Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Class 12 Political Science Book-1 Ch-1 “दो ध्रुवीयता का अंत” Notes In Hindi

Photo of author
Navya Aggarwal
Last Updated on

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक-1 यानी समकालीन विश्व राजनीति के अध्याय- 1 दो ध्रुवीयता का अंत के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय 1 राजनीति विज्ञान के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 12 Political Science Book-1 Chapter-1 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय- 1 “दो ध्रुवीयता का अंत”

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षाबारहवीं (12वीं)
विषयराजनीति विज्ञान
पाठ्यपुस्तक समकालीन विश्व राजनीति
अध्याय नंबरएक (1)
अध्याय का नामदो ध्रुवीयता का अंत
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 12वीं 
विषय- राजनीति विज्ञान
पुस्तक- समकालीन विश्व राजनीति
अध्याय-1 (दो ध्रुवीयता का अंत)

1- बर्लिन की दीवार को 1989 में गिराया गया।

2- 15 गणराज्यों से मिलकर सोवियत संघ की स्थापना हुई। 

3- रूस में समाजवादी क्रांति के बाद समाजवादी सोवियत गणराज्य (यू एस एस आर) 1917 में अस्तित्व में आया।

4- शॉक थेरेपी से अभिप्राय आघात पहुंचाकर उपचार करना है।

5- वर्ष 1991 में सोवियत संघ के रूस, यूक्रेन और बेलारूस गणराज्यों ने सोवियत संघ समाप्ति की घोषणा की।

6- वर्ष 2010 में शुरू हुआ ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन प्रकार राजनीतिक आंदोलन में बदल गया।

7- वर्ष 1979 में अफगान संकट की घटना हुई। 

8- दो ध्रुवीयता का अंत 25 दिसंबर, 1991 में हुआ।

9- मिखाइल गोर्बाचेव ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरुआत की। 

10- शॉक थेरेपी को वर्ष 1990 में अपनाया गया।

11- सोवियत संघ को अब रूस के नाम से जाना जाता है।

12- बर्लिन की दीवार पूंजीवादी-साम्यवादी एकीकरण का प्रतीक थी।

13- शॉक थेरेपी के परिणाम-

  1. खराब अर्थव्यवस्था- शॉक थेरेपी के कारण देश की अर्थव्यवस्था की हालत नाज़ुक बनी हुई थी, जिसके कारण इसका औद्योगिक क्षेत्र भी बिल्कुल चरमरा गया। करीब 90% उद्योगों को निजी हाथों में बेच दिया गया। 
  2. रूस की मुद्रा में गिरावट- रूबल में उस समय खासा गिरावट देखने को मिली। बढ़ती मुद्रा स्फीति ने देश के नागरिकों की जमा पूंजी पर नकारात्मक प्रभाव डाला, साथ ही इससे उनके लिए खाद्यान समस्या भी उत्पन्न होने लगी। 
  3. अमीर-गरीब के अंतर में बढ़ोत्तरी- शॉक थेरेपी ने निजीकरण को बढ़ावा दिया, जहां अमीर और गरीब के बीच का अंतर और भी बढ़ता दिखाई देने लगा। 
  4. समाज के कल्याण की व्यवस्था समाप्त- सोवियत संघ में चल रही सामाजिक कल्याण व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। अब लोग और भी ज्यादा गरीब एवं लाचार होने लगे। 

14- सोवियत व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं-

  1. योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था- सोवियत संघ में अर्थव्यवस्था की पूर्ण जिम्मेदारी राज्य के हाथों में थी, साथ ही यह पूर्व से ही योजनानुसार चलाई जा रही थी। 
  2. एक पार्टी का प्रभुत्व- यहां पर साम्यवादी दल का ही अस्तित्व था, किसी भी और पार्टी के होने की कोई सम्भावना नहीं थी। 
  3. राज्य का सम्पूर्ण नियंत्रण- देश में सभी क्षेत्रों पर राज्य का सीधा नियंत्रण था, सभी लोगों के पास रोजगार उपलब्ध था। 
  4. लोक कल्याण/सामाजिक कल्याण पर बल- सोवियत सरकार का मुख्य बल समाज के प्रत्येक तबके के स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आदि पर केंद्रित था। 

