इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक-1 यानी समकालीन विश्व राजनीति के अध्याय- 3 समकालीन दक्षिण एशिया के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय 3 राजनीति विज्ञान के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 12 Political Science Book-1 Chapter-3 Notes In Hindi
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अध्याय-3 “समकालीन दक्षिण एशिया”
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | बारहवीं (12वीं) |
विषय | राजनीति विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | समकालीन विश्व राजनीति |
अध्याय नंबर | तीन (3) |
अध्याय का नाम | समकालीन दक्षिण एशिया |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 12वीं
विषय- राजनीति विज्ञान
पुस्तक- समकालीन विश्व राजनीति
अध्याय-3 (समकालीन दक्षिण एशिया)
दक्षिण एशिया
- दक्षिण एशिया में कुल 7 देश आते हैं- भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, भूटान।
- भारत और श्रीलंका में ही लोकतंत्र स्थापित रहा, अन्य देशों में भी लोकतान्त्रिक सरकारें आईं लेकिन वहां सैन्य शासन ने तख्तापलट भी किया।
पाकिस्तान और लोकतंत्र
- पाकिस्तान में सबसे पहले जनरल अयूब खान की सरकार बनी, जो गिरा दी गई। याहिया खान के सैन्य नेतृत्व में 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद बेनजीर भुट्टो की सरकार बनी।
- 1977 में जियाउल हक़ द्वारा इसे गिराया गया तथा 1982 में लोकतान्त्रिक ताकतों ने बेनजीर भुट्टो को फिर पाकिस्तान की कमान दी।
- 2001 में इस सरकार का तख्तापलट कर परवेज़ मुशर्रफ ने इसे 2008 तक लोकतान्त्रिक सरकार दिखाने की कोशिश की।
- पाकिस्तान में तख्तापलट होने के कारण– भू-स्वामियों, धर्मगुरुओं के सामाजिक दबदबा, जो सैन्य शासन को सही बताते हैं।
- पाकिस्तान के लोकतांत्रिक शासन को कोई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग न मिल पाना।
बांग्लादेश में लोकतंत्र
- 1947 में भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान को भी पाकिस्तान के अंग के रूप में माना गया।
- 1971 में बांग्लादेश ने पाकिस्तान द्वारा उर्दू भाषा थोपे जाने को लेकर विद्रोह किया, स्वतंत्रता की मांग उठी।
- इस जन संघर्ष का नेतृत्व शेख मुजीबुर्रहमान ने किया, इनकी आवामी लीग पार्टी को 1970 में सारी सीटों पर विजय मिली।
- पश्चिमी पाकिस्तान के दबदबे के कारण शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया, पूर्वी पाकिस्तान के आंदोलन को रोकने का प्रयास किया गया।
- सेना ने हज़ारों लोगों को मारना शुरू कर दिया, लोगों ने भारत में पलायन करना शुरू कर दिया। भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद दी।
- 1971 का भारत-पकिस्तान युद्ध भारत ने जीता और बांग्लादेश नामक राष्ट्र का उदय हुआ। इसके बाद शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी पार्टी को छोड़कर सभी पार्टियों को समाप्त कर दिया।
- 1975 से 1990 के बीच बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट चलता रहा। 1991 के बाद से वहां लोकतंत्र स्थापित हुआ।
नेपाल में लोकतंत्र
- नेपाल में शुरुआत से ही संवैधानिक राजतंत्र रहा है। लोगों की उत्तरदायी शासन की मांग के बाद भी, राजा ने सेना की मदद से नियंत्रण अपने हाथ में रखा।
- 1990 में जनता की मांग को पूरा कर दिया गया, लेकिन यह काल बेहद कम रहा। नेपाल में माओवादियों ने राजा और सत्ताधारियों के खिलाफ विद्रोह किया।
- माओवादियों, राजा, लोकतंत्र समर्थकों के बीच कुछ समय गोरिल्ला युद्ध छिड़ा, इसके बाद राजा ने 2002 में संसद को भंग कर दिया।
