इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 10वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक यानी “भारत और समकालीन विश्व-2” के अध्याय- 1 “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 1 इतिहास के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 10 History Chapter-1 Notes In Hindi
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अध्याय-1 “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय“
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | दसवीं (10वीं) |
विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | भारत और समकालीन विश्व-2 (इतिहास) |
अध्याय नंबर | एक (1) |
अध्याय का नाम | “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय” |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 10वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- भारत और समकालीन विश्व-2 (इतिहास)
अध्याय- 1 “यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय”
फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति
- राष्ट्रवाद की शुरुआत वर्ष 1789 से फ्रांसीसी क्रांति के समय से मानी जाती है।
- फ्रांसीसी क्रांति के बाद हुए संवैधानिक बदलाव के कारण राजतंत्र का स्थान नागरिकों के समूह ने ले लिया।
- पितृभूमि तथा नागरिक से जुड़े विचारों ने संयुक्त समुदाय के विचारों को महत्त्व देना शुरू कर दिया।
- स्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
- राष्ट्र के नाम पर नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गईं, केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई। सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए और शहीदों का गुणगान हुआ।
- आयात-निर्यात शुल्क की समाप्ति हो गई। नापने की समान व्यवस्था लागू कर दी गई।
- पेरिस में फ्रेंच राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।
- फ्रांस की घटनाओं के बारे में सुनकर यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों के छात्र और मध्यवर्ग के शिक्षित लोग जैकोबीन क्लबों की स्थापना करने लगे।
- क्रांति युद्धों की वजह से ही फ्रांसीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले जा सकीं।
- नेपोलियन ने फ्रांस में राजतंत्र को लाकर प्रजातंत्र को नष्ट कर दिया।
- 1804 में लागू की गई नागरिक संहिता को नेपोलियन संहिता के नाम से जाना जाता है। इसके अंतगर्त जन्म आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए।
- जब यह साफ होने लगा कि नई प्रशासनिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं हैं तब फ्रांसीसी सेनाओं का शुरुआती उत्साह दुश्मनी में बदल गया।
यूरोप में राष्ट्रवाद
- पहले जर्मनी (राजशाहियों), इटली (डचियों) और स्विट्जरलैंड (कैंटनों) के शासकों के स्वायत्त क्षेत्र थे।
- पूर्वी तथा मध्य यूरोप में विभिन्न जाति-समुदाय व भाषा के लोग रहते थे और वे निरंकुश राजतंत्रों के अधिक थे।
- ऑस्ट्रिया-हंगरी पर शासन करने वाला हैब्सबर्ग साम्राज्य अनेक क्षेत्रों तथा जनसमूहों को जोड़कर बना था।
- हंगरी में मेग्मा भाषा के अलावा कई बोलियाँ भी बोली जाती थीं।
- प्रभावशाली समूहों के साथ-साथ हैब्सबर्ग साम्राज्य की सीमा रेखा में रहने वाले लोग व्यवस्था के अधीन होकर खेती किया करते थे।
कुलीन वर्ग तथा नया मध्यवर्ग
- यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली जमीन का मालिक कुलीन वर्ग था।
