आप इस आर्टिकल से कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक के प्रश्न उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक के प्रश्न उत्तर परीक्षा की तैयारी करने में बहुत ही लाभदायक साबित होंगे। इन सभी प्रश्न उत्तर को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कक्षा 10 अर्थशास्त्र पाठ 2 के एनसीईआरटी समाधान से आप नोट्स भी तैयार कर सकते हैं, जिससे आप परीक्षा की तैयारी में सहायता ले सकते हैं। हमें बताने में बहुत ख़ुशी हो रही है कि यह सभी एनसीईआरटी समाधान पूरी तरह से मुफ्त हैं। छात्रों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा।
Ncert Solutions For Class 10 Economics Chapter 2 In Hindi Medium
हमने आपके लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक के प्रश्न उत्तर को संक्षेप में लिखा है। इन समाधान को बनाने में ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ की सहायता ली गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक पाठ बहुत ही रोचक है। इस अध्याय को आपको पढ़कर और समझकर बहुत ही अच्छा ज्ञान मिलेगा। आइये फिर नीचे कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर (Class 10 Economics chapter 2 Question Answer In Hindi Medium) देखते हैं।
कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
प्रश्न 1 – कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सेवा क्षेत्र में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि…….। ( हुई है /नहीं हुई है)
(ख) …………. क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। ( तृतीयक/कृषि)
(ग) ………. क्षेत्र के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है। ( संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में …….. संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
(ङ) कपास एक ……… उत्पाद है और कपड़ा एक …….. उत्पाद है। ( प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक,द्वितीयक और तृतीयक की गतिविधियां ……… है। ( स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर :-
(क) नहीं हुई है
(ख) तृतीयक
(ग) संगठित
(घ) बड़ी
(ङ) प्राकृतिक,विनिर्मित
(च) परस्पर निर्भर
प्रश्न 2 – सही उत्तर का चयन करें:
(i) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर :- (ग) उद्यमों के स्वामित्व
(ii) एक वस्तु का अधिकांशतः है प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन…….. क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना औद्योगिक
उत्तर :- (क) प्राथमिक
(iii) किसी विशेष वर्ष में उत्पादित …… के मूल्य के कुल योगफल को जी.डी.पी. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर :- (ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(iv) जी.डी.पी. के पदों में वर्ष 2003 में तृतीय क्षेत्रक की हिस्सेदारी …….. है।
(क) 20% से 30% के बीच
(ख) 30% से 40% के बीच
(ग) 50% से 60% के बीच
(घ) 70%
उत्तर :- (ग) 50% से 60% के बीच
प्रश्न 3 – निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
उत्तर :-
कृषि क्षेत्रक की समस्याएं | कुछ संभावित उपाय |
1. असिंचित भूमि | (क) कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
2. फसलों का कम मूल्य | (ख) सहकारी विपणन समिति |
3. कर्ज भार | (ग) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव | (घ) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | (ङ) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
प्रश्न 4 – असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन निर्देशक, धोबी, दर्जी ,कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉ, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम.टी.एन.एल, भारतीय रेल, एयर इंडिया ,सहारा एयरलाइंस ,ऑल इंडिया रेडियो।
उत्तर :-
(क) इन में से कुम्हार को हम असंगत श्रेणी में डालेंगे।
(ख) इन सभी में सब्जी विक्रेता असंगत श्रेणी में आएगा।
(ग) इन सभी में मोची असंगत श्रेणी में आएगा।
(घ) इनमें सहारा एयरलाइंस असंगत श्रेणी में आएगा।
प्रश्न 5 – एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आंकड़े जुटाए।
कार्य स्थान – सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में, औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक, सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक, छोटी कार्यशालाएँ, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं।
रोजगार की प्रकृति – संगठित, ?, ?, ?
