Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay in Hindi)

Photo of author
PP Team
Last Updated on

बच्चों शोर कम करो! टीवी की आवाज़ थोड़ी कम करो! ये मशीन कितनी आवाज़ कर रही है! सड़क पर गाड़ियाँ और उनके हॉर्न की आवाज़! आदि आदि। ये सभी वो शब्द हैं जो हम अपनी भागती-दौड़ती जिंदगी में घर, ऑफिस या सड़क पर चलते हुए एक दूसरे से बोलते ही रहते हैं लेकिन वास्तविक रूप से इनपर अमल करना शायद कहीं न कहीं भूल जाते हैं या फिर ध्यान नहीं रहता। कल्पना कीजिए कि आप एक कमरे में बंद हैं और किसी ने उस कमरे में बहुत तेज़ आवाज़ में साउंड स्पीकर चलाकर कर रख दिया हो। आवाज़ इतनी तेज़ हो कि आपकी बर्दाश्त के बाहर हो। उस वक्त जो आपकी मनोदशा या स्थिति होगी, ठीक वैसी ही स्थिति आज ध्वनि प्रदूषण के कारण हमारे पर्यावरण की है।

प्रस्तावना

हमारे शरीर का हर अंग ज़रूरी है। कुछ अंगों को हम देख सकते हैं और कुछ अंग ऐसे होते हैं, जो हमारे शरीर के अंदर होते हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते। मानव शरीर के सभी अंग अपने-अपने स्तर पर अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। कान भी मानव शरीर के अंगों का ही भाग हैं। जो हमारी ज्ञानेंद्रियाँ होती हैं उनमें हमारे कान भी शामिल होते हैं, जो हमारी सुनने की क्षमता और शक्ति दोनों रखते हैं।

ये बात एकदम सही है कि जब भी हम कोई कार्य ज़रूरत से ज़्यादा या अपनी सीमा के बाहर आकर करते हैं, तो वह हमारे लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इसी बात को हम आवाज़, शोर या ध्वनि (Noise) के साथ भी जोड़ सकते हैं। ऐसा कोई भी यंत्र या मशीन जो बहुत ज़्यादा आवाज़ या शोर पैदा करता हो, वो हम सभी के लिए नुकसानदायक होगा और हमारी सुनने की क्षमता पर भी बुरा असर डालेगा।

अमूमन ये देखा जाता है कि जब कभी भी हम शादी, पार्टियों, त्योहारों, धार्मिक कार्यक्रमों या किसी अन्य समारोह में जाते हैं, तो वहाँ पर लाउड स्पीकर की आवाज़ इतनी तेज़ होती है कि हम अपने मनोरंजन और उत्साह के चक्कर में ये बात भूल जाते हैं कि उस तेज़ आवाज़ से किसी को तकलीफ भी पहुँच सकती है। ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ लोग जब सड़कों पर से गुज़र रहे होते हैं, तो वह अपनी गाड़ियों में गाने बजा लेते हैं और आवाज़ भी तेज़ कर लेते हैं।

कुछ लोग तो ज़रूरत न होने पर भी गाड़ियों में लगातार हॉर्न बजाते रहते हैं। इस तरह के शोर का बुरा प्रभाव इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों के स्वास्थ्य पर भी पढ़ता है। हमें हमेशा ये कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके उतना जानबूझकर होने वाले शोर या बेवजह तेज़ आवाज़ करने से बचें। शोर से सबसे ज़्यादा परेशान छोटे बच्चे और बड़े-बुज़ुर्ग होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) वह स्थिति होती है जिस समय हमारे आसपास या पर्यावरण में आवाज़ या शोर का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक हो। हमारे वातावरण में ज़रूरत से ज़्यादा शोर होने पर मनुष्य, पशु-पक्षियों आदि सभी को हानि पहुँचती है। तेज आवाज़ से प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ जाता है। किसी भी चीज़ की तेज आवाज़ या ध्वनि बाक़ी दूसरी आवाज़ों को दबा देती है और उसमें बाधा डालती है। आज के इस आधुनिक युग में तेज ध्वनि का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है।