- कुलीन वर्ग के क्षेत्रीय विभाजनों के आर-पार साझा जीवन शैली से बँधे हुए थे।
- इस वर्ग के लोग ग्रामीण संपत्तियों और शहरी-हवेलियों के मालिक थे।
- पश्चिम के जमीन पर किराएदार एवं छोटे काश्तकार खेती करते थे, जबकि पूर्वी व मध्य में यूरोप में बड़ी-बड़ी जमीनों पर भूदास खेती करते थे।
- उत्पादन और व्यापार में हुई वृद्धि के कारण शहरों का विकास हुआ साथ ही वाणिज्यिक वर्ग का भी उदय हुआ।
- वाणिज्यिक वर्ग का विस्तार बाजार के लिए उत्पन्न उत्पादनों पर टीका था।
- औद्योगीकरण इंग्लैंड में 18वीं सदी और फ्रांस, जर्मनी में 19वीं सदी में आरंभ हुआ था।
- औद्योगीकरण के फलस्वरूप श्रमिक वर्ग और मध्य वर्ग अस्तित्व में आए।
- उद्योगपति, व्यापारी और सेवा क्षेत्र के अंतर्गत मध्य वर्ग के लोगों को शामिल किया गया।
- 19वीं सदी के अंतिम दशक तक मध्य और पूर्वी यूरोप में इन दोनों वर्गों के लोगों की संख्या कम थी।
- कुलीन वर्गों को मिले अधिकारों की समाप्ति के बाद ही शिक्षित तथा उदारवादी समूहों के बीच राष्ट्रीय एकता संभव हो पाई।
उदारवादी राष्ट्रवाद के मायने
- 19वीं सदी के प्रारंभ में यूरोप में राष्ट्रीय एकता से जुड़े विचार उदारवाद से अधिक निकटता से जुड़े हुए थे।
- उदारवाद शब्द लातिनी भाषा के लिबर (Liber) से बना है, जिसका अर्थ ‘आजाद’ है।
- मध्य वर्ग के लिए उदारवाद का मतलब व्यक्तियों की आजादी और उन्हें मिलने वाली कानूनी समानता से है।
- फ्रांसीसी क्रांति के बाद उदारवाद निरंकुश राजाओं, पादरियों के अधिकारों की समाप्ति और संवैधानिक सरकार का पक्षधर था।
- उदारवादी विचारधारा के लोग निजी संपत्ति के स्वामित्व के अनिवार्यता पर बल देते थे।
- मत देने और उम्मीदवार बनने का अधिकार सिर्फ अमीर पुरुषों को ही था।
- संपत्ति-विहीन पुरुष और महिलाओं को राजनीतिक अधिकार नहीं दिए गए थे।
- नेपोलियन की संहिता ने महिलाओं को विशेष दर्जा देते हुए, उन्हें पिता और पति के अधीन कर दिया।
- 19वीं-20वीं सदी की शुरुआत में राजनीतिक अधिकारों की माँग से जुड़े आंदोलन शुरू हो गए।
- उदारवाद बाजारों की मुक्ति और राज्यों द्वारा आयात-निर्यात पर लगाए जाने वाले रोक को खत्म करने के पक्ष में था।
- नेपोलियन के प्रशासनिक प्रयासों ने छोटे-छोटे प्रदेशों से 39 राज्यों का एक महासंघ तैयार किया गया।
- 1815 में स्थापित रूढ़िवादी व्यवस्थाएँ निरंकुश थीं इसलिए नई रूढ़िवादी व्यवस्था की कमी महसूस होने लगी।
- फ्रांसीसी क्रांति की स्मृतियाँ उदारवादियों को हमेशा प्रेरित करती थीं।
- नई रूढ़िवादी व्यवस्था के अंतर्गत प्रेस की आजादी का मुद्दा उठाया गया।
1815 के बाद रूढ़िवाद की भावना और क्रांतिकारी संगठन
- 1815 के बाद दमन के डर ने अनेक उदारवादी-राष्ट्रवादियों को भूमिगत कर दिया था।
- क्रांतिकारी होने का मतलब राजतंत्रीय व्यवस्था का विरोध करने से था। यह व्यवस्था भारत में कांग्रेस के बाद स्थापित हुई थी।
- आजादी के लिए लड़ना और संघर्ष करना क्रांतिकारी होने के दो जरूरी आधार थे।
- 1807 में जेनोवा में जन्मा ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का क्रांतिकारी था। यह बाद में कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया।
- ज्युसेपे मेत्सिनी ने दो भूमिगत संगठनों यंग इटली (मार्सेई में) और यंग यूरोप (बर्न में) की स्थापना की थी।
- इन दोनों संगठनों के सदस्य जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड और इटली राज्यों में रहने वाले समान विचारधारा के युवा थे।
- एकीकरण को इटली की मुक्ति का आधार स्वीकार किया जाने लगा।