15- सोवियत प्रणाली की कमजोरियां- 

  • एकदलीय प्रणाली- सोवियत संघ एक ही दल का प्रभुत्व था जिसके कारण दल के नेता केवल अपने हित का ही सोचते रहे। 
  • वस्तुओं के स्तर में कमी- पश्चिम की तुलना में सोवियत संघ की उपभोक्ता वस्तुओं का स्तर बेहद नीचे था। 
  • रूस का प्रभाव- सोवियत संघ 15 गणराज्यों से मिलकर बना है, जिसमें सभी राज्यों के साथ एक व्यवहार नहीं था, रूस को छोड़ दें तो अन्य सभी गणराज्य स्वयं को दमित महसूस करने लगे थे। 
  • लोकतंत्र की हत्या- सोवियत संघ में अलोकतांत्रिक हस्तक्षेप के चलते लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो चुकी थी, जिसके कारण जनता में आक्रोश बढ़ने लगा। 

16- सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को विश्व के अन्य देशों की सरहाना-

  1. सोवियत संघ की घरेलू अर्थव्यवस्था इस समय हर प्रकार की वस्तु का उत्पादन करने के लिए तैयार थी। 
  2. यह वह समय था जब सोवियत संघ के पास ऊर्जा संसाधनों एवं मशीनरियों का भण्डार था। 
  3. योजनानुसार अर्थव्यवस्था को राज्य के नियंत्रण द्वारा चलाया जा रहा था। 
  4. सोवियत संघ का इस समय जोर समाज तथा लोक कल्याण की ओर था, सभी सुविधाएं जन जन तक आसानी से पहुंच रही थीं। 

17- क्या सोवियत संघ के विघटन से समाजवाद का अंत संभव है?

सोवियत संघ के विघटन के कारण समाजवाद का अंत होना संभव नहीं हो सकता। सोवियत संघ प्रणाली 15 गणराज्यों से मिलकार बनाई गई, जिसने समाजवाद के सिद्धांत को प्रधान माना। सोवियत सहज के विघटन से एक संघ का अंत हो सकता है, परन्तु समाजवाद जैसे विचार को मारा नहीं जा सकता। 

18- अरब स्प्रिंग के उद्देश्य एवं परिणाम-

अरब स्प्रिंग बनाने के मुख्य उद्देश्य थे- राजनीतिक स्वतंत्रता से शासन को दुरुस्त करना, लोकतंत्र स्थापित करना तथा शिक्षा और रोजगार के अवसर निकालना आदि। 
अरब स्प्रिंग के परिणाम- सीरिया में गृहयुद्ध का आरम्भ हुआ। कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारियां हुई। यमन के राष्ट्रपति को अपनी सत्ता छोड़नी पड़ी। कई अन्य राष्ट्रों में कुछ संवैधानिक सुधार किए गए। 

19- रूस के साथ जुड़े ज्यादातर गणराज्य युद्ध और संघर्ष की आशंका से घिरे राज्य रहने के कारण-

  1. इन राज्यों से खासा रूस को बेहद अपेक्षाए हैं, रूस इन गणराज्यों को अपने प्रभाव में रखना चाहता है। 
  2. इन गणराज्यों के पास अतिरिक्त पेट्रोलियम के संसाधन होने के कारण बाहरी ताकतों की इन देशों पर विशेष नज़र है। 
  3. चीन ने भी इन देशों से लाभ अर्जित करने के लिए इनके सीमावर्ती क्षेत्रों से व्यापार करना शुरू कर दिया है। 
  4. अमेरिका जैसे बड़े देश अपने सैनिक अड्डे बनाने के लिए इन देशों की जमीने किराए पर लेने के लिए कितनी भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं। 