- 2006 में नेपाल में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हुए, इन अहिंसक प्रदर्शन का नेतृत्व सात दलों के गठबंधन (सेवन पार्टी अलाएंस), माओवादियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया।
- 2008 तक राजतन्त्र को समाप्त करने के बाद, नेपाल को लोकतान्त्रिक देश घोषित किया गया, 2015 में इसने अपना नया संविधान बनाया।
श्रीलंका में जातीय संघर्ष और लोकतंत्र
- 1948 के बाद से अब तक श्रीलंका में लोकतंत्र ही स्थापित रहा है, लेकिन इस बीच श्रीलंका आतंरिक जातीय संघर्षों में भी घिरा रहा।
- श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग उठ खड़ी हुई।
- श्रीलंका में सिंघली भाषी बहुसंख्यक लोगों का दबदबा था, भारतीय मुल्क के तमिल भाषी लोगों के बड़ी संख्या में वहां जाने के कारण इन लोगों ने विद्रोह शुरू कर दिया।
- तमिलों को किसी भी प्रकार की रियायत देने के खिलाफ आवाज उठीं, कहा गया कि श्रीलंका सिर्फ सिंघलियों का है।
- इसके परिणाम स्वरूप 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन- लिबरेशन टाइगर्स ऑव तमिल इलम (लिट्टे) का उदय हुआ, जिसने एक अलग राष्ट्र की मांग की।
- भारत सरकार ने तमिलों का इस मुद्दे में प्रत्यक्ष रूप से 1987 में पक्ष लिया और तमिलों का साथ देने के लिए भारतीय सेना को श्रीलंका भेजा।
- श्रीलंका की जनता को अपने आतंरिक मामलों में भारत का दखल करना पसंद नहीं आया, इसके कारण भारत को अपनी ‘शांति सेना’ को वापस बुलाना पड़ा।
- 2009 में लिट्टे को खत्म कर इस आतंरिक संघर्ष को समाप्त कर दिया गया, संघर्षों के बाद भी श्रीलंका ने आर्थिक वृद्धि और विकास को हासिल किया।
- जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण करने वाला विकासशील देशों में पहला देश बना, दक्षिण एशिया में सबसे पहले अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
- इस देश की GDP दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा है।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष
- भारत-पाकिस्तान के बीच का संघर्ष विभाजन के तुरंत बाद से ही शरू हो गया था, दोनों के बीच मतभेद का कारण रहा ‘कश्मीर’, इसके बाद कश्मीर का विभाजन- Pok और जम्मू-कश्मीर के रूप में हुआ।
- 1971 के युद्ध, सियाचिन ग्लेशियर और हथियारों की होड़ के बाद भी कश्मीर का मसला नहीं सुलझा। 1990 के दशक में दोनों देशों के पास परमाणु हथियार, मिसाइल थे।
- भारत सरकार का आरोप है कि पाकिस्तान ने 1985-1995 के बीच खालिस्तानी-समर्थक उग्रवादियों को गोला बारूद उपलब्ध कराया।
- भारत के अनुसार पाकिस्तान आज भी कश्मीरी उग्रवादियों को भारत के खिलाफ प्रशिक्षण देता है एवं भारत पर आतंकवादी हमले के लिए उन्हें सुरक्षा भी प्रदान करता है।
- 1998 में भारत और इसके कुछ दिन बाद पकिस्तान ने अपना परमाणु परिक्षण किया।
- भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी को लेकर भी विवाद है, जिसमें 1960 का ‘विश्व बैंक’ द्वारा कराया गया समझौता ‘सिंधु जल संधि’ अहम है, ये संधि आज भी कायम है।
भारत और अन्य पड़ोसी देश
- बांग्लादेश के साथ भारत सरकार का इन मुद्द्दों पर विवाद है- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी पर विवाद, ढाका द्वारा भारत में अवैध प्रवास पर खंडन, भारत के खिलाफ इस्लामिक-कट्टरपंथियों को बांग्लादेश का समर्थन।
- बांग्लादेश सरकार का अपने इलाके से भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने से रोकना, ढाका से भारत को प्राकृतिक गैस न मिल पाना और म्यांमार से बांग्लादेश के रास्ते से होकर गैस का निर्यात करने की अनुमति न देना।
- इसके बावजूद भी दोनों देश ‘लुक-ईस्ट’ और 2014 से ‘एक्ट ईस्ट’ का हिस्सा हैं, आपदा प्रबंधन के मामले में भी समर्थक हैं।
