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Class 10 Economics Ch-4 “वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था” Notes In Hindi

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Mamta Kumari
Last Updated on

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 10वीं कक्षा की अर्थशास्त्र की पुस्तक यानी “आर्थिक विकास की समझ” के अध्याय- 4 “वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 4 अर्थशास्त्र के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 10 Economics Chapter-4 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय-4 “वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था“

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षादसवीं (10वीं)
विषयसामाजिक विज्ञान
पाठ्यपुस्तकआर्थिक विकास की समझ (अर्थशास्त्र)
अध्याय नंबरचार (4)
अध्याय का नाम“वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था”
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 10वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- आर्थिक विकास की समझ (अर्थशास्त्र)
अध्याय- 4 “वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था”

20वीं शताब्दी के मध्य तक अंतर्देशीय उत्पादन

  • 20वीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन सिर्फ देश की सीमा के अंदर तक ही होते थे।
  • देश की सीमा से बाहर कच्ची वस्तुएँ, खाद्य पदार्थ व तैयार चीज़ें जाती थीं।
  • उपनिवेश देशों से कच्ची वस्तुएँ, खाद्य पदार्थ निर्यात होते थे और तैयार वस्तुओं का आयात होता था।
  • जो कंपनी एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व अधिकार रखती है, उसे बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन्हीं प्रदेशों में अपने कार्यालय और कारखाने स्थापित करती हैं जहाँ उत्पादन लागत कम आने व अधिक लाभ कमाने जैसे उद्देश्य पूर्ण होते हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन भी वैश्विक स्तर पर करने लगी हैं, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन-प्रक्रिया छोटे-छोटे विभागों के रूप में विश्व भर में फैल चुकी है।
  • चीन सस्ता विनिर्माण केंद्र बनकर लाभ प्रदान कर रहा है और मेक्सिको, पूर्वी यूरोप, अमेरिका इत्यादि यूरोप के बाजारों से अपने मैत्रयी संबंधों की वजह से लाभप्रद है।
  • भारत में कुशल इंजीनियर उपलब्ध हैं जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विकास में श्रेष्ठ भूमिका निभाते हैं।

वैश्विक उत्पादन को एक-दूसरे से जोड़ना

  • कारखानों की स्थापना वहीं की जाती है जहाँ सस्ते श्रमिक, कम निवेश व बाज़ार उपलब्ध होते हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं।
  • कभी-कभी विदेशी कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर उत्पादन करती हैं।
  • मिलकर उत्पादन करने से स्थानीय कंपनियों को निम्न दो लाभ होते हैं-
    1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उत्पादन को तीव्र करने के लिए धन प्रदान कर सकती हैं।
    2. कंपनियाँ अनेक लाभकारी उद्देश्यों से उत्पादन की नई प्रौद्योगिकी साथ में ला सकती हैं।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनी को खरीदकर उत्पादन को ब्रांड के रूप में फैलाने का कार्य करती हैं।
  • बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे-छोटे उत्पादकों को वस्तुओं को बनाने का आदेश भी देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल, खेल के समान आदि के उद्योग इस श्रेणी में सम्मिलित हैं।
  • उत्पादित वस्तुओं के मूल्य व गुणवत्ता निर्धारित करके कंपनियाँ अपने ब्रांड के नाम से बेचती हैं।
  • वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपनी वस्तुओं का अधिक से अधिक प्रसार करने के लिए स्थानीय कंपनियों के साथ मैत्रयी स्थापित कर रही हैं।
  • दूर-दूर स्थानों तक फैलने वाले सामान पारस्परिक संबंध को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।

वैश्विक व्यापार एवं बाजारों का एकीकरण

  • भारत में पहले भी विदेशों के साथ व्यापार विभिन्न मार्गों से किया जाता था।
  • व्यापारिक लाभ कमाने के उद्देश्य से ही ईस्ट इंडिया कंपनी भारत की तरफ आकर्षित हुई थी।
  • विदेश व्यापार की वजह से किसी भी देश के उत्पादकों को बाहर के बाजारों तक पहुँच बनाने का मौका मिलता है।
  • अब उत्पादक अन्य देशों में भी अपने उत्पादन को आसानी से बेच सकते और अन्य कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। ऐसा विदेश व्यापार के कारण ही संभव हुआ है।
  • वर्तमान में दो देशों के उत्पादक कई मिल दूर रहकर भी आपस में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।
  • विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने और एकीकरण में सहायक है।

वैश्वीकरण का अर्थ और उसको संभव बनाने वाले मुख्य कारक

  • अनेक देशों के बीच आपसी संबंध एवं तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है।
  • उपरोक्त प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मुख्य भूमिका निभा रही हैं।
  • वैश्वीकरण की वजह से आज विभिन्न देशों के मध्य वस्तुओं/सेवाओं और निवेश/प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान होने लगा है।
  • पिछले कुछ दशकों की अपेक्षा में वर्तमान में अनेक देश एक-दूसरे के संपर्क में अधिक आए हैं।
  • विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने का माध्यम व्यापार के अलावा लोगों का आवागम भी हो सकता है।
  • लोग बेहतर आय, शिक्षा व रोजगार की तलाश में विदेश जाना अधिक पसंद करते हैं लेकिन कभी-कभी कुछ प्रतिबंधों के कारण विदेशों में लोगों का आवागमन कम हो जाता है।

वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक

  • प्रौद्योगिकी में तेजी से उन्नति करना। उदाहरण के लिए परिवहन प्रौद्योगिकी में कुछ सालों में तीव्र उन्नति हुई है।
  • सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का विकास करना।
  • आज दूरसंचार, कंप्यूटर तथा इंटरनेट क्षेत्र में प्रौद्योगिकी तीव्र गति से विकास कर रही है।

भारत में विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश का उदारीकरण

  • व्यापार पर कर लगाना, व्यापार में बाधा उत्पन्न करता है।
  • व्यापार में बाधा उत्पन्न होने के कारण देश की सरकारें विदेश व्यापार में वृद्धि या कटौती संबंधि निर्णय ले सकती हैं।
  • भारत ने केवल मशीनरी, उर्वरक एवं पेट्रोलियम जैसी अनिवार्य वस्तुओं के आयात की अनुमति दी है।
  • भारत ने वर्ष 1991 से वैश्विक उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने पर जोर देना शुरू कर दिया था। इसमें प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भी सहयोग प्रदान किया।
  • विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में आने वाली बाधाओं का अंत करने की कोशिश की गई, जिससे विदेशी कंपनियाँ आसानी से अपने कारखाने लगा सकें।
  • किसी भी देश की सरकार द्वारा अवरोधों तथा प्रतिबंधों को हटाने की व्यवस्था या प्रक्रिया उदारीकरण कहलाती है।
  • व्यापार में उदारीकरण से व्यापरियों को निर्णय लेने की शक्ति मिल जाती है। सरकार व्यापार निर्णय में कम हस्तक्षेप करती है इसलिए उसे उदार कहा जाता है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.)

  • संगठनों का मानना है कि निवेश और व्यापार पर किसी भी तरह का प्रतिबंध हानिकारक हो सकता है इसलिए देशों को मुक्त व्यापार को अपनाना चाहिए।
  • डब्ल्यू.टी.ओ. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाने का कार्य करता है।
  • विश्व के लगभग 160 राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं। यह संगठन सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा प्रदान करता है।
  • इस संगठन ने विकासशील राष्ट्रों के व्यापार बाधाओं को हटाने के लिए कई प्रयास किए हैं। उदाहरण के लिए वर्तमान में कृषि उत्पादों के व्यापार पर होने वाले बहस के मुद्दे।

वैश्वीकरण का प्रभाव

भारत में वैश्वीकरण के निम्नलिखित प्रभाव नज़र आते हैं-

  • वैश्वीकरण से शहरी लोगों को अधिक लाभ हुआ है, विशेष रूप से धनी व संपन्न लोगों को।
  • आज उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिल रहे हैं। उपभोक्ता गुणवत्ता वाली वस्तुएँ कम कीमतों पर प्राप्त कर रहे हैं।
  • वर्तमान में कई मध्य वर्ग के लोग संपन्न जीवनशैली को जीने लगे हैं।
  • उत्पादकों तथा मजदूरों पर वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।
  • पिछले 20 सालों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना लाभकारी रहा है।
  • वैश्वीकरण की वजह से विनिर्माण की लागत कम हुई है।
  • कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई है, जिससे बहुत सी भारतीय कंपनियों को लाभ हुआ है।
  • वैश्वीकरण ने कुछ भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने का अवसर प्रदान किया है।
  • वैश्वीकरण ने सूचना व संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए अवसरों का नया द्वार खोल दिया है। इसमें भारत द्वारा विदेशी कंपनियों के लिए पत्रिका का प्रकाशन व कॉल सेंटर की सेवाएँ उपलब्ध कराना मुख्य रूप से शामिल हैं।

न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए लोगों के बीच संघर्ष

  • वैश्वीकरण का अधिक लाभ शिक्षित, कुशल व अधिक संपन्न लोगों को ही मिला लेकिन एक वर्ग ऐसा भी बन गया जो वैश्वीकरण के लाभ से वंचित रहा।
  • वैश्वीकरण का लाभ सभी लोगों को समान रूप से हो, इसमें सरकार की भूमिका अहम हो सकती है।
  • सभी वर्ग के लोगों को लाभ मिलने वाली नीतियाँ सरकार बना सकती हैं।
  • छोटे कारीगरों व मजदूरों को प्रतिस्पर्धा में शामिल करने के लिए और उन्हें सक्षम बनाने के लिए सरकार सहयोग प्रदान कर सकती है।
  • न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए विश्व व्यापार संगठन के साथ कुछ समझौते भी किए जा सकते हैं।
  • आंदोलन और जनसंगठन भी बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी वजह से वर्तमान में सरकार द्वारा कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए हैं।
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