इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 12वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक-1 यानी मानव भूगोल के मूल सिद्धांत के अध्याय- 7 “परिवहन एवं संचार” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 7 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 12 Geography Book-1 Chapter-7 Notes In Hindi
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अध्याय- 7 “परिवहन एवं संचार”
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | बारहवीं (12वीं) |
विषय | भूगोल |
पाठ्यपुस्तक | मानव भूगोल के मूल सिद्धांत |
अध्याय नंबर | सात (7) |
अध्याय का नाम | “परिवहन एवं संचार” |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 12वीं
विषय- भूगोल
पुस्तक- मानव भूगोल के मूल सिद्धांत
अध्याय- 7 “परिवहन एवं संचार”
परिवहन का मतलब
- परिवहन उन सेवा या सुविधाओं को कहते हैं जो व्यक्ति या वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए उनका भार ढोते हैं, जिसमें मुख्य रूप से मनुष्यों, पशुओं और विभिन्न प्रकार की गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है।
- सड़क, जल, वायु तथा पाइपलाइन विश्व स्तर पर परिवहन के महत्वपूर्ण साधन माने जाते हैं।
- इन सभी साधनों का प्रयोग प्रदेश के अंदर प्रवेश करने और प्रदेश से बाहर जाने के लिए किया जाता है।
- परिवहन समाज की आधारभूत आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए रचा गया एक संगठित सेवा उद्योग भी है।
- वर्तमान में लगभग सभी देशों ने प्रतिरक्षा उद्देश्यों के लिए अनेक प्रकार के परिवहन का विकास किया है।
- अच्छी संचार व्यवस्था और परिवहन जाल लोगों में आपसी सहयोग एवं एकता को बढ़ावा देती है।
परिवहन के मुख्य साधन
पाइपलाइन को छोड़कर प्रत्येक साधन यात्रियों और माल दोनों का वहन करते है। इन परिवहन साधनों का वर्णन निम्नलिखित है-
सड़क परिवहन
- प्रारंभिक काल में मनुष्य अपने सामानों को खुद एक-स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे लेकिन बाद में ये कार्य पशु करने लगे।
- उसके बाद पहिये के आविष्कर ने सड़क परिवहन को और भी आसान बना दिया।
- वर्तमान में परिवहन क्षेत्र में कई बदलाव हो चुके हैं फिर भी आज ऊँट और घोड़े जैसे पशुओं का प्रयोग बोझ ढोने के लिए कई प्रदेशों व गाँवों में किया जाता है।
- 18वीं सदी में भाप इंजन के आविष्कार ने 19वीं सदी में रेल मार्ग विकास को बढ़ावा दिया।
- उसी दौरान ‘अंतदर्हन इंजन’ के आविष्कार के कारण कार, मोटर और ट्रक के निर्माण ने सड़क परिवहन में क्रांति ला दी थी। सड़के और रेलमार्ग स्थलीय (सड़क) परिवहन के दो भाग हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
सड़कें (स्थल मार्ग)
- आज भी सड़कों को सबसे बेहतर परिवहन साधन के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- आर्थिक दृष्टि से दूरी के लिए सड़क परिवहन रेल परिवहन के मुकाबले लाभदायक होता है।
- भले ही कच्ची सड़कों का निर्माण सरल होता है लेकिन इन सड़कों पर सभी ऋतुओं में यात्रा करना संभव नहीं होता है।
- सड़क मार्ग पर्यटन को बढ़ावा देते हैं साथ ही बाहरी देशों को अपना व्यापार स्थापित करने के लिए आकर्षित करते हैं। सड़क मार्गों को वर्गों में बाँटा गया है-
- महामार्ग
- ये पक्की, लंबी-चौड़ी सड़के होती हैं जो दूर-दूर के स्थानों को जोड़ती हैं।
