हिंदी भाषा पर निबंध (hindi language essay in hindi)- बचपन में जब मैं छोटी थी तो मुझे हिंदी बोलने में बहुत शर्म महसूस होती थी। हालांकि मेरी गलती भी नहीं थी। मेरी परवरिश ऐसी जगह हुई जहां पर यह माना जाता था कि अंग्रेजी बोलने से रुतबा बढ़ता है और हिंदी बोलने से रुतबा घटता है। मेरी स्कूल भी कैथोलिक थी। वहां पर अंग्रेजी में बात ना करने पर बच्चों पर फाइन के रूप में जुर्माना लगता था। मुझे अंग्रेजी बोलने और लिखने में बहुत मजा आने लगा। मैंने अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बढ़ा दी। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंदी भाषा में मेरे अंक कम आने लगे।
हिंदी भाषा पर निबंध (Essay On Hindi Language)
हमारी राजभाषा हिंदी है। आज अगर हम हिंदुस्तानियों की कोई पहचान है तो वह हमारी भाषा की वजह से ही है। हिंदी भाषा ने हमें पूरी दुनिया में एक अलग ही पहचान दी है। तो आज का हमारा टॉपिक हिंदी भाषा (Hindi language) पर आधारित है। आज हम हिंदी भाषा (hindi bhasha par nibandh) पर निबंध पढ़ेंगे। तो आइए हम शुरू करते हैं हिंदी भाषा पर निबंध पढ़ना।
प्रस्तावना
“जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।”
– (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
राधिकारमण प्रसाद सिंह जी के द्वारा लिखा गया यह वाक्य एकदम सही है। आज के समय में स्थिति कुछ ऐसी ही हो रखी है। आज भारत के लोग दुनियाभर की भाषाओं को सीखने में लगे हैं। फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखना उनको सम्मान की बात लगती है। आजकल के समय में लोग अपने बच्चों को भी विदेशी भाषाओं को सिखाने में लगे हैं। वह यही चाहते हैं कि उनका बच्चा इन सभी भाषाओं में पारंगत हो। जब भी उनका बच्चा हिंदी बोलता है तो उनको शर्म महसूस होने लगती है। सभी माँ-बाप यही चाहते हैं कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोले। जब उनका बच्चा धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है तो उनको बहुत अच्छा महसूस होता है। वह इसे गर्व की बात समझते हैं। लेकिन क्या आपको यह लगता है कि हम ऐसा करके सही दिशा में जा रहे हैं। नहीं बिल्कुल भी नहीं। ऐसा करके हम अपने आप को गर्त में ही धकेल रहे हैं। ऐसा होना बिल्कुल गलत है। क्योंकि ऐसा करके हम अपनी ही संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।
आज के दौर में भाषाएं
आज के समय में लोग अलग अलग प्रकार की भाषाएं सीखने में लगे हुए हैं। कोई जर्मन सीख रहा है तो कोई फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखने में व्यस्त है। सारी भाषाओं का अपना अलग महत्व होता है। सभी की अपनी खूबियां है। लेकिन जो बात हमारी भाषा हिंदी में है वह किसी और में नहीं है। हिंदी बड़ी ही प्यारी और मीठी भाषा है। पूरी दुनिया में इस भाषा के कई जने दीवाने हैं। हम जब हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो मुँह में जैसे मिश्री घुल गई है। यह भाषा हमारी धड़कनों में बसी है।
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हिंदी भाषा का इतिहास
जब भी हमें अपने विचारों को व्यक्त करना होता है तो हम उसे बोलकर व्यक्त करते हैं। बिना बोले या लिखे हम अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने जाहिर नहीं कर पाते हैं। हम इंसान हमेशा से ही कोई ना कोई माध्यम से अपने विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करते आए हैं। हम काफी समय से अपने भावों को जाहिर करते आए हैं। जैसे आदिमानव की अपनी अलग भाषा हुआ करती होगी। हम यह नहीं कह सकते कि उस समय कौन सी भाषा का प्रयोग होता होगा। लेकिन अगर हम अपनी भाषा के इतिहास के बारे में देखें तो हमें यह ज्ञात होता है कि हमारी सबसे पुरानी भाषा संस्कृत रही है।
हिंदी भाषा कैसे विकसित हुई?