20- सोवियत संघ में सोवियत व्यवस्था की सकारात्मक तथा नकारात्मक विशेषताएं-

सकारात्मक विशेषताएं

  1. घरेलु उद्योगों का विकास- सोवियत संघ ने औद्योगिक स्तर पर खासी उन्नति कर ली थी, घरेलु स्तर पर ही सभी वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा था। सोवियत संघ में पिन से लेकर कार तक का उत्पादन हो रहा था। 
  2. सुनिश्चित जीवन स्तर- सोवियत संघ के लोगों को न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित थे, सबके पास रोजगार एवं लोक कल्याण सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी थीं। 
  3. दुरुस्त संचार एवं परिवहन प्रणाली- सोवियत संघ ने अपने आप को छोटे से छोटे प्रदेशों से भी जोड़े रखा। संचार की उत्तम प्रणाली तथा परिवहन के जरिये सोवियत संघ के लिए ये और भी आसान था। 

नकारात्मक विशेषताएं

  1. एक दल का प्रभुत्व- सोवियत संघ में एक ही पार्टी का शासन होने के कारण दल में जिम्मेदारी की कमी थी एवं कार्यों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गया था। 
  2. लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी न होना- सोवियत संघ में लोगों के पास न तो लोकतंत्र की आज़ादी थी न ही अभिव्यक्ति की, जिसके चलते लोगों में विद्रोह की भावना उमड़ने लगी थी। 
  3. नौकरशाही का प्रभाव- नौकरशाही का अत्यधिक प्रभाव होने के कारण सोवियत रूस की प्रणाली समाजवादी से दूर होकर सत्तावादी होती चली गई। 

21- मिखाइल गोर्बाचेव का सभी प्रयासों तथा सुधारों को लागू करने पर भी सोवियत संघ के विघटन के कारण- 

सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ की प्रणाली की कमियों को सुधारने का प्रयत्न किया, उन्होंने पश्चिम के साथ सोवियत संघ के रिश्तों को बेहतर बनाने का प्रयास किया, जिसके परिणाम का अंदाज़ा किसी ने भी नहीं लगाया था। पूर्वी देश की जनता ने भी अब सोवियत नियंत्रण का विरोध करना शुरू कर दिया, जिससे साम्यवादी सरकारों का पतन होने लगा। इसका असर सोवियत संघ के भीतर भी देखने को मिला जिसके कारण सोवियत संघ का पतन हुआ। 

सोवियत संघ के पतन के 4 कारण-

अर्थव्यवस्था की धीमी रफ़्तार- अर्थव्यवस्था की धीमी गति के चलते उपभोक्ता वस्तुओं की कमी रहने लगी, जिसके लिए जनता ने आगे आकर सरकार का विरोध शुरू कर दिया। 

जनता का पश्चिम की ओर झुकाव- जैसे-जैसे जनता को यह आभास हुआ की सोवियत संघ पश्चिम की तुलना में बेहद पिछड़ा हुआ है, जिससे जनता को आघात पहुंचा और सोवियत संघ विघटन की राह पर हो लिया। 

राजनीतिक संस्थाओं का कमजोर पड़ना- सोवियन संघ में अब राजनितिक संस्थाएं कमजोर होने लगी थीं, जो जनता की इच्छाओं को पूरा कर पाने में विफल हुई। यही आगे जाकर सोवियत संघ के विघटन का कारण बना। 

प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार- लम्बे समय तक चले कम्युनिस्ट्स के शासन के बाद दल ने जनता के प्रति अपनी जवाबदेही खत्म कर दी थी। इसी के कारण भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी होने लगी, जो आगे आकर सोवियत संघ के विघटन का कारण बना। 

22- शॉक थेरेपी और साम्यवादी शासन व्यवस्था को परिवर्तित करने में इसकी भूमिका-

शॉक थेरेपी का अर्थ है आघात पहुँचाकर उपचार करना। विश्वबैंक और अंतर्राष्टीय मुद्रा कोष के निर्देशन में इस मॉडल को अपनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपना कर सोवियत संघ की सभी प्रणालियों से मुक्त होना। साम्यवादी शासन की व्यवस्था को परिवर्तित करने में इसकी भूमिका अहम रही। इसके चलते-

