इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक-1 यानी समकालीन विश्व राजनीति के अध्याय- 4 अंतर्राष्ट्रीय संगठन के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय 4 राजनीति विज्ञान के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
Class 12 Political Science Book-1 Chapter-4 Notes In Hindi
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अध्याय- 4 “अंतर्राष्ट्रीय संगठन”
बोर्ड | सीबीएसई (CBSE) |
पुस्तक स्रोत | एनसीईआरटी (NCERT) |
कक्षा | बारहवीं (12वीं) |
विषय | राजनीति विज्ञान |
पाठ्यपुस्तक | समकालीन विश्व राजनीति |
अध्याय नंबर | चार (4) |
अध्याय का नाम | अंतर्राष्ट्रीय संगठन |
केटेगरी | नोट्स |
भाषा | हिंदी |
माध्यम व प्रारूप | ऑनलाइन (लेख) ऑफलाइन (पीडीएफ) |
कक्षा- 12वीं
विषय- राजनीति विज्ञान
पुस्तक- समकालीन विश्व राजनीति
अध्याय- 4 (अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
हमें अंतर्राष्ट्रीय संगठन क्यों चाहिए?
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र को दुनिया का महत्वपूर्ण संगठन माना जाता है, यह युद्ध और शांति मामलों में मदद करता है।
- देशों के बीच होने वाले युद्धों के खतरों से निपटने के लिए बातचीत ही एक मात्र उपाय है, शांतिपूर्ण रास्ता निकालने के लिए अंतराष्ट्रीय संगठन की मदद ली जाती है, यह कोई शक्तिशाली राज्य नहीं है, जो इसके अंतर्गत आने वाले राज्यों को धौंस दिखाए।
- अंतराष्ट्रीय संगठन का प्रमुख कार्य सभी राष्ट्रों को साथ लेकर चलना, वैश्विक त्रासदी, वैश्विक तापवृद्धि, राष्ट्रों में टीकाकरण सम्बंधित कार्य के समय पर सभी राष्ट्रों को मिलकर काम करना होता है।
- वैश्विक तापवृद्धि को रोकने के लिए, बड़े औद्योगिक राष्ट्रों को सहयोग किया जा रहा है।
- सहयोग का सबसे बेहतर तरीका क्या हो? इन मुद्दों पर निर्णय लेना भी कठिन है, जैसे सदस्य देशों के बीच लागत को लेकर असहमति रहती है- सहयोग में आने वाली लागत का भार कौन लेगा?, लाभ का आपसी बंटवारा कैसे हो?, कोई अपनी बात से मुकरे नहीं, इस तरह के मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाती।
- एक अन्तराष्ट्रीय संगठन सहयोग के उपाय एवं सूचना जुटाने में मदद कर सकता है, ऐसी रूप रेखा बनाता है जिससे सदस्यों को विशवास रहे कि लागत सभी सदस्य देशों की होगी, बंटवारा न्यायोचित होगा और समझोते में शामिल होने के बाद सदस्य नियम और शर्तों को मानेगा।
संयुक्त राष्ट्र संगठन का विकास
- पहले विश्व युद्ध के बाद अंतराष्ट्रीय संगठन की मांग उठाई जाने लगी, ताकि बातचीत से आपसी झगड़ों का निपटारा हो सके, ‘लीग ऑव नेशंस’ के रूप में अंतराष्ट्रीय संगठन बना, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध को न रोक सका।
- लीग ऑव नेशंस की विफलता तथा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1945 में इसे स्थापित किया गया, 51 देशों के दस्तखत करने के बाद इसकी स्थापना हुई, 2011 में इन सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 हो गई है।
- इसका लक्ष्य अंतराष्ट्रीय अशांति को रोकना और राष्ट्रों के बीच सहयोग स्थापित करना। ऐसे देशों में सुलह करवाना जो आगे जाकर युद्ध कर सकते हैं।
- अधिकांश युद्ध सामाजिक और आर्थिक आभाव में ही होते हैं, इसलिए राष्ट्रसंघ का कार्य पूरे विश्व में आर्थिक-सामाजिक विकास को बढ़ाकर विश्व को एक साथ लाना है।
- इसकी आम सभा में हर सदस्य को एक वोट प्रदत्त है, इसकी सुरक्षा परिषद् में 5 राष्ट्रों को स्थायी सदस्यता दी गई है, वे राष्ट्र-अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन हैं।
- संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधि महासचिव होता है, इस समय यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हैं, जिन्होंने 1 जनवरी 2017 को पद संभाला। इससे पहले ये 1995 से 2002 तक पुर्तगाल के प्रधानमंत्री, इसके बाद 2005 से 2015 तक यूनाइटेड नेशन्स फॉर हाई कमिशनर फॉर रेफ्यूजीज रहे।
- संयुक्त राष्ट्र की शाखाएं और एजेंसियां भी हैं, देशों के मध्य विरोधों पर चर्चा महासभा और सुरक्षा परिषद् में होती है, इसमें- WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन), UNDP (यूनिटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम), UNHRC (यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट कमीशन), UNHCR (यूनाइटेड नेशंस हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजीज, UNICEF (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेन्स फण्ड), UNISCO (यूनाइटेड नेशंस, एजुकेशनल, सोशल एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन) शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव | कार्यकाल | देश |
ट्राइग्वे ली | 1946-1952 | नार्वे |
डेम हैमरशोल्ड | 1953-1961 | स्वीडन |
यू थांत | 1961-1971 | बर्मा (म्यांमार) |
कुर्त वाल्डहीम | 1972-1981 | ऑस्ट्रिया |
जेवीयर पेरेज द कूईयार | 1982-1991 | पेरू |
बूतरस बूतरस घाली | 1992-1996 | मिस्र |
कोफी ए अन्नान | 1997- 2006 | घाना |
बान की मून | 2007-2016 | दक्षिण कोरिया |
एंटोनियो गुटेरेश | 2017 | पुर्तगाल |
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के उद्देश्य
- वैश्विक स्तर पर होने वाली त्रासदियों पर नियंत्रण के लिए, जैसे विश्व युद्ध, महामारी, रोग इत्यादि।
- विश्व के सभी आपसी मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाना, ऐसे में देशों को सहयोग प्रदान करना।
- किसी भी तरह की युद्ध की स्थिति से निकालना, इसके दुष्प्रभावों को कम करना।
- विश्व में देशों के परस्पर आर्थिक और सामाजिक संभावनाओं को बढ़ावा देना, इन सभी मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर बैठकें करके सुझाव पेश करना संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों में से एक है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां
WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व में स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं पर सुझाव एवं सहयोग प्रदान करने वाली संस्था है।
- इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गई ।
- इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य को ऊंचा करना है, इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है, भारत भी इसका सदस्य देश है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) सरकार के कहने पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करता है।
UNESCO (यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल सोशल एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन)
- यूनेस्को की स्थापना, 4 नवंबर, 1946 में हुई। इसका मुख्यालय फ़्रांस के पेरिस में स्थित है।
- इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा, प्राकृतिक विज्ञान, समाज, मानव विज्ञान, संस्कृति और उन्नत विज्ञान में आगे बढ़ना है।
- सदस्य देशों के बीच साक्षरता का प्रसार, शैक्षणिक प्रशिक्षण आदि के लिए प्रसार कार्य किए जाते हैं।
- भारत को 1946 में यूनेस्को का सदस्य बनाया गया। इसका एजेंडा 2030 तक सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना है, इसे महासभा में 2015 में अपनाया गया।
