इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 9वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक यानी ”समकालीन भारत-1” (भूगोल)” के अध्याय-4 “जलवायु” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 4 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 9 Geography Chapter-4 Notes In Hindi
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अध्याय-4 “जलवायु“
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | नौवीं (9वीं) |
विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | समकालीन भारत-1” (भूगोल) |
अध्याय नंबर | चार (4) |
अध्याय का नाम | “जलवायु” |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 9वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- समकालीन भारत-1” (भूगोल)
अध्याय- 4 “जलवायु”
किसी देश या विशाल क्षेत्र का मौसम लंबे वर्षों तक कैसा है (विविधता और अवस्था) इसका योग ही वहां की जलवायु के विषय में बता सकता है। मौसम और जलवायु के तत्व एक ही होते हैं, जैसे वायुमंडलीय दाब, आर्द्रता और वर्षण आदि। यह देखा गया है कf मौसम की अवस्था का एक दिन में कई बार बदलाव होता है।
भारतीय जलवायु
- यह मौसमी जलवायु है, यह एशिया में दक्षिण और दक्षिण पूर्व के क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत में प्रादेशिक स्तर पर भी जलवायु में भिन्नताऐं पाई जाती हैं।
- जैसे गर्मियों में राजस्थान का तापमान काफी अधिक और जम्मू कश्मीर का तापमान काफी कम होता है। इसके साथ ही वर्षण की मात्रा और रूप में भी अंतर पाया जाता है, जैसे हिमालय में हिमपात होता है, वहीं मैदानी भागों में यह वर्षा के रूप में ही होता है।
- मेघालय में 400 से. मी. और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में बारिश काफी अधिक और राजस्थान और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में वर्षा 10 से. मी. से भी कम होती है।
जलवायु में नियंत्रण
क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारक-
- अक्षांश
- तुंगता (ऊंचाई)
- वायु दाब और पवन तंत्र
- समुद्र से दूरी
- महासगरिय धाराएं
- उच्चावच लक्षण
अक्षांश–
- पृथ्वी पर सौर ऊर्जा की मात्रा अक्षांशों के कारण भिन्न होती है। भारत में कर्क रेखा पश्चिम से लेकर पूर्व तक है, देश का जो भाग कर्क रेखा के दक्षिण में आता है, वह उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र है, और उत्तर का भाग उपोषण कटिबन्ध।
ऊंचाई–
- ऊंचाई पर जाने से वायुमंडल की सघनता के कारण तापमान में कमी आती है, यही कारण है पहाड़ों में गर्मियों में भी मौसम ठंडा ही रहता है।
- भारत का हिमालय जिसकी औसत ऊंचाई 6,000 मीटर है, वह मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारत के उपमहाद्वीपों में प्रवेश करने से रोक देती है, जिससे यहाँ का तापमान कम नहीं हो पाता।
वायु दाब और पवन तंत्र–
- किसी क्षेत्र का वायु दाब और पवनें वहां की अक्षांश और ऊंचाई पर भी निर्भर करता है। यह तापमान और वर्षा के वितरण पर भी प्रभाव डालता है। समुद्र भी जलवायु पर प्रभाव डालता है, और समुद्र से दूरी इस प्रभाव को कम करती है।
- इससे लोग विषम मौसम की अवस्था को महसूस करते हैं, इसे महाद्वीपीय अवस्था कहा जाता है। भारत की जलवायु इन वायुमंडलीय अवस्थाओं से संचालित होती है- वायु दाब और धरातलीय पवनें, ऊपरी वायु परिसंचरण, पश्चिमी चक्रवती विक्षोभ और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात।
- भारत उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनों के क्षेत्र में स्थित है, जिनका निर्माण उत्तरी गोलार्ध के उपोषण कटिबंधीय उच्च दाब पट्टियों से होता है।
- ये पवनें कम नमी वाली होती हैं, क्योंकि ये स्थलीय भागों पर बनती और बहती हैं।
ऋतुएं
- एक विशिष्ट प्रकार का मौसम मानसूनी जलवायु की विशेषता है, मौसम की अवस्थाओं में एक ऋतु से दूसरी ऋतु में भिन्नता पाई जाती है।
- यह प्रदेशों में भी देखने को मिलती है। तटीय प्रदेशों में तापमान में भिन्नता नहीं होती, वर्षण में होती है।