1) मुक्त व्यापार को अपनाने की बात हुई। 
2) राज्य की सम्पदा का पूर्ण निजीकरण किया गया। 
3) पूंजवादी पद्धति से कृषि करना शुरू किया गया। 
4) पश्चिम देशों ने इन कार्यों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया। 
5) सोवियत गुटों से जुड़े देशों के बीच के व्यापारिक संबंधों को खत्म किया गया। 
6) इन देशो को सीधे पश्चिमी देशों से मिलाने पर बल दिया गया। 

23- सोवियत प्रणाली और सोवियत संघ के विघटन के परिणाम-

सोवियत संघ की प्रणाली को 1917 की रूस की समाजवादी क्रांति के पश्चात अपनाया गया। यह साम्यवादी विचारधारा पर आधारित प्रणाली है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ दूसरी विश्व शक्ति के रूप में दुनिया के सामने आया। सोवियत संघ के विघटन के निम्न परिणाम सामने आये-

  1. सोवियत संघ के विघटन के फलस्वरूप शीतयुद्ध का अंत हुआ, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर चल रही हथियारों की प्रतिद्वंद्विता समाप्त हुई। 
  2. समाजवादी प्रणाली और पूंजीवादी प्रणाली के बीच का युद्ध भी इसके साथ समाप्त हुआ। 
  3. इसके बाद अब मात्र अमेरिका ही इकलौती महाशक्ति के रूप में सामने आया। 
  4. इससे अमेरिकी दबदबा सम्पूर्ण विश्व पर हो गया। 
  5. नए देशों जिसमें पूर्वी यूरोप के देश और बाल्टिक देश जो यूरोपीय देशों का हिस्सा बनना चाहते थे सामने आये। 

24- दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए?

कथन के पक्ष में तर्क –

दूसरी दुनिया यानी सोवियत संघ के विघटन के बाद अब सोवियत संघ महाशक्ति नहीं बचा, अमेरिका के रूप में एकमात्र महाशक्ति ही विश्व में विद्यमान हुई। ऐसे में भारत का अमेरिका से राजनीतिक सम्बन्ध बनाना निन्न कारणों से सही है-

  1. आर्थिक रूप से अमेरिका एक समृद्ध राष्ट्र है। भारत एक विकसशील देश है, जिसके लिए अमेरिका जैसे विकसित देश का साथ होने, आर्थिक रूप से बेहद मददगार साबित होगा। 
  2. अमेरिका में 2001 में हुए आतंकवादी हमले के बाद से अमेरिका ने भी आतंकवाद की घोर निंदा की है। भारत के लिए ऐसे में अमेरिका के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने से आतंकवाद के खिलाफ भारत को मजबूत साथी मिलेगा। 
  3. भारत और अमेरिका दोनों ही लोकतान्त्रिक देश हैं, ऐसे में अमेरिका के साथ अच्छी दोस्ती भारत को सहयोग प्रदान करेगी। 

कथन के विपक्ष में तर्क-

  1. भारत को इस समय रूस के साथ अपनी मित्रता पर काम करने की आवश्यकता है। रूस और भारत दोनों ने ही उदारीकरण की प्रक्रिया को अपनाया है। इन रिश्तों को 2000 में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने और सकारात्मक दिशा दी है। 
  2. 1971 में बांग्लादेश संकट के समय में भारत सोवियत संघ की संधि के कारण सोवियत संघ ने भारत की रक्षा मामले में काफी मदद की, जिसके कारण आज भारत को भी रूस का साथ निभाने की जरूरत है। 

25- सोवियत संघ और पूंजीवादी देश की अर्थव्यवस्था में अंतर- 

  1. सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में आम नागरिकों का न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित किया गया था, लोगों के पास रोजगार की संभावनाएं थीं, परन्तु अमेरिकी नागरिकों के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था। 
  2. सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था एक केंद्रीकृत अर्थव्यवस्था थी, वहीं अमेरिका की अर्थव्यवस्था ने मुक्त व्यापार की नीति अपनाई थी। 
  3. सोवियत संघ में चल रही अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध थी और राज्य पर इसका पूर्ण नियंत्रण था। राज्य ने लोहा, इस्पात जैसे उद्योगों पर अपना नियंत्रण रखा और दूर के क्षेत्रों को भी अपने साथ जोड़े रखा, वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर राज्य द्वारा कोई नियंत्रण नहीं था। 
  4. राज्य में सभी प्रकार के उपभोगता वस्तुओं के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा था। यहां पिन से लेकर कार तक का उत्पादन किया गया, परन्तु अमेरिका में ऐसा नहीं था। 
  5. सोवियत संघ में पर्याप्त संसाधनों का विशाल भंडारण मौजूद था। इस प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी अर्थव्यवस्था कहीं पीछे थी। 
  6. सोवियत अर्धव्यवस्था के मॉडल का केंद्र समाज कल्याण था। सरकार ने लोगों को सभी बुनियादी सुविधाएं, शिक्षा, सब्सिडी आदि दी। इसके विपरीत अमेरिका में निजी संपत्ति ने समाज को बनाने का काम किया। 

