराम की भी हुआ करती थी। अकबर और बीरबल की ही तरह कृष्णदेव राय और तेनालीराम की भी जोड़ी हुआ करती थी। यह जोड़ी बहुत प्रसिद्ध जोड़ी थी। तेनालीराम की कविताएं बहुत शानदार हुआ करती थी।
तेनालीराम कौन था?
तेनाली का असली नाम तेनालीराम रामालिंगाचार्युलु था। यही माना जाता है कि इनका जन्म 16 वीं शताब्दी में हुआ था। इनका गृहनगर आन्ध्रप्रदेश राज्य के गुन्टूर जिले का गाँव – गरलापाडु माना जाता है। वह तेलुगू ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनके पिता का नाम गरालपति रामैया था। गरालपति रामैया पेशे से पुजारी थे। वह भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। जब तेनालीराम थोड़े से बड़े हुए तो उनके पिता का निधन हो गया था।
तेनालीराम की माता लक्ष्मम्मा को इस बात पर बहुत ताने सुनने को मिले थे। इसी बात से दुःखी होकर तेनालीराम की माँ ने अपना ससुराल छोड़ दिया और वह अपने मायके तेनाली गांव चली गई। बहुत से लोगों का यह मानना है कि तेनालीराम नाम उनके ननिहाल के लोगों ने तेनाली गाँव की तर्ज़ पर रखा था। उन्हें कई नामों से जाना जाता है जैसे कि तेनाली रामकृष्ण, तेनालीराम, तेनाली रमण आदि। कई लोग यह भी कहते हैं कि यह बहुत बड़े शिव उपासक थे। तेनालीराम का पूरा परिवार धार्मिक था इसलिए इनको भी यह चीज विरासत में मिली थी। तेनालीराम को हास्य कवि के रूप में जाना जाता है।
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तेनालीराम की शिक्षा
कहते हैं कि तेनालीराम को शिक्षा प्राप्त नहीं हुई थी। वह इतने कुशाग्र बुद्धि वाले थे कि इन्होंने अपनी पढ़ाई घर पर रहकर ही प्राप्त कर ली थी। वह घर पर ही रहकर बहुत सी धार्मिक किताबों का अध्ययन किया करते थे। इनका दिमाग बहुत तेज था। इन्हें मराठी, तमिल और कन्नड़ जैसी भाषाओं का अच्छा खासा ज्ञान था। तेलुगू में लिखी गई पांडुरंग महात्म्यं काव्य इनकी ही रचना है। इसके अलावा भी तेनालीराम ने अन्य कई किताबें लिखी थी।
तेनालीराम और राजा कृष्णदेवराय
बहुत कम ही लोग हैं जो कि तेनालीराम और राजा कृष्णदेवराय की जुगलबंदी के बारे में जानते हैं। राजा कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के महान शाशक थे। तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय के दरबार के एक जाने पहचाने कवि थे। यह हम अच्छे से जानते हैं कि किस प्रकार बीरबल अकबर की हर समस्याओं का हल कर देता था। ठीक उसी प्रकार तेनालीराम भी राजा कृष्णदेवराय को हर मुसीबतों से उबार देते थे।
तेनालीराम और राजा कृष्णदेवराय पहली बार कैसे मिले इसपर भी एक रोचक प्रसंग है। दरअसल एक बार राजा कृष्णदेवराय अपने सैनिकों के साथ भ्रमण पर निकले हुए थे। घूमते घूमते वह उस जगह पहुंचे जहां पर तेनालीराम लोगों को धार्मिक भाषण दे रहे थे। जब कृष्णदेवराय ने उनको भाषण देते हुए सुना तो वह तेनालीराम से बहुत प्रभावित हुए। कृष्णदेवराय ने तेनालीराम से मुलाकात की और उनको अपने दरबार का मंत्री घोषित कर दिया। धीरे-धीरे वह राजा के सबसे प्रिय मंत्री बन गए।
FAQs
A1. तेनालीराम का जन्म 22 सितंबर 1479 को आन्ध्रप्रदेश राज्य के गुन्टूर जिले के गाँव – गरलापाडु में हुआ था।
A2. तेनालीराम का असली नाम तेनालीराम रामालिंगाचार्युलु था। लोग इनको तेनाली रामकृष्ण, तेनालीराम, तेनाली रमण आदि नामों से भी जानते हैं।
A3. तेनालीराम के पिता का नाम गरालपति रामैया था। और इनकी माता का नाम लक्ष्मम्मा था।
A4. तेनालीराम के प्रसिद्ध काव्य का नाम पांडुरंग महात्म्यं है। यह काव्य तेलुगू भाषा में लिखी गई थी।
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