इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 8वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक यानी “सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-III” के अध्याय- 7 “जनसुविधाएँ” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 7 राजनीति विज्ञान के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 8 Political Science Chapter-7 Notes In Hindi
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अध्याय-7 “जनसुविधाएँ“
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | आठवीं (8वीं) |
विषय | सामाजिक विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-III (राजनीति विज्ञान) |
अध्याय नंबर | सात (7) |
अध्याय का नाम | “जनसुविधाएँ” |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 8वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-III (राजनीति विज्ञान)
अध्याय- 7 “जनसुविधाएँ”
चेन्नई में पानी का मुद्दा
- चेन्नई के अन्ना नगर के नलों में 24 घंटे पानी रहता है और गर्मी के दिनों में जब पानी की कमी होती है तब पानी के टैंकर से पानी की पूर्ति की जाती है।
- बहुत से ऐसे नगर भी हैं जहाँ पानी की बहुत अधिक कमी है फिर भी वहाँ नगरपालिका दो दिन में एक बार पानी उपलब्ध कराती है।
- कई लोगों को टैंकरों से पानी खरीदने के लिए महीने में 500 से 600 रुपए देने पड़ते हैं।
- झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए सिर्फ एक ही नल लगा होता है और गर्मियों में इन जगहों पर पानी की इतनी कमी हो जाती है कि लोगों को टैंकरों के पानी के लिए कई घटों तक इंतजार करन पड़ता है।
जीवन के लिए पानी की आवश्यकता
- जीवन और स्वास्थ्य के लिए साफ पीने के पानी की उपलब्धता का होना बेहद जरूरी है।
- शुद्ध जल को पीने से लोग गंदे पानी के सेवन से होने वाली बीमारियों से बच सकते हैं।
- वर्तमान में प्रत्येक दिन लगभग 1600 से भी अधिक भारतीय पानी से जुड़ी बीमारियों के कारण मौत का शिकार बनते है।
- संविधान के अनुच्छेद-21 में पानी के अधिकार को जीवन के अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है। इसमें बताया गया है कि पानी तक सार्वभौमिक पहुँच होनी चाहिए।
- बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों तक पीने के पानी की पहुँच होनी चाहिए। भारत के कई राज्यों में ऐसी व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।
- सुरक्षित पेयजल के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाता है।
- अगर कोई उद्योग लोगों के पानी के स्त्रोत को गंदा करता है या उसमें कचरा डालता है तो उसे अपने पैसों से लोगों को पानी उपलब्ध करवाना पड़ता है।
पानी के अलावा अन्य जनसुविधाएँ
- पानी के अलावा बिजली, परिवहन, विद्यालय और महाविद्यालय जैसी अन्य सुविधाएँ भी व्यक्ति के जीवन के लिए अनिवार्य मानी जाती हैं।
- उपरोक्त सुविधाओं को जनसुविधाओं के नाम से जाना जाता है।
- जनसुविधाओं का उपयोग बड़ी संख्या में लोगों द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए किसी स्कूल के निर्माण के बाद उसमें अधिक संख्या में बच्चों द्वारा शिक्षा प्राप्त करना और किसी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति से लोगों का लाभान्वित होना।
- जनसुविधाओं की वजह से बच्चे, युवा, बूढ़े हर उम्र के और हर वर्ग के लोगों को लाभ मिलता है।
जनसुविधाएँ और सरकार की भूमिका
- जनसुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। वह सभी को एक समान जनसुविधाएँ उपलब्ध कराती है।
- जनसुविधाओं को मुहैया कराने वाली संस्थाओं को कोई बड़ा लाभ नहीं होता है।
- जिन जनसुविधाओं को निजी कंपनियाँ मुहैया कराती हैं उनके दाम इतने अधिक होते हैं और बहुत कम लोग ही उसका लाभ उठा पाते हैं।
- अधिक खर्च आने के कारण बहुत से लोग उपरोक्त सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।
- जनसुविधाओं का जुड़ाव लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं से है। इन आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।
क्या चेन्नई में प्रत्येक व्यक्ति को पानी की सुविधा प्राप्त है?
- जनसुविधाएँ सभी को प्राप्त होनी चाहिए लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। अनेक स्थानों पर ऐसी सुविधाओं की कमी है।
- चेन्नई के कई क्षेत्रों में पानी की कमी की समस्या अधिक है और नगरपालिका के सहयोग से सिर्फ आधी जनसंख्या की जरूरत ही पूरी हो पाती है।
- चेन्नई के कुछ इलाकों में बहुत कम तो कुछ में नियमित रूप से पानी आता है इसलिए सभी को पानी की सुविधा समान रूप से प्राप्त नहीं होती है।
- पानी की कमी का बुरा प्रभाव सबसे अधिक गरीब लोगों पर पड़ता है वहीं मध्यम लोग जल की कमी को पूरा करने का हल आसानी से ढूँढ लेते हैं।
- मध्यम वर्ग के लोग बोरवेल खोदकर, टैंकरों या बोतलबंद पानी खरीदकर पानी की कमी को पूरा कर लेते हैं।
- पानी की उपलब्धता के अलावा बहुत कम लोगों तक शुद्ध जल पहुँच पाता है। ऐसा जल संपन्न लोगों तक ही अधिक पहुँचता है।
- लगभग सभी गरीब लोग साफ पानी की सुविधा से वंचित रह जाते हैं।
- आज ऐसा लगता है कि जो लोग संपन्न हैं उन्हीं के पास पानी का अधिकार है और वही लोग शुद्ध जल को प्राप्त कर सकते हैं।
- सभी लोगों को पर्याप्त तथा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य आज भी पूरा नहीं हुआ है।
पानी की कमी को दूर करने के लिए विकल्पों की खोज
- आज पानी की कमी पूरे देश में किसी न किसी रूप में नजर आ रही है।
- वर्तमान में पानी की कमी कुछ क्षेत्रों के लिए बड़ा संकट बन गया है।
- पानी कमी को पूरा करने के लिए निजी कंपनियाँ अपने मुनाफे को ध्यान में रखते हुए पानी बेचने का कार्य करती हैं।
- पानी के वितरण में शहरी और झुग्गी बस्तियों में काफी अंतर होता है। शहरों में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी हर दिन मिलता है जबकि झुग्गी बस्तियों के लोगों को प्रति व्यक्ति 20 लीटर ही प्रतिदिन पानी मिलता है।
- बड़े-बड़े होटलों में रहने वाले संपन्न लोगों को प्रत्येक दिन प्रति व्यक्ति 1600 लीटर पानी मिलता है।
- जलापूर्ति में कमी को सरकार की असफलता के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- कुछ लोगों का कहना है कि जल आपूर्ति का कार्य सरकार को निजी कंपनियों को सौंप देना चाहिए या किसी अन्य विकल्प को तैयार करना चाहिए
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