- ऐसी सड़कों की चौड़ाई 80 मी. तक होती है।
- विकसित और विकासशील देशों में महामार्गों का वितरण असमान पाया जाता है जिसमें अमेरिका, यूरोप, रूस, चीन, भारत और अफ्रीका जैसे प्रमुख देश शामिल हैं।
- अमेरिका में महामार्गों का घनत्व सबसे उच्च है जोकि लगभग 0.65 प्रतिवर्ग कि.मी. है।
- भारत देश में अनेक महामार्ग नगरों को आपस में जोड़ते हैं। इस देश का सबसे लंबा राष्ट्रीय महामार्ग संख्या-7 है, जोकि वाराणसी से कन्याकुमारी तक जाता है।
- सीमावर्ती सड़कें
- इनमें उन सड़कों को शामिल किया जाता है जिनका निर्माण अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पास में किया जाता है।
- सीमावर्ती सड़के सुदूर क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने और सीमावर्ती प्रदेशों को अंदर के क्षेत्रों से आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं।
- ऐसी सड़कों का निर्माण गाँवों एवं सैन्य शिविरों में वस्तुओं को पहुँचाने के लिए किया जाता है।
- महामार्ग
रेलमार्ग और उनका विश्व वितरण
- रेलमार्ग वस्तुओं और यात्रियों के लिए लंबी दूरी तय करने हेतु परिवहन का सस्ता साधन होता है।
- भाप इंजन के आविष्कार ने रेलमार्ग परिवहन के महत्व को तेजी से बढ़ाया।
- सबसे पहले सार्वजनिक रेलमार्ग का निर्माण इंग्लैंड में किया गया।
- रेल लाइनों की चौड़ाई (गेज) हर देश में अलग-अलग पाई जाती है जिन्हें बड़ी लाइन (1.5 मी. से अधिक), मानक (1.44 मी.), मीटर लाइन (1 मी.) और छोटी लाइन में वर्गीकृत किया गया है।
- ब्रिटेन में मानक लाइन का उपयोग किया जाता है।
- यूरोप, रूस, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, एशिया (चीन, भारत, जापान) और अफ्रीका ये कुछ ऐसे देश है जहाँ रेलमार्ग का जाल सबसे अधिक फैला हुआ है।
- उत्तरी अमेरिका में सर्वाधिक विस्तृत रेलमार्ग पाया जाता है जोकि कुल रेलमार्ग का 40% है।
- अफ्रीका के प्रमुख रेलमार्गों के नाम निम्न हैं-
- बेंगुएला रेलमार्ग
- तंजानिया रेलमार्ग
- बोत्सवाना और जिंबाब्वे से होकर रेलमार्ग
- दक्षिण अफ्रीका गणतंत्र में केपटाउन से प्रिटोरिया
अन्य महत्वपूर्ण रेलमार्ग
- पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग: ये महाद्वीप के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ने वाले रेलमार्ग होते हैं। पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग का निर्माण आर्थिक और राजनीतिक कारणों से लंबी दूरी की यात्राओं को सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया था।
- पार-सबेरियन रेलमार्ग: यह एशिया और विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग है। इसकी लंबाई 9322 कि.मी. है।
- पार-कैनेडियन रेलमार्ग: यह विश्व का दूसरा सबसे लंबा रेलमार्ग है जिसकी लंबाई 7050 कि.मी. है। यह रेलमार्ग कनाडा की आर्थिक धमनी है।
- संघ तथा प्रशांत रेलमार्ग: यह रेलमार्ग अंटलांटिक तट पर स्थित न्यूयॉर्क को प्रशांत तट पर स्थित सान फ्रांसिस्को से जोड़ता है। इस रेलमार्ग के माध्यम से अयस्क, कागज, रसायन और मशीनरी जैसे खनिजों का निर्यात होता है।
- ऑस्ट्रेलिआई पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग: ये रेल लाइन ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के दक्षिण से शुरू होकर पश्चिम से पूर्व की तरफ जाती है।