- इसके तहत इंटरनेशनल जियोमण्डल, वैश्विक जल आंकलन, इंटरनेशनल बेसिक साइंस प्रोग्राम आदि चलाए गए।
UNICEF (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फंड)
- यूनिसेफ की स्थापना वर्ष 1946 में की गई, इससे पहले इसे संयुक्त राष्ट्र का बाल आपातकालीन कोष कहा जाता था, जो बच्चों के लिए आपातकालीन फंड इकट्ठा करते हैं।
- इसका प्रमुख कार्य सम्पूर्ण विश्व के बच्चों के विकास के लिए पूंजी जमा करना है।
- बच्चों के स्वास्थ्य एवं उन्नति के लिए किए जाने वाले कार्यों मे सहायता प्रदान करना है।
- इस समय यूनिसेफ तकरीबन 193 देशों में सफलतापूर्वक काम कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के 6 अंग
- महासभा
- सुरक्षा परिषद
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
- सचिवालय
- आर्थिक और सामाजिक परिषद
- न्यास परिषद
महासभा-
- महासभा यूएन का मुख्य अंग है, इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को सदस्यता प्राप्त है, जिन्हें समान मताधिकार भी प्राप्त है।
- वर्ष में एक बार इसका आधिवेशन बुलाया जाता है, जो सितंबर के महीने में होता है।
- महासभा द्वारा ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के वित्तीय योगदान का निर्धारण होता है।
- संयुक्त राष्ट्र का बजट भी महासभा ही तय करती है।
- सुरक्षा परिषद के साथ मिलकर महासभा ही अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और निष्कासन का कार्य करती है।
सुरक्षा परिषद-
- इसे संयुक्त राष्ट्र का कार्यपालिका अंग भी कहा जाता है, इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है।
- 1965 मे सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 11 से 15 कर दिया जाने के बाद, अब इसके स्थाई सदस्य 5 और अस्थायी सदस्य 10 कर दिए गए हैं।
- स्थायी सदस्यता– सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति है, ये देश हैं- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ़्रांस।
- ये देश विश्व मे शांति स्थापित करने हेतु कार्य करेंगे, वीटो के अधिकार के चलते इनमें से कोई भी देश किसी ही प्रकार के फैसले को रोक सकता है, फिर चाहे सभी अस्थाई सदस्यों या 4 स्थाई सदस्यों ने ही उसके पक्ष में वोट दिया हो।
- अस्थाई सदस्यों का चुनाव केवल 2 वर्षों के लिए किया जाता है, दुबारा उन्हीं देशों का चुनाव तत्काल रूप से नहीं किया जाता, चुनाव के लिए विश्व के सभी देशों को मोका प्रदान किया जाता है ।
- प्रत्येक अस्थायी सदस्य देश का केवल एक ही मत होता है, इन्हें वीटो की शक्ति नहीं दी जाती।
- कार्य एवं शक्तियां– सुरक्षा परिषद के कार्य में अन्तराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा शामिल है।
- यदि कोई भी राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा भंग करता पाया जाता है, तो अनुच्छेद-41 के अंतर्गत उस राष्ट्र को दोषी घोषित कर, आर्थिक, कूटनीतिक, यातायात संबंधों को खत्म कर सकती है।
- इसके बाद भी यदि समस्या का समाधान नहीं होता है, तो सैन्य कार्यवाही की जा सकती है, जो कि अनुच्छेद 42 के अंतर्गत कहा गया है।
- इस कार्यवाही को सामूहिक कार्यवाही कहा जाता है।
- महासभा, सुरक्षा परिषद के कहने पर सदस्य राष्ट्रों के अधिकारों को सीमित कर सकती है।
- 1992 में इस संरचना के विस्तार के लिए बहस तेज हो गई- इसमें सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या बढ़ाने हेतु एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका ने आवाज उठाई, वहीं पश्चिमी देशों ने इसकी प्रशासन और बजटीय प्रणाली मे सुधारों की मांग की।
