भारत में हर साल अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार और पर्व होते हैं लेकिन अगर देखा जाए, तो सबसे ज़्यादा त्योहार हिंदू धर्म में होते हैं। जनवरी से लेकर दिसंबर तक शायद ही ऐसा कोई महीना होता होगा जिसमें कोई त्योहार न हो। आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे हिंदुओं के मकर संक्रांति त्योहार की ताकि आप मकर संक्रांति के बारे में में जान सकें। इसके लिए आप हमारा इस पेज पर दिया गया मकर संक्रांति पर निबंध पढ़ सकते हैं।
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति का पर्व हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदुओं के पर्वों की शुरुआत मकर संक्रांति से ही होती है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो सूर्य देव के राशि चक्र के मकर राशि में संक्रमण का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। ‘मकर’ का अर्थ मकर है और ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण है, इसलिए ‘मकर संक्रांति’ का अर्थ है सूर्य का राशि चक्र में मकर राशि में संक्रमण, जिसे हिंदू धर्म के अनुसार सबसे शुभ अवसरों में से एक माना जाता है।
मकर संक्रांति को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है और गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से भक्तों के जीवन में समृद्धि और खुशियाँ आती हैं। मकर संक्रांति देश भर में विभिन्न नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है जैसे तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, गुजरात में उत्तरायण, पंजाब और हरियाणा में माघी, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी आदि। महाराष्ट्र और कर्नाटक में लोग मिठाइयाँ बाँटते हैं। मकर संक्रांति के दिन आसमान रंगीन पतंगों से भर जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने का चलन राजस्थान और गुजरात में अधिक है।
ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन चावल, गेहूं, मिठाई दान करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है और उसकी सभी बाधाएं भी दूर होती हैं। मकर संक्रांति तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों के बिना अधूरी है। लोग परिवार और दोस्तों के साथ गजक, चिक्की, तिल के लड्डू आदि मिठाई तैयार करते हैं और साझा करते हैं।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
मकर संक्रांति त्यौहार को भारत में मनाने के पीछे कई सारी मान्यता हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विष्णु भगवान ने देवताओं और असुरुओं के बीच युद्ध समाप्त कर दिया था जो की हजार वर्षों से चल रहा था। इसलिए लोगो के लिए यह बुराई का अंत और सच्चाई के युग की शुरुआत का महोत्सव है। इसके अलावा एक और विश्वास यह है कि भीष्म को अपने पिता से एक वरदान मिला था कि जब वह अपने प्राण त्यागना चाहेंगे केवल तभी मर पाएंगे, इसी दिन उन्होंने अपने नश्वर रूप को त्यागने का फैसला लिया था। इसलिए यह अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।
खगोलशास्त्र के मुताबिक सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, या पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब दक्षिणायन में रहता है, तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण के छह माह को दिन कहा जाता है। दक्षिणायन को नकारात्मकता और अंधकार का प्रतीक तथा उत्तरायण को सकारात्मकता एवं प्रकाश का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं एवं इसी मार्ग से पुण्यात्माएं शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं।
सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है। क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था। इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर या उत्तरायण में सूर्य का संक्रमण आध्यात्मिक महत्व का है और यह माना जाता है कि गंगा जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से हमारे सभी पापों को धोने में मदद मिलती है और यह हमारी आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाता है। मकर संक्रांति से रातें छोटी हो जाती हैं और दिन लंबे होने लगते हैं जो आध्यात्मिक प्रकाश की वृद्धि और भौतिकवादी अंधकार को कम करने का प्रतीक है। यह भी माना जाता है कि ‘कुंभ मेले’ के दौरान मकर संक्रांति पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान करने का बहुत महत्व है जो हमारे सभी पापों को धो देता है और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।
मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्न्नान करने का बहुत महत्व है। एक अन्य पौराणिक प्रसंग के अनुसार भीष्म पितामह महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करते रहे। उन्होंने मकर संक्रान्ति पर अपने प्राण त्यागे थे। यह भी मान्यता है कि इस दिन मां यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