- ओरिएंट एक्सप्रेस: ओरिएंट एक्सप्रेस रेल लाइन पेरिस को इस्तांबुल से जोड़ती है। इस मार्ग के कारण लंदन से इस्तांबुल तक जाने में लगने वाला समुद्री यात्रा का समय 10 दिन के स्थान पर मात्र 96 घंटे हो गया है।
जल परिवहन
- जल परिवहन से तात्पर्य परिवहन के माध्यमों के रूप में नहरों, नदियों और सागरों का प्रयोग करना है।
- भारी वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय आयात-निर्यात को जल परिवहन द्वारा पूरा किया जाता है।
- जल परिवहन की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- इसमें मार्गों के निर्माण और उनके रखरखाव की आवश्यता नहीं होती है।
- स्थल की तुलना में परिवहन का यह माध्यम सस्ता होता है।
- महासागर आपस में जुड़े होते हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय आयात-निर्यात के लिए परिवहन में ऊर्जा लागत कम आती है।
जल परिवहन के विभिन्न वर्ग
जल परिवहन को निम्न दो वर्गों में बाँटा गया है-
समुद्री मार्ग
- समुद्री मार्ग परिवहन का ऐसा माध्यम है जिसके रखरखाव की लागत न के बराबर होती है।
- ऐसे मार्गों का प्रयोग परिवहन के रूप में करना मनुष्य की बुद्धिमता और पर्यावरण के साथ उनके तालमेल को दर्शाता है।
- जिन समुद्री मार्गों के माध्यम से व्यापार को आसान बनाया जाता है उन विशेष मार्गों के नाम निम्नलिखित हैं-
- उत्तरी अंटलांटिक समुद्री मार्ग
- भूमध्यसागर-हिंदमहासागर समुद्री मार्ग
- उत्तमाशा अंतरीप समुद्री मार्ग
- दक्षिणी अंटलांटिक समुद्री मार्ग
- उत्तरी प्रशांत समुद्री मार्ग
- दक्षिणी प्रशांत समुद्री मार्ग
- तटीय नौपरिवहन
- सड़क मार्ग की भीड़ को कम करने में तटीय नौपरिवहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिसमें मानव निर्मित दो प्रमुख नहरों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है।
- सवेज नहर
- इस नहर का निर्माण वर्ष 1869 में मिस्र में हुआ था।
- यह नहर पश्चिम में भूमध्य सागर और पूर्व में लाल सागर को जोड़ती है।
- इसकी लंबाई लगभग 160 कि.मी. है और गहराई 11 से 15 मी. तक है।
- सवेज नहर में प्रत्येक दिन लगभग 100 जलयान आवागमन करते हैं जिन्हें इस नहर को पार करने में 10 से 12 घंटे का समय लगता है।
- पनामा नहर
- पनामा नहर 72 कि.मी. लंबी और 12 कि.मी. गहरी है।
- इस नहर का निर्माण पनामा जलडमरूमध्य को काटकर पनामा नगर और कोलेन के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किया गया था।
- इस नहर के दोनों तरफ 8 कि.मी. क्षेत्र को खरीदकर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ‘नहर मंडल’ का नाम दिया गया है।
- पनामा नहर में कुल 6 जलबंधक तंत्र हैं।
- इस नहर के कारण ही न्यूयॉर्क और सान फ्रांसिस्को के बीच लगभग 13000 कि.मी. की दूरी कम हुई है।
- आर्थिक दृष्टि से इस नहर का महत्व सवेज नहर की अपेक्षा कम है।
- सवेज नहर
आंतरिक जलमार्ग
- नदियाँ, नहरें, झीलें और तटीय क्षेत्र प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण जलमार्ग माने जाते हैं।
- इस जल मार्ग में नावें और स्टीमर यात्रियों और माल वाहन के लिए परिवहन के साधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
- आंतरिक जलमार्ग का विकास नहरों की नौगम्यता, चौड़ाई, गहराई, जल प्रवाह की निरंतरता और उपयोग में लाई जाने वाली परिवहन प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है।
- सघन क्षेत्रों में सिर्फ नदियाँ ही परिवहन का सुगम साधन होती हैं।
