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Class 11 Geography Book-1 Ch-1 “भूगोल एक विषय के रूप में” Notes In Hindi

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Navya Aggarwal
Last Updated on

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 11वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक-1 यानी भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत” के अध्याय-1 भूगोल एक विषय के रूप में के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय 1 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 11 Geography Book-1 Chapter-1 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय- 1 “भूगोल एक विषय के रूप में”

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षाग्यारहवीं (11वीं)
विषयभूगोल
पाठ्यपुस्तकभौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
अध्याय नंबरएक (1)
अध्याय का नामभूगोल एक विषय के रूप में
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 11वीं
विषय- भूगोल
पुस्तक- भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
अध्याय-1 (भूगोल एक विषय के रूप में)

भूगोल का अर्थ एवं परिभाषा

एरेटॉस्थेनीज नाम के ग्रीक विद्वान ने भूगोल शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। ये शब्द ग्रीक के Geo और Graphos को जोड़ कर बनता है, जिससे अभिप्राय है, ‘पृथ्वी का वर्णन’।

प्रसिद्ध विद्वान का कहना है कि- “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है”। (रिचर्ड हार्टशॉर्न)

भूगोल एक व्यापक विषय

  • भूगोल अन्य विज्ञान की विषय-वस्तु और विधितंत्र में अलग है, लेकिन अन्य सभी विषयों से इसका नाता निकटतम है। इस विषय के अंतर्गत सभी तत्वों को पढ़ा जाता है। जो पृथ्वी के भौतिक स्वरूप को उजागर करती है।
  • इसमें पृथ्वी के वातावरण, भौतिक संरचना, मौसम, जलवायु, भौतिक वातावरण, मानवीय क्रियाकलाप, सामाजिक भिन्नता सम्मिलित हैं।
  • मौसम की विभिन्न दशाओं का मानव पर प्रभाव होता है, जिसके कारण मानव अपने जीवन के लिए इन प्राकृतिक साधनों पर निर्भर भी है।
  • उत्पत्ति से लेकर आधुनिकता तक मानव ने अपने पोषण के लिए प्राकृतिक संसाधनों का ही प्रयोग किया है। मौसम की विभिन्न दशाओं का असर मानव के खान-पान और पहनावे पर देखा जा सकता है।
  • प्रकृति में केवल स्थान परिवर्तन के आधार पर ही तकनीकी विकास, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक विकास आदि में भी भिन्नता देखी जाती है।
  • मानव की नई खोजों और भिन्नताओं के कारणों की खोज कर भूगोल उनके अध्ययन की नई प्रणालियों के लिए विस्तृत क्षमता प्रदान करता है।

भूगोल: क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन

  • जिस तरह यथार्थता बहु-आयामी है, पृथ्वी भी बहु-आयामी होती है। इसलिए इसमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान के अनेक सहयोगी विषयों के विभिन्न पक्षों का अध्ययन मिलता है। यही कारण है कि भूगोल को क्षेत्रीय-भिन्नता का अध्ययन कहा जा सकता है।
  • भूगोल क्षेत्रीय आधार पर भिन्नता को प्रदर्शित करता है, इसके पीछे का कारण धरती के क्षेत्रीय और सांस्कृतिक वातावरण का भिन्न होना है। भौतिक वातावरण की भिन्नता हमें पर्वत, पठार, समुद्र, झील, रेगिस्तान, वन, नदियां, तलाब, आदि के रूप में देखने को मिलती है।
  • वहीं सांस्कृतिक वातावरण की भिन्नता लोगों के रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा आदि अनन्य तत्वों के अंतर्गत आती है।
  • भौतिक पर्यावरण मानव समाज के क्रियाकलापों को प्रदर्शित करने के लिए एक स्थान प्रदान करता है। क्षेत्रीय भिन्नता लिए हुए तथ्यों का अध्ययन भूगोल करता है।
  • इसके आधार पर सांस्कृतिक और भौतिक अध्ययन के मध्य संबंध स्थापित होता है, जो भूगोल की क्षेत्रीय भिन्नता के अध्ययन में सहायक है।
  • इस प्रकार का अध्ययन करके विद्वान इन भिन्नताओं के पीछे के कारणों का भी पता लगाते हैं। जैसे भिन्न प्रदेशों में फसलों का स्वरूप भिन्न होता है, जिसका कारण संबंधित प्रदेश की जलवायु, बाजार मांग, मृदा एवं तकनीकी निवेश आदि कारणों पर भी निर्भर करता है।
  • इससे दो तत्वों के बीच के कार्य-कारण को जाँचने का प्रयास भी किया जाता है, जांचकर्ता अपनी व्याख्या इस आधार पर ही करता है। इस तरह से दी गई व्याख्या के आधार पर तथ्यों का पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है।