श्रमिकों का प्रतिशत – 15, 15, 20
उत्तर :- रोजगार की प्रकृति – संगठित, संगठित, असंगठित, असंगठित
श्रमिकों का प्रतिशत – 15, 15, 20, 50
प्रश्न 6 – क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर :- हम लोगों को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में कार्यरत पाएँगे। इनमें से कुछ गतिविधियाँ वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। कुछ अन्य सेवाओं का सृजन करती हैं। ये गतिविधियाँ हमारे चारों ओर हर समय सम्पादित होती हैं, यहाँ तक कि हमारे बोलने में भी। हम इन गतिविधियों को कैसे समझ सकते हैं? इन्हें समझने का एक तरीका यह है कि कुछ महत्त्वपूर्ण मानदंडों के आधार पर इन्हें विभिन्न समूहों में वर्गीकृत कर दिया जाए। इन समूहों को क्षेत्रक भी कहते हैं। उद्देश्य और किसी महत्त्वपूर्ण मानदंड के आधार पर इन्हें अनेक तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है।
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है। प्राथमिक क्यों? क्योंकि यह उन सभी उत्पादों का आधार है, जिन्हें हम क्रमशः निर्मित करते हैं। चूँकि हम अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन और वनों से प्राप्त करते हैं, इसलिए इस क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्र भी कहा जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। यह प्राथमिक क्षेत्रक के बाद अगला कदम है। यहाँ वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, बल्कि निर्मित की जाती हैं। इसलिए विनिर्माण की प्रक्रिया अपरिहार्य है। यह प्रक्रिया किसी कारखाना, किसी कार्यशाला या घर में हो सकती है।
प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों की एक तीसरी कोटि भी है जो तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत आती हैं और उपर्युक्त दो क्षेत्रकों से भिन्न है। ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रकों और ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की ज़रूरत पड़ती है।
प्रश्न 7 – इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए ? चर्चा करें?
उत्तर :- रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण चीज है। किसी भी देश को इन दोनों चीजों को ही लक्ष्य मानकर आगे बढ़ना चाहिए। रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) किसी भी देश के विकास के लिहाज से भी बहुत ज्यादा जरूरी है।
प्रश्न 8 – जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। अपने आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए?
उत्तर :- जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के व्यस्को को हम विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत कर सकते हैं –
(1) जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है। प्राथमिक क्यों? क्योंकि यह उन सभी उत्पादों का आधार है, जिन्हें हम क्रमशः निर्मित करते हैं। चूँकि हम अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन और वनों से प्राप्त करते हैं, इसलिए इस क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक कहते हैं।
(2) द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। यहाँ वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, बल्कि निर्मित की जाती हैं। जैसे, कपास के पौधे से प्राप्त रेशे का उपयोग कर हम सूत कातते और कपड़ा बुनते हैं। गन्ने को कच्चे माल के रूप में उपयोग कर हम चीनी और गुड़ तैयार करते हैं।
(3) एक तीसरी कोटि भी है जो तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत आती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रकों और ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की ज़रूरत पड़ती है। कभी-कभी वस्तुओं को गोदामों में भण्डारित करने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 9 – तृतीयक क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से भिन्न कैसे हैं? सोदाहरण व्याख्या कीजिए?
उत्तर :- प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों की एक तीसरी कोटि भी है जो तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत आती हैं और उपर्युक्त दो क्षेत्रकों से भिन्न है। ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रकों और ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की ज़रूरत पड़ती है। कभी-कभी वस्तुओं को गोदामों में भण्डारित करने की आवश्यकता होती है। हमें उत्पादन और व्यापार में सहूलियत के लिए टेलीफोन पर दूसरों से वार्तालाप करने या पत्राचार (संवाद) या बैंकों से कर्ज लेने की भी आवश्यकता होती है। परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ और व्यापार तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं। चूंकि ये गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।
प्रश्न 10 – प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण देशों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- इस तरह की बेरोजगारी में आप देखेंगे कि प्रत्येक व्यक्ति काम कर रहा है, कोई बेकार नहीं है। परन्तु, वास्तव में उनका श्रम-प्रयास विभाजित है। प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम कर रहा है परन्तु किसी को भी पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं है। यह अल्प बेरोजगारी की स्थिति है, जहाँ लोग प्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे हैं, लेकिन सभी अपनी क्षमता से कम काम करते हैं। इस प्रकार की अल्प बेरोजगारी को छिपी हुई कहते हैं क्योंकि यह उन लोगों की बेरोजगारी, जिनके पास कोई रोजगार नहीं है और बेकार बैठे हुए हैं, से अलग है (खुली बेरोजगारी)। इसलिए इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।
प्रश्न 11 – खुली बेरोजगरी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर :- खुली बेरोजगारी एक इस प्रकार की बेरोजगारी है जिसके अंतर्गत लोग रोजगार चाहते हुए भी रोजगार हासिल नहीं कर पाते हैं। शहरों में खुली बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी इस प्रकार की बेरोजगारी है जिसमें लोग अपनी क्षमता से कम काम करते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी आमतौर पर गाँव में देखने को मिलती है।