- वर्तमान तकनीकी और रेलमार्गों के साथ प्रतिस्पर्धा होने के कारण अब नदी मार्ग को कम महत्व दिया जाता है।
विश्व के महत्वपूर्ण वाणिज्यिक जलमार्ग
विश्व के महत्वपूर्ण वाणिज्यिक नदी जलमार्गों के नाम निम्न प्रकार हैं-
- राइन जलमार्ग
- डेन्यूब जलमार्ग
- वोल्ग जलमार्ग
- वृहत झीलें सेंट लॉरेंस समुद्री मार्ग
- मिसीसिपी जलमार्ग
वायु परिवहन
- वायु परिवहन तीव्र गति वाला एक महँगा साधन है।
- इसमें परिवहन का माध्यम वायुमार्ग होता है।
- इस परिवहन को इसलिए भी अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि वायु परिवहन में कम समय में लंबी दूरी तय की जाती है।
- वर्तमान में 250 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइनें विश्व के विभिन्न भागों में नियमित रूप से सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- आज के समय में विश्व में कोई भी स्थान 35 घंटे से अधिक दूरी पर नहीं है और ऐसा वायु परिवहन के कारण ही संभव हो पाया है।
- वायु परिवहन द्वारा मूल्यवान चीजों का आयात-निर्यात वैश्विक स्तर पर किया जाता है।
- बर्फीले क्षेत्रों, पर्वतों और मरुस्थलीय भू-भागों में बिना किसी बाधा के इस परिवहन के माध्यम से जाया जा सकता है।
अंतर महाद्वीपीय वायुमार्ग
- कई महाद्वीपीय देशों में वायुमार्गों का एक सुविकसित जाल पाया जाता, जिसमें अमेरिका विश्व परिवहन का 60% भाग प्रयोग करता है।
- न्यूयॉर्ग, लंदन, पेरिस एम्सटर्डम और शिकागो ये कुछ ऐसे शहर है जहाँ वायुमार्ग जाल के रूप में फैले हुए हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में 10° से 35° अक्षांशों के मध्य सीमित स्थलखंड और आर्थिक विकास के कारण सीमित वायु सेवाएँ उपलब्ध हैं।
पाइपलाइन
- पाइपलाइन परिवहन का एक नया साधन है जिसके माध्यम से जल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे तरल पदार्थों का अबाधित प्रवाह और परिवहन होता है।
- न्यूजीलैंड में फार्मों से फैक्ट्रियों तक दूध को पाइपलाइनों द्वारा भेजा जाता है।
- इसका प्रयोग परिवहन के रूप में रसोई गैस, एल. पी. जी. और तरलीकृत कोयले के लिए भी किया जाता है।
- अमेरिका में कुल भार का 17% भाग पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है।
- भारत, रूस, पश्चिमी एशिया और यूरोप में पाइपलाइनों का प्रयोग तेल कुओं से तेल को परिष्करणशालाओं, पत्तनों तथा घरेलू बाजारों तक पहुँचाने के लिए किया जाता है।
- मध्य एशिया में स्थित तुर्कमेनिस्तान से पाइपलाइनों को चीन और ईरान के कुछ भागों तक बढ़ाया गया है।
संचार का अर्थ
- विभिन्न संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक अनेक माध्यमों से पहुँचाने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं।
- संचार सेवाओं में शब्दों, संदेशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण शामिल होता है।
- लेखन के आविष्कार ने संदेशों को सुरक्षित रखना आसान बना दिया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर बना दिया।
- मनुष्य ने टेलीग्राफ और टेलीफोन जैसी संचार विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से वर्तमान दूरियों को समाप्त करने के लिए किया।
- 20वीं सदी में टेलीग्राफ और टेलीफोन कंपनी पर संयुक्त राज्य अमेरिका का एकाधिकार था।
- 1990 के दशक में दूरसंचार के साथ कंप्यूटर का विलय हो गया जसीके फलस्वरूप एक नेटवर्क बना, जिसे आज इंटरनेट कहा जाता है।