- सुधार प्रस्ताव में कहा गया कि- सुरक्षा परिषद के अधिकतर निर्णय पश्चिमी राष्ट्रों के लिए ही होते हैं एवं उन्हीं के हितों कि सुरक्षा करते हैं।
- 1997 में महासचिव कोफी अन्नान ने स्थायी और अस्थायी सदस्यों के लिए कुछ मापदंड प्रस्तुत किए।
- ये राष्ट्र सैन्य और आर्थिक रूप से सम्पन्न होने चाहिए।
- यूएन के बजट में इनका योगदान सबसे अधिक होना चाहिए।
- जनसंख्या की दृष्टि से बड़ा राष्ट्र, जो सुरक्षा परिषद को विश्व की विभिन्नता का प्रतिनिधित्व प्रदान करे।
- इन मापदंडों को सरकार ने अपने हितों के हिसाब से वैध\अवैध बताया, उनके अनुसार इसकी संरचना केवल दूसरे विश्व युद्ध के बाद की स्थिति को दर्शाती है, एवं ये आज के विश्व की बदलती शक्ति के अनुसार नहीं है।
- आज के समय में भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान जैसे देश विश्व शक्ति के रूप में उभरकर, सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय नीदरलैंड के हगे में है, इसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के 14 वें अध्याय से लिया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र के ने अंगों के द्वारा सलाह मांगे जाने पर ये सलाह देते हैं, हालांकि ये सलाह देने के लिए बाध्य बिल्कुल भी नहीं हैं।
- इसके 15 न्यायाधीशों का चुनाव महासभा और सुरक्षा परिषद मे बहुमत के आधार पर किया जाता है, जिनका कार्यालय 9 वर्षों का होता है।
- इन न्यायाधीशों में से 5 स्थायी सदस्य राष्ट्रों में से होते हैं। इसमें किसी भी देश 2 न्यायाधीशों को साथ नहीं चुना जा सकता।
सचिवालय-
- सचिवालय का मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है, यह यूएन का एक प्रशासनिक अंग है, जिसके प्रशासनिक अधिकारी को माहसचिव कहा जाता है।
- सुरक्षा परिषद के कहने पर महासभा ही महासचिव की नियुक्ति हर 5 वर्षों के लिए करती है ।
- इसमें बांटे गए प्रत्येक विभाग को एक उपमहासचिव संभालता है, जिसकी नियुक्ति महासचिव द्वारा की जाती है।
आर्थिक और सामाजिक परिषद-
- इस परिषद में कुल 54 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं, जिसे महासभा में बहुमत द्वारा चुना जाता है, परिषद मेंहर सदस्य के पास एक वोट होता है। हर तरह का निर्णय साधारण बहुमत से ही लिया जाता है।
- हर वर्ष 18 सदस्य अपने पद से मुक्त हो जाते हैं, जिन्हे दुबारा चुना जा सकता है।
- इसमें सीटों को भोगोलिक आधार पर बांटा जाता है, जिसमें- एशियाई देशों को 11, अफ्रीकी देशों को 14, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों के लिए 10, पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए 6, पश्चिमी यूरोपीय देशों के लिए 13 सीटें शामिल हैं ।
- इसकी बैठक वर्ष में दो बार कराई जाती है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख संगठन
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- इसकी स्थापना दिसम्बर 1945 में हुई ।
- विश्व के अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस संगठन ने वैश्विक स्तर पर वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की।
- 189 देश इस समय आईएमएफ़ के सदस्य राष्ट्र हैं।
विश्व व्यापार संगठन
- इस संगठन की स्थापना 1995 में, वैश्विक व्यापार के नियमों को तय करने के लिए हुई।
- विश्व व्यापार संगठन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आया, इससे पहले यह ‘अग्रीमन्ट ऑन ट्रैड एण्ड टैरिफ’ के रूप मे काम करता था।
- इसके सदस्य देशों की संख्या 164 है, जिनमें यूरोपीय संघ, अमेरिका, जापान जैसे देश विश्व व्यापार संगठन के व्यापार नियमों को अपने हिसाब से बना पाने में सफल हो गए हैं।