भारत की मुख्य चार ऋतुएं
शीत ऋतु–
- भारत के उत्तर में मध्य नवंबर से फरवरी तक शीत ऋतु रहती है। इनमें दिसंबर और जनवरी का समय सबसे ठंडा होता है।
- दक्षिण में इस समय तापमान उत्तर के मुकाबले ज्यादा होता है। जब उत्तर में तापमान 10 से 15 डिग्री होता है तब चेन्नई में यह 24 से 25 डिग्री होता है।
- देश में उत्तर पूर्वी व्यापारिक पवनें बहती हैं, जो मैदानों से समुद्र की ओर जाती हैं। तमिलनाडु में इस समय बारिश होती है क्योंकि वहां ये पवनें स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं।
- उत्तर के भाग उच्चावच का क्षेत्र बन जाते हैं, जिससे ये पवनें पश्चिम से उत्तर पश्चिम की ओर गंगा घाटी में बहती हैं। इस मौसम में साफ आसमान, तापमान और आर्द्रता कम ही होती है।
ग्रीष्म ऋतु–
- भारत में मार्च से मई तक ग्रीष्म ऋतु होती है, भूमंडलीय ताप पट्टी सूर्य के उत्तर की ओर आभासी गति करने के कारण उत्तर की तरह खिसक जाती है।
- मार्च में दक्कन के पठार का तापमान 38 डिग्री होता है, अप्रैल में यह मध्यप्रदेश में 42 डिग्री होता है।
- उत्तर-पश्चिमी भारत का तापमान ज्यादा और प्रायद्वीपीय भारत का तापमान कम होता है, ऐसा समुद्र के प्रभाव के कारण होता है।
- इस समय उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में लू चलती है, मई में यहाँ आंधियां आती हैं जो बढ़े हुए ताप को कम कर देती हैं। यह ठंडी पवनें अपने साथ लेकर आती हैं, पश्चिम बंगाल में इसे ‘काल वैशाख’ के नाम से जाना जाता है।
वर्षा ऋतु और मानसून–
- उत्तरी मैदानों में जून के महीने में निम्न दाब कम हो जाता है, जो दक्षिण गोलार्ध की व्यापारिक पवनों को आकर्षित करता है, ये पवनें महासागर से होकर आती हैं, जो अपने साथ नमी भी लाती हैं।
- इनकी गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। यह दक्षिण पश्चिम मानसून भारत के मौसम को बदल देती हैं। इन पवनों से ज्यादातर वर्षा उत्तर-पूर्वी भारत में होती है।
- मानसून के समय में वर्षा में विराम की स्थिति भी आती है, कुछ दिनों तक रहने वाली वर्षा के साथ वर्षा रहित मानसून भी होता है।
- मानसून के गर्त के कारण ऐसा होता है, जो दक्षिण से पूर्व की ओर होता रहता है। गर्त के मैदानों पर होने से यहाँ अधिक बारिश होती है, जब यह अक्ष हिमालय के पास जाता है, तब शुष्क मौसम हो जाता है।
- मैदानों में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ जाती है। मानसून इसी गर्त के आधार पर अपनी गति में परिवर्तन करता है। यही कारण है कि एक भाग में बाढ़ आती है, और दूसरे में अकाल पड़ता है।
- अक्टूबर का महिना गर्म से शीत वर्षा ऋतु में बदलता है, इस समय दिन का तापमान अधिक और राते ठंडी होती हैं। इसे ‘क्वार की उमस’ कहा जाता है।
वर्षा का वितरण
- भारत के भिन्न राज्यों में वर्षा का वितरण भी भिन्न है। यह पश्चिमी तट और उत्तर-पूर्व के भागों में 400 सेमी वार्षिक होती है। वहीं राजस्थान के पश्चिमी भाग, पंजाब, हरियाणा आदि में 60 सेमी से भी कम।
- जम्मू से लेह आदि में भी वर्षण कम होता है, और देश के अन्य हिस्सों में यह मध्यम ही रहता है। हिमालय के क्षेत्रों में हिमपात की मात्रा अधिक रहती है।
- एक वर्ष में हुई वर्षा की मात्रा का असर दूसरे वर्ष पर भी होता है।
मानसून एवं प्राकृतिक एकता
- हिमालय उपमहाद्वीप को ठंडी पवनों से बचाता है। प्रायद्वीपीय पठार में समुद्र का प्रभाव तीनों ओर से होने के कारण यह गर्मी और सर्दी की अधिकता से बचाता है।
- पवनों की दिशाओं में ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होता रहता है, जो ऋतु चक्र को परिवर्तित करता है।
- भारत की संस्कृति, त्योहार, कृषि चक्र आदि सभी इसी ऋतु चक्र पर आधारित है। भारत के वासी मानसून का इंतजार करते हैं ताकि वे अपनी फसलों के लिए जल की प्रयाप्त मात्रा प्राप्त कर सकें।
- इससे सम्पूर्ण देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ प्रतीत होता है।
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