हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी कृतिका अध्याय 2 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी कृतिका के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं कृतिका अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।
Ncert Solutions For Class 10 Hindi Kritika Chapter 2
कक्षा 10 हिन्दी के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा, साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी कृतिका अध्याय 2 साना साना हाथ जोड़ि के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Question Answer) देखते हैं।
कक्षा : 10
विषय : हिंदी (कृतिका भाग 2)
पाठ : 2 साना-साना हाथ जोड़ि (मधु कांकरिया)
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर :- लेखिका ने देखा कि आसमान जैसे उलटा पड़ा था और सारे तारे बिखरकर नीचे टिमटिमा रहे थे। दूर… ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की एक झालर -सी बना रहे थे। वह रहस्यमयी सितारों भरी रात लेखिका के अंदर सम्मोहन जगा रही थी, कुछ इस कदर कि उन जादू भरे क्षणों में लेखिका के लिए कुछ स्थगित था, अर्थहीन था। लेखिका के आस-पास और भीतर बाहर सिर्फ़ शून्य था और थी अतींद्रियता में डूबी रोशनी की जादुई झालर।
प्रश्न 2 – गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?
उतर :- गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर इसलिए कहा गया है क्योंकि यहां के सारे लोग बहुत मेहनती होते हैं। इन सभी लोगों को मेहनत करना अच्छा लगता है। यहां के लोगों ने आज भी गंतोक की हरियाली को बचाकर रखा है। आप यहां के लोगों को पत्थर तोड़ते हुए देख सकते हैं। यहां की महिलाएं बड़ी ही मेहनती होती है। महिलाओं को चाय के बगान में चाय तोड़ते हुए देखा जा सकता है। यहां के लोग कभी भी खाली नहीं बैठ सकते हैं। यहां के बच्चे स्कूल जाने के लिए दुर्गम मार्ग को पार करते हैं।
प्रश्न 3 – कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर :- जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता है, ये धीरे-धीरे अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य की शुरुआत में भी ये पताकाएँ लगा दी जाती हैं पर वे रंगीन होती हैं।
प्रश्न 4 – जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर :- जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में जो महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं है वह है-
(1) गंतोक को एक पहाड़ी शहर के रूप में जाना जाता है।
(2) भारत देश में अगर कोई ऐसा शहर है जो मिनी स्विट्जरलैंड है तो वह है कटाओ शहर।
(3) गंतोक शहर की पहाड़ियों में आपको हर जगह सुंदर फूल देखने को मिलेंगे।
(4) इसी शहर में एक धर्म चक्र भी है। जब लोग इस चक्र को घुमाते हैं तो उनके सारे पाप धुल जाते हैं।
(5) गंतोक में ही गाइड फिल्म की शूटिंग की गई थी।
(6) इस शहर के लोगों की मेहनत देखते ही बनती है। वह सभी मेहनत में बहुत विश्वास रखते हैं।
(7) जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती है।
प्रश्न – 5 लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर :- लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी इसलिए दिखाई दी क्योंकि जिस धर्म चक्र को लेखिका ने देखा वह एक पाप धोने वाला चक्र था। अंग्रेजी में उसे प्रेयर व्हील कहते हैं। कहा जाता है कि इस चक्र को घूमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। चाहे मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी लोगों की आस्थाएँ विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ पर टिकी है।
प्रश्न 6 – जितने नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
उत्तर :- जितने नार्गे एक बहुत ही अच्छा गाइड था। वह बहुत कुशल था। जितने नार्गे नेपाल देश का नागरिक था। एक कुशल गाइड होने के लिए जो गुण चाहिए वह है –
(1) एक अच्छा गाइड अपने टूरिस्ट की जिज्ञासा को निरंतर बनाए रखता है।
(2) एक कुशल गाइड को हर एक शहर के बारे में अच्छी जानकारी होती है।
