गोपालदास नीरज की विशेष जानकारी | |
नाम | गोपालदास सक्सैना ‘नीरज’ |
जन्म | 4 जनवरी 1924, पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
मृत्यु | 19 जुलाई, 2018, दिल्ली |
पिता और माता | बाबू ब्रजकिशोर और ज्ञात नहीं |
पत्नी | सावित्री देवी सक्सेना, मनोरमा शर्मा |
बेटे का नाम | मिलन प्रभात गुंजन |
व्यवसाय | लेखक, कवि और गीतकार |
प्रमुख रचनाएं | दर्द दिया है, प्राण गीत, दो गीत, नदी किनारे, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, नीरज की गीतीकाएँ, नीरज की पाती, लहर पुकारे, बादलों से सलाम लेता हूँ, मुक्तक, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, कुछ दोहे नीरज के |
गोपालदास नीरज का जीवन परिचय
इटावा के पुरावली गाँव में 4 जनवरी को बाबू ब्रज किशोर सक्सेना के घर एक नन्हें मेहमान ने दस्तक दी। घर पर सभी बहुत ज्यादा खुश हुए। सभी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। सभी बहुत खुश हुए। इस बच्चे का नाम रखा गया नीरज सक्सेना। लेकिन यह खुशी तब कम हो गई जब उसके पिता का साया उसके सिर पर से उठ गया। यही नीरज सक्सेना ही आगे चलकर गोपालदास नीरज कहलाए।
गोपालदास नीरज अपने समय के बेहतरीन कवि और लेखक थे। वह अपने समय के एक सर्वश्रेष्ठ कलाकार थे। उनके बोलने और लिखने की शैली से लोग बहुत ज्यादा प्रभावित होते थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके समय के शानदार लेखकों ने उनकी तारीफों के कसीदे पढ़े थे।
बौद्ध भिक्षु और लेखक भदन्त आनन्द कौसल्यायन ने एक बार कहा था कि गोपालदास हिंदी साहित्य के अश्वघोष के समान है। यही नहीं महान कवि दिनकर जी ने गोपालदास को हिंदी की वीणा माना था। दिनकर जी ने कहा कि जैसे वीणा मधुर संगीत छोड़ती है ठीक उसी प्रकार गोपालदास नीरज भी अपने लिखने की मधुर शैली से सभी को प्रभावित कर देते हैं। लोगों को उनकी किताबें पढ़नी अच्छी लगती थी। उनकी किताबों की मांग थी।
इसी के चलते ही उनकी कई किताबों को गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में अनुवादित किया गया था। नीरज द्वारा लिखे गए फिल्मी गीत भी लोगों द्वारा खूब सराहे गए। एक दौर ऐसा था जब नीरज के फिल्मी गाने जब रेडियो पर चलते थे तो सुनने वाले लोग खुशी से झूम उठते थे।
शिक्षा
गोपालदास नीरज ने सबसे पहले अपने घर पर ही रहकर पढ़ाई शुरू की। फिर जब वह बड़े हुए तो उनका दाखिला एटा जिले की एक हाई स्कूल में करवाया गया। क्योंकि उनको पता था कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की।
वह पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं हारे। यही एक कारण था कि उन्होंने हाई स्कूल को प्रथम श्रेणी में पास किया। उनकी पढ़ाई करने की लालसा इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए पहले नौकरी की और वही पैसे अपने कॉलेज में भी लगाए। साल 1949 में उनकी इण्टरमीडिएट पूरी हो गई थी। फिर उन्होंने लग्न के साथ बी०ए० और एम०ए० भी पूरी कर ली।
विवाह
गोपालदास नीरज का विवाह कब हुआ यह तो पता नहीं। लेकिन उनका विवाह बड़ा ही रोचक रहा। कहते हैं कि गोपालदास जब कॉलेज के दिनों में थे तो इनको इश्क का बुखार चढ़ गया था। वह एक लड़की से बेहद प्यार करने लगे थे। वह लड़की भी नीरज से उतना ही प्यार करती थी।
वह दोनों शादी करना चाहते थे। लेकिन शायद घरवालों को यह बात बिल्कुल भी रास नहीं आई। वह इस शादी के खिलाफ थे। आखिरकार हुआ यह कि नीरज और उस लड़की को अलग होना पड़ा। और ऐसे में उनका ब्रेकउप हो गया। फिर नीरज के घरवालों ने उसकी शादी सावित्री देवी सक्सेना से करवा दी। इस शादी से उनको तीन बच्चे भी हुए। शशांक प्रभाकर, कुंदनिका शर्मा और मिलान प्रभात।
करियर
गोपालदास नीरज का करियर बड़ा ही शानदार रहा। उनकी सबसे पहली नौकरी इटावा के कचहरी में एक टाइपिस्ट के तौर पर थी। टाइपिस्ट की नौकरी छोड़ने के बाद में उनको सिनेमा घर की एक दुकान पर काम मिला। बाद में दिल्ली में उनको सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी मिल गई।
फिर इस नौकरी को छोड़कर वह एक कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता बन गए। जैसे ही उन्होंने यह नौकरी छोड़ी उन्होंने धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक के पद को ग्रहण कर लिया। उनके जीवन में एक सुनहरा मोड़ तब आया जब फिल्मी जगत से उनको काम मिला।
फिर वह मुंबई चले गए और वहां पर फिल्म के निर्माताओं के लिए गाने लिखने लग गए। उनके द्वारा लिखे गए प्रसिद्ध गीत है – पैसे की पहचान है यहाँ, कारवां गुजर गया, जीवन की बगिया, ऐ भाई जरा देख के चलो, लिखे जो ख़त तुझे, रंगीला रे, दिल आज शायर है, आज मदहोश हुआ जाए रे, बस यहीं अपराध मैं हर बार, देखती ही रहो आज दर्पण आदि।
कविताएं
कविताएं | साल |
संघर्ष | 1944 |
अन्तर्ध्वनि | 1946 |
विभावरी | 1948 |
प्राण गीत | 1951 |
दर्द दिया है | 1956 |
बादर बरस गयो | 1957 |
मुक्तकी | 1958 |
दो गीत | 1958 |
नीरज की पाती | 1958 |
गीत भी अगीत भी | 1959 |
आसावरी | 1963 |
नदी किनारे | 1963 |
लहर पुकारे | 1963 |
कारवाँ गुजर गया | 1964 |
फिर दीप जलेगा | 1970 |
तुम्हारे लिये | 1972 |
नीरज की गीतिकाएँ | 1987 |
पुरस्कार एवं सम्मान
विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार।
फिल्म फेयर अवार्ड
1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)।
निधन
गोपालदास नीरज ने अपने पूरे जीवन में उल्लेखनीय काम किए थे। लोग इनके द्वारा लिखे हुए गाने और कविताएं को लोग खूब पसंद किया करते थे। उनकी लिखने की जो शैली थी वह बहुत ही सरल थी। वह कविताओं की भाषा को कभी भी तोड़ मरोड़ के नहीं लिखना चाहते थे। उनकी कविताएं स्पष्ट होती थी। वह ही एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने शिक्षा और साहित्य में भारत सरकार द्वारा दो बार पुरस्कार हासिल किए थे। आखिरकार 19 जुलाई 2018 को वह दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।
FAQs
उनके माता का नाम सुखदेवी और पिता का नाम ब्रजकिशोर सक्सेना था।
गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1924 को पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश में हुआ था।
फिल्म नई उमर की नई फसल के लिए सबसे पहला गाना लिखा था।