प्रश्न 12 – “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा हैं।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर :- नहीं, हम इस बात से सहमत नहीं है। वर्ष 1973-74 और 2013-14 के बीच चालीस वर्षों में यद्यपि सभी क्षेत्रकों में उत्पादन में वृद्धि हुई, परन्तु सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्रक के उत्पादन में हुई। परिणामतः वर्ष 2013-14 में भारत में प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित करते हुए तृतीयक क्षेत्रक सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा। इसके कई कारण है –
(1) किसी भी देश में अनेक सेवाओं, जैसे- अस्पताल, शैक्षिक संस्थाएँ, डाक एवं तार सेवा, थाना, कचहरी, ग्रामीण प्रशासनिक कार्यालय, नगर निगम, रक्षा, परिवहन, बैंक, बीमा कंपनी इत्यादि की आवश्यकता होती है। इन्हें बुनियादी सेवाएँ माना जाता है।
(2) कृषि एवं उद्योग के विकास से परिवहन, व्यापार, भण्डारण जैसी सेवाओं का विकास होता है। प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक का विकास जितना अधिक होगा, ऐसी सेवाओं की माँग उतनी ही अधिक होगी।
( 3) कुछ लोग अन्य कई सेवाओं जैसे रेस्तरां, पर्यटन, शॉपिंग, निजी अस्पताल, निजी विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण इत्यादि की माँग शुरू कर देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी आय बढ़ जाती है।
(4) विगत दशकों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने बहुत ज्यादा प्रगति की है।
प्रश्न 13 – ”भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं।” ये लोग कौन हैं।?
उत्तर :- भारत में सेवा क्षेत्रक कई तरह के लोगों को नियोजित करते हैं। एक ओर, उन सेवाओं की संख्या सीमित है, जिसमें अत्यन्त कुशल और शिक्षित श्रमिकों को रोजगार मिलता है। दूसरी ओर, बहुत अधिक संख्या में लोग छोटी दुकानों, मरम्मत कार्यों, परिवहन जैसी सेवाओं में लगे हुए हैं। वे लोग बड़ी मुश्किल से जीविका निर्वाह कर पाते हैं और वे इन सेवाओं में इसलिए लगे हुए हैं क्योंकि उनके पास कोई अन्य वैकल्पिक अवसर नहीं है।
प्रश्न 14 – ”असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर :- असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है। इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परंतु उनका अनुपालन नहीं होता है। वे कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है। रोजगार सुरक्षित नहीं है। श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 15 – आर्थिक गतिविधियों रोज़गार की परिस्थितियों के आधार पर केसे वर्गीकृत की जाती हैं।
उत्तर :- संगठित क्षेत्रक – संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है। इन नियमों एवं विनियमों का अनेक विधियों, जैसे, कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, इत्यादि में उल्लेख किया गया है। संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा के लाभ मिलते हैं। उनसे एक निश्चित समय तक ही काम करने की आशा की जाती है। यदि वे अधिक काम करते हैं तो नियोक्ता द्वारा उन्हें अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।
असंगठित क्षेत्रक – असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है। इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परंतु उनका अनुपालन नहीं होता है। वे कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है। रोजगार सुरक्षित नहीं है। श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 16 – संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार- परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर :- संगठित क्षेत्रक की परिस्थितियां –
(1) लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है।
(2) संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा के लाभ मिलते हैं।
(3) उनसे एक निश्चित समय तक ही काम करने की आशा की जाती है।
(4) यदि वे अधिक काम करते हैं तो नियोक्ता द्वारा उन्हें अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।
असंगठित क्षेत्रकों की परिस्थितियां –
(1) यह कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं।
(2) यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है।(3) रोजगार सुरक्षित नहीं है।
प्रश्न 17 – रा. ग्रा. रा. गा. अ. 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- (1) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के श्रमिक को गारंटी दी जा रही है कि उसे 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा।
(2) इस अधिनियम के अंतर्गत उसी श्रमिक को किसी कारण से बेरोजगारी भत्ता प्राप्त नहीं हुआ है।
(3) 33% औरतें को इस अधिनियम का हिस्सा बनाया गया है।
प्रश्न 18 – अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर :- सार्वजनिक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है। सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। रेलवे अथवा डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण हैं। सार्वजनिक क्षेत्रक का ध्येय केवल लाभ कमाना नहीं होता है।
निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होती है। टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) अथवा रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कम्पनियाँ निजी स्वामित्व में हैं। निजी क्षेत्रक की गतिविधियों का ध्येय लाभ अर्जित करना होता है। इनकी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए हमें इन एकल स्वामियों और कंपनियों को भुगतान करना पड़ता है।
प्रश्न 19 – अपने क्षेत्र से एक- एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए :–
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
सार्वजनिक क्षेत्रक | ||
निजी क्षेत्रक |
उत्तर :- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 20 – सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यावन क्यों किया जाता हैं?
