हम सभी को न्यू ईयर (New Year) से काफी उम्मीदें होती हैं। हम सभी चाहते हैं कि आने वाला नया साल हमारे जीवन में ढेरों खुशियाँ लेकर आए। हम अपनी पुरानी बुरी यादों को भुलाकर नए जोश और उमंग के साथ नए साल (New Year’s Day) में प्रवेश करते हैं। आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि नया साल/न्यू ईयर/नव वर्ष और हिंदू नव वर्ष/भारतीय नव वर्ष दोनों ही अलग-अलग दिन मनाए जाते हैं, जिसकी चर्चा हम आगे इस निबंध में करेंगे। इस पोस्ट में हम आपके लिए नया साल पर निबंध (Essay About New Year) लेकर आए हैं।
प्रस्तावना
हर साल 1 जनवरी (1st January) को पूरी दुनिया में नया साल (New Year) मनाया जाता है। ये वाला नया साल अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से होता है। गुज़रा हुआ हमारा पूरा एक साल जिंदगी में कई अलग-अलग उतार-चढ़ाव से भरा होता है, जिसमें अच्छी और बुरी दोनों ही यादें हमारे पास होती हैं। हमारा पूरा एक साल हमें बहुत कुछ सीखाकर जाता है। बीते साल में हमें गम और खुशी दोनों का अहसास होता लेकिन नए साल में हम केवल ऐसी कामना करते हैं कि आने वाला साल हम सभी के जीवन में ढेरों खुशियाँ लेकर आये। हम पिछली गलतियों से सीखकर नए साल में प्रवेश करते हैं और कोशिश करते हैं कि वह गलतियाँ हम आगे दोबारा कभी न करें
क्या है नया साल?
ये कोई ज़रूरी नहीं है कि हम सिर्फ एक जनवरी को ही नए साल की खुशी मनाएं। हम पिछले साल से सीख लेते हुए और अपनी जिंदगी में ऐसे काम करते हुए जिनसे हमें खुशी मिले अपना पूरा साल नए साल के रूप में मना सकते हैं। नए साल का पहला दिन हीं नहीं बल्कि हर दिन हमारे लिए कुछ-न-कुछ नया लेकर आता है। नए साल पर बहुत से लोग अलग-अलग संकल्प भी लेते हैं, जैसे कई लोग अपनी किसी भी बुरी आदत को छोड़ने का संकल्प लेते हैं, तो कई लोग अपना सपना पूरा करने का और कड़ी मेहनत करने संकल्प लेते हैं। ऐसे और भी कई संकल्प होते हैं जिन्हें लोग नए साल में पूरा करने की या फिर नए साल से उसे शुरू करने की कोशिश करते हैं। कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि साल के पहले दिन कुछ अच्छा करने से पूरा साल अच्छा जाता है।
नए साल का जश्न पूरी दुनिया एक साथ मनाती है जिसकी खुशियाँ सभी धर्म और वर्ग के लोग आपस में मिलकर मनाते हैं। नया साल हर तरह के भेदभाव से दूर होता है। सिर्फ नए साल का उत्सव (New Year Celebration) ही है जिसे पूरी दुनिया में एक साथ सभी लोग मिलकर मनाते हैं। नए साल का जश्न मनाने के लिए लोग पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। नए साल के दिन दुनियाभर में प्रमुख पर्यटक स्थलों पर काफी भीड़ होती है। कई देशों में नए साल का उत्सव अलग-अलग दिन मनाया जाता है, जैसे भारत में नववर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्च और अप्रैल के बीच मनाया जाता है, जबकि चीनी नववर्ष गुडी पड़वा के आसपास होता है। एक जनवरी को मनाए जाने वाले नए साल की खुशी, धूम और रौनक पूरी दुनिया में देखने को मिलती है।
नववर्ष की शुरुआत कैसे करें?