ध्वनि या आवाज को हम अलग-अलग रूप में बांट सकते हैं, जैसे- मनुष्य के बोलने या बातचीत करते समय निकलने वाली आवाज़, पशु-पक्षियों की निकलने वाली अलग-अलग प्रकार की आवाज़, बहते हुए पानी की आवाज़, जंगल में शेर के दहाड़ने की आवाज़, बादलों के गरजने की आवाज़, तूफान की आवाज़, ज्वालामुखी के विस्फोट होने की आवाज़, समुद्री लहरों के तट से टकराने की आवाज़ आदि। ध्वनियाँ प्राकृतिक भी होती हैं और मानव द्वारा निर्मित भी। प्राकृतिक ध्वनियों के मुकाबले मानव द्वारा विकसित की गई ध्वनियों का खतरा अधिक होता है। सच्चाई यह ही है कि जिस ध्वनि निर्माण मानव ने किया है, वो पृथ्वी के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रही है। हल्के, मीठे और मधुर संगीत की आवाज़ भी ध्वनि है लेकिन अगर वही ध्वनि जब शोर में बदल जाए, तो ध्वनि प्रदूषण की वजह बनती है।

ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा

वो आवाज़ या ध्वनि जो हमारे कानों को कष्ट पहुँचाए, जिसका हमारे दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता हो उसे ही ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन, साउंड स्पीकर, यातायात के साधन, मशीनें आदि बढ़ रही हैं, उसके साथ इनसे होने वाला शोर भी बढ़ रहा है, जो ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। शोर ध्वनि ऊर्जा का वो प्रकार है जिसे किसी भी जीवधारी का सहन कर पाना बहुत मुश्किल है। कोई भी ध्वनि जब ज़रूरत से ज़्यादा हो, तो वह शोर की श्रेणी में आ जाती है।

मैक्सवेल के शब्दों में- ”शोर वह ध्वनि है जो अवांछनीय है। यह वायुमण्डलीय प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है।”

साइमंस के शब्दों में- “बिना मूल्य की अथवा अनुपयोगी ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण है।”

ध्वनि प्रदूषण के कारण

हमारे सामने ध्वनि प्रदूषण के एक नहीं बल्कि कई अलग-अलग कारण दिखाई पड़ते हैं, जैसे- बढ़ता हुआ शहरीकरण और औद्योगिकीकरण जिसने हमारे लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। उद्योग छोटा हो या बड़ा उस उद्योग को चलाने के लिए मशीनों, कम्प्रेशर, जेनरेटर, गर्मी निकालने वाले पंखे, मिल आदि का इस्तेमाल किया जाता है जिससे शोर होता है। इसके अलावा जब कोई उत्सव हो, जैसे- शादी, पार्टी, समारोह आदि में तेज आवाज़ में डीजे बजाया जाता है, जो ध्वनि प्रदूषण करता है।

मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे आदि धार्मिक स्थलों पर भी लाउड स्पीकर लगे होते हैं जिनसे निकलने वाली आवाज़ भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। शहरों में यातायात के साधन जैसे बाइक, कार, बस, अंडर ग्राउंड ट्रेन आदि बढ़ते ही जा रहे हैं, जिससे शहरों में शोर भी बढ़ता ही जा रहा है। जब किसी मकान, दुकान, सड़क, पुल, भवन, बांध, स्टेशन आदि का निर्माण होता है और उनके निर्माण में बड़ी-बड़ी मशीनें और यंत्र लगाए जाते, वो भी उच्च स्तर का शोर उत्पन्न करते हैं। दिवाली का त्योहार हो या घर में शादी हो, हम जिन पटाखों का इस्तेमाल करते हैं उससे निकलने वाली आवाज़ भी ध्वनि प्रदूषण की वजह बनती है। रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले घरेलू उपकरण भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण बनते जा रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

ध्वनि प्रदूषण के मुख्य दो स्रोत होते हैं- 1. प्राकृतिक स्रोत और 2. मानवीय या कृत्रिम स्रोत।

  1. प्राकृतिक स्रोत- जब बादल गरजते हैं, बिजली कड़कती है, तूफानी हवायें चलती हैं, ज्वालामुखी का विस्फोट होता है, भूकंप आता है, समुद्री तट पर लहरें टकराती हैं या झरनों से नदी में जल गिरता है, तो उसे ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत में जोड़ा जाता है।
  2. मानवीय स्रोत- जब औद्योगिक संस्थान, परिवहन से साधन, मनोरंजन के साधन, विद्युत उपकरण, मानवीय क्रियाओं आदि से जो शोर पैदा होता है उसे ध्वनि प्रदूषण के मानवीय स्रोत में शामिल किया जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव, पशु-पक्षी, पेड़े-पौधे, वातावरण आदि सभी चीज़ों पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों में शामिल हैं-