- भारत नेपाल के सम्बन्ध मधुर हैं, दोनों देश एक दूसरे की सीमा में बिना पासपोर्ट और वीज़ा के आ जा सकतें हैं। नेपाल के साथ भारत के कुछ पुराने मनमुटाव हैं।
- नेपाल की चीन के साथ दोस्ती एवं भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ न बोलना, नेपाल के माओवादी भारत के लिए खतरा हैं, जो कि बिहार से लेकर आंध्र प्रदेश तक कई नक्सलवादी ताकतों का जन्मदाता है।
- नेपाल का मानना है कि भारत उनके आतंरिक मामलों- नदी जल और पनबिजली पर आँख गड़ाए है, भारत उसे अपने भूक्षेत्र से समुद्र की ओर जाने से रोकता है।
- इस समय दोनों देशो के बीच कुछ विवादों के साथ शांतिपूर्ण सम्बन्ध हैं। दोनों के बीच व्यापार, साझे प्राकृतिक संसाधन, जल प्रबंधन आदि मामलो में सहयोग है।
- श्रीलंका और भारत के बीच रहे जातीय संघर्ष को लेकर तनाव है, भारत सरकार का 1987 में श्रीलंका में अपनी सेना भेजना, उन्हें अपनी अंदरूनी मामलों में दखल लगा।
- भारत ने श्रीलंका के साथ मुक्त व्यापार की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और श्रीलंका में आई सुनामी से भारत द्वारा की गई मदद ने भी दोनों के रिश्तों को मजबूती प्रदान की है।
- भारत और भूटान के बीच अच्छे रिश्ते हैं, कोई मतभेद नहीं है। पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों और गुरिल्लाओं को भूटान ने भगा दिया, जिसने भारत की मदद ही की है।
- भारत भूटान में कई बड़ी परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है, इस देश में कई परियोजनाओं के लिए भारत से ही अधिक मात्रा में अनुदान प्राप्त होता है।
- भारत मालदीव के बीच भी रिश्ते सुखद हैं, 1988 श्रीलंका से आए कुछ तमिलों ने मालदीव पर हमला किया जिसमें भारतीय वायु सेना ने मदद की।
- भारत ने मालदीव की आर्थिक विकास, पर्यटन क्षेत्र और मत्स्य उद्योग में मदद की है।
शान्ति और सहयोग
- 1985 में दक्षिण एशिया देशों के बीच (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) दक्षेस की शुरुआत हुई, यह कदम बहुस्तरीय संसाधनों से आपस में सहयोग करने के लिए उठाया गया।
- हालाँकि इसे ज्यादा सफलता नहीं मिली, दक्षेस के सदस्य देशों ने दक्षिण एशियाई मुक्त-व्यापार समझौता (साफ्टा) पर 2002 में दस्तखत किए।
- इसके अंतर्गत- ये देश यदि इनकी सीमा रेखा के आर-पार मुक्त-व्यापार के लिए सहमति दें तो, सहयोग को बढ़ाया जा सकता है, इससे आपसी व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को कम कर दिया जाएगा।
- कुछ देश इसे भारत की रणनीति समझते हैं, भारत में कुछ का कहना है कि इसके लिए चिंता करना बेकार है, क्यूंकि भारत-भूटान, श्रीलंका और नेपाल से पहले ही द्विपक्षीय समझौता करा चुका हैं।
- वहीं तनावों के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच भी शांति समझौतों के लिए कई तरह के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।
- दक्षिण एशियाई देशों की राजनीति में चीन और अमेरिका जैसी बाहरी ताकतें भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। चीन की राजनीतिक साझेदारी पाकिस्तान के साथ होना भारत देश के लिए चीन के साथ संबंधों को सीमित करता है।
- 1991 से हालांकि इन दोनों देशों के सम्बन्ध मजबूत हुए हैं, वैश्वीकरण और विकास के कारण एशिया के ये बड़े देश आपसी रिश्तों पर काम कर रहे हैं।
- शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से अमेरिका ने भी भारत तथा पाकिस्तान के साथ रिश्तें मजबूत करने, दोनों के बीच मध्यस्त की भूमिका निभाई है।
- दोनों देशों में आर्थिक सुधार के कारण अमेरिका की भागीदारी पहले से गहरी हुई है, एशियाई मूल के लोगों की जनसंख्या और बाज़ार के आकर के कारण भी अमेरिका की दिलचस्पी यहां पर लगी हुई है।
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