तोता, मैना और चील की कहानी

एक बहुत बड़ा जंगल था। उस जंगल में खूब सारे पशु और पक्षी एक साथ में मिलकर रहते थे। उसी जंगल में एक बड़े से पेड़ पर एक सुंदर सा तोता भी रहता था। उसी तोते के घोंसले के पास में ही एक मैना का भी घोंसला था। बड़ी ही मधुर और प्यारी आवाज थी उस मैना की। पूरा जंगल उसकी मधुर आवाज से गूंज उठता था।

मैना के संगीत को हर कोई पसंद करता था। पर एक बात थी जो मैना को बहुत ज्यादा खटकती थी। क्योंकि मैना का रंग काला था इसलिए उसे कोई भी अपना दोस्त नहीं बनाना चाहता था। यहां तक कि उसका पड़ोसी तोता भी उससे दूरी बनाए रखता था। उस तोते को अपने ऊपर बड़ा ही अभिमान था।

उसका चटकीला हरा रंग हर किसी को आकर्षित करता था। हर कोई उससे बहुत खुश रहता था। सभी उस तोते के अच्छे मित्र बनना चाहते थे। मैना को भी लगा कि वह तोते से अच्छी मित्रता कर लेती है। जैसे ही मैना तोते से मित्रता करने पहुंची उस तोते ने मित्रता करने से इंकार कर दिया। इस बात पर वह मैना बहुत ज्यादा दुखी हो गई। मैना ने अपने काले रंग को कोसना चाहा लेकिन उसने अपने आप को ऐसा करने से रोक लिया। उसने इस बात को अपना भाग्य मानकर स्वीकार कर लिया।

फिर एक दिन एक शिकारी जंगल में आया। पता नहीं वह किस जानवर को गोली मारने के इरादे में था। वह कई देर तक तो आकाश में अपनी बंदूक ताने खड़ा रहा। लेकिन कुछ पल बाद ही वह वहां से चला गया। उसी पल मैना ने देखा कि एक बड़ी चील तोते के घोंसले से निकली।

वह तोता एकबार के तो डर गया। पर चील ने उस तोते को आश्वासन दिया कि वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। चील ने तोते को आश्रय देने के लिए धन्यवाद भी दिया। तोते को अपने ऊपर गर्व हो रहा था कि उसने चील को शिकार होने से बचा लिया। तोते और चील में अच्छी दोस्ती भी हो गई।

मैना यह सारा दृश्य अपनी आँखों से देख रही थी। उसको चील की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसको लगा कि चील कभी भी तोते की अच्छी दोस्त नहीं हो सकती। उसने तोते को समझाने की भी कोशिश की। लेकिन उसे मैना की बात में कोई दम नहीं लगा। तोते ने मैना को फटकार दिया।

फिर एक दिन जब तोता खाने की तलाश में कहीं गया हुआ था कि तभी चील उस तोते के घोंसले में आकर बैठ गया। उसने कहा कि आज जैसे ही वह तोता यहां आएगा तो वह उसे झट से खा जाएगा। किस्मत से यह सारी बात उस मैना ने सुन ली।

अब उसे पता था कि उसे क्या करना है। फिर थोड़ी देर बाद में जब तोता अपने घर लौटा तो उसने देखा कि चील उसके घोंसले में बैठी थी। क्योंकि तोता अपने साथ खाना लाया था इसलिए उसने चील से साथ खाने का आग्रह किया। लेकिन चील ने पलटकर जवाब दिया कि वह खाना नहीं बल्कि तोते को ही खाएगा।

इस बात पर तोता घबरा गया। वह वहां से फुर्ती से उड़ा। पीछे से चील भी उसका पीछा करने लगी। अचानक जंगल में बंदूक चलने की आवाज आने लगी। बंदूक की आवाज सुनकर वह चील तुरंत ही वहां से डरकर भाग गई। अब तोते ने चैन की साँस ली।

उसने शिकारी को देखने के लिए नज़रे इधर-उधर घुमाई, लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। उसको फिर से गोली की आवाज सुनाई दी। उसने पीछे घूमकर देखा तो सामने उसको वही मैना दिखाई दी जिसके साथ उसने दोस्ती करने से इंकार कर दिया था। उसे इस बात पर यकीन नहीं हुआ कि बंदूक की आवाज वह मैना ही निकाल रही थी। उसे मैना के साथ किए गए बुरे व्यवहार के लिए खुद पर गुस्सा आ रहा था।

मैना ने तोते से कहा कि उसने चील की सारी बात सुन ली थी। यही एक कारण था कि उसे बंदूक की आवाज निकालने के लिए मजबूर होना पड़ा। तोते ने मैना से माफी माँगकर उसे गले लगा लिया। और फिर वह हमेशा के लिए दोस्त बन गए।

इस कहानी से सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान को शारीरिक गुणों से ज्यादा आंतरिक गुणों को ज्यादा महत्व देना चाहिए।भले ही वह मैना काली थी पर उसमें इंसानों की नकल करने की अच्छी खूबी थी। इसी खूबी की वजह से उस तोते की जान बच गई।

पंचतंत्र की अन्य कहानियां यहाँ से पढ़ें

Leave a Reply