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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 8 जटायोः शौर्यम्

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PP Team
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हम आपके के लिए इस आर्टिकल के माध्यम कक्षा 9 संस्कृत जटायोः शौर्यम् के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। कक्षा 9 संस्कृत पाठ 8 के प्रश्न उत्तर परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हैं। इसके लिए छात्र बाजार में मिलने वाली गाइड या कुंजी पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन आप इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 8) पूरी तरह मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कक्षा 9 संस्कृत पाठ 8 जटायोः शौर्यम् के प्रश्न उत्तर पढ़कर परीक्षा में अच्छे अंक भी प्राप्त कर सकते हैं।

NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 8 जटायोः शौर्यम्

हमने आपके ये सभी कक्षा 9 संस्कृत के एनसीईआरटी समाधान सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए हैं। इन समाधान से आप आने वाली परीक्षा की तैयारी बेहतर कर सकते हैं। शेमुषी भाग 1 पुस्तक में कुल 10 अध्याय है। पहले इसमें कुल 12 अध्याय थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर 10 कर दी गई हैं। आइये फिर नीचे एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 8 (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 8 जटायोः शौर्यम्) पढ़ना शुरू करें।

पाठ 8 जटायोः शौर्यम्
अभ्यासः

1. एकपदेन उत्तरं लिखत:-

(क) आयतलोचना का अस्ति?

उत्तराणि :- सीता।

(ख) सा कं ददर्श?

उत्तराणि :- गृध्रम।

(ग) खगोत्तम: कीदृशीं गिरं व्याजहार?

उत्तराणि :- शुभाम्।

(घ) जटायु: काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार?

उत्तराणि :- तीक्ष्णनखाभ्यां चरणाभ्यां च।

(ङ) अरिन्दम: खगाधिपः कतई बाहून् व्यपाहरत्?

उत्तराणि :- दश।

2. अधोलिखिततानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषाया लिखत–

(क) “जटायो! पश्य” इति का वदति?

उत्तराणि :- “जटायो! पश्य” इति सीता वदति?

(ख) जटायुः रावणं किं कथयति?

उत्तराणि :- जटायु: रावणं कथयति यत् नीचां मतिं परदाराभिमर्शनात् निवर्तय। धीर: तत् न समाचरेत् यत् पर: विगर्हयेत।

(ग) क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यत: अभवत्?

उत्तराणि :-  क्रोधोन्मत्त रावणः तलेन जटायु: हन्तुम् उद्यत: अभवत्।

(घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज?

उत्तराणि :- पतगेश्वर : रावणस्य मुक्तामणि विभूषितं चापं सशरं बभज।

(ङ) जटायु: केन वामबाहुं दंशति?

उत्तराणि :- जटायु: तुण्डेन  वामबाहुं दंशति

3. उदाहरणमनुसृत्य णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत:-

यथा – गुण + णिनि = गुणिन् (गुणी)

दान + णिनि = दानिन् (दानी)

(क) कवच + णिनि = …………

(ख) शर + णिनि = ……….

(ग) कुशल – णिनि = …………..

(घ) धन + णिनि = …………..

(ङ) दण्ड + णिनि = …………

उत्तर:

(क) कवच + णिनी = कवचिन (कवची)

(ख) शर + णिनी = शरिन् (शरी)

(ग) कुशल + णिनी = कुशलिन् (कुशल)

(घ) धन + णिनी = धनिन् (धनी)

(ङ) दंड + णिनी = दंडिन् (दण्डी)

(अ) रावणस्य जटायोश्च विशेषणानि सम्मिलितरूपेण लिखितानि तानि पृथक् –  पृथक्  कृत्वा लिखत-

(युवा, सशरः, वृद्धः, हताश्व:, महाबलः, पतगसत्तमः, भग्नधन्वा, महागृध्रः, खगाधिपः, पतगेश्वरः, सरथः, कवरी, शरी)

यथा :-   रावण:    जटायुः

            युवा       वृद्ध:

          ………       ………

           ………       ……..

           ………        ……..

             ……..     ………

उत्तराणि:-

   सशर:    महाबल:

   हताश्व:   पतगसत्तमः

   भग्नधन्वा  महागृध्रः

    सरथ:     पतगेश्वरः

   कवची      शरी

4. ‘क’ स्तम्भे लिखितानां पदानां पर्यायाः ‘ख’ स्तम्भे लिखिता:। तान् यथासमक्षं योजयत –

(क) (ख)
कवची       अपतत्
आशु        पक्षिश्रेष्ठ
विरथ:      पृथिव्याम्
पपात       कवचधारी
भुवि.        शीघ्रम
पतगसत्तमः   रथविहीन:

उत्तराणि:-

(क) (ख)
कवची       कवचधारी
आशु        शीघ्रम
विरथ:      रथविहीन
पपात       अपतत्
भुवि.        पृथिव्याम्
पतगसत्तमः   पक्षिश्रेष्ठ:

5. अधोलिखितानां पदानां/विलोमपदानि मञ्जूषायां दत्तेषु पदेषु. चित्वा यथासमक्षं लिखत –

(मन्दम्, पुण्यकर्मणा, हसन्ती, अनार्य, अनतिक्रम्य, प्रदाय, देवेन्द्रेण, प्रशंसेत् दक्षिणेन, युवा)

पदानि      –     विलोम शब्दाः
विलपन्ती  –   ___
आर्य –     ___
राक्षसेन्द्रेण –  ___
पापकर्मणा –  ___
क्षिप्रम् – ____
विगर्हयेत – ___
वृद्धः – ___
आदाय – ___
वामेन –  ___
अतिक्रम्य –  ___

उत्तराणि:-

  • विलपन्ती – हसन्ती
  • आर्य-अनार्य
  • राक्षसेन्द्रेण – देवेन्द्रेण
  • पापकर्मणा – पुण्यकर्मणा
  • क्षिप्रम् – मन्दम्
  • विगर्हयेत – प्रशंसेतु
  • वृद्धः – युवा
  • आदाय प्रदाय
  • वामेन – दक्षिणेन
  • अतिक्रम्य – अनतिक्रम्य
6. उदाहरणमनुसृत्य समस्तं पदं रचयत –

यथा- त्रयाणां लोकानां समाहारः – त्रिलोकी

  • पञ्चाना वटानां समाहारः – …………..
  • सप्तना पदानां समाहारः – ……………
  • अष्टानां बंधेनां समाहारः – …………
  • चतुर्णा मुखाना समाहारः – ………..

उत्तराणि:-

  • पञ्चानां बटानां समाहारः – पञ्चवटी
  • सप्तनां पदानां समाहारः – सप्तपदी
  • अष्टानां बंधेनां समाहारः – अष्टभुजी
  • चतुर्णा मुखानां समाहारः – चर्तुमुखी

आपको एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 8 जटायोः शौर्यम् प्राप्त करके कैसा लगा?, हमें अपना सुझाव जरूर दें। आप हमारी वेबसाइट से सभी विषयों की एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही एनसीईआरटी समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं।

कक्षा 9 संस्कृत के अन्य पाठयहाँ से देखें

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