- मेत्सिनी द्वारा समकालीन राजतंत्र का घोर विरोध किया गया।
1830 से 1848 के युग में राष्ट्रवाद का विकास
- रूढ़िवादी व्यवस्था की बढ़ती ताकतों ने उदारवादी और राष्ट्रवादी विचारधारा को क्रांति से जोड़ दिया।
- क्रांति में प्रोफेसर, स्कूल के शिक्षक, क्लर्क और मध्यवर्ग के व्यापारी लोग शामिल थे।
- फ्रांस में सबसे पहला विद्रोह वर्ष 1830 में हुआ था जिसके परिणामस्वरूप यूनाइटेड किंगडम नीदरलैंड्स से अलग हो गया।
- यूनानी स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के शिक्षित लोगों में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना को उजागर किया।
- 15वीं सदी में यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था।
- यूनान में आजादी की लड़ाई वर्ष 1821 में ही शुरू हो गई थी।
- कवियों और कलाकारों ने यूनान को अपने चित्रों में यूरोपीय सभ्यता के पालने के रूप में दर्शाया था।
- कवि लॉर्ड बायरन युद्ध लड़ने गए थे लेकिन साल 1824 में उनकी मृत्यु बुखार से हो गई।
- अंत में 1832 में हुई कुस्तुनतुनिया संधि की वजह से यूनान एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
- राष्ट्रवादी विचारधारा के निर्माण में संस्कृति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- रूमानी कलाकार साझा विरासत की अनुभूति एवं साझा सांस्कृतिक इतिहास को राष्ट्र का आधार मानते थे।
- वर्ष 1831 में रूस के खिलाफ एक विद्रोह शुरू किया गया, जिसे बाद में निर्ममता से समाप्त कर दिया गया।
1830 के दशक में यूरोप में आयी कठिनाइयाँ
- 1830 का दशक यूरोप में कई भारी कठिनाइयाँ लेकर आया।
- जनसंख्या में वृद्धि हुई और बेरोजगारी बढ़ने लगी।
- गाँव के लोग शहरों में जाकर भीड़-भाड़ वाले इलाके और गरीब बस्तियों में रहने लगे।
- नगरों में उत्पादित वस्तुओं को मशीनों से बनी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
- फसल खराब होने और खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ने के कारण शहरों तथा गाँवों में तेजी से गरीबी फैलने लगी।
- 1848 में खाद्य पदार्थों की कमी और बेरोजगारी इतनी अधिक बढ़ गई थी कि लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
- प्रदर्शन को रोकेने के लिए तथा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय कारखानों की स्थापना की गई।
- 1845 में सिलेसिया में बुनकरों ने उन ठेकेदारों के खिलाफ विद्रोह किया, जो उनसे निर्मित कपड़ा तो खरीदते थे लेकिन बदले में बहुत कम दाम देते थे।
1848 में उदारवादियों की क्रांति
- वर्ष 1848 में गरीब-मजदूरों के विद्रोह के साथ-साथ शिक्षित मध्य वर्ग भी स्वतंत्रता से जुड़े विभिन्न माँगों के लिए क्रांति कर रहा था।
- वर्ष 1848 में हुई घटनाओं की वजह से जब राजा ने गद्दी छोड़ दी तब गणतंत्र की स्थापना कर दी गई।
- जहाँ राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में नहीं आए थे वहाँ स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया।
- जर्मन में एक सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला लिया गया।
- 18 मई 1848 को 831 निर्वाचित प्रतिनिधि फैंकफर्ट संसद के सदस्य बने थे।
- संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव सबसे अधिक था।
- अभि में उदारवाद के अंतर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवादित बना हुआ था।
- महिलाओं को एसेंबली में चुनाव के समय मताधिकार से वंचित रखा गया।
- रूढ़िवादी ताकतें 1848 में उदारवादी आंदोलनों को कुचलने में कामयाब रहीं।