- विकासशील देशों के अनुसार इस संगठन की कार्य प्रणाली पारदर्शी नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय आणविक ऊर्जा एजेंसी
- इस संगठन का कार्य परमाणविक ऊर्जा को सैन्य गतिविधियों में बढ़ावा देने और इस ऊर्जा का शांतिपूर्ण ढंग से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- इस संगठन की स्थापना 1957 मे हुई।
- संगठन के अधिकारी विश्व स्तर पर परमाणविक उपलब्धता की जांच करते हैं, ताकि सैन्य स्थल पर इन संयत्रों का इस्तेमाल ना किया जा सके।
एमनेस्टी इंटरनेशनल
- यह संगठन सम्पूर्ण विश्व मे मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाते हैं, यह एक स्वयं सेवी संगठन हैं।
- यह संगठन मानवाधिकारों से संबंधित रिपोर्ट पेश करता है, जो सरकार द्वारा किये जा रहे नागरिक दुर्व्यवहार के लिए होती है, अधिकतर सरकारों को इस संगठन की रिपोर्ट उचित नहीं लगती है।
ह्यूमन राइट्स वॉच
- यह भी एक स्वयं सेवी संगठन है, जो मानवाधिकारों और उससे संबंधित रिपोर्ट सामने लाता है।
- यह संगठन अमेरिका का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन है, जो विश्व मीडिया का ध्यान मानवाधिकार के उल्लंघन की और आकर्षित करता है।
- इस संगठन से बाल सैनिकों के इस्तेमाल को रोकने के लिए बारूदी सुरंगों पर रोक लगाने के लिए तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर न्यायालय स्थापित करने के लिए अभियान चलाया है।
संयुक राष्ट्र संघ में सुधार और भारत
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ मे सुधारों के मामले में अपना समर्थन प्रदान किया है, भारत के अनुसार यूएन की मजबूती आवश्यक है।
- इसके एजेन्डा में विकास का स्थान जरूरी है, इससे विश्व शांति और सुरक्षा स्थापित की जा सकती है।
- सुरक्षा परिषद की सदस्य संख्या स्थिर है, जबकि महासभा की सदस्य संख्या बढ़ी है, जो सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधित्व मूलक छवि को खराब करती है।
- 1965 में सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 11 से 15 की जाने के बाद इसके विस्तार पर कोई कार्य नहीं किया गया है, जिसमें ज्यादातर विकासशील देश ही शामिल हैं, जिससे फैसले उनके पक्ष मे ही लिए जाते हैं।
- भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी का समर्थक है, क्योंकि सुरक्षा परिषद की गतिविधि का दायर पहले से बढ़ा है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश होने के नाते, यूएन की सभी पहल कदमियों मे भाग लेना के बाद भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति, आर्थिक शक्ति के रूप मे उभर भारत, संयुक्त राष्ट्र के बजट में भी निरंतर योगदान करता है।
- भारत के सुरक्षा परिषद मे स्थायी सदस्य के रूप में खड़े होने के विरोध में विकसित राष्ट्र ही हैं।
एक ध्रुवीय विश्व मे संयुक्त राष्ट्र संघ
- शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व मे अमेरिका के वर्चस्व के बाद देशों को यह आशा भी बंधी हुई है कि यूएन अच्छे से काम कर सकेगा, अब इस संगठन में सुधारों की मांग की जा रही है।
- संगठन के न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों में दो मत देखने को मिले, जिसमें एक के मुताबिक यूएन को शांति, सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, वहीं अन्य का कहना है कि जन कल्याण जैसे मुद्दों पर इस समय ध्यान देने की जरूरत है।
समय-सूची
वर्ष | घटना |
1965 | यूएन सदस्यों की संख्या 11 से 15 की गई |
1978 | ह्यूमन राइट्स वॉच की स्थापना |
सितंबर, 2005 | संयुक्त राष्ट्र संघ की 60वीं सालगिरह |
2006 | इस वर्ष यूएन के सदस्यों की संख्या 192 हुई। |
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