पदम पुराण के मुताबिक सूर्य के उत्तरायण होने के दिन यानी मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य का बहुत महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से दस हजार गौदान का फल प्राप्त होता है। इस दिन ऊनी कपड़े, कम्बल, तिल और गुड़ से बने व्यंजन व खिचड़ी दान करने से भगवान सूर्य एवं शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। वैसे तो सूर्य के उत्तरायण होने वाले माह में किसी भी तीर्थ, नदी एवं समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य करके कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है, लेकिन प्रयागराज संगम में स्नान का फल मोक्ष देने वाला होता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति का त्योहार बुराई को खत्म करके अच्छाई की शुरुआत है। साल की शुरुआत मकर संक्रांति पर्व के साथ होती है जो आनंद और खुशी का त्योहार है। मकर संक्रांति का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच भेदभाव की भावना को खत्म करके मेलजोल को बढ़ाना है। अगर आपको हमारा मकर संक्रांति पर निबंध हिंदी में पसंद आया हो, तो इसे और लोगों के साथ भी शेयर जरूर करें।
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मकर संक्रांति पर निबंध 100 शब्द
मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन इसे 15 जनवरी को सौर चक्र के आधार पर भी मनाया जा सकता है। लोग इस त्यौहार को सुबह गंगा जैसी नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर मनाते हैं और सूर्य की प्रार्थना करते हैं जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान माना जाता है।
ये भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने से हमारे सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस दिन तिल और गुड़ का अधिक महत्त्व होता है। लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाकर मौसम के उत्सव का आनंद लेते हैं। लोग, विशेष रूप से बच्चे, अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ पतंग उड़ाकर इस पर्व को खुशी से मनाते हैं।
मकर संक्रांति पर निबंध 200 शब्द
मकर संक्रांति हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार प्रति वर्ष जनवरी महीने में 14-15 तारीख को मनाया जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार पौष महीने में जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण यानि की मकर रेखा में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का यह त्योहार मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अन्य नामों के साथ मनाया जाता है, परन्तु सभी जगहों पर सूर्य की ही पूजा की जाती है।
देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों वाले इस त्योहार में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान सूर्य की पूजा कर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व में भगवान सूर्य को तिल, गुड़, ज्वार, बाजरे से बने पकवान अर्पित किये जाते हैं और फिर लोग इनका सेवन भी करते हैं।
विभिन्न मान्यताओं के अनुसार कई स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पाप धोने और भगवान सूर्य की पूजा कर दान देने की प्रथा है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है जो मकर रेखा में प्रवेश के रुप में भी जाना जाता है। मकर रेखा में सूर्य के प्रवेश का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृस्टि से बहुत महत्व होता है। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है, इसे ही हम ‘उत्तरायन’ कहते हैं।
आध्यात्मिक दृस्टि से देखा जाये तो ऐसा होना बहुत ही शुभ मन जाता है। इस शुभ दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों को धोते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन लोग दान भी करते हैं। ऐसा माना गया है कि दान करने से सूर्य देव खुश होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देश भर में लोग पूरे उत्साह और जोश के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
मकर संक्रांति पर 10 लाइन
- मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक त्योहार है।
- मकर संक्रांति का त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
- जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है, तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति देश भर में विभिन्न नामों के साथ मनाई जाती है जैसे तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, गुजरात में उत्तरायण आदि।
- इस दिन राजस्थान और गुजरात में पतंग बाजी का चलन भी है।
- इस दिन तिल और गुड़ का अधिक महत्त्व होता है। लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाते हैं।
- मकर संक्रांति के त्योहर पर भगवान सूर्य को तिल, गुड़, ज्वार, बाजरे से बने पकवान अर्पित किये जाते हैं।
- संक्रांति के दिन दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए।
- मकर संक्रांति सच्चाई और अच्छाई का त्योहार है।
मकर संक्रांति पर FAQs
प्रश्न – मकर संक्रांति की क्या विशेषता है?
उत्तर :- पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
प्रश्न – मकर संक्रांति पर क्या बनाते हैं?
उत्तर :- मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू या तिलकुटा बनाया जाता है। इसके अलावा खिचड़ी, दही-चूड़ा, रामदाना के लड्डू, घुघुती, पुरन पोली, घीवर, गजक आदि कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न – मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
मकर सक्रांति के दिन स्नान, दान के साथ भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। पदम पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि देने का शास्त्रों में विधान है।