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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज अध्याय 8 बारगोबिन भगत

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Ekta Ranga
Last Updated on

हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी अध्याय 8 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी क्षितिज के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं क्षितिज अध्याय 8 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।

Ncert Solutions For Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8

कक्षा 10 हिन्दी के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज अध्याय 8 बारगोबिन भगत के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 Question Answer) देखते हैं।

कक्षा : 10
विषय : हिंदी (क्षितिज भाग 2)
पाठ : 8 बारगोबिन भगत (रामवृक्ष बेनीपुरी)

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1 – खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तर – बालगोबिन भगत कबीर को ही अपना भगवान मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों का अनुसरण करते थे। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से बेवजह का झगड़ा करते थे। किसी की चीज नहीं छूते न बिना पूछे व्यवहार में लाते। वह कभी भी दूसरे के खेत में शौच के लिए नहीं बैठते! वह गृहस्थ थे लेकिन उनकी सब चीज़ संत कबीर जैसी थी। जो कुछ खेत में पैदा होता, सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते। और वहां जो कुछ भी प्रसाद’ रूप में उन्हें मिलता, उसे घर लाते और उसी से गुजर बसर करते।

प्रश्न 2 – भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

उत्तर – भगत की पुत्रवधू बहुत ही संस्कारी और सुशील स्त्री थी। उसने ससुराल आते ही घर की जिम्मेदारियां संभाल ली थी। वह अपने पति और ससुर भगत की मन से सेवा करती थी। जब उसका पति चल बसा तो उसका सारा संसार उजड़ गया। लेकिन वह बहुत दयावान थी। वह भगत को अकेला इसलिए नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि बुजुर्ग भगत अपने बेटे की मृत्यु उपरांत अकेला पड़ गया था। भगत की पुत्रवधू ने सोचा कि अगर वह अपने ससुर को अकेला छोड़ चली गई तो भगत जीते जी ही मर जाएगा। कौन करेगा इतने बुजुर्ग व्यक्ति की सेवा। अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपने बूढ़े ससुर की सेवा में ही अपना जीवन झोंक देना चाहती थी। वह अपने ससुर को संत समान मानती थी।

प्रश्न 3 – भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की?

उत्तर- जब भगत को यह पता चला कि उसका बेटा गुजर चुका है तो उसकी प्रतिक्रिया बिल्कुल भी नहीं बदली। वह तो विदाई की इस बेला में भी हर दिन की ही तरह खुशी खुशी भगवान के भजन गा रहा था। उसने अपनी पुत्रवधू को भी दुखी नहीं होने को कहा। उसने अपनी बिलखती पुत्रवधू को समझाया कि उसका बेटा मरा नहीं है बल्कि वह सदैव के लिए अमर हो गया है। कि उसके बेटे का परमात्मा से मिलन हो गया है।

प्रश्न 4 – भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – भगत कद काठी में औसत दर्जे के व्यक्ति थे। उनका रंग साफ था। वह कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वह सभी को सुखी देखना चाहते थे। वह लंबी दाड़ी नहीं रखते थे। हल्की सफेद दाड़ी थी उनके मुंह पर। सिर के बाल भी सफेद थे उनके। उनके कपड़े भी नाममात्र के हुआ करते थे जैसे एक समय पर संत कबीर पहना करते थे। गले में हमेशा उनके तुलसी की माला रहा करती थी। उन्हें स्पष्ट बातें करना अच्छा लगता था। वह एक महान संत की ही तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे। उनको कबीर के भजन गाना बहुत पसंद था।

प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी? 

उत्तर : – भगत की दिनचर्या को देखकर लोग अचरज में पड़ जाते थे। भगत शरीर से तो बुजुर्ग थे। लेकिन वह मन से पूरे जवान थे। अर्थात उनके शरीर में जवान बालक जैसी फूर्ती थी। वह नियम से खेती करके आते थे। मौसम चाहे कैसा भी हो लेकिन वह पवित्र गंगा में डुबकी लगाना नहीं भूलते थे। कड़क सर्दी में भी गंगा स्नान किया करते थे। वह बहुत सिद्धांतवादी व्यक्ति थे। उनको झूठ बोलना पसंद नहीं था। वह हर रोज अपने घर से चार कोस दूर कबीर के मठ जाया करते थे। उनका जीवन एक संत के समान ही था।