प्राचीनकाल में हमने संस्कृत भाषा को देवभाषा का दर्जा दे रखा था। उस समय सभी लोग संस्कृत ही बोलते और लिखते थे। राजा और प्रजा इसी भाषा का प्रयोग करती थी। बड़े बड़े ग्रंथ भी इसी भाषा में लिखे गए। संस्कृत भाषा से ही अन्य सभी भाषाओं का जन्म हुआ। हिंदी भाषा भी संस्कृत भाषा की ही देन है।
हिंदी भाषा तकरीबन 1000 वर्षों से हमारे दिलों पर राज कर रही है। सबसे पहले इस भाषा को प्रचलन में लाने का श्रेय ईरानी लोगों को जाता है। क्योंकि हम भारतीय सिंधु नदी के पास रहा करते थे इसलिए हमारा नाम सिंधु से हिंदू पड़ गया। हिंदी भाषा की उत्पत्ति का श्रेय उत्तर भारत को जाता है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश से मानी जाती है।
हिंदी भाषा किन भाषाओं का मिश्रण है?
हिंदी विविध भाषाओं का मिला जुला रूप है। अगर हिंदी भाषा के विकास की हम बात करें तो हम अपनी प्रचीन संस्कृत को दो हिस्से में बाँट सकते है लौकिक संस्कृत भाषा और पहली प्राकृत भाषा। इससे ही आगे फिर दूसरी प्राकृत भाषा अस्तित्व में आई। इसी भाषा को हम सभी पाली नाम से भी जानते हैं।
बाद में आगे चलकर हमने पाली भाषा को तीन हिस्सों में बांट दिया था – मागधी, अर्धमागधी (प्राकृत) और शौरसेनी। पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, पहाड़ी, गुजराती को हम शौरसेनी की आधुनिक भाषा कह सकते हैं। नागर अप्रभंश को दो हिस्से में विभाजित कर सकते हैं- पूर्वी हिंदी और पश्चिमी हिंदी। और आखिर में वर्तमान हिंदी। खड़ी बोली को हम हिंदी भाषा का विकसित रूप मानते हैं। यह भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही प्यारी लगती है।
हिंदी भाषा का महत्व
हमारे जीवन में हिंदी भाषा का महत्व बहुत ज्यादा है। हिंदी भाषा हमारे देश की जान है और पहचान भी। आज हिंदी की वजह से ही हम है। आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर जो हमें पहचान और मान सम्मान मिला है वह सब हिंदी की बदौलत ही है। यह हम भी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा देश बहुत बड़ा है।
इस देश में भिन्न भिन्न प्रकार की जाति और धर्म के लोग निवास करते हैं। उनका खान पान अलग है और पहनावा भी अलग है। पर एक चीज है जो उनको जोड़े रखती है। वह है हमारी राजभाषा। हम यहां पर हिंदी भाषा का बोल रहे हैं। हिंदी भाषा का उदय करीब हजार वर्ष पहले हुआ था। उस समय से लेकर आज तक यह भाषा हमारे लिए गौरव की भाषा बनी हुई है। इसका प्रमाण हम सभी के सामने है।
आज के समय में हमारी हिंदी फ़िल्मों और गानों को खूब पसंद किया जाता है। विदेशों में भी हमारी हिंदी फ़िल्मों को बड़ी चाव से देखा जाता है। यहां तक की हमारी आजादी के समय भी हिंदी भाषा ने बड़ा अहम योगदान दिया। उस समय कविताएं, कहानियां और भाषण इसी भाषा में लिखे और दिए गए। आजादी संग्राम के दौरान यह भाषा एक प्रमुख भाषा बनी रही। आज के दौर में तकरीबन करोड़ों की संख्या में लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं। हिंदी के महत्व को समझते हुए ही हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ?