नया साल हमारे लिए नया समय ही नहीं बल्कि नए समय के साथ नई उम्मीदें, नए सपने, नया लक्ष्य, नए विचार और नए इरादे लेकर आता है। हम सभी को नए साल की शुरुआत अच्छे और नेक कामों के साथ करनी चाहिए। नया साल हमारे मन के भीतर आशा की नई किरण जगाता है। नया साल तो हर साल आता है लेकिन क्या कभी हमनें ये सोचने की कोशिश की है कि हमने इस साल क्या नया और खास किया जिससे ये साल हमारे लिए यादगार साल बन जाए। हम अपनी जिंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं और ये जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति के लिए हर साल अच्छा ही जाए या हर साल हर किसी के लिए बुरा ही जाए लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता है कि हम बीते कल को भूल जाएं। बीता हुआ कल तो हमें आज के लिए और आने वाले कल के लिए सीख देकर जाता है कि कैसे हम अपने कल को आज से बेहतर बना सकते हैं।
ऐसी बहुत सी अच्छी चीजें होती हैं, जो हमारे जीवन में खुशियाँ लेकर आती हैं, तो वहीं बुरी चीजें हमें सीख देकर जाती हैं। हमें हर साल नए साल के साथ अच्छी नई यादें बनानी चाहिए और बीते साल की बुरी यादों को भूल जाना चाहिए। नया साल हमारे लिए अपने जीवन की फिर से एक नई शुरुआत करने का सबसे अच्छा मौका होता है। नया साल हमें हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। जिस तरह हर रात के बाद एक नई सुबह होती है, जैसे हर निराशा के बाद आशा की एक नई किरण हमारे भीतर जागती है, जैसे हर गम के बाद खुशी आती है, ठीक वैसे ही पुराना साल बीत जाने के बाद नया साल शुरू होता है। हर व्यक्ति के लिए नए साल का अपना-अपना महत्व होता है। किसी के लिए ये महज़ रोज़ की तरह एक दिन होता है, तो कोई इस दिन से अपने जीवन में एक नई शुरुआत करता है और पूरे साल का लक्ष्य निर्धारित करने में सफल होता है।
हिंदू नव वर्ष या भारतीय नव वर्ष
पूरी दुनिया नया वर्ष एक जनवरी को मनाती है, लेकिन हमारे भारत में नया वर्ष साल में दो बार मनाया जाता है। पहला नया वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पहली जनवरी को मनाया जाता है और दूसरा नया वर्ष भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाता है, जिसे भारतीय (हिंदू) नववर्ष और नवसंवत्सर भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग या हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि मार्च या अप्रैल की महीने में होती है। इसी दिन से नवरात्रि की शुरुआत भी होती है।
नव-संवत्सर की शुरुआत होने के साथ ही सभी शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसी के चलते हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिंदू नववर्ष शुरू हो जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से ही चैत्र माह की नवरात्रि का पर्व भी शुरू हो जाता है। इस समय को भारत में बेहद ही शुभ माना जाता है और धूमधाम के साथ इसे मनाया जाता है। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और दक्षिण भारत में उगादि पर्व के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू नव वर्ष की विशेषता
भारत में हिंदू नव वर्ष को एक विशेष तरीके से मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में विविध रीति-रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं, जहाँ के लोग अपने नव वर्ष को अलग-अलग तरह से मनाते हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगादि चैत्र महीने में आते हैं। यह गुड़ और नीम के फूलों को वितरित करके मनाया जाता है, जो जीवन के मीठे और कड़वे दोनों अनुभवों को साझा करने के लिए प्रतीकात्मक है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा भी चैत्र माह में आती है और गुड़ी यानी कि चमकीले पीले कपड़े को बाँधकर एक लंबे बाँस की नोक से बाँधा जाता है और चीनी की माला के साथ उस पर उल्टा रखा जाता है।
भारत देश में नव संवत्सर की शुरुआत विक्रम संवत् के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हो जाती है। इस दिन मंदिरों और घरों में घट स्थापित किए जाते हैं, जौ बोए जाते हैं और नौ दिन के बाद पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं। हिंदू धर्म के लोग इस समय को बहुत ही शुभ मानते हैं और वह इन दिनों मांगलिक कार्यक्रमों जैसे गृह-प्रवेश, लगन-सगाई, विवाह आदि का आयोजन करते हैं। शुभ कामों के लिए यह समय सर्वोत्तम माना जाता है। कई लोग रामायण-पाठ का आयोजन भी करते हैं। व्यापारी लोग नया व्यवसाय शुरू कर नई दुकानों और व्यापारिक संस्थानों की स्थापना-उद्घाटन करते है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग‘ की रचना की थी। ऐतिहासिक रूप से इसकी पृष्ठभूमि में अनेक कथाएं सुनने को मिलती हैं।
ये भी पढ़ें-
निष्कर्ष
हिंदी में एक कहावत है कि “जब जागो तभी सेवरा”, जिसका एक अर्थ यह भी है कि हमें कुछ भी नया करने के लिए या बुराई के रास्ते को छोड़कर अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए किसी न्यू ईयर या नव वर्ष के इंतजार करने की ज़रूरत नहीं है। इसकी शुरुआत हम आज और अभी से कर सकते हैं। इसके लिए अगर किसी चीज़ की ज़रूरत है, तो वो है दृढ़ इच्छाशक्ति और विश्वास। अगर हम ऐसा कर लेते हैं, तो हर दिन हमारे लिए नए साल के बराबर होगा।
नए साल पर 10 लाइनें
- इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार पूरी दुनिया में नया साल एक जनवरी को मनाया जाता है।
- नया साल नई उम्मीदें लेकर आता है और पिछले साल की यादें देकर जाता है।
- नये साल से पहले 31 दिसंबर की रात को लोग पार्टी करते हैं।
- नये साल पर लोग अलग-अलग संकल्प लेते हैं।
- नये साल पर लोग घूमने जाते हैं और नये साल की खुशियां मनाते हैं।
- नये साल की शुरुआत हमें अच्छे विचारों के साथ करनी चाहिए।
- नये साल पर हमें बीते हुए साल की गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ाना चाहिए।
- नये साल पर लगभग सभी घरों में कुछ न कुछ खास व्यंजन बनाया जाता है, जिसका स्वाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर लेते हैं।
- नये साल पर लगभग सभी घरों में कुछ न कुछ खास व्यंजन बनाया जाता है, जिसका स्वाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर लेते हैं।
- नये साल पर हम सभी ऐसी कामना करते हैं कि आने वाला साल हम सभी के लिए अच्छा बीते।
नए साल पर FAQs
प्रश्न- हिंदू नव वर्ष कब से शुरू हो रहा है?
उत्तर- पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है।
प्रश्न- भारतीय नववर्ष क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नए साल का आरंभ भी होता है। विश्वभर में नया साल अनोखे ढंग से मनाया जाता है।
प्रश्न- भारतीय नव वर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर- 1 जनवरी को।