प्रश्न 6 – पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर – भगत संत कबीर के सच्चे भक्त थे। वह कबीर को अपना गुरू मानते थे। कबीर के पद तो मानो भगत को मुंह जबानी याद थे। जब वह कबीर के पदों को अपनी आवाज देते थे तो मानो ऐसा लगता था कि जैसे साक्षात कबीर ही गा रहे हो। भगत की आवाज बहुत सुरीली थी। भगत के भजन सुनकर बच्चे खेलते हुए भी झूम उठते थे। मेंड़ पर खड़ी औरतें गुनगुनाने लगती थी। हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते थे; रोपनी करनेवालों की अंगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती थी। भगत के मधुर संगीत में कुछ जादू सा था।

प्रश्न.7 – कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर – (क) भगत साधू संतों की तरह भिक्षा मांगने में विश्वास नहीं करते थे। वह स्वाभिमान के साथ जीते थे। जब वह हर वर्ष गंगा स्नान करने जाते थे। गंगा तीस कोस दूर थी। इसलिए वह घर से ही खाना खाकर जाते थे। उनको करीब तीन दिन का समय लगता था गंगा नदी तक पहुंचने में। लेकिन इस दौरान वह सिर्फ पानी पर रहकर उपवास किया करते थे।

(ख) भगत ने अपने जवान पुत्र के मरने के पश्चात भी आम लोगों की तरह रोना धोना नहीं किया। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने से मना किया और उससे कहा कि उनके बेटे का मिलन अब साक्षात परमात्मा से हो गया है।

(घ) भगत ने अपनी विधवा हुई पुत्रवधू को भी सती प्रथा जैसी कुरीति से बचा लिया। उस जमाने में जब औरत पुनर्विवाह ना के बराबर था। तब भगत ने पुत्रवधू को दूसरी शादी करके अपने नया घर बसाने का आदेश दे दिया।

(ग) भगत का महिलाओं के प्रति सम्मान इसी बात से दिखता है कि उन्होंने अपनी पुत्रवधू के हाथों अपने पुत्र को मुखाग्नि दिलवाई।

प्रश्न. 8 धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियां किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए। 

उत्तर – आसाढ़ की रिमझिम में जब कहीं हल चल रहे और कहीं रोपनी हो रही होती। ठंडी हवायें चलती थी और आकाश में बादल छाए हुए रहते थे। ऐसे माहौल में जब भगत मधुर भजन गाया करता था तो सभी लोग मानो खुशी से झूम उठते थे। भगत के भजन सुनकर बच्चे खेलते हुए भी झूम उठते थे। मेंड़ पर खड़ी औरतें गुनगुनाने लगती थी। हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते थे; रोपनी करनेवालों की अंगुलियाँ एक अजीव क्रम से चलने लगती थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न. 9 पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन किन रूपों में प्रकट हुई है? 

उत्तर – भगत की कबीर पर श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई:

  • भगत कबीर का ही अनुसरण किया करते थे। भगत के लिए कबीर ही उनके भगवान थे। उनके खेत में जो कुछ भी उगता था वह सब भगत कबीर के मठ में चढ़ाने के लिए ले जाते थे। मठ से जो प्रसाद ग्रहण होता था उसे ही खाकर वह अपने जीवन का निर्वाह करते थे।
  • जैसे एक समय पर कबीर कस्बा- कस्बा और गली-गली घूमकर गीत गाया करते थे ठीक उसी प्रकार भगत भी किया करते थे।
  • भगत के कपड़े पहनने का तरीका बहुत हद तक कबीर जैसा था। उनके सिर पर हमेशा कबीरपंथियों जैसी टोपी रहती थी।
  • वह कबीर के सिद्धांतों का पालन किया करते थे। वह निंदा और शोक जैसी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि उनका बेटा मर गया लेकिन उन्होंने शोक नहीं मनाया।
  • वह मृत्यु को नहीं मानते थे। वह मानते थे कि भले ही यह शरीर नश्वर हो, लेकिन आत्मा कभी नहीं मर सकती। वह मृत्यु को परमात्मा से मिलने का माध्यम मानते थे।

प्रश्न. 10 आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे? 