उपग्रह संचार और भारत में इसका विकास
- आज उपग्रह संचार पृथ्वी पर सबसे बड़े विद्युतीय जाल के रूप में प्रसिद्ध है जोकि 100 से अधिक देशों के लगभग 1000 करोड़ लोगों को जोड़ता है।
- इसके द्वारा पृथ्वी और अंतरिक्ष की सूचनाओं को दुनिया के विभिन्न भागों में प्रेषित किया जाता है।
- उपग्रह संचार वर्ष 1970 में अस्तित्व में आया।
- अमेरिका और पूर्वी सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शोध किया गया और उसी दौरान उपग्रह के माध्यम से होने वाले संचार तकनीकी क्षेत्र में एक नवीन युग शुरू हुआ।
- कृत्रिम उपग्रहों के सफलतापूर्वक विकास के कारण ग्लोबल पर स्थित दूर के स्थानों को आपस में जोड़ने में काफी सफलता मिली है।
- उग्रह संचार में लगातार होने वाले विकास के कारण 500 कि.मी. की दूरी के संचार में लगने वाली लागत अब 5000 कि.मी. की दूरी पर लगने वाली लागत के बराबर है।
साइबर स्पेस-इंटरनेट
- साइबर स्पेस को विद्युत द्वारा कंप्यूटरीकृत स्पेस का संसार कहा जाता है।
- यह वर्ल्ड वाइड वेबसाइड जैसे इंटरनेट के बड़े क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जिसमें सूचनाओं के भेजने और प्राप्त करने के लिए कंप्यूटर पर विद्युतीय अंकीय दुनिया बनाई गई है।
- आज साइबर स्पेस जहाज, कार्यालय और वायुयान जैस हर जगह पर उपलब्ध है।
- जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क का विस्तार हो रहा है इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
- साल 1995 में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या 5 करोड़ थी फिर यह संख्या साल 2000 में 40 करोड़ हो गई, साल 2005 में 100 करोड़ हुई और साल 2010 में 200 करोड़ हो गई। आज यह संख्या 200 करोड़ से अधिक हो गई है।
- वर्तमन में इंटरनेट प्रयोग करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, चीन और भारत में है।
- साइबर स्पेस इंटरनेट की कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है, वे विशेषताएँ निम्न हैं-
- वर्तमन में साइबर स्पेस इंटरनेट ने समकालीन आर्थिक, वाणिज्यिक, शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक स्थिति को सुधारने और उसके विकास को बढ़ाने में सबसे अधिक सहायता प्रदान की है।
- इंटरनेट ने ई-मेल, ई-वाणिज्य, ई-शिक्षा, ई-प्रशासन के क्षेत्र में होने वाले लगभग सभी कार्यों को आसान बना दिया है।
- आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह लोगों के समय को बचाने का कार्य भी करता है।
- इंटरनेट ने शहरों के साथ-साथ गाँवों को भी वैश्विक स्तर पर जोड़ने कार्य किया है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी एक नई पहचान मिलने लगी है।
- वर्तमन में साइबर स्पेस-इंटरनेट का प्रयोग नगरीय नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण, वनोन्मूलन से प्रभावित क्षेत्रों को ढूँढने के लिए भी किया जाता है।
- आज यह सुरक्षा बल की कई तकनीकी गितिविधियों में उच्च स्तर की भूमिका निभा रहा है।
- सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के जमीनी स्तर पर होने वाले लगभग सभी कार्यों में इंटरनेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इसने फैक्स, टेलीविज और रेडियों को गति प्रदान की है।
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