भूगोल: अन्तः प्रक्रिया के अध्ययन के संबंध में

  • भौगोलिक तथ्य गतिशील होते हैं, आज का मानव समाज जो पहले प्रकृति के निकटतम पर्यावरण पर निर्भर था, आज ऐसा नहीं है।
  • भूगोल का ‘प्रकृति’ और मानव के सम्पूर्ण रूप में एक दूसरे से संबंधित क्रियाओं का अध्ययन करना है।
  • मानव प्रकृति पर अपनी छाप छोड़ता है, साथ ही प्रकृति भी मानव जीवन के विभिन्न पक्षों को प्रभावित करती है, इसकी छाप मानव के वस्त्र, आवास, व्यवसाय आदि पर देखी जा सकती है।
  • अपरिवर्तन और अनुकूलन के द्वारा मानव ने प्रकृति के साथ संबंध रखा। लेकिन आधुनिक मानव ने तकनीक का प्रयोग कर एवं प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित करके प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अपने विकास के लिए कर रहा है, ताकि वह भौतिक वातावरण से मुक्त हो सके।
  • प्राकृतिक संसाधनों के द्वारा तकनीकी विकास कर मानव अब आत्मनिर्भर बन गया है, जिससे वह नई संभावनाओं का निर्माण कर सके। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भूगोल में प्रकृति-प्रभावित मानव और मानवीकृत प्रकृति दोनों के बीच संबंधों का दर्शन होता है।

भूगोल के प्रकार

  • भूगोल: वैज्ञानिक विषय– वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल तीन वर्गीकृत प्रश्नों से संबंधित है- ‘क्या’, ‘कहां’ और ‘क्यों’
  • क्या का संबंध धरातल पर पे जाने वाले प्राकृतिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के प्रतिरूप से है।
  • कहां का संबंध पृथ्वी के भौतिक सांस्कृतिक तत्वों के वितरण पर आधारित है।
  • क्यों का संबंध तत्वों और तथ्यों के बीच कार्य-कारण के संबंध से है।
  • इन सबको मिलकर देखें तो पहले दो प्रश्न प्राकृतिक सांस्कृतिक तत्वों के वितरण और स्थिति से संबंधित हैं, जिससे यह जानकारी मिलती है कि कौन-सा तत्व कहां स्थित है। तीसरा प्रश्न जुड़ने से पूर्व यह भूगोल एक वैज्ञानिक विषय नहीं है।
  • विषय के क्षेत्र में भूगोल का क्रोड क्षेत्र से संबंधित है और यह स्थानिक विशेषताओं से सम्बद्ध है। इससे क्षेत्र के तथ्यों का वितरण, स्थिति और केन्द्रीकरण के प्रतिरूप का अध्ययन होता है और यह इन प्रतिरूपों की व्याख्या से स्पष्टीकरण प्रदान करता है।

भूगोल: एक समाकलन विषय के रूप में

  • जिस तरह इतिहास कालिक संश्लेषण का प्रयास करता है, भूगोल एक प्राचीन और क्षेत्रीय संश्लेषण करने वाला विषय है। इससे विभिन्न तत्वों की व्याख्या करने की प्रकृति विस्तृत होती है।
  • परिवहन के साधनों ने परस्पर दूरियों को कम किया है। तकनीकी विकास ने प्राकृतिक तथ्यों के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास के परीक्षण के अवसर प्रदान किए हैं।
  • अपने संश्लेषणात्मक विषय के कारण भूगोल का अनेक प्राकृतिक और सामाजिक विषयों से संबंध है, इसके इसी गुण के कारण ही कई एतिहासिक घटनाओं को भौगोलक परिप्रेक्ष्य से देखा जाता है।
  • किसी क्षेत्रीय विश्लेषण के लिए भूगोलवेत्ता का उस क्षेत्र के विषय में पूर्ण जानकार होना आवश्यक है। जैसे कई एतिहासिक घटनाएं भूगोल द्वारा प्रभावित हैं, इसके लिए विश्व की एतिहासिक घटनाओं का वर्णन भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में किया जाता है।
  • विशाल हिमालय भारत की रक्षा करने के काम करते हैं, वहीं इसमें मौजूद दर्रे एशिया के मध्य भाग के आक्रमणकर्ताओं को सुविधाजनक मार्ग प्रदान करते हैं।
  • भारत के समुद्र के किनारे इसके दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप से संबंधों को सुनिश्चित करते हैं। नौ-संचालन तकनीक के द्वारा यूरोपीय देशों ने भारत और एशिया और अफ्रीका के देशों में औपनिवेशवाद स्थापित किया।
  • भागोलिक तथ्य समय के साथ बदल जाता है, इसके अनुसार ही इसकी व्याख्या भी होती है। जलवायु, भू-आकृति, वनस्पति, व्यवसाय एवं सांस्कृतिक विकास ने एक समय में एतिहासिक काल का अनुसरण अवश्य किया है। कई भोगोलिक तत्व अनेकों संस्थाओं द्वारा निश्चित समय पर निर्णय लेने के कारण प्रतिफलित होते हैं।