उत्तर – मेरे दृष्टिकोण से भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के कारण रहे होंगे –

  • कबीर बिना किसी आडंबर के अपना जीवन व्यतीत करते थे।
  • वह राग-द्वेष में विश्वास नहीं रखते थे।
  • कबीर के लिए सभी भगवान एकसमान थे। वह भगवान को निर्गुण मानते थे।
  • कबीर ने अपना पूरा जीवन सरलता और सादगी में ही बीता दिया।
  • कबीर प्रभु के गीत गाकर खुश रहते थे।

प्रश्न. 11 गाँव का सामाजिक – सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता था?

उत्तर- गाँव का सामाजिक – सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से इसलिए भर जाता था क्योंकि आषाढ़ का महीना अपने आप में बहुत खुशनुमा होता है। इस महीने में हरियाली खिल उठती है। पशु और पक्षी झूम उठते हैं। रिमझिम बारिश होती है। गांव के बच्चे भी इसी महीने में झूम उठते थे। मेंड़ पर खड़ी औरतें गुनगुनाने लगती थी। हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते थे; रोपनी करनेवालों की अंगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती थी।

प्रश्न. 12 “ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन अधरों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ती ‘साधु’ है?

उत्तर- साधु केवल अपने कपड़ों के हिसाब से ही साधु संत नहीं माने जाते हैं। साधु वही इंसान है जो कि मन से मैला ना होकर साफ हो। जो दूसरों को कष्ट पहुंचाने की बजाए सुख दे। जो कि सिद्धांतवादी हो। जो असली साधु होता है उसको ईश्वर से बढ़कर कोई प्यारा नहीं लगता। वह भौतिकवाद में लिप्त होने को गलत मानता है।

प्रश्न. 13 मोह और प्रेम में अन्तर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर – मोह और प्रेम में अन्तर होता है। भगत के जीवन का सबसे बड़ा उदाहरण है उसका बेटा और पुत्रवधू। वह दोनों को प्रेम देने में थोड़ी सी भी कमी नहीं रखता था। भगत दोनों को कभी भी दुखी नही देखना चाहता था। भगत को किसी भी रूप में मोह माया नहीं थी। जब उसका जवान बेटा मरा तब उसने अपनी पुत्रवधू को शोक नहीं मनाने को बोला। उसने पुधवधू को समझाया कि उसके बेटे का अपने परमात्मा से मिलन हो गया है। उसने अपनी पुत्रवधू को भी दूसरी शादी करने को कहा। वह चाहता तो अपनी पुत्रवधू से सेवा करवा सकता था। लेकिन उसने अपनी पुत्रवधू को आजाद करके एक नई जिंदगी शुरू करने को कहा।

भाषा अध्ययन

प्रश्न. 14  इस पाठ में आए कोई दस क्रिया विशेषण छांटकर लिखिये और उसके भेद भी बताइए।

उतर –

  • थोड़ा बुखार आने लगा, भेद – परिमाणवाचक क्रिया विशेषण। 
  • धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगा, भेद- कालवाचक क्रियाविशेषण।
  • उस दिन भी संध्या में गीत गाए, भेद – कालवाचक क्रियाविशेषण। 
  • इन दिनों सवेरे ही उठते थे, भेद – कालवाचक क्रियाविशेषण। 
  • कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे, भेद – परिमाणवाचक क्रियाविशेषण।
  • हरवर्ष गंगा स्नान करने के लिए जाते थे, भेद – कालवाचक क्रियाविशेषण।
  • वे दिन -दिन छिजने लगे, भेद – कालवाचक क्रियाविशेषण। 
  • हँसकर टाल देते थे, भेद – रीतिवाचक क्रियाविशेषण। 
  • जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं, भेद – स्थानवाचक क्रियाविशेषण। 
  • उस दिन भी संध्या में गीत गाए, भेद – कालवाचक क्रियाविशेषण। 

विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं हिंदी अध्याय 1 बालगोबिन भगत के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा? हमें अपना सुझाव कमेंट करके ज़रूर बताएं। कक्षा 10वीं हिंदी क्षितिज अध्याय 1 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे इस पेज की मदद से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और एनसीईआरटी पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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