  • इंसान के काम करने की क्षमता और गुणवत्ता में कमी आना।
  • एकाग्रता को कम करना।
  • थकान महसूस होना है।
  • गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करना।
  • छोटे बच्चों और बड़े-बुज़ुर्गों पर सबसे ज़्यादा असर होना।
  • लोगों को विभिन्न बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप और मानसिक बीमारी का शिकार होना।
  • मन की शांति भंग करना।
  • मनुष्य के स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहना।
  • अस्थायी या स्थायी बहरापन का कारण बनना।
  • ऐतिहासिक स्मारकों, पुरानी इमारतों, पुलों, भवनों आदि को नुकसान पहुँचाना।
  • जानवरों का अपने दिमाग पर नियंत्रण खो देना और खूंखार हो जाना।  
  • पौधों और फसलों को प्रभावित करना।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय

यदि हम चाहते हैं कि पृथ्वी से ध्वनि प्रदूषण की समस्या पूरी तरह से खत्म हो, तो हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नीचे बताए गए उपायों का पालन करना होगा। जब हम सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करेंगे, तो ही ध्वनि प्रदूषण या प्रदूषण जैसी बड़ी समस्या को दूर कर पाएंगे। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. सबसे पहले लोगों को ध्वनि प्रदूषण के बारे में जागरूक करना होगा।
  2. जगह-जगह शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार-प्रसार करना होगा।
  3. सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई होगी जिससे जाम ना लगे और शोर कम पैदा हो।
  4. हरियाली को बढ़ाना होगा।
  5. औद्योगिक क्षेत्रों को आबादी क्षेत्रों से दूर रखना होगा।
  6. प्रेशर वाले हॉर्न का उपयोग बंद करना होगा।
  7. हवाई अड्डों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रखना होगा।
  8. बड़े-बड़े वाहनों का भीड़-भाड़ वाले इलाके में प्रवेश कम करना होगा।
  9. शादी, त्यौहार, उत्सव, मेला, पार्टियों, सभा स्थल आदि कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर को काम में नहीं लेना होगा।
  10. रेलगाड़ी और उनकी पटरियों की मरम्मत समय-समय पर करनी होगी, जिससे कि ध्वनि प्रदूषण कम हो।
  11. पुराने वाहनों के चलाने पर रोक लगानी होगी।
  12. सार्वजनिक स्थलों के आसपास लाउडस्पीकर और हॉर्न बजाने पर रोक लगानी होगी।
  13. उद्योगों से निकलने वाले शोर को कम करना होगा।
  14. आबादी वाले क्षेत्र से अवैध उद्योगों को हटाना होगा।
  15. रात के समय लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगानी होगी।
  16. लोगों को ट्रैफिक नियम पालन करने के लिए जागरूक करना होगा।
  17. रात के समय में आबादी वाले क्षेत्रों में निर्माण के ऊपर रोक लगाना होगी।
  18. युवाओं को लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
  19. अत्यधिक आवाज करने वाले विस्फोटक पटाखों को काम में नहीं लेना होगा।
  20. ध्वनि प्रदूषण पर नए कानून बनाने होंगे।

निष्कर्ष

इस पृथ्वी पर या प्राकृतिक संसाधनों पर हम सभी का बराबर अधिकार है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो या कोई जानवर। हमें अपने मनोरंजन या लाभ से पहले यह सोचना चाहिए कि कहीं इसका किसी पर दुष्प्रभाव न पड़े या किसी प्रकार की कोई हानि न पहुंचे। हम सभी के सहयोग और सकारात्मक सोच से ही प्रदूषण के प्रकार ध्वनि प्रदूषण को जड़ से खत्म किया जा सकता है और उस पर विजय हासिल की जा सकती है।

ध्वनि प्रदूषण पर आधारित FAQs

प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण के स्रोत क्या है?

उत्तर- त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। तेज ध्वनि को शोर (Noise) को कहा जाता है।

प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण कैसे होता है?

उत्तर- जब किसी भी प्रकार की आवाज़ तेज़ शोर में बदल जाए, तो ध्वनि प्रदूष होता है, जैसे- पार्टियों में लाउड स्पीकर या डीजे का प्रयोग जो ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।

प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण का अर्थ क्या है?

उत्तर- ध्वनि प्रदूषण से हमारा तात्पर्य अत्यधिक शोर से है जो अनुपयोगी होता है। यह शोर मानव और जीव जन्तुओं को परेशान करता है। ध्वनि प्रदूषण में यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर भी शामिल है।

Leave a Reply