उत्तर :- जल, रेलवे और डाकघर आदि यह सभी गतिविधि सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधि में शामिल होते हैं। यह सभी ऐसी चीजें हैं जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है, परन्तु जिन्हें निजी क्षेत्रक उचित कीमत पर उपलब्ध नहीं कराते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें से कुछ चीज़ों पर बहुत अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जो निजी क्षेत्रकों की क्षमता से बाहर होती हैं। इन चीजों का इस्तेमाल करने वाले हजारों लोगों से पैसा एकत्र करना भी आसान नहीं है। फिर, यदि निजी क्षेत्रक अगर ऐसी चीजों को उपलब्ध कराते हैं तो वे इसकी ऊँची कीमत वसूलते हैं। जैसे, सड़कों, पूलों, रेलवे, पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण और बाँध आदि से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना। इसीलिए सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है और सभी लोगों के लिए इन सुविधाओं को सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 21 – व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक केसे योगदान करता है?
उत्तर :- यह एकदम सही है एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजानिक क्षेत्रक बहुत बड़ा योगदान देते हैं। सार्वजानिक क्षेत्रक को हम अंग्रेज़ी में पब्लिक सेक्टर कहते हैं। पब्लिक सेक्टर को किसी देश की सरकार संचालित करती है। सार्वजानिक क्षेत्रक देश के लिए बहुत कुछ करता है। पहले के समय में निजी क्षेत्रक का दायरा बहुत छोटा था। सार्वजानिक क्षेत्रक ने अनेकों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाएं। सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध हुए भारतीय रेलवे में। इसके अलावा सड़कों, पूलों, रेलवे, पत्तनों, बिजली का निर्माण और बाँध आदि के निर्माण के लिए भी सार्वजनिक क्षेत्रक में रोजगार दिए गए। इससे देश के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ा।
प्रश्न 22 – असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- मज़दूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को इन निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है –
मजदूरी – असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को मजबूत बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि इन सभी मजदूरों का अच्छे से ध्यान रखा जाए। ज्यादातर मामलों में ऐसे मजदूरों को बिना थके और रुके कई कई घंटे काम करना पड़ता है। उन्हें आराम का मौका नहीं मिलता है।
सुरक्षा – असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को सुरक्षा मुहैया करवाना भी बहुत जरूरी है। श्रमिक इस क्षेत्र में रहकर बहुत हिम्मत से काम करते हैं। वह इतने हिम्मती होते हैं कि वह कोयले की खदान में काम करते हैं। सुरंगों के प्रोजेक्ट पर काम करते हैं। बाँध बनाते हैं। इसलिए इन मजदूरों को सुरक्षा की बहुत जरूरत होती है।
स्वास्थ्य – इस प्रकार के मजदूरों को दिन रात काम करना होता है। इसके चलते वह कई बार बीमार भी पड़ जाते हैं। इनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इनके स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलनी चाहिए।
प्रश्न 23 – अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 1500000 श्रमिकों में से 1100000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी। इसमें से 320 करोड़ रुपए की आय संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इन आंकड़ों को सारणी में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार- सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए?
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र | कार्यरत श्रमिकों की संख्या | आय (लाख रु. में) |
संगठित | 400000 | 32000 |
असंगठित | 1100000 | 28000 |
कुल | 1500000 | 60000 |
उत्तर :- यह सही नहीं है कि अहमदाबाद नगर के 1500000 श्रमिकों में से 1100000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते हैं। सरकार को जागरूक होने की जरूरत है कि वह असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले लोगों के लिए गंभीर होकर सोचे। सरकार ऐसे लोगों के लिए ट्रेनिंग मुहैया करवाए। उनको हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाए।
प्रश्न 24 – निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद रूपए (करोड़) में दिया गया है:
वर्ष | प्राथमिक | द्वितीयक | तृतीयक |
2000 | 52,000 | 48,500 | 1,33,500 |
2013 | 8,00,500 | 10,74,000 | 38,68,000 |
(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.घ.उ में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिये।
(ख) इन आकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-अलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड- आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर :- छात्र स्वयं ही हल करें।
विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र अध्याय 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा? हमें अपना सुझाव कमेंट करके ज़रूर बताएं। कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र अध्याय 2 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे इस पेज की मदद से सभी कक्षाओं के एनसीईआरटी समाधान और एनसीईआरटी पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।
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