(3) एक कुशल गाइड में अंदर वाक्पटुता वाला गुण होता है।
(4) अच्छा गाइड अपने टूरिस्ट की हर जरूरतों का पूरा ख्याल रखता है।
(5) एक गाइड अपने टूरिस्ट को अपना अच्छा दोस्त बना लेता है।
(6) कुशल गाइड टूरिस्ट को रोचक तथ्यों से करवाता है। जैसे कि जितने नार्गो लेखिका को अनेकों तथ्यों और जानकारी से परिचित करवाता है।
प्रश्न 7 – इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- इस यात्रा वृत्तांत में लेखिका ने बड़ी ही सुंदरता के साथ हिमालय का बखान किया है। लेखिका को गंतोक शहर में चारों ओर खूबसूरती देखने को मिली। गंतोक में हिमालय बहुत ही मनमोहक दिखता है। यहां हर जगह पहाड़ियां है और घुमावदार रास्ते हैं। हिमालय में झर-झर करते झरने देखने को मिलते हैं। इस जगह पर पर्यटकों को हर ओर रंग-बिरंगे सुंदर फूल देखने को मिलते हैं। यहां हिमालय कहीं चटक रंग का मोटा कालीन ओढ़े रखता है तो कहीं पर यह हल्का पीला नजर आता है। यहां बादलों की आवाजाही बनी रहती है। यहां पर्वत, झरने, घाटियां, वादियां और हरियाली मन को प्रफुल्लित कर देते हैं।
प्रश्न 8 – प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर :- प्रकृति के अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका एकदम से प्रफुल्लित हो उठती है। लेखिका हिमालय की सुंदरता को देखकर अपने आप को किसी ऋषि-मुनि के समान समझती है। लेखिका को ऐसा लगता है जैसे कि मानो वह किसी अलग ही दुनिया में पहुंच गई हो। उसे लगा जैसे कि वह आदिम युग की किसी अभिशप्त राजकुमारी-सी नीचे बिखरे भारी-भरकम पत्थरों पर बैठ झरने के संगीत के साथ ही आत्मा का संगीत सुनने लगी हो। थोड़ी देर बाद ही जब उसने बहती जलधारा में पाँव डुबोया तो भीतर तक भीग गई। मन काव्यमय हो उठा। सत्य और सौंदर्य को छूने लगा।जीवन की अनंतता का प्रतीक वह झरना…उन अद्भुत अनूठे क्षणों में लेखिका को जीवन की शक्ति का अहसास हो रहा था। लेखिका को इस कदर प्रतीत हुआ कि जैसे कि वह स्वयं भी देश और काल की सरहदों से दूर बहती धारा वन जैसे बहने लगी हो। उसके भीतर की सारी तामसिकताएँ और दुष्ट वासनाएँ इस निर्मल धारा में बह गई थी।
प्रश्न 9 – प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर :- प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कुछ एक दृश्य झकझोर गए। दरअसल मंत्रमुग्ध-सी तंद्रिल अवस्था में ही लेखिका थोड़ी दूर तक निकल आई थी कि अचानक उसके पाँवों पर ब्रेक सा लगा… जैसे किसी समाधिस्थ भाव में नृत्य करती किसी आत्मलीन नृत्यांगना के नुपूर अचानक टूट गए हों। लेखिका ने गौर किया कि अद्वितीय सौंदर्य से निरपेक्ष कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठीं पत्थर तोड़ रही थीं। गुँथे आटे-सी कोमल काया पर हाथों में कुदाल और हथौड़े कईयों की पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे हुए थे। कुछ कुदाल को भरपूर ताकत के साथ जमीन पर मार रही थीं। इतने स्वर्गीय सौंदर्य, नदी, फूलों वादियों और झरनों के बीच भूख मौत, दैन्य और जिंदा रहने की यह जंग ! मातृत्व और श्रम साधना कोई साथ-साथ कैसे कर सकता है।
प्रश्न 10 – सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
उत्तर :- सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में जिन लोगों का योगदान होता है वह हैं –
(1) वह सरकारी कर्मचारी जो कि सफाई और अन्य प्रकार की व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
(2) सभी गाइड जो कि टूरिस्ट को हर एक तथ्य से अवगत करवाए रखते हैं।
(3) किसी शहर या क्षेत्र के वह निवासी जो पर्यटकों के साथ एक दोस्त की तरह पेश आते हैं।
(4) पर्यटक के साथी किसी भी रूप से अपने साथी पर्यटक को बिल्कुल भी बोर नहीं होने देते हैं।
प्रश्न 11 – कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर :- लेखिका ने यह एकदम सही लिखा है कि आम जनता खुद बहुत कम लेकर समाज को ज्यादा लौटाती है। आम जनता देश की आर्थिक प्रगति में सराहनीय भूमिका निभाती है। दरअसल आम जनता समाज के लिए बहुत कुछ करती है। आम जनता के रूप में मजदूर और किसान जैसे मेहनती लोग देश के लिए बहुत कुछ करते हैं और वह भी बिना थके हारे हुए। लेखिका को भी गंतोक शहर में ऐसे ही मेहनती लोग देखने को मिले।