भूगोल: शाखाएं

भूगोल की शाखाओं का अध्ययन इन दो उपगमों के आधार पर किया जा सकता है- विषय-वस्तु भूगोल और प्रादेशिक भूगोल।

1- विषय-वस्तु भूगोल-

  • इसके अंतर्गत भूगोल का अध्ययन वैश्विक स्तर पर किया जाता है।
  • इसका प्रवर्तन अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट द्वारा किया गया। इसके बाद इसकी पहचान क्षेत्रीय स्तर पर की जाती है। उदाहरण- सर्वप्रथम किसी वनस्पति का अध्ययन विश्व स्तर पर ही किया जाएगा इसके बाद छोटे स्तर पर। विषय-वस्तु भूगोल के अंतर्गत भूगोल की शाखाएं इस प्रकार हैं-
    • (क) भौतिक भूगोल
      • (भू-आकृति विज्ञान)- इसके अंतर्गत भू-आकृतियों और उनके क्रमविकास से संबंधित प्रक्रियाओं का अध्ययन आता है।
      • (जलवायु विज्ञान)- इसके अंतर्गत वायुमंडल की संरचना, मौसम, जलवायु के तत्व, प्रकार, प्रदेश आदि का अध्ययन आता है।
      • (जल विज्ञान)- यह जलाशय के परिमंडल जिसमें सभी प्रकार के जलाशयों का मानव और अन्य जीवों और उनके कार्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अध्ययन करते हैं।
      • (मृदा विज्ञान)- यह मिट्टी के निर्माण, प्रकार, उत्पादकता स्तर, उपयोग एवं वितरण आदि के अध्ययन से संबंधित है।
    • (ख) मानव भूगोल-
      • (सामाजिक सांस्कृतिक भूगोल)- इसमें समाज और उसकी प्रादेशिक ग्यात्मकता और सामाजिक योगदान से बने सांस्कृतिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है।
      • (जनसंख्या एवं अधिवास भूगोल)- ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों की जंसख्या वृद्धि, वितरण, लिंग-अनुपात आदि का अध्ययन, इसके अलावा अधिवास भूगोल में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के अधिवसों के वितरण प्रारूपों आदि का।
      • (आर्थिक भूगोल)- मानव के आर्थिक कार्यों जैसे- कृषि, उद्योग, परिवहन, व्यापार आदि सेवाओं का अध्ययन है।
      • (एतिहासिक भूगोल)- ऐसी एतिहासिक घटनाओं का अध्ययन जो क्षेत्र को संगठित करती हैं, वर्तमान स्थिति से पूर्व हर प्रदेश इतिहास से होकर गुजरता है। इसी का अध्ययन इसमें किया जाता है।
      • (राजनीतिक भूगोल)- क्षेत्रों की राजनीतिक घटनाओं आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है।
    • (ग) जीव भूगोल– पशुओं और निवास क्षेत्रों की भोगोलिक गुणों का अध्ययन।
      • (वनस्पति भूगोल)- प्राकृतिक वनस्पति का और निवास क्षेत्रों के स्थानिक रूप का अध्ययन।
      • (पारिस्थैनिक विज्ञान)- इसमें प्रजातियों के निवास आदि क्षेत्रों का वैज्ञानिक अध्ययन ।
      • (पर्यावरण भूगोल)- पर्यावरण प्रतिबोधन के फलस्वरूप समस्याओं जैसे- भूमि-ह्रास, प्रदूषण आदि की चिंता के कारण इस अध्ययन की आवश्यकता हुई।

