हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श अध्याय 2 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं स्पर्श अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।
Ncert Solutions For Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2
कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श अध्याय 2 पद के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 Question Answer) देखते हैं।
कक्षा : 10
विषय : हिंदी (स्पर्श भाग 2)
पाठ : 2 पद (मीराबाई)
प्रश्न-अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर :- पहले पद में मीरा भगवान से अपने मन की भावना प्रकट करते हुए कहती है कि, हे प्रभु! आप जगत में सबसे महान हैं। आप सबकी रक्षा करते हैं। आपने दुविधा में पड़े अपने भक्तों की हर पल लाज बचाई है। आपने द्रोपदी को चीरहरण से बचाया। गजराज की दुष्ट मगरमच्छ से रक्षा की। भक्त प्रहलाद की हर पल रक्षा की। ठीक उसी प्रकार ही श्री कृष्ण आप मेरी भी हर पल रक्षा करें। और मुझे अपने चरणों में स्थान दें।
2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- दूसरे पद में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति मीराबाई का प्रेम साफ तौर पर झलक रहा है। दूसरे पद के अनुसार यह पता चल रहा है कि मीराबाई पूर्ण रूप से श्रीकृष्ण के रंग में रंग गई है। वह कृष्ण जी को संबोधित करते हुए कह रही है कि, हे प्रभु! आप मुझे अपने चरणों में रहने को जगह दें। आप मुझे अपनी दासी बना लीजिए। मीराबाई यह भी कहना चाहती है कि वह दासी बनकर गिरधर गोपाल के लिए बाग बगीचा लगाना चाहती है। वह हर प्रत्येक दिन बगीचे में आकर ठाकुर जी का दर्शन पाना चाहती है। वह वृन्दावन की कुंज गली में घूमकर श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करना चाहती है। वह भगवान की भक्ति में गहराई तक डूब जाना चाहती है। मीराबाई भगवान प्राप्ति के अलावा और कोई उद्देश्य नहीं रखना चाहती है।
3. मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर :- मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त है। वह प्रभु के चरणों में अपना पूरा जीवन गुजार देना चाहती है। श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का बखान करते हुए मीरा कहती है कि कन्हैया वह है जिसने पीताम्बर वस्त्र धारण किए हुए हैं। श्रीकृष्ण ने अपने सिर पर जो सुंदर मोर पंख का मुकुट धारण किया हुआ है उससे श्रीकृष्ण की सुंदरता पर चार चांद लग जाता है। श्रीकृष्ण ने अपने गले में वैजन्ती माला पहन रखी है। कन्हैया के इस रूप से सभी आकर्षित हो जाते हैं। कान्हा वृन्दावन की सुंदर गलियों में गायों को चलाता है। और अपनी बांसुरी की मीठी धुन से सभी वृन्दावन वासियों का मन मोह लेता है।
4. मीरा की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- मीराबाई अपने पदों में अक्सर राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया करती थी। कई बार वह गुजरती और पंजाबी भाषा की मदद से भी अपने पदों को सजाया करती थी। वह अपने पद और भजनों को सहज और सरल रखने की पूरी कोशिश करती थी। मीराबाई की सभी सात-आठ कृतियों में मीरा का भगवान के प्रति प्रेम साफ तौर पर झलकता है। मीराबाई ने अपना संपूर्ण जीवन श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया था। मीराबाई ने अपने पदों की रचना करते वक्त अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकार को महत्व दिया है। इन पदों में मीराबाई ने श्रीकृष्ण का महिमामंडन किया है।
5. वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर :- मीराबाई श्रीकृष्ण को पाने के लिए हर प्रकार की तपस्या करने को तैयार है। वह श्रीकृष्ण को ही अपना सबकुछ मानती है। मीराबाई श्रीकृष्ण के लिए दासी बनने को तैयार है। वह चाहती है कि वह अपने कान्हा के लिए बगीचे तैयार करवाए। जिससे कि श्रीकृष्ण भगवान उन बगीचों में खेलते रहें। वह श्रीकृष्ण को बगीचे में खेलते हुए देखना चाहती है और उनका नित्य रूप से दर्शन करना चाहती है। मीराबाई वृन्दावन की गलियों में घूमकर श्रीकृष्ण के नाम का महिमामंडन करना चाहती है। मीराबाई कुसुम्बी साड़ी को केवल अपने कान्हा के लिए पहनना चाहती है। वह साज श्रृंगार भी अपने कान्हा के लिए करना चाहती है। उसे इस दुनिया में श्रीकृष्ण के अलावा और कोई प्रिय नहीं। वह हर दिन आधी रात को ही यमुना तट पर श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए लालायित रहती है।
(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्योो आप सरीर।
इस पंक्ति के माध्यम से मीराबाई यह बताने की कोशिश कर रही है कि श्रीकृष्ण सभी की रक्षा करते हैं। मीराबाई यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि वह श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने द्रोपदी को चीरहरण से बचाया था। कान्हा ने ही भक्त प्रहलाद को दुखों से उबारने के लिए नरसिंग रूप धारण किया था। ठीक उसी प्रकार श्रीकृष्ण भगवान अपने सभी भक्तों को दुखों से उबारने हैं।
शिल्प-सौंदर्य – भाषा – गुजराती मिश्रित राजस्थानी भाषा
अलंकार – उदाहरण अलंकार
छंद – “पद”
रस – भक्ति रस
2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर :- इस पंक्ति में मीराबाई कहती है कि श्रीकृष्ण ने ही अपने अनन्य भक्त गजराज को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था। गजराज को श्रीकृष्ण पर ही पूर्ण रूप से भरोसा था। और आखिर कन्हैया ने ही हाथी को मरने से बचाया। मीराबाई चाहती है कि श्रीकृष्ण उसको भी हर पल अपनी छत्र छाया में रखे। इस पंक्ति में राजस्थानी, गुजराती व ब्रज भाषा का मिश्रण है। पद को बड़ी ही सरलता के साथ लिखा गया है। शांत रस का प्रयोग हुआ है। तत्सम और तद्भव शब्द को प्रयोग में लाया गया है। मीराबाई ने अनुप्रास अलंकार का भी उपयोग किया है।
3.चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनू बाताँ सरसी।
उत्तर :- इस पद में मीराबाई दर्शाना चाह रही है कि वह श्रीकृष्ण के चरणों की दासी बनना चाहती है। वह सांसारिक मोह माया से छुटकारा पाना चाहती है। इस पद में ब्रज और राजस्थानी भाषा का मिश्रण है। अनुप्रास अलंकार और रूपक अलंकार को उपयोग में लाकर भाषा को और अधिक सुंदर बनाया गया है।
भाषा अध्ययन
1. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण- भीर – पीड़ा/कष्ट/दुख ; री – की
1) चीर- वस्त्र
2) बूढ़ता– डूबते हुए
3) लगास्यूँ – लगाऊँगी
4) धर्यो – धारण किया
5) कुण्जर – हाथी, हस्ती
6) बिन्दावन – वृन्दावन
7) रहस्यूँ – रहूँगी
8) राखो – रक्षा करो
9) घणा – घना, बहुत
10) सरसी – पूर्ण हुई, संपूर्ण हुई
11) हिवड़ा – हिये हृदय
12) कुसुम्बी – कौशांबी, लाल
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