प्रश्न 12 – आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।
उत्तर :- आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ बहुत बुरी तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है। आज के लोगों ने प्रकृति को पूरी तरह से खराब कर दिया है। आज के समय में प्रदूषण हद से ज्यादा फैल गया है। हमारे देश की प्रमुख नदियों को दूषित किया जा रहा है। अंधाधुंध तरीके से पेड़ों की कटाई हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम चाहे तो प्रकृति के साथ होने वाली इस खिलवाड़ को रोक सकते हैं। इसके लिए हमें निम्नलिखित कदम उठाने होंगे –
(1) सभी लोगों को पेड़ों को कटने से रोकना होगा।
(2) जितना ज्यादा पेड़ों को उगाया जाएगा उतना ही ज्यादा फायदा पर्यावरण को पहुंचेगा।
(3) सभी नागरिकों को यह प्रतिज्ञा लेनी होगी कि वह प्लास्टिक को बैन करें।
(4) हमें हमारी प्रमुख पवित्र नदियों को गंदा होने से बचाना होगा।
(5) जब हम वाहन का कम से कम इस्तेमाल करेंगे तो वायु प्रदूषण भी कम होगा।
(6) हम हर पल यह कोशिश करें कि कचरे को डस्टबिन में ही डाले।
प्रश्न 13 – प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
उत्तर :- इस कहानी के अनुसार लेखिका को लायुंग में स्नोफाॅल में कमी देखने को मिली। प्रदूषण के अनगिनत दुष्परिणाम है। आज प्रदूषण के चलते ही ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। आज हर जगह प्राकृतिक आपदा देखने को मिल रही है। पहले की तुलना में पानी की मात्रा में बहुत गिरावट आ गई है। हो सकता है कि आने वाले समय में पानी का भारी संकट देखने को मिले। पेड़ों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। इसी वजह से ताजी हवा की भी समस्या देखने को मिल रही है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते ही बहुत से जानवर धरती से विलुप्त हो रहे हैं। प्रदूषण से अनेकों प्रकार की बीमारियां भी फैल रही है।
प्रश्न 14 – ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
उत्तर :- यह बहुत अच्छा था कि कटाओ में कोई भी दुकान नहीं थी। अगर वहां दुकान होती तो आज तक में स्विट्जरलैंड कहलाए जाने वाला यह गांव भी आम पहाड़ी इलाकों जैसा ही अपनी चमक खो बैठता। सबसे अच्छी बात यह रही कि कटाओ में व्यवसायीकरण ने अपने पैर नहीं जमाए। अगर व्यवसायीकरण ने अपने पैर इस गांव में पसार लिए होते तो आज के समय में यह गांव भी नष्ट हो जाता। जितना ज्यादा व्यवसायीकरण उतने ही ज्यादा लोगों की भीड़। लोगों की भीड़ ही सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाती है। इसलिए अच्छा हुआ कि कटाओ में कोई भी दुकान नहीं थी।
प्रश्न 15 – प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उतर :- प्रकृति एकदम अलग ही रूप दिखाती है। जब सर्दी आती है तो उस समय पहाड़ों पर बर्फ जमा हो जाती है। यही बर्फ जल के रूप में जम जाती है। और जब पहाड़ी इलाकों में गर्मियां आती है तो यही बर्फ पिघल जाती है और फिर यह झरने के रूप में बहता है। पहाड़ों में रहने वाले लोगों को इस तरीके से पानी की प्राप्ति हो जाती है। लोग यही पानी सिंचाई में भी काम लेते हैं। इसी बर्फ की मदद से पहाड़ी इलाको में बारिश भी होती है। इस प्रकार से जल संचय होने से लोगों को बहुत फायदा मिलता है।
प्रश्न 16 – देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर :- देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी बहुत ज्यादा कठिनाइयों को झेलते हैं। वह हमारे देश को सुरक्षित रखते हैं। वह खुद से ज्यादा अपने देश को महत्व देते हैं। वह सर्दी और गर्मी को झेलते हुए सरहद की रक्षा करते हैं। वह कड़कड़ती सर्दी में भी अपने फर्ज को नहीं भूलते। हम नागरिकों को भी उनके बारे में सोचना चाहिए। हमें अपने फौजियों का सम्मान करना चाहिए। सीमा पर बैठे फौजियों को हमारे प्यार की जरूरत रहती है। हम नागरिकों को भगवान से उनकी सलामती और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना मांगनी चाहिए।
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