26- सोवियत संघ का विघटन और भारत-

भारत ने शीट युद्ध के समय में गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई, जिसमें भारत किसी भी गुट में शामिल नहीं था।  सोवियत संघ के साथ भारत की 1971 की संधि के कारण ही दोनों देशों के मध्य मैत्री बनी हुई थी। भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के ये परिणाम रहे-

  1. एक ध्रुवीय विश्व की स्थापना – अमेरिका के रूप में एक महाशक्ति का जन्म हुआ, जिसने विभिन्न देशों के आतंरिक मामलों में दखल देना शुरू कर दिया, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। 
  2. विश्व शान्ति की स्थापना – शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद, विश्व में चल रही हथियारों की होड़ अब समाप्त हो गई थी। इस तरह उन देशों जो दोनों में से किसी भी गुट में शामिल नहीं थे, को शान्ति की कुछ आस दिखाई देने लगी। 
  3. रूस का उदय – सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस इसके उत्तराधिकारी के रूप में सामने आया जिसने इस समय पुनः हथियारों की होड़ करना शुरू कर दिया। दोनों के मध्य भारत इस समय अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए अमेरिका की ओर देख रहा है। 

27- शॉक थेरेपी- साम्यवाद को छोड़ने तथा पूंजीवादी की ओर पलायन-

शॉक थेरेपी का अर्थ है आघात पहुंचाकर उपचार करना। साम्यवादी प्रणाली से पूंजीवादी प्रणाली की ओर पलायन। विश्वबैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 1990 में इस प्रणाली को शॉक थेरेपी की संज्ञा दी थी। जिसका मुख्य उद्देश्य था कि सोवियत संघ की साम्यवादी अर्थव्यवस्था से पूर्ण मुक्त होकर, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को पूर्ण रूप से अपना लेना। 

इसके अंतर्गत उठाए गए कदम-

  1. इसके साथ ही सभी प्रकार के सामूहिक कार्यों का निजीकरण कर दिया गया। 
  2. समाजवाद या पूंजी वाद के अलावा किसी भी प्रकार की अर्थव्यवस्था को स्वीकार नहीं किया गया। 
  3. पश्चिमी देशों ने इसमें मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। 

इस मॉडल को ही अब अधिक से अधिक व्यापार करने के लिए अपना लिया गया और मुक्त व्यापार किया गया। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाने का यह तरीका ज्यादा दिन चला नहीं एवं इसके कई नकारात्मक परिणाम देखने को मिले, जैसे-

  1. रूस का औद्योगिक ढांचा जो राज्य के नियंत्रण में था, इसका 90% हिस्सा निजी कंपनियों को बेच दिया गया, इसे ही इतिहास की सबसे बड़ी गैराज सेल भी कहा गया। 
  2. इससे समाज कल्याण की व्यवस्था का अंत हो गया। जिससे गरीब और अमीर के बीच का अंतर और भी बढ़ गया। 
  3. रूबल के मूल्यों में निरंतर गिरावट आने से मुद्रा स्फीति कई गुना बढ़ गई, जिससे लोग बेरोजगार होते गए एवं उनकी जमा पूंजी भी समाप्त हो चुकी थी। 
अध्याय 1 का वीडियो भी देखें
PDF Download Link
कक्षा 12 राजनीति विज्ञान के अन्य अध्याय के नोट्सयहाँ से प्राप्त करें

Leave a Reply