यह हम सभी को पता है कि हिंदी को हमारी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी से हम भारतीयों का गहरा जुड़ाव है। हिंदी ने हमें नया आयाम दिया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी सभी हिंदी भाषा का ही अंश है।
अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में भी हिंदी को सीखने वालों की संख्या अधिक है। लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ, यह सोचने वाली बात है। हिंदी को राजभाषा बनाने का प्लान तो कभी से ही चल रहा था। बहुत से विदेशी आक्रमणकारियों ने यह सोचा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे देते हैं।
लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। फिर आजादी से पहले यह मांग उठनी शुरू हो गई थी कि हिंदी को ही भारत की राष्ट्रभाषा बना दी जाए। 15 अगस्त 1947 के बाद से यह मुद्दा बहुत गर्म हो गया था। क्योंकि भारत में अनेकों भाषाएँ बोली जाती थी इसलिए ऐसा हो नहीं पाया। लेकिन 1949 में अंतिम निर्णय यह लिया गया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा की जगह राजभाषा का दर्जा दे दिया जाए। तब से लेकर आज तक हिंदी हमारी राजभाषा बनी हुई है।
हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर
साल 2014 तक तो हिंदी भाषा को लेकर दुनिया में इतनी जागरूकता नहीं थी। लेकिन 2014 के बाद से हिंदी भाषा के प्रति दुनियाभर भर में सम्मान और उत्साह देखने को मिला। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस भाषा को लेकर पहले कोई क्रेज नहीं था। हिंदी के प्रति दीवानगी तो हमेशा से ही रही है।
अब हम बात करते हैं कि क्या हम हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं? तो इसका सीधा सा उत्तर है – हाँ। आज के दौर में जब हिंदी भाषा को इतनी लोकप्रियता मिल गई है कि इस भाषा से हम रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकते हैं। आज बैंकिंग सेक्टर से लेकर फिल्मी जगत और विज्ञापन की दुनिया में हिंदी भाषा का बोलबाला है।
आज के समय में हम हिन्दी राजभाषा अधिकारी, हिन्दी अध्यापन, हिन्दी पत्रकारिता, हिन्दी अनुवादक/दुभाषिया, रेडियो जॉकी और समाचार वाचक के रूप में धन अर्जन कर सकते हैं। आज मीडिया, फिल्म, जनसंपर्क, बैंकिंग क्षेत्र, विज्ञापन आदि क्षेत्रों में अनुवादकों की मांग भी काफी बढ़ गई है। इसलिए आज के समय में अगर हमारी हिंदी भाषा पर पकड़ अच्छी है तो हमारे सामने रोजगार के ढेरों अवसर है।
हिंदी भाषा के कुछ प्रसिद्ध लेखकों के नाम
- कबीर दास
- प्रेमचंद
- सीताराम सेकसरिया
- लीलाधर मंडलोई
- प्रहलाद अग्रवाल
- रविंद्र केलेकर
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल
- जयशंकर प्रसाद
- रामचन्द्र शुक्ल
- सूरदास
- हरिवंशराय बच्चन
- महादेवी वर्मा
- सुमित्रानंदन पन्त
- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- जयशंकर प्रसाद
- सुभद्राकुमारी चौहान
- सोहनलाल द्विवेदी
- माखनलाल चतुर्वेदी
- भारतेन्दु हरिश्चंद
- रामनरेश त्रिपाठी
- मीराबाई
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के अनमोल विचार
“अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी।”
-रामचंद्र शुक्ल।
“समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।”
– (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।
“राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।”
– अनंत गोपाल शेवड़े।
“विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।”
– वाल्टर चेनिंग।
“देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है।”
– सेठ गोविंददास।
“इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।”
– राहुल सांकृत्यायन।
“जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।”
– (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
“हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है।”
– (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।
“उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध हिंदी में वार्तालाप करूँगा।”
– शारदाचरण मित्र।
“हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।”