- 1848 के बाद पूर्वी यूरोप की निरंकुश राजशाहियों ने अपने परिवर्तनों को लागू करना शुरू कर दिया।
जर्मन के निर्माण का इतिहास
- यूरोप में वर्ष 1848 के बाद राष्ट्रवादी जनतंत्र तथा क्रांति ने अलगाव को जन्म दिया।
- सत्ता को बढ़ाने और राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करने के लिए रूढ़िवादियों ने राष्ट्रवादी विचारों का इस्तेमाल किया था।
- जर्मनी और इटली एकीकृत होकर राष्ट्र-राज्य बने थे।
- वर्ष 1848 में जर्मन महासंघ के सभी इलाकों को जोड़कर राष्ट्र-राज्य बनाने की कोशिश असफल रही।
- बाद में एक युद्ध के बाद जर्मनी का एकीकरण सफल हो गया और 1871 में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का राजा घोषित कर दिया गया।
- जर्मनी राष्ट्र निर्माण प्रशा राज्य के शक्ति को दर्शाता है।
- नए राज्य ने जर्मन में न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर अधिक जोर दिया, जिसके लिए सबसे पहले एक मॉडल तैयार किया गया।
इटली के निर्माण का इतिहास
- जर्मनी की तरह इटली के एकीकरण का इतिहास भी काफी विस्तृत है।
- इटली कई वंशानुगत राज्यों और बहु-राष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्यों में फैला हुआ था।
- 19वीं सदी के मध्य तक इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था।
- 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए वैचारिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश की थी।
- विद्रोह की असफलता के कारण इतालवी राज्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सार्डिनिया-पीडमॉण्ड के राजा पर आ गई।
- सार्डिनिया-पीडमॉण्ड का राजा न तो क्रांतिकारी था और न ही राजतंत्र में विश्वास करता था। वह इतालवी से अधिक फ्रेंच भाषा को पसंद करता था।
- स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन लिया गया, जिसमें वे सभी सफल रहे।
- वर्ष 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित कर दिया गया।
19वीं सदी के कलाकारों द्वारा राष्ट्र का मानवीकरण
- राष्ट्र को कैसा चेहरा प्रदान किया जाए यह 19वीं सदी के कलाकारों के लिए एक बड़ा प्रश्न था।
- राष्ट्र का मानवीकरण करके उसे एक चेहरा दिया गया यानी उस समय नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई।
- आदर्शों को विशेष वस्तुओं एवं प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
- स्वतंत्रता को लाल टोपी और टूटी जंजीर से दिखाया गया।
- कानूनी इंसाफ को एक ऐसी महिला के रूप में दर्शाया गया है, जिसके आँखों पर पट्टी बँधी है और वह तराजू लिए हुए खड़ी है।
- कलाकारों ने 19वीं सदी में मुख्य रूप से नारी रूपकों का आविष्कार किया था।
साम्राज्यवाद बनाम राष्ट्रवाद
- 19वीं सदी में राष्ट्रवाद से आदर्श की झलक समाप्त होने लगी।
- राष्ट्रवाद के लक्ष्य सीमित सिद्धांतों वाले बन गए।
- 1871 में यूरोप में सबसे अधिक राष्ट्रवादी तनाव वाला क्षेत्र बाल्कन था।
- बाल्कन क्षेत्र के निवासियों को स्लाव कहा जाता था।
- जब स्लाव समूह के लोगों ने अपने लिए स्वतंत्रता की माँग करने की कोशिश की तब बाल्कन क्षेत्र लंबे समय तक टकराव वाला क्षेत्र बन गया।
- इस इलाके में कई युद्ध हुए। उसी समय प्रथम विश्व युद्ध भी हुआ था।
- जहाँ-जहाँ साम्राज्य विरोधी आंदोलन हुए वहाँ-वहाँ राष्ट्रवाद ने अपना कदम जमाया था।
- समाजों को राष्ट्र-राज्य में गठित करना स्वाभाविक और सार्वभौमिक मान लिया गया।
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