2- प्रादेशिक भूगोल-

  • इसके अंतर्गत विश्व को पदों के अनुसार प्रदेशों में बाँटकर किसी एक प्रदेश के भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है, ये प्रदेश प्राकृतिक और राजनीतिक रूप से नामित प्रदेश होते हैं।
  • वृहद, मध्यम, लघु स्तरीय प्रादेशिक क्षेत्र का अध्ययन।
  • प्रादेशिक विकास।
  • ग्रामीण नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन।
  • इसके अंतर्गत दो विषय सर्वनिष्ठ हैं- 1) दर्शन, 2) विधितंत्र एवं तकनीक
    • 1) दर्शन- भोगोलिक चिंतन और भूमि एवं मानव पारिस्थितिकी।
    • 2) विधितंत्र एवं तकनीक- क्षेत्र सर्वेक्षण विधियाँ
  • सामान्य और संगणक पर आधारित मानचित्रण।
  • भू- सूचना विज्ञान की तकनीक जैसे- भोगोलिक सूचना तंत्र, वैश्विक स्थितीय तंत्र।

इस वर्गीकरण में भूगोल की शाखाओं का वर्णन है। किसी भी विषय वस्तु को नई तकनीक में प्रस्तुत करना उसके विकास के लिए अहम है।

भौतिक भूगोल एवं इसका महत्व

  • भौतिक भूगोल के अंतर्गत भूमंडल, वायुमंडल, जलमंडल, जैवमंडल आदि संतुलन का अध्ययन किया जाता है।
  • मृदा का महत्व– इसका निर्माण मूलतः जलवायु, जैविक प्रक्रिया और कालावधि पर आधारित है। यह एक नवीकरणीय संसाधन है, जो आर्थिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।
  • जलवायु का महत्व– जलवायु में स्थान के आधार पर भिन्नता पाई जाती है। पशुपालन, वनस्पति और साथ ही साथ उद्योगों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। मानव द्वारा किए गए तकनीकी विकास ने जलवायु को सीमित क्षेत्रों में अपरिवर्तित करके दिखाया है।
  • स्थलाकृतियों का महत्व– यह तीन प्रकार की होती हैं-
    • मैदान- यह कृषि कार्यों के लिए सहायक है, जो मानव के लिए प्रत्यक्ष और पशुओं के लिए अप्रत्यक्ष भोजन का स्त्रोत है।
    • पठार- पठार मानव जीवन में बहुमूल्य खनिजों की शाखा है।
    • पर्वत- मैदानों में नदियों का जल प्रदान करने के लिए नदियों का स्त्रोत, ऊर्जा हेतु लकड़ियों एवं वन-संपदा का भंडारण, पर्यटन और चरागाहों के लिए उचित स्थल है।
  • वर्षा का महत्व– वर्षा वनों के घनत्व और घास वाले प्रदेशों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का कार्य करती है। भारत की मानसूनी वर्षा यहाँ की आवर्तन प्रणाली को गति देती है।
  • समुद्रों का महत्व– समुद्र मछली और अन्य समुद्री भोजन के अतिरिक्त कई प्रकार के खनिजों की दृष्टि से भी सम्पन्न माना जाता है। भारत द्वारा समुद्री-तल से मैगनीज पिंड इकट्ठा करने की तकनीक विकसित की गई है।
  • यहाँ के तटीय क्षेत्र ऊर्जा के क्षेत्र से भी महत्व रखते हैं। इसके साथ ही तटीय भागों में तरंग ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित हो सकते हैं।

भूगोल का विस्तृत क्षेत्र

  • भूगोल विषय ने आज के समय में विज्ञान का दर्जा प्राप्त कर लिया है, जो पृथ्वी के सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूपों को व्याख्यायित करता है।
  • इसका क्षेत्र कई विषयों जैसे- आपदा प्रबंधन, सैन्य सेवाओं, मौसम विज्ञान, कई सामाजिक विज्ञानों में है।

भूगोल तथा अन्य विषयों से इसके संबंध

भूगोल का क्षेत्र
भूगोल के विषय वैज्ञानिक विषय
समुद्र विज्ञानजल विज्ञान
मृदा विज्ञानमृदा विज्ञान
पादप विज्ञानवनस्पति विज्ञान
प्राणी भूगोलप्राणी विज्ञान
मानव भूगोलपरिस्थिति विज्ञान
पर्यावरण भूगोलपर्यावरण विज्ञान
सांस्कृतिक भूगोलमानवशास्त्र
भौगोलिक चिंतनदर्शनशस्त्र
सामाजिक भूगोलसमाजशास्त्र
एतिहासिक भूगोलइतिहास
राजनैतिक भूगोलराजनीति शास्त्र
जनसंख्या भूगोलजनांकिकी
आर्थिक भूगोलअर्थशास्त्र
भूगोल में परिमाणात्मक प्रविधिआर्थिक सांख्यिकी
गणित एवं खगोलीय भूगोलगणित एवं खगोलिकी
भू-आकृति विज्ञानभू-विज्ञान
जलवायु विज्ञानमौसम विज्ञान
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