– देवव्रत शास्त्री।
“हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।”
– राजेंद्रप्रसाद।
“जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।”
– देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
हिंदी भाषा पर निबंध 200 शब्दों में
इस दुनिया में सभी को अपनी भाषा प्रिय होती है। उनको अपनी भाषा पर अभिमान और गर्व होता है। रूस में रहने वाले लोग रशियन बोलते हैं। तो वहीं जापान में रहने वाले लोग जापानी बोलते हैं। हमारे देश के लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषा को भारत के दिल की धड़कन माना जाता है।
हमारी भाषा विदेशों में भी बड़े ही चाव के साथ बोली जाती है। इस भाषा की लोकप्रियता इतनी है कि आज अंग्रेजी के बाद अगर कोई दूसरी भाषा सीख रहा है तो वह हिंदी भाषा है। हिंदी भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही सरल है। जब कोई विदेशी हमारी भाषा को अच्छे से बोलता है तो हमें बहुत गर्व महसूस होता है।
आज हिंदी भाषा का बोलबाला भी हर जगह नजर आता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी हिंदी सिनेमा और हिंदी गाने हर किसी को पसंद आते हैं। आज के दौर में हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर भी अधिक हो गए हैं। आज आप हिंदी का लेखक या टीचर बनकर खूब कमा सकते हैं। यूट्यूब पर भी हजारों ऐसी वीडियो उपलब्ध है जिसमें आपको हिंदी भाषा के बारे में अच्छा ज्ञान दिया जाता है। आज के दौर में हिंदी भाषा ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है।
हिंदी भाषा पर 10 लाइन
1) हिंदी हमारी राजभाषा के नाम से जानी जाती है।
2) आज के समय में 70 करोड़ लोग हिंदी भाषा को समझ और बोल सकते हैं।
3) 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला।
4) हमारे देश के बड़े बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस आदि हिंदी का बड़ा सम्मान करते थे।
5) अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभाव हिंदी भाषा का है।
6) भारत हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है।
7) हिंदी भाषा समझने में बड़ी आसान और बोलने में बड़ी प्यारी भाषा है।
8) हिंदी भाषा का अविष्कार आज से 1000 वर्ष पहले ही हो गया था।
9) हमें लोगों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और जागरूकता जगानी चाहिए।
10) मेरी भी प्रिय भाषा हिंदी ही है।
निष्कर्ष
हिंदी भाषा ने हमें विश्व में नई पहचान और सम्मान दिलाया है। हिंदी भाषा से हमारी संस्कारों की जड़ें जुड़ी हुई है। हमें हिंदी भाषी होने पर बड़ा गर्व है। आज दुनियाभर के 70 करोड़ लोग हिंदी बोल सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आज आपको हमारे द्वारा तैयार किया गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।
हिंदी भाषा पर निबंध FAQ’S
A1. हिंदी भाषा के बाद सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा बांग्ला और तेलुगू है।
A2. हाँ, हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। आज बैंकिंग सेक्टर से लेकर फिल्मी जगत और विज्ञापन की दुनिया में हिंदी भाषा का बोलबाला है। आज के समय में हम हिन्दी राजभाषा अधिकारी, हिन्दी अध्यापन, हिन्दी पत्रकारिता, हिन्दी अनुवादक/दुभाषिया, रेडियो जॉकी और समाचार वाचक के रूप में धन अर्जन कर सकते हैं।
A3. 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला था।
A4. हमारे जीवन में हिंदी भाषा का महत्व बहुत ज्यादा है। हिंदी भाषा हमारे देश की जान है और पहचान भी। आज हिंदी की वजह से ही हम है। आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर जो हमें पहचान और मान सम्मान मिला है वह सब हिंदी की बदौलत ही है।
A5. हिंदी भाषा का जन्म अपभ्रंश भाषा से हुआ था।
A6. हिंदी की विशिष्ट बोली ब्रजभाषा काव्यभाषा रूप में सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
A7. यह अवतरण अवधि बोली में है।
A8. जयशंकर प्रसाद, कबीर, महादेवी वर्मा, मल्लिक मुहम्मद जायसी, मीराबाई, रसखान, संत रैदास, तुलसीदास, कालिदास, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला आदि।
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